बुधवार, 12 मार्च 2014

अल के प्रकोप से फसल को बचाने के लिए किसान समय पर दें पर्याप्त खुराक

अल की रोकथाम के लिए किसी भी तरह के कीटनाशकों का प्रयोग ना करें किसान
फसल में मौजूद कूदरती कीटनारियों की मदद से ही होगा अल पर कंट्रोल

नरेंद्र कुंडू 
जींद। पिछले कई दिनों से मौसम में हो रहे परिवर्तन के कारण गेहूं तथा सरसों की फसल में अल (चेपा) का प्रकोप बढऩे लगा है। गेहूं और सरसों की फसल मेंं बढ़ते अल के प्रकोप को देखकर किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींचने लगी हैं। अल को कंट्रोल करने के लिए किसान फसल में महंगे-महंगे कीटनाशकों तथा रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग कर रहे हैं। महंगे-महंगे कीटनाशकों के प्रयोग के बाद भी सरसों व गेहूं की फसल से अल का प्रकोप कम नहीं हो रहा है। वहीं कृषि विभाग ने किसानों की परेशानी को समझते हुए अल का तोड़ फसल में ही मौजूद मांसाहारी कीटों में ढूंढ़ निकाला है। कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा किसानों को अल को कंट्रोल करने के लिए फसलों में कीटनाशकों का प्रयोग करने की बजाये फसल में मौजूद मांसाहारी कीटों की पहचान करने तथा फसल को पर्याप्त खुराक देने की गाइड लाइन जारी की गई हैं।  

क्या है अल (चेपा)

एडीओ डॉ. कमल सैनी के अनुसार अल कोई बीमारी नहीं है। यह एक शाकाहारी कीट है, जो पौधों से रस चूसकर अपना जीवन यापन करता है। इस कीट का प्रकोप मुख्यत फरवरी से मार्च माह तक अधिक होता है। यह कीट हरे रंग की जूं की तरह होता है। अल शिशु तथा प्रौढ़ दोनों ही अवस्थाओं में पौधों की कोमल पत्तियों व गेहूं की बालियों से रस चूसता है। अल से प्रकोपित पौधे की पत्तियां मुराझा जाती हैं। यह कीट शर्करायुक्त चिपचिपा पदार्थ छोड़ता है। इससे चीटियां इन पौधों की तरफ आकॢषत होती हैं। इस कीट की साल में १२ से १४ पीढिय़ां पाई जाती हैं, जो समय-समय पर अलग-अलग फसलों में आती रहती हैं। इसलिए इस कीट की बीजमारी नहीं हो सकती।  

फसल में कब बढ़ता है अल का प्रकोप

फसल में नाइट्रोजन युक्त खाद का अधिक प्रयोग करने तथा आसमान में बादल छाए रहने के कारण फसल में अल की शुरूआत होती है। छिटपुट बारिश के कारण अल का प्रकोप ज्यादा बढ़ता है। इस समय बारिश का मौसम रहने के कारण गेहूं तथा सरसों की फसल में इसका प्रकोप ज्यादा बढ़ रहा है। 

किसान कैसे करें अल की रोकथाम

जिला कृषि उप-निदेशक डॉ. रामप्रताप सिहाग का कहना है कि जानकारी के अभाव में किसान आमतोर पर कीटों को नियंत्रित करने के लिए रासायनों का प्रयोग करते हैं लेकिन ज्यादातर देखने को मिलता है कि रासायनों के प्रयोग से भी कीट नियंत्रित नहीं हो पाते। डॉ. सिहाग ने बताया कि कीटों को नियंत्रित करने के लिए हमारी फसलों में मौजूद मांसाहारी कीट ही हमारे लिए कूदरती कीटनाशी का काम करते हैं। इस समय गेहूं तथा सरसों के पौधों पर अल के प्राकृतिक कीटनाशी या परभक्षी कीट देखेे जा सकते हैं। इनमें सिॢफड मक्खी, लेडी बर्ड बीटल के बच्चे, क्राइसोपा के बच्चे प्रमुख हैं जो अल को बड़े चाव के साथ खाकर इसे नियंत्रित करने का काम करते हैं। इसके साथ-साथ एक्डियस नामक कीट अल का परजीवी है जो कि अल के पेट में अपने अंडे देता है, जिससे अल का आकार बढ़ जाता है और एक्डियस नामक कीट को जन्म देता है। इस प्रकार फसल में मौजूद यह मांसाहारी कीट अपने आप ही अल को कंट्रोल कर देते हैं। अल को कंट्रोल करने के लिए किसी कीटनाशक की जरूरत नहीं है। बस जरूरत है तो किसानों को फसल में मौजूद मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों की पहचान करने तथा उनके क्रियाकलापों के बारे में जानकारी लेने की। 
मांसाहारी कीट क्राइसोपा का फोटो।

पौधों को समय पर दें पर्याप्त खुराक

कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि फसल को अल के प्रकोप से बचाने के लिए फसल को पर्याप्त रूप से खुराक देना भी बेहद जरूरी है। अल के प्रकोप के दौरान समय-सयम पर फसल मेें पोषक तत्वों का छिड़काव करें। इसमें प्रति एकड़ के लिए अढ़ाई किलो यूरिया, अढ़ाई किलो डीएपी तथा आधा किलो जिंक  29 प्रतिशत का 100 लीटर पानी में घोल तैयार कर फसल में इसका छिड़काव करें। एक-एक सप्ताह के अंतराल पर इसका छिड़काव किया जा सकता है। यह घोल अल से फसल को होने वाले नुकसान की पूर्ति कर फसल को दोगुणा फायदा पहुंचाता है। इसके प्रयोग से पैदावार में भी बढ़ौतरी होती है। 

फसल में कूदरती कीटनाशी का काम करने वाली लेड़ी बर्ड बीटल का फोटो।

गेहूं की फसल में मौजूद अल को चट करता मांसाहारी कीट का फोटो। 




सोमवार, 10 मार्च 2014

अब भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में सुनाई देगा बेजुबानों का दर्द

कीट साक्षरता की मुहिम को देश में फैलाने की किसानों की मांग को अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करेगी भाजपा
रविवार को किसानों के साथ हुई भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में भाजपा नेताओं ने किसानों को दिया आश्वासन

नरेंद्र कुंडू 
जींद। अब भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में जनहित के मुद्दों के साथ-साथ बेजुबान कीटों का दर्द भी सुनाई देगा। फसलों में अंधाधुंध कीटनाशकों के प्रयोग के कारण मारे जा रहे कीटों को बचाने की किसानों की मांग को भाजपा नेताओं ने अपने घोषणा पत्र में शामिल करने का आश्वासन दिया है। रविवार को भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी के दिल्ली स्थित आवास पर भाजपा नेताओं के साथ हुई जींद के कीटाचार्य किसानों की बैठक में भाजपा नेताओं ने कीट ज्ञान की इस मुहिम को अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने पर सहमति जता दी है। इतना ही नहीं भाजपा नेताओं ने इस मुहिम को पूरे देश में फैलाने के लिए सत्ता में आने पर इस मुहिम के लिए अलग से प्रोजैक्ट तैयार करवाने का वायदा भी किसानों से किया है। 
फसलों में बढ़ते कीटनाशकों के प्रयोग के कारण दूषित हो रहे खान-पान तथा वातावरण को देखते हुए भाजपा पार्टी द्वारा रविवार को भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी के दिल्ली के राय सिन्हा रोड पर स्थित कोठी नंबर छह में देशभर के प्रगतिशील किसानों की एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक में भाग लेने के लिए भाजपा के केंद्रीय एवं किसान नेता नरेश सिरोही द्वारा जींद के कीटाचार्य किसानों को भी आमंत्रित किया गया था। भाजपा के आमंत्रण को स्वीकार करते हुए रविवार को जींद से खाप प्रतिनिधि कुलदीप ढांडा के नेतृत्व में जींद जिले से दो महिला तथा दो पुरुष किसान भाजपा की बैठक में भाग लेने के लिए दिल्ली पहुंचे थे। बैठक में हरियाणा के किसानों का प्रतिनिधित्व करते हुए कीटाचार्य किसान रणबीर मलिक ने भाजपा नेताओं को बताया कि फसलों में जिस तरह से अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग किया जा रहा वह सब जानकारी के अभाव में किया जा रहा है। किसानों को फसलों में मौजूद कीटों की पहचान नहीं है और न ही उनके क्रियाकलापों के बारे में जानकारी है। जानकारी के अभाव के कारण किसान फसलों में अंधाधुंध कीटनाशकों तथा रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग कर बेजूबान कीटों को मार रहे हैं। इससे हमारा खान-पान तथा पर्यावरण दूषित हो रहा है। मलिक ने बताया कि अगर खान-पान तथा पर्यावरण को दूषित होने से बचाना है तो सबसे पहले किसानों को  फसलों में मौजूद कीटों की पहचान करवाकर जागरूक करना होगा। किसानों को जागरूक किये बिना खान-पान तथा पर्यावरण को दूषित होने से बचाना संभव नहीं है। किसानों को जागरूक करने के लिए बैठक में किसानों ने भाजपा नेताओं के सामने चार मांगें रखी। भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने किसानों की इस मुहिम को अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने का आश्वासन दिया। 

यह रखी मांगें 

1. कृषि प्रधान देश को कृषक प्रधान देश बनाने के लिए रेल बजट की तर्ज पर कृषि के लिए अलग से बजट बनाया जाये। 
2. किसानों की कीट साक्षरता की मुहिम के लिए एक अलग से प्रोजैक्ट तैयार किया जाये
3. प्रोजैक्ट का नाम कीट क्रांति के जन्मदाता स्व. डॉ. सुरेंद्र दलाल के नाम से रखा जाये। 
4. कृषि क्षेत्र में स्व. डॉ. सुरेंद्र दलाल द्वारा किये गये कार्यों को देखते हुए डॉ. दलाल को मरणोपरांत राष्ट्रपति अवार्ड दिया जाये।

जींद के इन किसानोंं ने की भाजपा नेताओं से मुलाकात

गांव ललितखेड़ा से कीटाचार्य किसान रामदेवा, महिला किसान सविता, गांव निडाना से महिला किसान मिन्नी मलिक और कीटाचार्य रणबीर मलिक तथा बराह खाप के प्रधान कुलदीप ढांडा ने रविवार को भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहरजोशी से मुलाकात की। 





शनिवार, 8 मार्च 2014

कीटों को मारने की नहीं पहचानने की जरूरत

एकीकृत कीट प्रबंधन विषय पर एक दिवसीय सेमिनार
सेमिनार में कीट प्रबंधन पर कृषि अधिकारियों और किसानों के बीच हुई चर्चा

नरेंद्र कुंडू 
जींद। फसलों में अंधाधुंध प्रयोग हो रहे कीटनाशकों के कारण दूषित हो रहे खान-पान तथा वातावरण को बचाने के लिए हरियाणा किसान आयोग तथा कृषि विभाग के सौजन्य से शुक्रवार को जींद के रोहतक रोड स्थित किसान प्रशिक्षण केंद्र (हमेटी) में कपास में एकीकृत कीट प्रबंधन विषय पर बुद्धिशीलता सत्र का आयोजन किया गया। हरियाणा किसान आयोग के चेयरमैन डॉ. आरएस परोदा ने सेमिनार में बतौर मुख्यातिथि तथा सचिव डॉ. आरएस दलाल, सिरसा रीजनल सेंटर के डायरेक्टर डॉ. डी. मोंगा, एनसीआईपीएम के डायरैक्टर सी चटोपाध्या, हमेटी के डायरैक्टर डॉ. बीएस नैन, जिला उप-कृषि निदेशक डॉ. आरपी सिहाग, हिसार उद्यान विभाग के डीएचओ. डॉ. बलजीत भ्याण और बराह खाप के प्रधान कुलदीप ढांडा ने विशेष अतिथि के तौर पर मौजूद रहे। सेमिनार में किसान आयोग, कृषि विभाग के अधिकारियों तथा किसानों के बीच फसलों में मौजूद मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों के महत्व पर विस्तार से चर्चा की गई। कृषि विभाग के अधिकारियों तथा किसानों ने बारी-बारी अपने-अपने विचार रखे। डॉ. आरएस परोदा ने कहा कि जींद के किसानों ने एक अच्छी पहल शुरू की है। इसलिए इस पर रिसर्च की जरूरत है। 

कीटों को काबू करने की नहीं कीटों को पहचानने की जरूरत 

सेमिनार में मौजूद कीटाचार्य किसान रणबीर मलिक ने कहा कि कीटों से फसलों को हो रहे नुकसान को रोकने के लिए पहले कृषि विभाग ने कीटों को नियंत्रण करने का प्लान बनाया लेकिन कीट नियंत्रित नहीं हुये। इसके बाद कीटों का प्रबंधन करने की सोची लेकिन यहां भी विभाग को कोई सफलता नहीं मिली। अब समकेतिक कीट प्रबंधन पर जोर दिया जा लेकिन इससे भी बात नहीं बन रही है। मलिक ने कहा कि कीटों को न तो काबू करने की जरूरत है और न ही कीटों का प्रबंधन करने की जरूरत है। जरूरत है तो सिर्फ किसानों को कीटों की पहचान करवाने की। अगर किसानों को फसलों में मौजूद कीटों की पहचान हो गई तो आगे का फैसला किसान खुद-बे-खुद कर लेगा। 
 प्रोजेक्टर के माध्यम से कीटों के बारे में जानकारी देती महिला किसान।

कीटों को न समझें मित्र और समझें दुश्मन

मास्टर ट्रेनर किसान मनबीर रेढ़ू ने बताया कि कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार फसल में 18 प्रतिशत नुकसान कीटों से होता है लेकिन जानकारी के अभाव में किसान इस नुकसान को बचाने के लिए इससे ज्यादा खर्च फसल पर कर देता है। रेढ़ू ने कहा कि किसान और कृषि विभाग के अधिकारियों के बीच भाषा का अंतर है। विभाग द्वारा कीटों को दो भागों में बांट कर मित्र और दुश्मन की श्रेणी में रखा गया है। जबकि कीट न तो हमारे मित्र हैं और न ही हमारे दुश्मन। कीट तो फसल में अपना जीवन यापन करने के लिए आते हैं और पौधे अपनी जरूरत के अनुसार भिन्न-भिन्न किस्म की सुगंध छोड़कर अपनी सुरक्षा के लिए कीटों को बुलाते हैं। रेढ़ू ने कपास की फसल में पाई जाने वाली ब्रिस्टल बिटल का उदाहरण देते हुए कहा कि ब्रिस्टल बिटल कपास के फूल, पत्तियां और नर पुंकेशर को खाती है। इसको देखकर किसान भयभीत हो जाता है, जबकि सच्चाई यह है कि कपास के उत्पादन में ब्रिस्टल बिटल का अहम योगदान है। क्योंकि ब्रिस्टल बिटल फूल के मादा भाग पर बैठकर पुंकेशर तथा पत्तियां खाती है। इस प्रक्रिया में नर का पोलन मादा तक पहुंचता है और इससे आगे चलकर टिंड्डे बनते हैं। 

यह रखे सुझाव 

सेमिनार में मौजूद महिला किसान।
बराह खाप के प्रधान कुलदीप ढांडा ने कहा कि इस मुहिम को प्रदेश में फैलाने के लिए मास्टर ट्रेनर किसानों को अन्य जिलों के किसानों को ट्रेनिंग देने के लिए समय-समय दूसरे जिलों में भेजा जाए। 
किसानों द्वारा एक एकड़ के लिए 100 लीटर पानी में अढ़ाई किलो डीएपी, अढ़ाई किलो यूरिया तथा आधा किलो जिंक का जो घोल तैयार कर फसलों में छिड़काव किया जाता है, उसे कृषि विश्वविद्यालय की तरफ से वैज्ञानिक तौर पर मंजूरी दिलवाई जाए। 

प्रोजेक्टर के माध्यम से दिया कीट ज्ञान 

सेमिनार में मौजूद महिला किसानों ने भी प्रोजेक्टर के माध्यम से फसलों में मौजूद मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। महिला किसान सविता ने बताया कि अगस्त माह में कपास की फसल के पत्ते बड़े हो जाते हैं और इससे नीचे के पत्तों तक धूप नहीं पहुंचती। इससे पौधे की भोजन बनाने की प्रक्रिया प्रभावित होती है। इस दौरान पौधे अपनी सहायता के लिए टिड्डों को बुलाते हैं। टिड्डे ऊपरी पत्तों के बीच में छोटे-छोटे छेद कर देते हैं। इससे नीचे के पत्तों तक भी धूप पहुंच जाती है और पौधे के सभी पत्ते भोजन बनाने लगते हैं। 


सेमिनार में भाग लेते कृषि अधिकारी तथा किसान। 







प्रदेश के किसानों को जहरमुक्त खेती का संदेश देंगे जींद के किसान

जहरमुक्त खेती की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए किसान आयोग ने थामा जींद के किसानों का हाथ 

इनोवेशन फंड के तहत हर वर्ष हरियाणा किसान आयोग खर्च करेगा दो करोड़

नरेंद्र कुंडू
जींद। जींद जिले से शुरू हुई थाली को जहरमुक्त बनाने की मुहिम से अब पूरे प्रदेश के किसान जुड़ेंगे। जिले के मास्टर ट्रेनर किसान अब प्रदेशभर के किसानों को कीट ज्ञान का पाठ पढ़ाएंगे। कीट ज्ञान की इस मुहिम को प्रदेश के सभी किसानों तक पहुंचाने के लिए हरियाणा किसान आयोग माध्यम बनेगा। किसान आयोग द्वारा इस मुहिम को शिखर तक पहुंचाने के लिए इनोवेशन फंड के तहत हर वर्ष दो करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। शुक्रवार को जींद के किसान प्रशिक्षण केंद्र (हमेटी) में कपास में एकीकृत कीट प्रबंधन विषय पर आयोजित बुद्धिशीलता सत्र के दौरान हरियाणा किसान आयोग के चेयरमैन डा. आरएस परोदा ने जींद के किसानों की इस मुहिम को प्रदेशभर में फैलाने की मांग पर अपनी सहमति की मोहर लगा दी है। 
फसलों में अंधाधुंध कीटनाशकों के प्रयोग के कारण दूषित हो रहे खान-पान को देखते हुए कृषि विभाग के एडीओ डॉ. सुरेंद्र दलाल के नेतृत्व में वर्ष 2008 में जींद जिले के निडाना गांव से कीट ज्ञान क्रांति की मुहिम की शुरूआत हुई थी। इस मुहिम से जुड़े किसानों द्वारा पिछले पांच-छह वर्षों से अपने खर्च पर किसाना पाठशालाओं का आयोजन कर इस मुहिम को आगे बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं। कीटों पर किसानों द्वारा किये जा रहे सफल प्रयोगों को देखते हुए पिछले दो वर्षों से जींद जिले के कृषि विभाग के अधिकारी भी इन किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे थे लेकिन संशाधनों तथा बजट के अभाव के कारण प्रदेशभर के किसानों को इस मुहिम से जोडऩे में जींद के मास्टर ट्रेनर किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। जींद जिले में चल रही कीट ज्ञान की इस मुहिम की सार्र्थकता को देखते हुए अब हरियाणा किसान आयोग ने जींद जिले के इन कीटाचार्य किसानों का हाथ थाम लिया है। हरियाणा किसान आयोग अब कीट ज्ञान की इस मुहिम को प्रदेशभर में फैलाने के लिए जींद के किसानों को मास्टर ट्रेनर के तौर पर प्रदेश के अन्य जिलों में भेजेगा। इसके लिए आयोग द्वारा 2 करोड़ का बजट तैयार किया गया है। आयोग द्वारा प्रगतिशील किसानों के अनुभवों को अन्य जिलों के किसानों तक पहुंचाने के लिए हर वर्ष दो करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे। इनोवेशन फंड के तहत दो करोड़ हरियाणा किसान आयोग खर्च करेगा तथा एक करोड़ रुपये मार्केटिंग बोर्ड से एकत्रित करेगा। 

वैज्ञानिक रूप से अनुमति दिलवाने के लिए होगा रिसर्च

जींद के किसानों द्वारा कीटों पर किए गए शोध को वैज्ञानिक रूप से अनुमति दिलवाने के लिए कृषि विश्वविद्यालय में इस काम पर वैज्ञानिक शोध भी करवाया जाएगा। शोध के बाद कृषि विभाग से इस काम को वैज्ञानिक तौर पर अनुमति मिलने के बाद इस मुहिम को प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर के किसानों तक पहुंचाने में काफी आसानी होगी। 
डॉ. आरएस परोदा के चेयरमैन हरियाणा किसान आयोग
किसानों से बातचीत करते हरियाणा किसान आयोग के चेयरमैन डॉ. आरएस परोदा। 





दिल्ली तक पहुंची जींद के किसानों की कीट साक्षरता की गूंज

राहुल गांधी के बाद अब भाजपा पार्टी ने किसानों को भेजा निमंत्रण
नौ मार्च को दिल्ली में भाजपा नेताओं के साथ मुलाकात करेंगे जींद के किसान

नरेंद्र कुंडू
जींद। जींद जिले से शुरू हुई कीट ज्ञान की मुहिम की आवाज दिल्ली तक पहुंच गई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के बाद अब भाजपा नेताओं ने कीट साक्षरता की इस मुहिम से रूबरू होने के लिए कीटाचार्य किसानों को दिल्ली बुलाया है। भाजपा नेताओं की तरफ से मिले निमंत्रण पर जिले के कीटाचार्य किसान नौ मार्च को भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी के दिल्ली स्थित आवास पर भाजपा नेताओं से मुलाकात कर कीट साक्षरता की मुहिम से अवगत करवाएं। अगर कीटाचार्य किसान कीट ज्ञान की इस मुहिम को भाजपा नेताओं के समक्ष प्रस्तुत करने में सफल रहे तो आगामी चुनाव में भाजपा पार्टी अपने चुनावी घोषणा पत्र में इस मुहिम को शामिल करेगी। 
थाली को जहरमुक्त बनाने के लिए वर्ष 2008 में डा. सुरेंद्र दलाल के नेतृत्व में जींद जिले के किसानों द्वारा निडाना गांव से शुरू की गई कीट ज्ञान की मुहिम लगातार रफ्तार पकड़ रही है। कीट ज्ञान की यह मुहिम अब जिले ही नहीं बल्कि प्रदेश से बाहर निकलकर दिल्ली तक जा पहुंची है। मजे की बात तो यह है कि अब तो राजनीतिक पार्टियों ने भी इस मुहिम में अपनी दिलचस्पी दिखानी शुरू कर दी है। गत 24 फरवरी को गन्नौर में आयोजित किसान संसद में कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कीट ज्ञान की इस मुहिम की तह तक जाने के लिए खुद इन किसानों से मुलाकात की थी और किसानों को जल्द ही इस मुहिम पर काम शुरू करवाने का आश्वासन दिया था। राहुल गांधी के बाद अब भाजपा पार्टी की तरफ से इन किसानों को निमंत्रण भेजा गया है। भाजपा के केंद्रीय एवं किसान नेता नरेश सिरोही द्वारा कीटाचार्य किसानों को नौ मार्च को दिल्ली में बुलाया गया है। नौ मार्च को यह किसान भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी की राय सिन्हा रोड पर स्थित कोठी नंबर 6 पर होने वाली बैठक में भाजपा नेताओं से मुलाकात करेंगे। सुबह 11 से दोपहर 2 बजे तक भाजपा नेताओं और किसानों के बीच बातचीत का दौर चलेगा। इस दौरान कीटाचार्य किसान भाजपा नेताओं को इस मुहिम की शुरूआत कैसे हुई, किस तरह इस मुहिम को आगे बढ़ाया जा सकता है तथा इस मुहिम से देश के लोगों को क्या लाभ होगा? इसके बारे में विस्तार से समझाएंगे। 

चुनावी घोषणापत्र में शामिल हो सकती है किसानों की यह मुहिम

नौ मार्च को दिल्ली में भाजपा नेताओं के साथ होने वाली बैठक के दौरान यदि कीटाचार्य किसान भाजपा नेताओं को इस मुहिम की तरफ आकॢषत करने में सफल रहते हैं तो भाजपा पार्टी किसानों की इस मुहिम को पूरे देश में फैलाने की मांग को अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल कर सकती है। 

किसान आयोग और कृषि अधिकारियों को कीट ज्ञान देंगे जींद के किसान

सात मार्च को जींद के किसान प्रशिक्षण केंद्र में होगा एक दिवसीय सैमीनार का आयोजन

नरेंद्र कुंडू
जींद। कीट साक्षरता की मुहिम से जुड़े जींद जिले के किसान अब कृषि विभाग तथा हरियाणा किसान आयोग के अधिकारियों को कीट ज्ञान की मुहिम से रू-ब-रू करवाएंगे। इसके लिए सात मार्च को जींद के रोहतक रोड स्थित किसान प्रशिक्षण केंद्र (हमेटी) में एक दिवसीय सैमीनार का आयोजन किया जाएगा। इस सैमीनार में हरियाणा किसान आयोग के चेयरमैन डॉ. पड़ौदा, सचिव डा.. आर.एस. दलाल, कोर्डिनेटर डॉ. श्रीवास्तवा, नई दिल्ली स्थित एनसीआईटीएम के डायरेक्टर, सिरसा तथा नागपूर स्थित काटन रीजनल सैंटर के डायरेक्टर, हिसार एग्रीकल्यर यूनिवर्सिटी के प्रचार-प्रसार एवं अनुसंधान निदेशक डॉ. एस एस सिवाच सहित कई अन्य कृषि अधिकारी भाग लेंगे। इस कार्यक्रम में मौजूद अधिकारी कीट कमांडो किसानों के साथ कीटों पर गहन मंथन करेंगे। 
फसलों में कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग के कारण दूषित हो रहे खान-पान तथा वातावरण को जहरमुक्त बनाने के लिए जींद जिले के किसानों द्वारा वर्ष 2008 में कीट ज्ञान की मुहिम शुरू की गई थी। कीट ज्ञान की मुहिम से जुड़े इन किसानों द्वारा पिछले पांच-छह वर्षों में फसलों में मौजूद कीटों की पहचान करने के साथ-साथ कीटों के क्रियाकलापों पर काफी शोध किए गए हैं। इन किसानों द्वारा अब तक २०६ किस्म के मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों की पहचान की जा चुकी है। वर्ष 2008  से जींद जिले में चल रही कीट ज्ञान क्रांति की यह मुहिम अब रंग लाने लगी है। पंजाब के किसानों के बाद हाल ही में गन्नौर में आयोजित किसान सम्मेलन में कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी को कीट ज्ञान का पाठ पढ़ाने के बाद अब जींद के यह कीट कमांडो किसान हरियाणा किसान आयोग तथा कृषि विभाग के अधिकारियों को कीट ज्ञान की इस मुहिम से रू-ब-रू करवाएंगे। इसके लिए कृषि विभाग द्वारा सात मार्च को जींद के किसान प्रशिक्षण केंद्र में एक दिवसीय सैमीनार का आयोजन किया गया है। इस सैमीनार की अध्यक्षता कृषि विभाग जींद के उप-निदेशक डॉ. रामप्रताप सिहाग करेंगे। सैमीनार में हरियाणा किसान आयोग के चेयरमैन डॉ. पड़ौदा, सचिव डा.. आर.एस. दलाल, कोर्डिनेटर डॉ. श्रीवास्तवा, नई दिल्ली स्थित एनसीआईटीएम के डायरेक्टर, सिरसा तथा नागपूर स्थित काटन रीजनल सैंटर के डायरेक्टर, हिसार एग्रीकल्यर यूनिवर्सिटी के प्रचार-प्रसार एवं अनुसंधान निदेशक डॉ. एस एस सिवाच सहित कई अन्य कृषि अधिकारी भाग लेंगे। इस सैमीनार के बाद किसान आयोग तथा कृषि विभाग द्वारा इस मुहिम को पूरे प्रदेश के किसानों तक पहुंचाने के लिए योजना तैयार की जाएगी। 

आठ घंटों तक कीटों पर होगा गहन मंथन

सात मार्च को जींद के किसान प्रशिक्षण केंद्र में आयोजित होने वाले एक दिवसीय सैमीनार में जींद के कीट कमांडों किसानों तथा किसान आयोग और कृषि विभाग के अधिकारियों के बीच कीटों पर गहन मंथन किया जाएगा। सैमीनार सुबह नौ से सायं चार बजे तक चलेगा। किसानों द्वारा सैमीनार में मौजूद अधिकारियों को कीट फसल में क्यों आते हैं और फसलों पर इनका क्या प्रभाव पड़ता है इसके बारे में अपने अनुभव बताए जाएंगे। 

बुधवार, 26 फ़रवरी 2014

अब पंजाब में भी जागेगी कीट ज्ञान की अलख

कीट  ज्ञान की तालीम लेने जींद पहुंचा किसानों का दल 

नरेंद्र कुंडू 
जींद। जींद जिले के किसानों द्वारा थाली को जहरमुक्त करने के लिए शुरू की गई कीट ज्ञान की मुहिम अब जींद जिले ही नहीं बल्कि प्रदेश से बाहर निकल कर दूसरे प्रदेशों में भी शुरू होगी। इसकी शुरूआत सबसे पहले कृषि क्षेत्र में अग्रीण प्रदेश पंजाब से होगी। कृषि तथा बागवानी विभाग के साथ-साथ पंजाब में कुदरती खेती की तरफ कदम बढ़ा रही इनोवेटव फार्मस एसोसिएशन पंजाब में इसकी अलख जगाएंगे। पंजाब में इस मुहिम की शुरूआत करने के लिए कृषि विभाग, बागवानी विभाग के अधिकारियों तथा इनोवेटव फार्मस एसोसिएशन के किसानों का एक 10 सदस्यीय दल एक दिवसीय प्रशिक्षण दौरे पर जींद पहुंचा और यहां के मास्टर ट्रेनर किसानों से कीट ज्ञान की तालीम ली।
किसानों द्वारा अधिक उत्पादन की चाह में फसलों में अंधाधुंध प्रयोग किए जा रहे कीटनाशकों के कारण जहरीले हो रहे हमारे खान-पान तथा दूषित हो रहे वातावरण को बचाने के लिए जींद जिले के किसानों ने वर्ष 2008 में डा. सुरेंद्र दलाल के नेतृत्व में जींद जिले की धरती पर कीट साक्षरता की मुहिम का बीजारोपण किया था। वर्ष 2008 में जींद के किसानों द्वारा रोपित किए गए कीट साक्षरता के पौधे ने
अब एक वट वृक्ष का रूप धारण कर लिया है। इसके चलते जिले ही नहीं बल्कि प्रदेश से बाहर भी इसकी जड़ें फैलने लगी हैं। पंजाब के होशियारपुर से जींद में एक दिवसीय प्रशिक्षण दौरे पर पहुंचे किसान रेशम सिंह, अमरजीत तरसेम बख्शी सिंह गुरविंद्र जीत सिंह का कहना है कि उनके क्षेत्र में गेहूं, गन्ने तथा सब्जी की फसल होती है। अपनी फसलों को वह कीटें से बचाने के लिए फसलों में कई-कई बार कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं लेकिन कीटों की संख्या कंट्रोल होने की बजाए निरंतर बढ़ती जाती है। इनका कहना है कि वह पंजाब में कुदरती खेती की तरफ कदम बढ़ा रही इनोवेटव फार्मस एसोसिएशन से जुड़े हुए हैं और कीटों को कंट्रोल करने के लिए कुदरती नुस्खे भी अपना चुके हैं लेकिन कोई लाभ नहीं मिल रहा है। इसलिए अब उन्होंने हरियाणा प्रदेश के जींद जिले के किसानों द्वारा शुरू की गई कीट ज्ञान की मुहिम का सहारा लेकर फसलों में कीटों की पहचान करने का निर्णय लिया है। वहीं इन किसानों के साथ आए कृषि विकास अधिकारी डा. जसपाल ङ्क्षसह तथा बागवानी विभाग के उद्यान विकास अधिकारी डा. दीपक पूरी का कहना है कि जींद जिले के किसानों द्वारा शुरू की गई मुहिम को वह पंजाब में भी शुरू करेंगे। जींद के किसानों से वह कीट ज्ञान के गुर सिखकर पंजाब के किसानों को भी कीटों की पहचान करना तथा कीटों के क्रियाकलापों के बारे में जानकारी देंगे। इस प्रकार पंजाब के कृषि विभाग, बागवानी विभाग तथा इनोवेटव फार्मस एसोसिएशन द्वारा जींद की तर्ज पर पंजाब में भी इस मुहिम की शुरूआत की जाएगी।
कीट ज्ञान की मुहिम के बारे में जानकारी लेने के लिए जींद पहुंचा पंजाब के किसानों का दल।


किसान होता है सबसे बड़ा शोधकर्ता : डा. सिवाच

कहा, कीट ज्ञान की मुहिम को प्रदेश में फैलाने के लिए प्रयास करें कृषि अधिकारी
ईगराह गांव में हुआ राज्य स्तरीय किसान सम्मेलन का आयोजन

नरेंद्र कुंडू
जींद। हिसार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के अनुसंधान एवं विस्तार शिक्षा निदेशक डा. सुरेंद्र सिवाच ने कहा कि जींद जिले के किसानों ने कीटों पर शोध कर एक नई क्रांति को जन्म दिया है। कृषि विभाग के अधिकारियों को इनकी इस मुहिम को पूरे प्रदेश में फैलाने के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिएं। इस काम को किसानों पर जबरदस्ती थोपने की बजाए किसानों में इस काम के प्रति रुचि पैदा कर दूसरे जिले के किसानों को इस मुहिम से जोड़ा जाए ताकि किसानों को जागरूक कर अंधाधुंध प्रयोग हो रहे कीटनाशकों पर रोक लगाकर खाने की थाली को जहरमुक्त बनाया जा सके और पर्यावरण को दूषित होने से बचाया जा सके। डा. सिवाच वीरवार को कृषि विभाग तथा कीट साक्षरता अभियान से जुड़े किसानों द्वारा ईगराह गांव में आयोजित राज्य स्तरीय खेत दिवस में बतौर मुख्यातिथि शिरकत कर रहे थे। इस अवसर पर उनके साथ कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक डा. देवेंद्र मलिक, एच.ए.यू. के कपास विभाग के अध्यक्ष डा. आर.एस. सांगवान, जींद हमेटी के डायरैक्टर डा. बी.एस. नैन, वरिष्ठ कीट वैज्ञानिक डा. पालेराम, हिसार के जिला उद्यान अधिकारी डा. बलजीत भ्याण, जींद कृषि उप-निदेशक डा. रामप्रताप सिहाग, के.वी.के. पिंडारा से वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. यशपाल मलिक,  पंचकूला से उप-कृषि निदेशक डा. सुरेंद्र मलिक, डा. बलजीत लाठर, डा. कमल सैनी, बराह खाप प्रधान कुलदीप ढांडा, मैडम कुसम दलाल तथा विजय दलाल भी विशेष रूप से मौजूद थे।
मुख्यातिथि को कीटों के बारे में जानकारी देती महिला किसान।
डा. सिवाच ने कहा कि कृषि विभाग के अधिकारियों को कीट साक्षरता के अग्रदूत स्व. डा. सुरेंद्र दलाल से सीख लेनी होगी। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा रिसर्च सैंटर किसान का खेत होता है और किसान ही सबसे बड़ा शोधकर्ता होता है। इसलिए किसानों को चाहिए कि वह अपना तजुर्बा कृषि अधिकारियों के साथ सांझा करें, ताकि कृषि अधिकारी उनके तजुर्बे को कृषि वैज्ञानिकों के बीच रखकर उसे तकनीकी रूप से मंजूरी दिलवा सकें। डा. सिवाच ने कहा कि जींद के किसानों ने लीक से हटकर काम किया है। आज तक इससे पहले कभी भी कीटों पर इस तरह के शोध नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि वह जींद के किसानों के इस शोध को पूरे प्रदेश के किसानों तक पहुंचाने के लिए कृषि विभाग से जींद के किसानों को रिसर्च सैंटरों पर भेजने तथा किसानों के इस काम को एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के शोध में शामिल करने की सिफारिश करेंगे। इस अवसर पर हरियाणा के अलावा पंजाब से भी किसान कीट ज्ञान हासिल करने के लिए इस सम्मेलन में पहुंचे थे।

कीट ज्ञान की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए खाप पंचायत करेंगी किसानों का सहयोग

बराह खाप के प्रधान कुलदीप ढांडा ने कहा कि खाप पंचायतें किसी को कत्ल की मंजूरी नहीं देती बल्कि खापें तो बड़े-बड़े विवादों को सुलझा कर आपसी भाईचारे को कायम करने का काम करती हैं। ढांडा ने कहा कि खाप पंचायतें पिछले 2 वर्षों से इस मुहिम के साथ जुड़ी हुई हैं और अब तक 105 खापों के प्रतिनिधि इन किसानों की पाठशालाओं में पहुंचकर इनके कार्य का अवलोकन कर चुके हैं। ढांडा ने कहा कि फसल कटने के बाद किसान जो अवशेषों को फूंक देते हैं, उससे भी जमीन में मौजूद सुक्ष्म जीव जलकर नष्ट हो जाते हैं। इसलिए किसानों को फसों के अवशेष जलाने से रोकने के लिए खाप पंचायतें किसानों को जागरूक करने तथा इन किसानों के साथ मिलकर कीट ज्ञान की इस मुहिम को आगे बढ़ाने में इनका सहयोग करेंगी।
मुख्यातिथि को कीटों के बारे में जानकारी देती महिला किसान।

इस प्रकार अपना खर्च कम कर सकते हैं किसान

कृषि विकास अधिकारी डा. कमल सैनी ने कहा कि कीट कमाडों किसानों द्वारा पौधों को पर्याप्त खुराक देने के लिए 100 लीटर पानी में अढ़ाई किलो यूरिया, अढाई किलो डी.ए.पी. तथा आधा किलो जिंक का घोल तैयार कर फसलों में छिड़काव किया जाता है। इस प्रकार 6 बार खाद के घोल का फसल पर छिड़काव करने पर किसान का खर्च महज 498 रुपए आता है जबकि कीटनाशकों पर किसान कम से कम 2500 से 3000 खर्च कर देते हैं। डा. सैनी ने कहा कि इस फार्मुले को अपनाकर किसान अपना खर्च कम कर सकते हैं।
गांव का नाम पेस्टीसाइड रहित खेत की पैदावार  पेस्टीसाइड खेत की पैदावार
राजपुरा 1805 किलो 1510 किलो
ईगराह 1555 किलो 1000 किलो
निडानी 1845 किलो 1250 किलो
रधाना 2430 किलो 1050 किलो
ललितखेड़ा 2025 किलो 1450 किलो
नोट :यह उन 5 गांव का आंकड़ा है, जिन गांवों में इस वर्ष किसान खेत पाठशालाएं लगाई गई थी।



सम्मेलन में किसानों को सम्बोधित करते मुख्यातिथि। 




गुरुवार, 20 फ़रवरी 2014

पुलिस के लिए नकली करंसी के सरगना तक पहुंचना बड़ी चुनौती

अंतर्राष्ट्रीय गिरोह के साथ जुड़े हो सकते हैं आरोपियों के तार
पिछले 5-6 माह से जींद में चल रहा था नकली करंसी का कारोबार

नरेंद्र कुंडू
जींद।जींद पुलिस ने पश्चिम बंगाल से जींद में नकली करंसी के सप्लायर को गिरफ्तार करके भले ही शहर में चल रहे नकली करंसी के बड़े कारोबार का पर्दाफाश कर दिया हो लेकिन इस मामले में पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती नकली करंसी के इस कारोबार के मुख्य सरगना तक पहुंचना है। क्योंकि जींद में नकली नोटों की सप्लाई करते जींद पुलिस के हत्थे चढऩे वाला सप्लायर पश्चिम बंगाल से है। जींद में चल रहे नकली नोटों के कारोबार के तार पश्चिम बंगाल से जुड़ जाने के बाद इस कारोबार में अंतर्राष्ट्रीय गिरोह का हाथ होने की संभावनाएं भी काफी बढ़ गई हैं। क्योंकि पश्चिम बंगाल के रास्ते बांगला देश से भारत में नकली करंसी की सप्लाई की घटनाएं अक्सर सामने आती रहती हैं। शनिवार देर सायं शहर के पटियाला चौक से जींद पुलिस के हत्थे चढ़े पश्चिम बंगाल निवासी विक्रम सरकार को पुलिस ने अदालत में पेश कर 12 दिन के रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। पुलिस रिमांड के दौरान आरोपी से इस कारोबार के मुख्य सरगना के बारे में पूछतात करेगी।

9 फरवरी को पुलिस के हत्थे चढ़े दोनों आरोपियों ने रिमांड के दौरान खोला राज

जींद पुलिस ने 9 फरवरी को जींद शहर से नकली नोट चलाते 2 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया था। इनमें एक आरोपी की पहचान गांव गुराना जिला हिसार निवासी सतेंद्र तथा दूसरे आरोपी की पहचान जींद की शिवपुरी कालोनी निवासी रोशन के रूप में हुई थी। पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद रिमांड पर लिया था। रिमांड के दौरान गांव गुराना निवासी सतेंद्र ने पुलिस के सामने पूरा राज खोल दिया। सतेंद्र ने पुलिस को बताया कि 16 फरवरी को इस मामले में उनकी एक बड़ी डिल होने वाली है। सतेंद्र ने बताया कि इस दिन पश्चिम बंगाल से इनके पास नकली करंसी की एक बड़ी खेप पहुंचेगी। पुलिस ने सूचना के आधार पर एक टीम का गठन कर मामले की निगरानी शुरू कर दी। शनिवार देर सायं पश्चिम बंगाल निवासी विक्रम सरकार ट्रेन से जींद पहुंचा और यहां से बताए गए स्थान पटियाला चौक पर पहुंच गया। यहां पहले से ही तैनात पुलिस के जवानों ने विक्रम को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। तलाशी लिए जाने के पर पुलिस को विक्रम के कब्जे से 2 लाख की करंसी बरामद हुई।

पिछले 5-6 माह से चल रहा था नकली करंसी का कारोबार

जींद में पिछले 5-6 माह से नकली करंसी का कारोबार चल रहा था लेकिन पुलिस को इसकी कानो-कान खबर नहीं थी। नकली करंसी के कारोबार में जुड़े सतेंद्र तथा रोशन बड़े शातिर तरीके से इस कारोबार की जड़ें जींद में जमाने में लगे हुए थे। दोनों आरोपी पहले दुकानों से सामान खरीदे और सामन की पेमैंट में कुछ नोट नकली मिला कर दुकानदार को दे देते। इसके अलावा लोगों से रुपए खुल्ले करवाने के नाम पर भी यह लोग रुपए खुल्ले करने वाले व्यक्ति को नकली नोट दे देते थे।

2 बार पहले भी हो चुकी है डिलिंग

पुलिस पूछताछ में सतेंद्र तथा रोशन ने खुलासा किया कि पश्चिम बंगाल निवासी विक्रम के साथ इससे  पहले उनकी 2 बार भी नकली करंसी की डिलिंग हो चुकी है। इससे पहले दोनों बार उनके बीच छोटी-छोटी डिलिंग ही हुई थी। दोनों बार सही तरीके से डिलिंग होने के बाद ही उन्होंने आगे बड़ी डिलिंग की प्लानिंग बनाई थी।

20 से 25 प्रतिशत में होती थी नकली करंसी की डिलिंग

सतेंद्र तथा रोशन ने पूछताछ में बताया कि पश्चिम बंगाल से नकली करंसी लेकर आने वाले विक्रम तथा उनके बीच 25 से 30 प्रतिशत में नकली करंसी की डिलिंग होती थी। 50 हजार नकली करंसी के बदले वह विक्रम को 35 हजार का भुगतान करते थे।

यह थे पुलिस टीम में शामिल

नकली नोटों के सप्लायर को गिरफ्तार करने के लिए गठित की गई टीम में सब इंस्पैक्टर सुरेंद्र कुमार, ए.एस.आई. सुरजीत ङ्क्षसह, हवलदार बलराज, जगदीप, तेजबीर तथा सिपाही कुलदीप ङ्क्षसह शामिल थे।

अंतर्राष्ट्रीय गिरोह के साथ जुड़े हो सकते हैं तार

पुलिस ने नकली करंसी के सप्लायर पश्चिम बंगाल निवासी विक्रम को अदालत से रिमांड पर पर लिया है। रिमांड के दौरान पुलिस आरोपी से यह पूछताछ करेगी कि यह कहां से नकली करंसी लेकर आता था और इसका मुख्य सरगना कौन है। पश्चिम बंगाल से इस मामले के तार जुडऩे के बाद इस मामले में अंतर्राष्ट्रीय गिरोह के हाथ होने की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं। इसलिए पुलिस इस मामले की तह तक जाने का प्रयास करेगी।
धर्मबीर सिंह पूनिया
पुलिस टीम के साथ मौजूद नकली करंसी चलाने के आरोपी।

डी.एस.पी., जींद






सोमवार, 17 फ़रवरी 2014

20 को जींद जिले में जुटेंगे प्रदेशभर के कृषि वैज्ञानिक

राज्य स्तरीय खेत दिवस में कीटों के शोध पर होगा गहन मंथन

नरेंद्र कुंडू 
जींद। जिला कृषि उप-निदेशक डा. रामप्रताप सिहाग ने कहा कि जींद जिले के किसानों ने थाली को जहरमुक्त करने की जो मुहिम शुरू की है उस मुहिम के साथ पूरे प्रदेश के किसानों को जोडऩे के लिए 20 फरवरी को जींद जिले के गांव ईगराह में राज्य स्तरीय किसान खेत दिवस का आयोजन किया जाएगा। हरियाणा के अलावा दूसरे प्रदेशों के कृषि वैज्ञानिक भी इस सम्मेलन में भाग लेंगे। कृषि विभाग तथा जींद जिले के किसानों की सहभागिता से होने वाला यह सम्मेलन प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर का पहला ऐसा अनोखा सम्मेलन होगा, जिसमें किसानों द्वारा कीटों पर किए गए शोध पर बड़े-बड़े कृषि वैज्ञानिक मंथन करेंगे। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में खाप पंचायतों की भी बड़ी भागीदारी रहेगी। प्रदेश के कृषि निदेशक डा. बृजेंद्र सिंह सम्मेलन में बतौर मुख्यातिथि तथा डी.सी. जींद राजीव रत्न विशिष्ठ अतिथि के तौर पर शिरकत करेंगे। डा. सिहाग सोमवार को शहर की अर्बन एस्टेट कालोनी में स्थित जाट धर्मशाला में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। 
 डा. सिहाग ने कहा कि कृषि विभाग के ए.डी.ओ. डा. सुरेंद्र दलाल ने वर्ष 2008 में थाली को जहरमुक्त करने के लिए जींद जिले के निडाना गांव से जिस मुहिम की शुरूआत की थी आज उस मुहिम ने एक क्रांति का रूप धारण कर लिया है और कृषि विभाग भी उनकी इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए बराबर की भागीदारी दर्ज करवा रहा है। यहां के किसानों ने डा. सुरेंद्र दलाल के नेतृत्व में कीटों पर अनोखे शोध किए हैं। इसी की बदौलत आज यहां के किसानों को लगभग 206 किस्म के शाकाहारी तथा मांसाहारी कीटों की पहचान हो चुकी है। इनके प्रयोग को देखकर दूसरे जिलों के किसान भी इनसे कीट ज्ञान लेने के लिए समय-समय पर यहां आते हैं। 
जींद जिले के किसानों ने कीटों की पहचान कर फसलों में बिना किसी पेस्टीसाइड का प्रयोग किए रिकार्ड तोड़ उत्पादन प्राप्त किया है। डा. सिहाग ने कहा कि अब तो कृषि वैज्ञानिकों ने भी इन किसानों के इस शोध पर अपनी सहमति की मोहर लगा दी है। उन्होंने कहा कि अब इस मुहिम से पूरे प्रदेश के किसानों को जोडऩे के लिए इस राज्य स्तरीय खेत पाठशाला के आयोजन किया जा रहा है। इस सम्मेलन में यहां के कीट कमांडो किसान बाहर से आए किसानों के साथ अपने अनुभव सांझा करेंगे। इससे दूसरे जिलों के किसानों को भी उनकी इस मुहिम से जुडऩे का अवसर मिलेगा। बराह खाप के प्रधान कुलदीप ढांडा ने कहा कि डा. सुरेंद्र दलाल के निमंत्रण पर खाप पंचायतें भी पिछले 2 साल से इस मुहिम में शामिल होकर इन किसानों के इस शोध पर गहन मंथन कर रही हैं। अब तक 105 से ज्यादा खापों के प्रतिनिधि किसान पाठशालाओं में शामिल होकर इनकी इस मुहिम का बारिकी से निरीक्षण कर चुके हैं। इस सम्मेलन में खाप पंचायतें भी कृषि विभाग तथा इन किसानों के साथ मिलकर इस मिशन को आगे बढ़ाएंगी ताकि खाने की थाली को जहरमुक्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि यहां के किसान तो कपास के साथ-साथ सभी फसलों में इस प्रक्रिया को अपना चुके हैं। उन्होंने कृषि विभाग से इस योजना को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की मांग की ताकि फसलों में अंधाधुंध प्रयोग हो रहे पेस्टीसाइड के कारण दूषित हो रहे खान-पान को दूषित होने से बचाया जा सके। इस मौके पर उनके साथ ए.डी.ओ. डा. कमल सैनी, राजपुरा भैण गांव के पूर्व सरपंच बलवान लोहान, डा. सुरेंद्र दलाल कीट साक्षरता कमेटी के प्रधान रणबीर मलिक, मनबीर रेढू आदि भी मौजूद थे। 
 पत्रकारों से बातचीत करते डी.डी.ए. डा. रामप्रताप सिहाग तथा बराह खाप प्रधान कुलदीप ढांडा।

गुरुवार, 6 फ़रवरी 2014

अब पैसे के अभाव में ईलाज से वंचित नहीं रहेंगे बच्चे

0 से 18 वर्ष तक के बच्चों को निशुल्क मिलेंगी स्वास्थ्य सुविधाएं
स्वास्थ्य विभाग ने किया 11 टीमों का गठन

गांव-गांव घूमकर बीमारी से पीडि़त बच्चों की पहचान करेंगी स्वास्थ्य विभाग की टीमें

नरेंद्र कुंडू
जींद। आंगनवाड़ी तथा सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले 0 से 18 वर्ष तक के बच्चे अब आर्थिक कमजोरी के कारण उपचार से वंचित नहीं रहेंगे। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत स्वास्थ्य विभाग अब आंगनवाड़ी तथा सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को गंभीर बीमारी में भी निशुल्क स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करवाएगा। स्वास्थ्य विभाग की इस योजना की सबसे खास बात यह है कि इस सेवा का लाभ लेने के बच्चों को अस्पतालों के चक्कर भी नहीं काटने पड़ेंगे, बल्कि स्वास्थ्य विभाग की टीम खुद गंभीर बीमारी की चपेट में आने वाले बच्चों को ढूंढ़कर अस्पताल तक पहुंचाएगी। इस योजना को कारगर बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सामान्य अस्पताल में डिस्ट्रीक अर्ली इंटरमैंशन सैंटर (डी.ई.आई.सी.) स्थापित किए जा रहे हैं और इस सैंटर को चलाने के लिए अलग से स्टाफ की नियुक्ति की जा रही है। 
सामान्य अस्पताल का वह कमरा, जहां डी.ई.आई.सी. का निर्माण किया जाना है।

11 मोबाइल टीमें करेंगी निगरानी

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत आंगनवाड़ी तथा सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों को सरकार की इस योजना का लाभ पहुंचाने के लिए डी.ई.आई.सी. के तहत ब्लॉक वाइज 11 मोबाइल टीमों का गठन किया गया है। प्रत्येक टीम में एक मेल डॉक्टर, एक फीमेल डॉक्टर, एक ए.एन.एम. तथा एक फार्मासिस्ट को शामिल किया गया है। डी.ई.आई.सी. की यह 11 टीमें जिले के सभी गांवों में घूमकर गंभीर बीमारी से पीडि़त बच्चों का पता लगाएंगी। 

निशुल्क मिलेंगी सभी स्वास्थ्य सुविधाएं

स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत ब्लड कैंसर, ह्रदय रोग, कैंसर सहित 30 प्रकार की ऐसी गंभीर बीमारियों को अपनी सूची में शामिल किया है, जिनके उपचार पर मोटी रकम खर्च होती है लेकिन स्वास्थ्य विभाग इन सभी बीमारियों से पीडि़त बच्चों का मुफ्त उपचार करवाएगा। स्वास्थ्य विभाग की सूची में शामिल इन 30 किस्म की गंभीर बीमारी से पीडि़त बच्चे को ओ.पी.डी. तक की पर्ची बनवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा बच्चे को एक अलग किस्म का कार्ड जारी किया जाएगा। इस कार्ड के आधार पर ही बच्चे का पूरा उपचार निशुल्क होगा। अगर बच्चे की बीमारी सामान्य है तो स्वास्थ्य विभाग की टीम पी.एच.सी., सी.एच.सी. स्तर पर बच्चे का उपचार करवाएगी। यदि पी.एच.सी. या सी.एच.सी. स्तर पर बच्चे का उपचार सही तरीके से नहीं हो पाया तो बच्चे को सामान्य अस्पताल ले जाया जाएगा। अगर बच्चे की बीमारी गंभीर है तो उसे सामान्य अस्पताल से पी.जी.आई. रोहतक या चंडीगढ़ रैफर किया जाएगा। 

डी.ई.आई.सी. के निर्माण पर खर्च होंगे 20 लाख

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत जिला स्तर पर तैयार होने वाले डी.ई.आई.सी. के भवन के निर्माण पर 20 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे और भवन तैयार होने के बाद इसके डैकोरेशन पर 2 लाख रुपए खर्च होंगे। इस योजना को सही तरीके से चलाने के लिए जिला स्तर पर निॢमत सैंटर पर 15 सदस्यों का स्टाफ होगा। इसमें डॉटा आप्रेटर, स्टाफ नर्स, लैब टैक्नीशियन, सोशल वर्कर से लेकर विशेषज्ञ तक मौजूद रहेंगे। 

समय पर मिल पाएगा बच्चे को उपचार

जिला स्तर पर डी.ई.आई.सी. शुरू होने से बच्चों को काफी लाभ मिलेगा। पैसों के अभाव में कोई भी बच्चा उपचार से वंचित नहीं रह पाएगा। 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों का निशुल्क उपचार किया जाएगा। इसकी सबसे खास बात यह होगी कि डी.ई.आई.सी. की टीमें गांव-गांव घूमेंगी और बच्चे के बीमारी की चपेट में आते ही उसका उपचार शुरू करवाएंगी। समय पर बच्चे को सही उपचार मिलने से बीमारी गंभीर रुप धारण नहीं कर पाएगी और बच्चे को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाएंगी। 
 डा. राजेश भोला का फोटो।
डा. राजेश भोला, नोडल स्कूल हैल्थ अधिकारी
सामान्य अस्पताल, जींद 



खाद्य एवं पूर्ति विभाग का नया फरमान

अब बिना आई.डी. के नहीं मिलेगा राशन
अफसरशाही के नियमों के जाल में फंसी सरकार की खाद्य सुरक्षा योजना

नरेंद्र कुंडू 
जींद। गरीब लोगों को भरपेट दाल-रोटी देने की सरकार की योजना अफसरशाही के नियमों के जाल में फंसकर रह गई है। खाद्य एवं पूर्ति विभाग द्वारा राशन वितरण करने के लिए आए दिन नए-नए फरमान जारी किए जा रहे हैं। राशन वितरण के लिए खाद्य एवं पूर्ति विभाग द्वारा हर रोज निर्धारित किए जा रहे नए-नए नियमों के कारण राशन वितरण की प्रक्रिया काफी जटिल हो गई है। इसके चलते विभाग के कर्मचारियों से लेकर राशन लेने वाले पात्र लोगों तक को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ लेने के लिए एक सप्ताह पहले विभाग द्वारा जहां परिवार के सभी सदस्यों के लिए आधार कार्ड अनिवार्य किया गया था, वहीं अब विभाग ने इस नियम में फेरबदल करते हुए परिवार के सभी सदस्यों का एक पहचान पत्र होने का नया नियम तैयार कर दिया है। विभाग के नए नियमानुसार बिना पहचान पत्र वाले सदस्य को राशन नहीं दिया जाएगा। वहीं राशन लेने से पहले कार्ड धारक को अलग से एक नया फार्म भी भरना होगा।
देशभर के गरीब लोगों को 2 वक्त की दाल-रोटी मुहैया करवाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा देश में खाद्य सुरक्षा योजना लागू की गई थी। सरकार की इस योजना के तहत प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिमाह 2 रुपए किलो के भाव से 5 किलो गेहूं और बी.पी.एल. कार्ड धारक को अढ़ाई किलो दाल 20 रुपए प्रतिकिलो के भाव से हर माह देने का ऐलान किया था लेकिन खाद्य एवं पूर्ति विभाग द्वारा सरकार की इस योजना को अमल में लाने के लिए हर रोज नए-नए नियम निर्धारित किए जा रहे हैं। विभाग के महानिदेशक ने लगभग एक सप्ताह पहले पत्र जारी करते हुए योजना का लाभ लेने वाले सभी लोगों के लिए आधार कार्ड का होना अनिवार्य कर दिया था लेकिन सभी लोगों के पास आधार कार्ड नहीं होने के कारण लोगों को होने वाली परेशानी को देखते हुए विभाग ने एक सप्ताह में ही इस नियम में फेरबदल करते हुए एक ओर नया नियम खड़ा कर दिया। विभाग के इस नए नियम के अनुसार अब राशन लेने से पहले कार्ड धारक को अपने परिवार के सभी सदस्यों की आई.डी. डिपोधारक को दिखानी होगी। अगर कार्ड धारक के पास परिवार के किसी सदस्य की आई.डी. नहीं है तो बिना आई.डी. वाले सदस्य को राशन नहीं दिया जाएगा। इस तरह से विभाग द्वारा राशन वितरण के लिए हर रोज तैयार किए जा नियमों के जाल में उपभोक्ता उलझते जा रहे हैं। 

आई.डी. दिखाने के बाद भरना होगा फार्म

खाद्य एवं पूर्ति विभाग के महानिदेशक द्वारा हाल ही में जारी किए गए नए नियमों के अनुसार राशन लेने के लिए कार्ड धारक को अपने परिवार के सभी सदस्यों की आई.डी. तो दिखानी ही होगी, इसके अलावा पहली बार राशन लेने पर परिवार के सभी सदस्यों की आई.डी. दिखाने के बाद अलग से एक फार्म भी भरना होगा।

कर्मचारियों के गले की फांस बने विभाग के नए नियम

खाद्य एवं पूर्ति विभाग के महानिदेशक द्वारा हाल ही में जारी किए गए नए नियम विभाग के कर्मचारियों के गले की फांस बन गए हैं। पहले स्मार्ट कार्ड के लिए फिर खाद्य सुरक्षा योजना और इसके बाद खाद्य सुरक्षा योजना के तहत अस्थाई फार्म भरवाने के बाद अब नए सिरे से एक अलग फार्म भरवाने के लिए विभाग के कर्मचारियों को लोगों के साथ काफी माथापच्ची करनी पड़ेगी। विभाग के कर्मचारियों की मानें तो बार-बार जनता से फार्म भरवाए जाने के कारण जनता फार्म भरने की इस प्रक्रिया से परेशान हो चुकी है। खासकर ग्रामीण क्षेत्र के लोग सबसे ज्यादा परेशान हो चुके हैं।

3-3 बार भरवाए जा चुके हैं फार्म

खाद्य एवं पूर्ति विभाग द्वारा लगभग 1 वर्ष पहले स्मार्ट कार्ड के लिए लोगों से फार्म भरवाए गए थे। इसके बाद खाद्य सुरक्षा योजना के लिए फार्म भरवाए गए और तीसरी बार खाद्य सुरक्षा योजना अस्थाई के नाम से फार्म भरवाए गए। इस योजना के तहत महिला को घर की मुखिया बनाया गया था लेकिन आज तक न तो लोगों के स्मार्ट कार्ड बने हैं और न ही महिला घर की मुखिया बन पाई हैं। इसके बावजूद अब विभाग द्वारा एक बार फिर नए सिरे से लोगों से फार्म भरवाने जाने के फरमान जारी कर दिए गए हैं।

राशन लेने के लिए अब आई.डी. दिखाना जरूरी

इस बारे में जानकारी लेने के लिए जब डी.एफ.एस.सी. अशोक कुमार से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह चंडीगढ़ मुख्यालय से यह निर्देश प्राप्त हुए थे कि बिना आधार कार्ड राशन वितरित नहीं किया जाए। राशन लेने के लिए परिवार के सभी सदस्यों के पास आधार कार्ड का होना अनिवार्य किया गया था लेकिन सभी लोगों के पास आधार कार्ड नहीं होने के कारण विभाग ने अब नियम में परिवर्तन किया है। आधार कार्ड के स्थान पर परिवार के सभी सदस्यों को राशन लेते समय एक आई.डी. दिखानी होगी। विभाग द्वारा जो नए सिरे से फार्म भरवाए जाएंगे वह प्रक्रिया सामान्य है। पहली बार ही कार्ड धारक को यह फार्म भरना होगा। इसके बाद कार्ड धारक से यह फार्म नहीं भरवाए जाएंगे। स्मार्ट कार्ड के लिए उन्होंने फार्म भरवा कर रख दिए हैं, अब आगामी कार्रवाई विभाग को करनी है।  

रविवार, 5 जनवरी 2014

क्या हरियाणा में आया राम, गया राम से बनेगी सरकार?

हरियाणा में अकेले सरकार बनाने की स्थिति में नहीं कोई भी राजनैतिक दल 
थ्री इडियट फिल्म के 'ऑल इज वैल' के फार्मूले को अपना रही है कांग्रेस पार्टी

नरेंद्र कुंडू
जींद। साल 2014 से चुनावी मौसम शुरू होने वाला है। इसी को मद्देनजर रखते हुए सभी राजनैतिक दलों ने अपने लंगर-लंगोट कसने शुरू कर दिए हैं। हरियाणा में पूरी तरह से राजनीति माहौल गर्मा चुका है। सभी राजनैतिक दलों ने अपने-अपने पक्ष में माहौल तैयार करने के लिए अपने घोड़े दौड़ाने शुरू कर दिए हैं। हाल ही में घोषित हुए दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छतीसगढ़ व मिजोरण के चुनाव परिणाम ने प्रदेश की राजनीति में उफान पैदा कर दिया है। मध्यप्रदेश, राजस्थान, छतीसगढ़ चुनाव में भाजपा को विजयश्री मिलने तथा दिल्ली में सबसे ज्यादा सीटें भाजपा के पक्ष में जाने के बाद कांग्रेस पार्टी हिलोरे खाने लगी है। इसी के चलते अब दिल्ली में बैठे कांग्रेस के सिपेसलहारों ने आगामी चुनाव में अपनी लाज बचाने के लिए पार्टी की कार्यप्रणाली पर मंथन भी शुरू कर दिया है। वहीं हाल ही में कांग्रेस पार्टी की इस बड़ी हार ने हरियाणा प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेंद्र ङ्क्षसह हुड्डा के माथे पर भी चिंता की लकीरें पैदा कर दी। क्योंकि इससे एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री को प्रदेश में कांग्रेस विरोधी लहर पैदा होने का भय सता रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी के ही उन नेताओं का डर है जो सत्ता में काबिज होने के दौरान भी उनके विरोध में खड़े हैं। फिलहाल हरियाणा प्रदेश में कांग्रेस 2 धड़ों में बटी हुई है। सांसद बीरेंद्र सिंह, कुमारी शैलजा, ईश्वर सिंह तथा राव इंद्रजीत सिंह सहित कई अन्य नेताओं का एक बड़ा धड़ा आज मुख्यमंत्री के समक्ष बड़ी चुनौती बनकर खड़ा हुआ है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी के लिए हरियाणा में लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल करना एक छेद वाले मटके को पानी से भरने के बराबर है। क्योंकि पड़ोसी राज्यों में जहां कांग्रेस विरोधी लहर चल रही है तो हरियाणा में पार्टी के अंदर ही बगावत के सुर फूट रहे हैं। वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी अब एक बाजिगर की तरह हारी हुई बाजी को जीतने के लिए अपने पैंतरे फैंकने शुरू कर दिए हैं। मुख्यमंत्री ने पहला पैंतरा 10 नवम्बर को गोहाना में आयोजित शक्ति रैली में कर्मचारियों को लुभाने के लिए कर्मचारी हित की घोषणाओं की झड़ी लगाकर फैंका है, तो दूसरा पैंतरा केंद्र सरकार से केंद्र में जाटों को आरक्षण देने की सिफारिश करवाकर फैंक दिया है लेकिन यहां सरकार के दोनों ही पैंतरे उल्ट पड़ते नजर आ रहे हैं। जाटों को केंद्र में आरक्षण की सिफारिश की घोषणा के बाद से मुख्यमंत्री पर एक जाति विशेष का मुख्यमंत्री का आरोप लगाते हुए प्रदेश के भिन्न-भिन्न पिछड़ा वर्ग के नेताओं ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ अपना मोर्चा खोल दिया है, तो दूसरी तरफ 22 दिसम्बर को रोहतक में आयोजित हल्ला बोल रैली में प्रदेश के कर्मचारी वर्ग ने भी सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का बिगुल फूंकते हुए आगामी चुनाव में सरकार को इसका खामियाजा भुगतने की चेतावनी दे डाली है। इस प्रकार हरियाणा में लगातार कांग्रेस के विपक्ष में तैयार हो रहे इस माहौल से कांग्रेस सरकार की नैया डांवाडोल होती नजर आ रही है लेकिन कांग्रेस सरकार इससे सबक लेने की बजाए थ्री इडियट फिल्म के मशहूर डॉयलाग ऑल 'इज वैल' के फार्मूले को अपनाकर अपने दिल को तसल्ली देने में जुटी है कि प्रदेश में तीसरी बार भी कांग्रेस की सरकार बनेगी। वहीं प्रदेश के दूसरे राजनैतिक दलों के लिए भी सत्ता की कुर्सी पर काबिज होना टेडी खीर साबित होगी। क्योंकि भाजपा पार्टी को हरियाणा में दिग्गज नेताओं की कमी खल रही है तो हजकां प्रदेश की जनता का विश्वास  जीत कर अभी तक अपना जनाधार नहीं बना पाई है। इसी तरह इनैलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला तथा अजय चौटाला को जेबीटी घोटाले में सजा होने के बाद इनैलो अभी तक अपना अगला सेनापति ही तय नहीं कर पा रही है। वहीं दिल्ली में मिले भारी जनसमर्थन से आसमान में उड़ रही आप पार्टी ने अब हरियाणा में भी चुनाव लडऩे का ऐलान कर दिया है लेकिन हरियाणा में आप का यह सपना सच होते इसलिए नजर नहीं आ रहा है क्योंकि दिल्ली में आप को सत्ता की दहलीज तक पहुंचाने में शिक्षित व जागरूक तबके का बड़ा हाथ है लेकिन हरियाणा में शहरी की बजाए ग्रामीण लोगों की संख्या ज्यादा है और यहां प्रचार-प्रसार के अभाव के कारण शिक्षा व जागरूकता का काफी अभाव है। इस प्रकार हरियाणा में बन रहे समीकरण से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने के लिए या तो हरियाणा में इनैलो, भाजपा व हजकां महागठबंध कर सकती हैं या फिर भाजपा हजकां का साथ छोड़कर इनैलो के साथ आएगी, क्योंकि यहां हजकां की बजाए इनैलो पार्टी काफी ज्यादा मजबूत है। इसके अलावा तीसरा रास्ता यह भी निकल सकता है कि आया राम, गया राम (खरीद-फरोख्त) से कांग्रेस तीसरी बार सत्ता में काबिज होने में कामयाब हो सकती है। 


शनिवार, 21 दिसंबर 2013

रोडवेज की बसों में छात्राओं को मुफ्त यात्रा से जींद डिपू को हर वर्ष झेलना पड़ेगा 33 लाख का घाटा

रोडवेज बेड़े में बसों की कमी के चलते छात्राओं को नहीं मिल पाएगा पूरा लाभ

 नरेंद्र कुंडू
जींद। नए वर्ष पर रोडवेज की बसों में छात्राओं के लिए मुफ्त यात्रा की योजना लागू होने जा रही है। इस योजना के अमल में आने के बाद हर वर्ष अकेले जींद डिपू को 33 लाख का नुक्सान उठाना पड़ेगा। हरियाणा रोडवेज की बसों में छात्राओं के लिए मुफ्त यात्रा की योजना शुरू होने के बाद हर वर्ष लगभग 24 करोड़ का घाटा झेल रहे जींद डिपू का यह नुक्सान बढ़कर 24 करोड़ 33 लाख हो जाएगा। वहीं रोडवेज बेड़े में घटती बसों की संख्या के कारण छात्राओं के लिए सरकार की यह योजना सफेद हाथी बनकर रह जाएगी। रोडवेज बेड़े में बसों की कमी के चलते छात्राएं पूरी तरह से इस योजना का लाभ नहीं उठा पाएंगी। ग्रामीण क्षेत्रों में हरियाणा रोडवेज की बसों की सुविधा नहीं होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र की छात्राओं को सरकार की इस योजना का कोई खास लाभ नहीं मिल पाएगा। इस योजना के शुरू होने के बाद रोडवेज की आय का एक ओर स्त्रोत कम हो जाएगा। इस योजना के शुरू होने से पहले रोडवेज के पास 26 ऐसी कैटेगरी हैं जो रोडवेज में पूरी तरह से फ्री यात्रा करती हैं और 7 ऐसी कैटेगरी हैं जो रियायत पर रोडवेज की बसों में यात्रा कर रही हैं। 
 जींद बस स्टैंड पर खड़ी बसों का फोटो। 

महज 174 बसों के सहारे 5 हजार छात्राओं को कैसे मिलेगी मुफ्त सफर की सुविधा 

इस समय जींद जिले के रोडवेज बेड़े में कुल 174 बसें हैं। इसमें जींद डिपू में कुल 114 बसें, नरवाना डिपू में 24 और सफीदों डिपू के पास 36 बसें हैं। इसके अलावा इस बेड़े में से भी हर माह लगभग 10 बसें कंडम हो जाती हैं और कंडम होने वाली बसों के स्थान पर कम संख्या में नई बसें वापिस बेड़े में शामिल होती हैं। इन 174 बसों में से हर रोज महज 130 बसें ही मुश्किल से सड़कों पर दौड़ पाती हैं। बाकि बसें ड्राइवरों की कमी से वर्कशॉप में धूल फांकती रहती हैं। जबकि जींद जिले में बसों में सफर कर स्कूल, कालेजों व अन्य शिक्षण संस्थानों में जाने वाली छात्राओं की संख्या लगभग 5 हजार के करीब है। इस प्रकार महज 174 बसों के सहारे 5 हजार छात्राओं को सरकार किसी प्रकार से रोडवेज की बसों में मुफ्त सफर की सुविधा मुहैया करवा पाएगी। 

सिर्फ 60 किलोमीटर तक ही मिल पाएगा छात्राओं को मुफ्त सफर का लाभ 

प्रदेश सरकार द्वारा 10 नवम्बर को गोहाना रैली में की गई छात्राओं को रोडवेज की बसों में मुफ्त सफर की घोषणा पर 1 जनवरी 2014 से अमल शुरू हो जाएगा। इसके लिए रोडवेज विभाग के महानिदेशक द्वारा सभी डिपुओं को पत्र जारी किए जा चुके हैं। सरकार की घोषणा के अनुसार छात्राएं सिर्फ 60 किलोमीटर तक की रोडवेज की बसों में मुफ्त यात्रा कर सकेंगी। 60 किलोमीटर से ज्यादा सफर करने वाली छात्राओं को आगे के सफर के लिए टिकट लेनी होगी। 

कैंसर के मरीजों को मिलेगा लाभ

छात्राओं के साथ-साथ कैंसर पीडि़त मरीजों को भी एक जनवरी से रोडवेज की बसों में मुफ्त सफर की योजना का लाभ मिलेगा। इसके लिए कैंसर के मरीजों को सामान्य अस्पताल के सिविल सर्जन कार्यालय से लिखित में पत्र लेकर आना होगा। सिविल सर्जन कार्यालय से जारी पत्र के आधार पर रोडवेज विभाग द्वारा कैंसर पीडि़त मरीज को उपचार के दौरान रोडवेज की बसों में सफर के लिए मुफ्त यात्रा का कार्ड जारी किया जाएगा।  

स्टूडैंट पास से जींद डिपू को हर वर्ष होती है 1 करोड़ 25 लाख की आमदनी

स्टूडैंट पास से हर वर्ष अकेले जींद डिपू को 1 करोड़ 25 लाख की आमदनी होती है। इस वर्ष जींद डिपू द्वारा लगभग 7400 विद्यार्थियों को पास जारी किए गए हैं। इनमें 5500 छात्र तथा 1900 छात्राएं पास होल्डर हैं। इस प्रकार जींद में शिक्षा प्राप्त करने के लिए आने वाले विद्यार्थी जींद डिपू की आमदनी का एक बड़ा स्त्रोत हैं लेकिन जनवरी 2014 से रोडवेज की बसों में छात्राओं के लिए मुफ्त यात्रा की योजना शुरू होने से जींद डिपू को हर वर्ष लगभग 33 लाख रुपए का नुक्सान उठाना पड़ेगा।

अब तक रोडवेज द्वारा लड़कियों से ली जाने वाली पास की फीस की सूची 

किलोमीटर      एक वर्ष का किराया

1 से 5 180
6 से 10 360
11 से 15          540
16 से 20          720
21 से 25          900
26 से 30         1080
31 से 40         1440
41 से 50         1800
51 से 60         2160

रोडवेज के पास पहले से हैं 26 फ्री तथा 7 रियायत पर सफर करने वाली कैटेगरी

रोडवेज विभाग के पास पहले ही 26 कैटेगरी ऐसी हैं, जो सरकार की अलग-अलग योजनाओं के तहत रोडवेज की बसों में फ्री यात्रा का लाभ ले रही हैं तथा 7 ऐसी कैटेगरी हैं, जो रोडवेज की बसों में रियायत पर सफर करती हैं। इस प्रकार अब रोडवेज की यह सूचि 26 से बढ़कर 28 हो जाएगी। 

सरकार निजी बसों में भी लागू करे मुफ्त यात्रा की योजना

प्रदेश सरकार द्वारा रोडवेज की बसों में छात्रओं के मुफ्त सफर की जो योजना लागू की गई है, वह सरकार की एक अच्छी पहल है लेकिन रोडवेज की बसों के साथ-साथ सरकार को यह योजना निजी बसों में भी लागू करनी चाहिए, ताकि ग्रामीण क्षेत्र से निजी बसों में आने वाली छात्राएं भी सरकार की इस योजना का लाभ ले सकें। वहीं सरकार द्वारा किसी भी कैटेगरी को रोडवेज की बसों में मुफ्त यात्रा का लाभ देने पर उस कैटेगरी से रोडवेज को होने वाली आमदनी के बदले में सरकार को आॢथक सहायता भी देनी चाहिए ताकि रोडवेज विभाग को घाटे से बचाया जा सके। 
बलराज देशवाल, राज्य प्रधान
हरियाणा रोडवेज मिनिस्ट्रीयल स्टाफ एसोसिएशन
बलराज देशवाल का फोटो।











अलग तरह का होगा छात्राओं के बस पास का फार्मेट

एक जनवरी से छात्राओं के लिए रोडवेज की बसों में मुफ्त यात्रा की योजना लागू हो जाएगी। इसके लिए विभाग द्वारा सभी स्कूलों, कालेजों व शिक्षण संस्थानों से पास होल्डर छात्राओं की सूची मांगी जाएगी, ताकि इस योजना के  लागू होने से जींद डिपू को होने वाले घाटे का अंकलन लगाया जा सके। वहीं रोडवेज विभाग द्वारा छात्राओं को जारी किए जाने वाले पास का फार्मेट भी अलग तरह का होगा, ताकि कोई लड़की नकली पास बनवाकर मुफ्त सफर की योजना की आड़ में रोडवेज को चूना न लगा सके। 
राहुल जैन, महाप्रबंधक का फ़ोटो 


राहुल जैन, महाप्रबंधक
हरियाणा रोडवेज, जींद डिपू 

किसी जंग जीतने से कम नहीं आर्म्स लाइसैंस हासिल करना

आर्म्स लाइसैंस बनाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा नहीं निर्धारित की गई गाइड लाइन 

होमगार्ड की पर्ची से लेकर लाइसैंस बनवाने तक पैसे व सिफारिश के बिना नहीं बनता काम
आर्म्स डीलर की मनमर्जी पर भी नकेल नहीं डाल पा रहा प्रशासन 

नरेंद्र कुंडू
जींद। आर्म्स लाइसैंस बनवाकर पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर (पी.एस.ओ.) तथा सिक्योरिटी के क्षेत्र में रोजगार की चाह रखने वाले बेरोजगारों के लिए आर्म्स लाइसैंस बनवाना किसी जंग जीतने से कम नहीं है। इसके लिए बेरोजगार युवाओं को होमगार्ड की पर्ची से लेकर आर्म्स लाइसैंस बनवाने के लिए या तो दलालों का सहारा लेना पड़ता है या फिर किसी बड़े अधिकारी के दरवाजे की धूल चाटनी पड़ती है। अब तो हालत यह हो गए हैं कि आर्म्स लाइसैंस बनवाने वाले जरूरतमंद व बेरोजगार युवाओं को आर्म्स लाइसैंस की फाइल जमा करवाने के लिए भी अपरोच की जरुरत पडऩे लगी। जिला प्रशासन द्वारा आर्म्स लाइसैंस बनाने के लिए किसी तरह की कोई गाइड लाइन जारी नहीं किए जाने के  कारण आर्म्स लाइसैंस की चाह रखने वाले आवेदकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जबकि शौक के लिए हथियार खरीदने वाले बड़े-बड़े डीलरों के लाइसैंस आसानी से बन जाते हैं।
सिक्योरिटी के क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं होने के चलते बेरोजगारी की मार झेल रहे युवाओं का रूझान आर्म्स लाइसैंस की तरफ काफी बढ़ रहा है लेकिन हथियार की सहायता से पी.एस.ओ. तथा सिक्योरिटी के क्षेत्र में इंट्री करने के इच्छुक युवाओं के लिए आर्म्स लाइसैंस बनवाना एक सपना बनाकर रह गया है। आर्म्स लाइसैंस बनवाने के लिए कई माह से डी.सी. कार्यालय तथा होमगार्ड कार्यालय के चक्कर काट रहे सतीश मलिक, मनोज सोनी, नरेंद्र निडानी, बिट्टू शर्मा, अजीत पूनिया, विक्रम भैण का कहना है कि आर्म्स लाइसैंस बनाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा कोई गाइड लाइन जारी नहीं की गई हैं। इसके चलते सरकारी कार्यालयों में बैठे कुछेक अधिकारियों व कर्मचारियों ने इस प्रक्रिया को अपनी आमदनी का जरिया बना लिया है। आर्म्स लाइसैंस की आड़ में पैसा कमाने वाले इन चुनिंदा अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा आर्म्स लाइसैंस बनाने के लिए खुद के नियम तय किए हुए हैं और ऐसे में आर्म्स लाइसैंस के आवेदन के लिए आने वाले उम्मीदवारों पर यह खुद के नियमों का भार डालकर उनकी जेबें तराशने का काम करते हैं। आर्म्स लाइसैंस की चाह रखने वाले युवाओं को होमगार्ड की पर्ची बनवाने से लेकर फाइल जमा करवाने तक अपरोच करवानी पड़ती है। खेल यहीं पर खत्म नहीं होता। इसके बाद पुलिस वैरिफिकेशन से लेकर फाइल को एक अधिकारी की टेबल से दूसरे अधिकारी की टेबल तक पहुंचाने के लिए या तो फाइल पर पैसों के पंख लगाने पड़ते हैं या फिर बड़े अधिकारी की सिफारिश करवानी पड़ती है। इस प्रकार सिक्योरिटी के क्षेत्र में हथियार की सहायता पर नौकरी की इच्छा रखने वाले युवाओं को आर्म्स लाइसैंस बनवाने से लेकर हथियार खरीदने तक लाखों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। यदि किसी आवेदक के पास पैसा या अपरोच नहीं है तो उसे प्रशासनिक अधिकारियों के नियमों की चक्की में पिसना पड़ता है।
 वह युवा जिनसे बातचीत की गई। 

खिलाडिय़ों को प्राथमिकता के आधार पर जारी किया जाए आर्म्स लाइसैंस

पिस्टल शूटर सुरेश पूनिया ने कहा कि आज बढ़ती बेरोजगारी के कारण रोजगार के अवसर कम हो रहे हैं लेकिन सिक्योरिटी के क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। रिवाल्वर, पिस्टल या गन की सहायता से पी.एस.ओ. या किसी कंपनी में 10 से 30 हजार रुपए मासिक की सिक्योरिटी की नौकरी आसानी से मिल सकती है। इसलिए सरकार व जिला प्रशासन को चाहिए कि आम्र्स लाइसैंस के नियमों में सरलीकरण लाया जाए और जरूरतमंदों की अच्छी तरह से वैरिफिकेशन करवाकर उन्हें जल्द से जल्द आर्म्स लाइसैंस मुहैया करवाया जाए, ताकि वह अपना तथा अपने परिवार का पालन-पोषण कर सकें। खाली शौक या प्रतिष्ठा के लिए हथियार रखने वालों के लाइसैंसों पर पाबंदी लगाई जाए।

गन हाऊस के संचालकों पर भी शिकांजा कसने की जरुरत

जिले में महज कुछेक गिने चुने गन हाऊस हैं। इसके चलते इनमें कम्पीटिशन भी ना के बराबर है। आर्म्स डीलर इस बात का खूब फायदा उठा रहे हैं। यह आर्म्स डीलर अपने मनमाने रेटों पर हथियार के कारतूस बेचते हैं। कारतूस के वास्तविक रेट से कई-कई गुणा ज्यादा रेटों पर कारतूसों की बिक्री की जा रही है। यदि कोई इनसे कारतूस के बिल की मांग करता है तो यह बिल देना से साफ मना कर देते हैं। यदि बिल के लिए कोई लाइसैंस धारक ज्यादा दबाब बनाता है तो उसे कम रेट का बिल बनाकर थमा दिया जाता है। इस प्रकार आर्म्स डीलरों की मनमर्जी से भी आर्म्स लाइसैंस काफी हद तक परेशान हैं। आर्म्स लाइसैंस धारकों का कहना है कि जिला प्रशासन को आर्म्स डीलरों पर भी शिकंजा कसने की जरुरत है।

ऑल इंडिया या 3 स्टेट लाइसैंस की प्रक्रिया हो सरल

आर्म्स लाइसैंस धारकों का कहना है कि केंद्र सरकार ने आम्र्स लाइसैंस के नियमों में जो फेरबदल कर आल इंडिया के लाइसैंसों पर पाबंदी लगाकर 3 स्टेट के लाइसैंस बनाने की प्रक्रिया शुरू की है, उस प्रक्रिया में भी काफी खामी हैं। जो व्यक्ति पी.एस.ओ. या सिक्योरिटी के क्षेत्र में नौकरी करना चाहता है, उसे एक स्टेट की बजाए कई स्टेट के लाइसैंस की जरुरत होती है। हरियाणा में ज्यादा बड़ी इंडस्ट्री नहीं होने के कारण यहां पी.एस.ओ. या सिक्योरिटी के क्षेत्र में रोजगार कम हैं। इसलिए हथियार खरीदने के बाद नौकरी के लिए युवाओं को दूसरे प्रदेशों का रुख करना पड़ता है लेकिन हरियाणा से बाहर का लाइसैंस नहीं होने के कारण वह मन मसोस कर रह जाते हैं। इसलिए सरकार को चाहिए कि वह या तो ऑल इंडिया के लाइसैंस शुरू करे या 3 स्टेट के लाइसैंस बनाने की प्रक्रिया को सरल करे, ताकि लाखों रुपए कीमत का हथियार खरीदने के बाद कोई भी जरूरतमंद दूसरे प्रदेश में जाकर अपना रोजगार तलाश कर सके।


 

रविवार, 15 दिसंबर 2013

घूंघट के पीछे से किसानों को दिया जहरमुक्त खेती का संदेश

देश की हर क्रांति में पुरुषों के बराबर रही है महिलाओं की भागीदारी : मैडम दलाल

नरेंद्र कुंडू
जींद। इतिहास गवाह है, जब-जब देश में क्रांति हुई है, तब-तब उस क्रांति में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के बराबर रही है। यह बात मैडम कुसुम दलाल ने वीरवार को गांव रधाना में आयोजित महिला किसान खेत दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि बोलते हुए कही। कार्यक्रम में कृषि विभाग के उप-निदेशक डा. आर.पी. सिहाग, जिला उद्यान अधिकारी डा. बलजीत भ्याण, कृषि विभाग के एस.डी.ओ. डा. युद्धवीर सिंह, बराह तपा के प्रधान कुलदीप ढांडा, दलीप सिंह चहल, राजबीर कटारिया, कृषि विकास अधिकारी डा. कमल सैनी, डा. रवि, डा. राजेंद्र शर्मा तथा डा. युद्धवीर सिंह भी विशेष रूप से मौजूद थे। कार्यक्रम के दौरान महिला कीट कमांडों किसानों ने हरियाणवी संस्कृति को निभाते हुए घूंघट के पीछे से किसानों को जहरमुक्त खेती को बढ़ावा देने का संदेश दिया और अन्य किसानों के साथ अपने अनुभव सांझा किए। इस अवसर पर किसानों ने डा. सुरेंद्र दलाल के नाम से डायरी का विमोचन भी किया। 
महिला कीट कमांडो किसान अंग्रेजो, कमलेश, कविता, नारो, राजवंती ने कहा कि आज फसलों में अंधाधुंध कीटनाशकों के प्रयोग के कारण दूषित हो रहे खान-पान के कारण बच्चे के लिए सबसे सुरक्षित माने जाने वाले मां के दूध में भी अब जहर की मात्रा मिलने लगी है, जो पूरी मानव जाति के लिए एक गंभीर खतरे की दस्तक है। उन्होंने कहा कि 10 हजार साल पहले खेती की शुरूआत हुई थी और तभी से किसानों, कीटों और पौधों का आपस में गहरा रिश्ता था लेकिन लगभग 30 साल पहले इस रिश्ते को खत्म करने की साजिश रची गई और किसानों को गुमराह करते हुए बताया गया कि कीटों से फसल को 22 प्रतिशत नुक्सान होता है। इसके बाद 

 महिलाओं को सम्बोधित करती मैडम कुसुम दलाल। 

कृषि वैज्ञानिकों ने इस 22 प्रतिशत नुक्सान की रिकवरी के लिए पहले किसानों को कीटों को नियंत्रण करने के लिए कीटनाशकों का प्रयोग करना तथा फिर कीटों का प्रबंधन करना सिखाया लेकिन इसके बाद भी कीटों पर 
डा. सुरेंद्र दलाल पर आधारित डायरी का विमोचन करते अधिकारी। 
काबू नहीं पाया जा सका। उन्होंने कहा कि अब खुद कृषि वैज्ञानिक इस बात को स्वीकार चुके हैं कि कीटनाशकों के प्रयोग से मात्र 7 प्रतिशत ही रिकवरी होती है। मात्र 7 प्रतिशत की रिकवरी के लिए किसान अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग कर फसल खर्च तो बढ़ा रहा है, साथ-साथ खाने को भी जहरीला बना कर अपने तथा दूसरों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। इस अवसर पर महिला किसानों ने 'खेतैं में खड़ी ललकारुं तू जहर ना लाइए, लैइए खाद का घोल कीडय़ां की जान बचाइए', 'खेती चौपट, कर्जा भारी दिखै घोर अंधेरा' आदि गीतों के माध्यम से कीटनाशकों पर कटाक्ष किए और किसानों को जहरमुक्त खेती कर कीटों को बचाने का आह्वान किया। किसानों ने कार्यक्रम में मौजूद सभी अतिथिगणों को पगड़ी तथा शाल भेंट कर स्वागत किया। महिलाओं के कार्यों को देखते हुए मैडम कुसुम दलाल ने निडाना, निडानी व रधाना गांव की महिलाओं को 1100-1100 रुपए और कुलदीप ढांडा ने 500 रुपए पुरस्कार  स्वरूप दिए। 

163 किस्म के मांसाहारी कीटों की खोज की



महिला किसानों को पुरस्कृत करती मैडम कुसुम दलाल। 
महिला कीट कमांडो किसानों ने बताया कि उन्होंने अभी तक 20 किस्म के रस चूसक, 13 किस्म के पत्ते खाने वाले कीट, 4 किस्म के फूल खाने वाले कीट तथा 3 किस्म के फल खाने वाले कीटों की खोज की है। इसके अलावा इनको कंट्रोल करने के लिए 163 किस्म के मांसाहारी कीटों की पहचान भी की जा चुकी है। 

हरे तेले, चूरड़े व सफेद मक्खी से भयभीत न हो किसान

कीट कमांडों महिला किसानों ने बताया कि जब तक उन्हें कीटों की पहचान नहीं हुई थी, तब तक उन्हें कपास की फसल में मौजूद हरे तेले, चूरड़े व सफेद मक्खी से डर लगता था। क्योंकि यह तीनों कीट कपास की फसल को नुक्सान पहुंचाने वाले मेजर कीटों में शुमार हैं लेकिन जब से उन्हें कीटों की पहचान हुई है तथा इनके क्रियाकलापों के बारे में जानकारी हुई है, तब से इनके प्रति इनका भय पूरी तरह से निकल चुका है। 
कार्यक्रम में अपने अनुभव सांझा करती महिला किसान

शनिवार, 7 दिसंबर 2013

कीट ज्ञान में कृषि वैज्ञानिकों को भी मात दे रहे कीट कमांडो किसान

आज से पहले कीटों पर नहीं हुआ इस तरह का कोई शोध : डी.सी.
निडानी गांव में किया जिला स्तरीय खेत दिवस का आयोजन

नरेंद्र कुंडू
जींद। जींद जिले के किसानों ने कीटों पर जो अनोखा शोध किया है वह वास्तव में काबिले तारिफ है और आज से पहले कीटों पर कहीं भी इस तरह का शोध नहीं हुआ है। कीटों के बारे में जितनी जानकारी कीट कमांडों किसानों को है उतनी तो शायद कृषि वैज्ञानिकों को भी नहीं है। यह बात उपायुक्त राजीव रत्तन ने वीरवार को कृषि विभाग तथा कीट साक्षरता सोसायटी निडानी द्वारा आयोजित खेत दिवस पर निडानी गांव में किसानों को सम्बोधित करते हुए कही। इस अवसर पर कार्यक्रम में जिला कृषि उपनिदेशक डा. रामप्रताप सिहाग, जिला बागवानी अधिकारी डा. बलजीत भ्याण, स्व. डा. सुरेंद्र दलाल की पत्नी कुसुम दलाल, विजय दलाल, रोहतक एम.डी.यू. से डा. राजेंद्र चौधरी, पी.जी.आई. रोहतक से सर्जन डा. रणबीर दहिया, बराह तपा प्रधान कुलदीप ढांडा, ढुल खाप के प्रधान इंद्र सिंह ढुल, जाट धर्मशाला जींद के प्रधान रामचंद्र, होशियार सिंह दलाल, दलीप चहल, प्राचार्य रमेश मलिक, समाजसेवी राधेश्याम, निडानी गांव के सरपंच अशोक, कृषि विकास अधिकारी डा. कमल सैनी सहित कृषि विभाग के अन्य अधिकारी भी विशेष रूप से मौजूद थे। 
खेत दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मौजूद लोग। 
कार्यक्रम का शुभारंभ उपायुक्त राजीव रत्तन ने कीट साक्षरता के अग्रदूत स्व. डा. सुरेंद्र दलाल को श्रद्धांजलि अर्पित की। डी.सी. ने कहा कि आज जींद जिले के लगभग 14 गांव के अनेकों किसान इस मुहिम से जुड़े हैं। राजपुरा, ईंटल, ईगराह, निडानी, निडाना, ललितखेड़ा, रधाना, चाबरी, भैराखेड़ा, ईक्कस, जलालपुरा कलां समेत कई गांवों के किसान बिना कीटनाशकों का प्रयोग किए कपास, धान जैसी फसलें पैदा करने लगे हैं। कार्यक्रम में किसानों ने अपने अनुभव रखते हुए बताया कि कीटों और किसानों के बीच जो लड़ाई चल रही है वह आधारहीन है। कीटों को नियंत्रण करने के लिए तो कीट ही सबसे बड़ा शस्त्र है। इसलिए कीटों को नियंत्रण करने की जरूरत नहीं है। अगर जरूरत है तो इनकी पहचान करने की। पौधे अपनी जरूरत के अनुसार सुगंध छोड़कर कीटों को बुलाते हैं। महिला किसानों ने 'हो पिया तेरा हाल देखकै मेरा कालजा धड़कै हो, तेरे कांधै टंकी जहर की या मेरै कसुती रड़क हो' तथा 'सबतै बढिय़ा हो सै बिना जहर की खेती' गीतों के माध्यम से किसानों की नब्ज को टटोलने का काम किया और कीटनाशकों पर कटाक्ष किए। एम.डी.यू. से आए डा. राजेंद्र चौधरी ने किसानों को गोबर की खाद तैयार करने तथा कुदरती खेती के  बारे में विस्तार से जानकारी दी। जिला उद्यान 
अधिकारी डा. बलजीत भ्याण ने कहा कि उन्होंने सब्जियों में जहर के स्तर की जांच के लिए जो भी सैम्पल लिए उन सभी सब्जियों में जहर की मात्रा शरीर को नुक्सान पहुंचाने के स्तर से काफी ज्यादा पाई गई है। 
कार्यक्रम के दौरान कीटों पर आधारित गीत प्रस्तुत करती महिला किसान।
इससे यह अंदाजा असानी से लगाया जा सकता है कि हमारा खान-पान कितना शुद्ध है। जिला कृषि उपनिदेशक डा. रामप्रताप सिहाग ने कहा कि डा. सुरेंद्र दलाल ने जो मुहिम शुरू की थी आज वह पूरी गति से प्रदेश में फैल रही है। पूरे कृषि विभाग को डा. सुरेंद्र दलाल पर फकर है। डा. सुरेंद्र दलाल की मौत के बाद इस मुहिम से जुड़े लोगों को बड़ी निराशा हुई थी और किसानों को इस मुहिम के खत्म होने का डर सता रहा था लेकिन डा. सुरेंद्र दलाल के बाद डा. कमल सैनी ने इस मुहिम को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया और वह बड़े अच्छे तरीके से इस मुहिम को सफल बनाने में अपना योगदान दे रहे हैं। 
डी.सी. को सम्मानित करते किसान व विभाग के अधिकारी ।

रक्त में फैले जहर को निकालने के लिए नहीं बनी कोई मशीन

रोहतक पी.जी.आई. से आए सर्जन डा. रणबीर सिंह दहिया ने कहा कि आज तक कोई ऐसी मशीन नहीं बनी जो खाने के माध्यम से हमारे खून में फैले जहर को बाहर निकाल सके। डा. दहिया ने कहा कि रोहतक पी.जी.आई. में भी ऐसे टैस्ट की सुविधा नहीं है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि मरीज के शरीर में जहर का स्तर कितना बढ़ चुका है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में इस टैस्ट को शुरू करने के लिए आज से लगभग 20 वर्ष पहले विधानसभा में यह मुद्दा उठा था और विधानसभा में इस टैस्ट को शुरू करने के लिए प्रस्ताव भी तैयार किया गया लेकिन आज तक यह सुविधा शुरू नहीं हो पाई है। डा. दहिया ने सरकारी अस्पतालों में इस टैस्ट को शुरू करवाने के लिए खाप पंचायतों को लड़ाई शुरू करने का आह्वान किया। डा. दहिया ने कहा कि आज लोगों में हड्डियों व पेट के रोगों के फैलेने का मुख्य कारण पेस्टीसाइड के कारण दूषित 
होता हमारा खान-पान है।  

कीट ज्ञान की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए पूरा प्रयास करेंगी खाप पंचायतें

बराह तपा के प्रधान कुलदीप ढांडा ने कहा कि डा. सुरेंद्र दलाल द्वारा शुरू की गई थाली को जहर मुक्त बनाने की इस मुहिम को जींद के अलावा पूरे प्रदेश में फैलाने के लिए खाप पंचायतें हर संभव प्रयास करेंगी। उन्होंने कहा कि किसान-कीट की लड़ाई का मामला खाप की अदालत में है और खाप पंचायतों के प्रतिनिधि पिछले 2 वर्ष से इन पाठशालाओं में जाकर अपना रिकार्ड तैयार कर रहे हैं। खाप पंचायतें अगले वर्ष एक बड़ी पंचायत का आयोजन कर इसके खिलाफ लड़ाई की अगली रणनीति तैयार करेंगी।