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हॉकी के दम पर राजरानी ने देश में बनाई पहचान

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परिस्थितियों से हार मानने वाली लड़कियों के लिए मिशाल बनी राजरानी रियालटी शो की विजेता बन चुकी है राजरानी  नरेंद्र कुंडू  जींद। संसाधनों के अभाव में जो लड़कियां अपना लक्ष्य छोड़कर परिस्थितियों से समझौता कर लेती हैं राजरानी उन लड़कियों के लिए एक मिशाल है। हॉकी खिलाड़ी राजरानी ने ग्रामीण क्षेत्र से निकल कर देश के मानचित्र पर अपने जिले व प्रदेश का नाम रोशन करने का काम किया है। राजरानी ने खेल ही नहीं  बल्कि छोटे पर्द पर भी अपनी सफलता की पहचान छोड़ी है। उचाना क्षेत्र के खेड़ीसफा गांव में किसान बारूराम के घर में जन्मी राजरानी ने वर्ष 2012 में स्टार प्लस चैनल पर आयोजित रियालटी शो 'सरवाइवर इंडिया' की विजेता बनकर शो में शामिल बड़े-बड़े स्टार को हरियाणा के दूध-दही की ताकत का ऐहसास करवाया था। टीवी चैनल व राष्ट्रीय स्तर पर खेलों के क्षेत्र में अपना नाम रोशन करने वाली राजरानी अब चंडीगढ़ में एक फिटनेश सेंटर पर लोगों को फिटनेश का प्रशिक्षण देती है। फिटनेश सेंटर से फ्री होने के बाद राजरानी शाम के समय स्टेडियम में जाकर खिलाडिय़ों को हॉकी के टिप्स भी सिखाती है। रियालटी शो की विजेता राजरानी

जिंदगी के गुणा-भाग ने बना दिया गणित टीचर

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अमरेहड़ी की रितू ने विपरीत परिस्थितियों से जूझ पाया मुकाम पिता की मौत के बाद संघर्ष कर पूरी की पढ़ाई नरेंद्र कुंडू जींद। आंखें खोलते ही जिंदगी में आई मुसीबतों ने ऐसा उलझाया कि मुसीबतों के गुणा-भाग से प्रेरणा लेकर वह गणित की टीचर बन गई। यह कहानी है अमरेहड़ी निवासी 23 वर्षीय रितू की। रितू ने विपरित रिस्थितियों से जूझ कर मैथ से एमएससी की अपनी पढ़ाई पूरी की। अब रितू हिंदू कन्या महाविद्यालय में मैथ की प्राध्यापिका के तौर पर अपनी सेवाएं दे कर परिवार का पालन-पोषण करने के साथ-साथ दूसरी छात्राओं का जीवन संवार रही है। मैथ प्राध्यापिका रितू अब दूसरी छात्राओं के लिए पे्ररणा स्त्रोत बन चुकी है। रितू का अगला लक्ष्य अब नेट की परीक्षा पास करना है। रितू अपने इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत कर रही है। इसके लिए वह कॉलेज से घर जाने के बाद गांव में बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाती है। रितू की मां कृष्णा देवी तथा उसकी बड़ी बहन संगीता भी उसके सपने को पूरा करने के लिए उसका पूरा सहयोग कर रही है। अमरेहड़ी निवासी रितू ने बताया कि वह डेढ़ वर्ष की थी जब उसके पिता राजकपूर की मौत हो गई थी। पिता की म

'व्हाइटफ्लाई की रफ्तार पर ड्रेगनफ्लाई ने लगाये ब्रेक'

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मांसाहारी कीट खुद ही कर लेते हैं शाकाहारी कीटों को नियंत्रित जींद जिले में एक हजार एकड़ कपास की फसल में नहीं सफेद मक्खी का प्रकोप  नरेंद्र कुंडू जींद। इस बार हरियाणा तथा पंजाब में व्हाइट फ्लाई (सफेद मक्खी) का प्रकोप बहुत ज्यादा देखने को मिला। सफेद मक्खी के प्रकोप के कारण पंजाब तथा हरियाणा में लाखों हैक्टेयर कपास की फसल पूरी तरह से तबाह हो गई। महंगे से महंगे कीटनाशक भी सफेद मक्खी को नियंत्रित करने में बेअसर साबित हुए। किसानों द्वारा अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग करने के बावजूद भी सफेद मक्खी की संख्या कम होने की बजाए उलटा बढ़ती चली गई। कई जगह तो ऐसे हालात पैदा हो गए की किसानों को अपनी खराब हुई कपास की फसलों को मजबूरन ट्रैक्टर से जोतना पड़ा। इस वर्ष कपास की फसलों पर बड़ी तेजी के साथ सफेद मक्खी का प्रकोप बढ़ा लेकिन जींद जिले के कीट ज्ञान की मुहिम से जुड़े कीटाचार्य किसानों ने ड्रेगनफ्लाई (तुलसामक्खी) व अन्य मांसाहारी कीटों की मदद से सफेद मक्खी की इस रफ्तार पर ब्रेक लगा दिए और परिणाम यह रहे कि इन किसानों की फसलों को सफेद मक्खी से किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हुआ। जींद जिले में लगभग एक

'देश के किसानों को कीट ज्ञान का पाठ पढ़ाएंगे म्हारे किसान'

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डीडी किसान चैनल की टीम ने कीटाचार्य किसानों के अनुभव किए कैमरे में कैद कृषि अधिकारियों व कीटाचार्य किसानों के बीच हुए सीधे सवाल-जवाब  नरेंद्र कुंडू  जींद। जिले में चल रही कीट ज्ञान की मुहिम से अब पूरे देश के किसान सीख लेंगे। डीडी किसान चैनल के माध्यम से कीटाचार्य किसान देश के दूसरे किसानों को बिना कीटनाशकों व रासायनिक उर्वरकों के खेती कैसे संभव है इसके बारे में बारिकी से जानकारी देंगे। डीडी किसान चैनल द्वारा प्रश्र मंच कार्यक्रम के तहत थाली को जहरमुक्त बनाने के विषय पर जींद जिले के कीटाचार्य पुरुष व महिला किसानों के दो घंटे का प्रोग्राम तैयार किया है। इस कार्यक्रम में किसानों के साथ-साथ कृषि अधिकारियों से भी कीट ज्ञान के बारे में उनकी राय ली गई है। कार्यक्रम के दौरान कीटनाशकों के बिना खेती संभव है या नहीं, सफेद मक्खी तथा अन्य कीटों की रोकथाम के क्या उपाय हैं। इन विषयों पर पूरा फोक्स रहा। कीटाचार्य किसानों ने बताया कि किस तरह वह पिछले सात-आठ वर्षों से बिना पेस्टीसाइड के अच्छा उत्पादन ले रहे हैं और इस बार भी उनकी फसल सफेद मक्खी से सुरक्षित है जबकि प्रदेश में सफेद मक्खी का प्रकोप ब

'कीट ज्ञान पर कृषि वैज्ञानिकों के साथ सीधे सवाल-जवाब करेंगी कीटों की मास्टरनी'

दूरदर्शन में किसान प्रश्र मंच कार्यक्रम में होगी कीट ज्ञान पर चर्चा आठ सितंबर को निडाना पहुंचेगी दिल्ली दूरदर्शन की टीम नरेंद्र कुंडू जींद। कीट ज्ञान की मुहिम से जुड़ी कीटों की मास्टरनी अब कीट ज्ञान पर कृषि वैज्ञानिकों के साथ सीधे सवाल-जवाब करेंगी। दिल्ली दूरदर्शन पर प्रशारित होने वाले किसान प्रश्र मंच कार्यक्रम में कीटाचार्य महिला एवं पुरुष किसान कृषि वैज्ञानिकों के साथ विशेष रूप से चर्चा करेंगे। आगामी आठ सितंबर को कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग के लिए दिल्ली दूरदर्शन की टीम निडाना पहुंचेगी। कार्यक्रम के दौरान कीटाचार्य महिला तथा पुरुष किसान कृषि विशेषज्ञों के बीच सीधे सवाल-जवाब होंगे। लगातार दो घंटे तक कृषि विशेषज्ञों तथा कीटाचार्य किसानों के बीच कीट ज्ञान पर बहस चलेगी। कार्यक्रम में एनसीआईपीएम दिल्ली के कृषि विशेषज्ञ तथा जिले के कृषि अधिकारी भाग लेंगे। फसलों में लगातार बढ़ते कीटनाशकों के प्रयोग के कारण किसान की जेब पर बढ़ रहे आर्थिक बोझ तथा दूषित हो रहे खान-पान को देखते हुए कीट साक्षरता के अग्रदूत डॉ. सुरेंद्र दलाल द्वारा जींद जिले के निडाना गांव से वर्ष 2008 में खेती को जहरमुक्त

बीटी कपास के जर्रे-जर्रे में होता है जहर

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कीटों के मामले में बीटी से ज्यादा सुरक्षित है अमेरिकन व देशी कपास नरेंद्र कुंडू बरवाला/जींद। कीटाचार्य महिला किसान अंग्रेजो, राजवंती, बीरमती, गीता तथा केलो ने कहा कि शाकाहारी कीटों के मामले में बीटी की बजाए अमेरिकन कपास काफी सुरक्षित है। इस बार अमेरिकन कपास की बजाए बीटी कपास में कीटों का प्रकोप काफी ज्यादा है। जहां-जहां पेस्टीसाइड का प्रयोग नहीं हुआ है, वहां-वहां कपास की फसल कीटों के मामले में सुरक्षित है। कीटाचार्य महिला किसान शनिवार को बरवाला के जेवरा गांव में आयोजित किसान खेत पाठशाला में मौजूद किसानों को संबोधित कर रही थी। इस अवसर पर हिसार के जिला बागवानी अधिकारी डॉ. बलजीत भ्याण भी मौजूद रहे। इस मौके पर अमर उजाला फाउंडेशन की तरफ से कीटाचार्य महिला किसानों को 500-500 रुपये आर्थिक सहायता मुहैया भी करवाई गई। कपास की फसल में कीटों का अवलोकन करती महिला किसान। कीटाचार्य महिला किसानों ने कहा कि प्राकृतिक द्वारा पैदा किए गए प्रत्येक जीव का अपना महत्व है लेकिन आए दिन प्राकृतिक के साथ हो रही छेड़छाड़ के कारण प्राकृतिक का तालमेल गड़बड़ा रहा है। उन्होंने बताया कि बीटी को कीड़ों के मामले

राष्ट्रीय कृषि विकास परियोजना के साथ जोड़ेंगे कीट ज्ञान की मुहिम : डॉ. बराड़

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  कहा, कीटों पर हुए शोध पर बनाई जाए डाक्यूमेंटरी  कपास की फसलों के नुकसान का अवलोकन करने के लिए कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक ने किया जींद का दौरा  नरेंद्र कुंडू जींद। जिले में सफेद मक्खी के प्रकोप के कारण खराब हो रही किसानों की कपास की फसलों का अवलोकन करने के लिए कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ. जगदीप बराड़ मंगलवार को जींद पहुंचे। इस दौरान डॉ. बराड़ ने कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ जिले के रधाना, शादीपुर, किनाना, ईंटल कलां, ईंटल खुर्द, राजपुरा सहित दर्जनभर गांवों का दौरा कर किसानों की फसलों का अवलोकन किया। रधाना गांव में किसानों की फसलों का अवलोकन करने के साथ ही डॉ. बराड़ कीटाचार्य किसानों से भी रूबरू हुए। इस दौरान कीटाचार्य किसानों ने अतिरिक्त निदेशक के साथ अपने अनुभव सांझा करते हुए बताया कि किस तरह वह पिछले सात-आठ वर्षों से बिना कीटनाशकों का प्रयोग किए अच्छा उत्पादन ले रहे हैं। किसानों द्वारा कीटों पर किए गए शोध की बारिकी से जानकारी लेने के बाद अतिरिक्त निदेशक ने कीटाचार्य किसानों को राष्ट्रीय कृषि विकास परियोजना के तहत जोड़कर कीट ज्ञान की मुहिम को प्रदेश में फैलाने का आश्व

'व्हाइट फ्लाई के प्रकोप से काला पडऩे लगा किसानों का सफेद सोना'

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पिछले वर्ष हुई प्राकृतिक आपदा के बाद अब सफेद मक्खी ने मचाई तबाही खराब हो रही कपास की फसलों पर किसान चला रहे ट्रेक्टर  नरेंद्र कुंडू  जींद। पिछले वर्ष प्राकृतिक आपदा के कारण खराब हुई खरीफ व रबी की फसलों से हुए आर्थिक नुकसान से किसान अभी तक ठीक से उभर भी नहीं पाए थे कि इस बार फिर से किसानों की कपास की फसल सफेद मक्खी (व्हाइट फ्लाई) की भेंट चढ़ गई है। महज तीन मिलीमीटर का यह कीट किसानों के सफेद सोने का भस्मासुर साबित हो रहा है। दिन-प्रतिदिन कपास की फसल पर सफेद मक्खी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। सफेद मक्खी ने किसानों के साथ-साथ कृषि विभाग के अधिकारियों की भी नींद उड़ा रखी है। कृषि विभाग के अधिकारी भी इस कीट का तोड़ नहीं ढूंढ़ पा रहे हैं। जिले में लगभग 15 हजार हैक्टेयर कपास की फसल सफेद मक्खी की भेंट चढ़कर खराब हो चुकी है। सफेद मक्खी के प्रकोप से अपनी कपास की फसल को बचाने के लिए किसान महंगे से महंगे कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे हैं लेकिन महंगे-महंगे कीटनाशक भी इस पर बेअसर साबित हो रहे हैं। सफेद मक्खी के बढ़ते प्रकोप के कारण किसान अपनी खड़ी कपास की फसल को ट्रैक्टर से नष्ट करने पर मजबूर है

कीटनाशकों के प्रयोग से ही फसल में बढ़ती है कीटों की संख्या

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नरेंद्र कुंडू बरवाला/जींद। कीटों की मास्टरनी सीता देवी, शांति, धनवंति व नारों ने बताया कि जहां-जहां कपास की फसल में कीटों को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशकों का प्रयोग कर छेडख़ानी की गई है, उन-उन खेतों में कीटों की संख्या निरंतर बढ़ रही है लेकिन जहां पर कीटों के साथ कोई छेडख़ानी नहीं की गई है, वहां कीटों की संख्या नुकसान पहुंचाने के आर्थिक स्तर (ईटीएल लेवल) से काफी नीचे है। कीटों की मास्टरनियां शनिवार को अमर उजाला फाउंडेशन द्वारा जेवरा गांव में आयोजित महिला किसान खेत पाठशाला में मौजूद महिला तथा पुरुष किसानों को फसल में मौजूद मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों के बारे में अवगत करवा रही थी। इस अवसर पर पाठशाला में आकाशवाणी केंद्र रोहतक से कार्यक्रम अधिकारी नरेश गोगिया, वरिष्ठ उद्घोषक संपूर्ण सिंह, हिसार के जिला बागवानी अधिकारी डॉ. बलजीत भ्याण, डॉ. महाबीर शर्मा भी विशेष रूप से मौजूद रहे। पाठशाला के आरंभ में महिला किसानों ने कपास तथा सब्जियों की फसल में कीटों का निरक्षण किया और उसके बाद फसल में मौजूद कीटों के आंकड़े को चार्ट पर उतारा।  फसल में मौजूद कीटों का अवलोकन करती महिलाएं। उन्होंने बत

शाकाहारी कीटों के साथ भी होता है पौधे का गहरा रिश्ता

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कीटों को मारने की नहीं उनको पहचानने तथा उनके क्रियाकलापों को समझने की जरूरत  नरेंद्र कुंडू  बरवाला/जींद। शाकाहारी कीटों के साथ भी पौधों का गहरा रिश्ता है। पौधे अपनी जरूरत के अनुसार समय-समय पर भिन्न-भिन्न प्रकार की गंध छोड़कर शाकाहारी कीटों को अपनी सुरक्षा के लिए बुलाते हैं। इसलिए हमें कीटों को मारने की नहीं बल्कि कीटों को पहचानने की जरूरत है। यह बात कीटाचार्या किसान विजय, प्रमिला, कमल, आशीम, शकुंतला ने शनिवार को बरवाला के जेवरा गांव में अमर उजाला फाउंडेशन द्वारा सब्जियों की फसल पर आयोजित की जा रही महिला किसान खेत पाठशाला को संबोधित करते हुए कही। पाठशाला में हिसार के जिला बागवानी अधिकारी डॉ. बलजीत भ्यान भी मौजूद रहे। पाठशाला के आरंभ में महिला किसानों द्वारा ग्रुप बनाकर करेला, मिर्च, बैंगन, भिंडी, घीया की बेल पर मौजूद मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों की पहचान कर उनके क्रियाकलापों के बारे में किसानों को बारिकी से जानकारी दी गई।  मास्टर ट्रेनर महिला किसानों ने बताया कि किसानों को भय व भ्रम के जाल में फंसाया जा रहा है। इसी के चलते शाकाहारी कीटों के डर से किसान फसलों पर अंधाधुंध पेस्टीसा

कीटनाशकों से शाकाहारी कीटों के साथ मर जाते हैं कुदरती कीटनाशी

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कपास के साथ-साथ सब्जियों पर भी शुरू हुआ प्रयोग  कीट ज्ञान हासिल करने के लिए पंजाब से भी पहुंचे किसान  नरेंद्र कुंडू  बरवाला/जींद। आज कपास की फसल में रस चूसक कीट सफेद मक्खी का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। सफेद मक्खी के बढ़ते प्रकोप से किसान बुरी तरह से भयभीत हैं। क्योंकि सफेद मक्खी को काबू करने में कीटनाशक भी बेअसर साबित हो रहे हैं। यह बात कीटों की मास्टरनी राजवंती, कमलेश, बिमला, रोशनी व सुमन ने शनिवार को जेवरा गांव में आयोजित महिला किसान खेत पाठशाला में किसानों को संबोधित करते हुए कही। पाठशाला में कीटों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए बरवाला व आस-पास के सैंकडों किसानों के अलावा नूरमहल जालंधर से गुरप्रीत, चैनलाल, सरपंच लखविंद्र ने भी शिरकत की। पाठशाला में मौजूद किसानों ने सब्जियों व कपास की फसल में मौजूद मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों का अवलोकन किया। किसानों को कीटों के जीवन चक्र व क्रियाकलापों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।  मास्टर ट्रेनर महिला किसानों ने बताया कि फसल में अंधाधुंध कीटनाशकों के प्रयोग के कारण शाकाहारी कीट सफेद का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। इसका कारण यह

कीटनाशकों के प्रयोग से कुदती कीटनाशियों का हो जाता है खातमा

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नरेंद्र कुंडू  बरवाला। जेवरा गांव में महिला किसान खेत पाठशाला का आयोजन किया गया। पाठशाला में जींद जिले की मास्टर ट्रेनर महिला किसान सविता, सुषमा, यशवंती, सीता विशेष रूप से मौजूद रही। पाठशाला में पंजाब से प्रगतिशील किसान अशोक, विनोद ज्याणी सहित फतेहाबाद के किसान भी जानकारी हासिल करने के लिए पहुंचे। पाठशाला के आरंभ में किसानों ने ग्रुप बनाकर पौधों पर मौजूद मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों की गिणती की। बाद में कीटों के आंकलन को चार्ट पर उतारा गया।  पाठशाला में लैंस से कीटों का अवलोकन करती महिला किसान। मास्टर ट्रेनर महिला किसानों ने कीटों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि आज कपास उत्पादित क्षेत्र में शाकाहारी कीट सफेद मक्खी का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है और यह स्थिति उन-उन खेतों में ज्यादा सामने आ रही है, जहां-जहां कीटनाशकों का प्रयोग ज्यादा हो रहा है। क्योंकि कीटनाशकों के प्रयोग से फसल में मौजूद कुदरती कीटनाशी खत्म हो जाते हैं। इसके बाद शाकाहारी कीटों को बढऩे के लिए अवसर मिल जाता है। जिन-जिन खेतों में कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया गया है वहां पर सफेद मक्खी नियंत्रण में है। चार्ट

सफेद मक्खी से भयभीत नहीं हों किसान

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अच्छे उत्पादन के लिए पौधों को दें पर्याप्त खुराक  नरेंद्र कुंडू  जींद।  शनिवार को जेवरा गांव में महिला पाठशाला के तीसरे सत्र का आयोजन किया गया। पाठशाला में जेवरा गांव सहित लगभग दर्जनभर गांवों के महिला व पुरुष किसानों ने भाग लिया। हिसार के जिला उद्यान अधिकारी डॉ. बलजीत भ्याण पाठशाला में विशेष रूप से मौजूद रहे। जींद जिले से पाठशाला में पहुंची मास्टर ट्रेनर प्रमीला, मुकेश, असीम, शकुंतला व नवीन ने पाठशाला में मौजूद महिला व पुरुष किसानों को कीटों की पहचान करवाने के साथ-साथ उनके क्रियाकलापों से फसलों पर पडऩे वाले प्रभाव के बारे में विस्तार से जानकारी दी। पाठशाला के आरंभ में सभी किसानों ने पौधों पर मौजूद मांसाहारी व शाकाहारी कीटों की गिणती कर कीटों का आंकड़ा तैयार किया। पाठशाला में आए किसानों ने मास्टर ट्रेनर महिला किसानों के समक्ष अपनी समस्या रखते हुए बताया कि कपास के मेजर कीटों में शुमार सफेद मक्खी का उनकी फसलों में प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। फसलों में सफेद मक्खी के बढ़ते प्रकोप से किसान बुरी तरह भयभीत हैं। सफेद मक्खी ईटीएल लेवल पार कर चुकी है। मास्टर ट्रेनर महिलाओं ने किसानों की शंका क

एकत्रित किए गए अतरिक्त भोजन को बाहर निकालने के लिए शाकाहारी कीटों को बुलाते हैं पौधे

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नरेंद्र कुंडू बरवाला। क्षेत्र के जेवरा गांव में शनिवार को महिला किसान खेत पाठशाला का आयोजन किया गया। पाठशाला में कीट साक्षरता के अग्रदूत डॉ. सुरेंद्र दलाल की धर्मपत्नी कुसुम दलाल ने बतौर मुख्यातिथि के तौर पर शिरकत की। पाठशाला में पंजाब के कुछ प्रगतिशील किसान भी शामिल हुए। पाठशाला के आरंभ में पौधों पर मौजूद शाकाहारी तथा मांसाहारी कीटों की गिनती कर बोर्ड पर कीटों का आंकड़ा दर्ज किया। मास्टर ट्रेनर अंग्रेजो, राजवंती, बीरमती, बिमला व कमलेश ने बताया कि पाठशाला में मौजूद महिला व पुरुष किसानों को संबोधित करते हुए बताया कि कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि पौधे 24 घंटे में लगभग साढ़े चार ग्राम भोजन तैयार करते हैं और इस भोजन को तीन भागों में बांटते हैं। पाठशाला में बोर्ड पर आंकड़ा तैयार करती महिला किसान। भोजन का एक तिहाई हिस्सा जड़ों को, एक तिहाई ऊपरी भाग को देते हैं तथा एक तिहाई अपने पास रिजर्व के रूप में रखते हैं। ताकि मुसिबत के समय उस भोजन से अपना काम चला सकें। यदि पौधे पर किसी तरह की मुसिबत नहीं आती है तो पौधो उस जमा किए गए अतिरिक्त भोजन को निकालने के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार की गंध

भ्रम के जाल में फंसकर कीटों को मार रहे किसान

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जींद के बाद अब बरवाला में जलाई कीट ज्ञान की अलख नरेंद्र कुंडू  बरवाला।  क्षेत्र के जेवरा गांव में शनिवार को महिला किसान खेत पाठशाला का आयोजन किया गया। पाठशाला के शुभारंभ अवसर पर हिसार के जिला उद्यान अधिकारी डॉ. बलजीत भ्याण ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। पाठशाला का आयोजन जेवरा गांव के किसान दलजीत के खेत में किया गया। जींद जिले की मास्टर ट्रेनर महिला किसानों ने जेवरा गांव की महिलाओं को कपास की फसल में मौजूद मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों की पहचान करवाने के साथ-साथ उनके क्रियाकलापों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। पाठशाला में महिलाओं के साथ-साथ वहां के पुरुष किसानों की भी भागीदारी रही। मास्टर ट्रेनर सविता, सुषमा, शीला, नारो तथा जसबीर कौर ने महिलाओं को कीटों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कीट न तो हमारे मित्र हैं और न ही हमारे दुश्मन हैं। पौधे अपनी जरूरत के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार की गंध छोड़कर अपनी रक्षा के लिए कीटों को बुलाते हैं लेकिन किसानों को कीटों की पहचान नहीं होने के कारण किसान भय व भ्रम के जाल में फंसकर कीटों को मार रहे हैं। उन्होंने कहा कि कीटनाशकों के बिना खेती

बेजुबान चित्रों में रंगों से जान फूंक रहे कार्टुनिस्ट दीपक कौशिक

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राष्ट्रपति भवन तथा कई म्यूजिमों में शोभा बढ़ा रही दीपक की पेंटिंगें पेंटिंग प्रतियोगिताओं में कई पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं दीपक कौशिक  नरेंद्र कुंडू जींद। भले ही रंग बेजुबान होते हैं लेकिन रंगों की भाषा के भाव पढऩे वाले या यूं कहे कि रंगों को समझने वाले कद्रदान इस भाषा को पढ़ते भी हैं और सुनते भी। शहर के रामराये गेट निवासी चित्रकार दीपक कौशिक भी कुछ इसी तरह से इन रंगों का दीवाना है। चित्रकार दीपक कौशिक चित्रकला में इतना निपूर्ण है कि वह रंगों से बेजुबान चित्रों व मूर्तियों में जान डाल देता है। दीपक कौशिक की उंगलियों में ऐसा जादू है कि उसकी उंगलियां जिस भी चित्र को छू लेती हैं वह एकदम से संजीव हो जाती है या यूं कहे की वह एक तरह से बोलने लगती है। दीपक कौशिक मास्टर ऑफ फाइन आर्ट (एमएफए) की डिग्री हासिल करने के बाद से गोपाल स्कूल में कला अध्यापक के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहा है और यहां बच्चों को कला के गुर सिखा रहा है। दीपक कौशिक की कला का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसके द्वारा तराशे गए आठ बच्चे भी स्टेट गर्वनर अवार्ड हासिल कर चुके हैं। आर्टिस्ट दीपक द्वारा तैयार की गई कई

बीज-खाद के लिए हाथ नहीं फैलाएं अन्नदाता

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किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बना झांझ कलां का सुरेश अपनी सुझबुझ से सुरेश ने तैयार की गेहूं की अनोखी किस्म किसान सुरेश रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करने की बजाए देशी पद्धति से करता है खेती नरेंद्र कुंडू  जींद। वैसे तो किसान को अन्नदाता का दर्जा दिया गया है लेकिन आज हालात इसके बिल्कुल विपरित हो चले हैं। सब्सिडी पर बीज, खाद इत्यादि खरीदने के लिए देश का यह अन्नदाता बाजार में हाथ फैलाए खड़ा रहता है। यदि किसान स्वयं अपने खेत में ही बीज, खाद तैयार करने लगे तो उसे छोटी-छोटी सब्सिडी के लिए बाजार में हाथ फैलाने की जरूरत नहीं होगी। यह मानना है झांझ कलां गांव निवासी किसान सुरेश ङ्क्षसहमार का। महज दसवीं पास सुरेश ङ्क्षसहमार पांच एकड़ में खेतीबाड़ी का कामकाज कर अपने परिवार का गुजर-बसर करता है। सुरेश की एक खूबी है जो उसे अन्य किसानों से अलग करती है। सुरेश समय-समय पर अपने खेत में तैयार हो रही फसलों पर अकसर नए-नए प्रयोग करता रहता है और अपनी इसी आदत के कारण सुरेश ने गेहूं की एक अनोखी किस्म तैयार कर दी है। सुरेश द्वारा अपने खेत में तैयार किए गए गेहूं के इस बीज की किस्म सामान्य गेहूं से अलग है। सामान्

किसान-कीट विवाद को सुलझाने का प्रयास

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न्यायिक कमेटी के सदस्यों ने खाप चौधरियों को भेजी रिपोर्ट रिपोर्ट में कीट ज्ञान की मुहिम को देश में लागू करने का किया समर्थन न्यायिक कमेटी के निर्णय से खाप पंचायत के फैसले को मिली मजबूती किसान-कीट विवाद सुलझाने के लिए फरवरी माह में निडाना में हुई थी खाप पंचायत नरेंद्र कुंडू जींद। किसानों और कीटों के बीच दशकों से चली आ रही अंतहीन जंग में दोनों पक्षों के बीच समझौता करवाने के लिए गत 20 फरवरी को निडाना में आयोजित हुई सर्व खाप महापंचायत की न्यायिक कमेटी ने खाप प्रतिनिधियों को अपनी रिपोर्ट भेज दी है। न्यायिक कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में जींद जिले के किसानों द्वारा चलाई जा रही कीट ज्ञान की मुहिम को देश में लागू करवाने तथा पेस्टीसाइड कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है। न्यायिक कमेटी द्वारा खाप प्रतिनिधियों के पक्ष में दी गई इस रिपोर्ट से खाप पंचायत के फैसले को भी मजबूती मिली है। न्यायिक कमेटी द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के आधार पर अब खाप प्रतिनिधि केंद्रीय तथा प्रदेश के मंत्रियों को ज्ञापन भेजकर इस मुहिम को कृषि नीति में शामिल करने की मांग करेंगे। ताकि दूषित हो रहे खान-पान को बच