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जहरीले पानी से मुक्ति दिलवाने की तैयारी

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नहरी पानी मुहैया करवाने के लिए जन स्वास्थ्य विभाग ने तैयार किया प्रारुप पानी में बढ़ते फ्लोराइड व टीडीएस के कारण लिया फैसला  नरेंद्र कुंडू जींद। अंधाधुंध भूजल दोहन के कारण जहरीले हो रहे पेयजल से शहर के लोगों को मुक्ति दिलवाने के लिए जन स्वास्थ्य विभाग ने कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा शहर के लोगों को नहरी पानी सप्लाई की योजना तैयार की जा रही है। शहर के लोगों को नहरी पानी मुहैया करवाने के लिए जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा शहर के बीचोंबीच से गुजर रही हांसी ब्रांच नहर के पास 106 एकड़ में बूस्टिंग स्टेशन तैयार किया जाएगा। योजना को अमल में लाने के लिए जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा इसका प्रारूप तैयार किया जा रहा है। प्रारूप तैयार होते ही इसकी मंजूरी के लिए विभाग के उच्च अधिकारियों को भेजा जाएगा। उच्चाधिकारियों से मंजूरी मिलते ही योजना पर अमल शुरू कर दिया जाएगा। शहर में नहरी पानी की सप्लाई शुरू होने पर शहर के लोगों को पानी में बढ़ रहे फ्लोराइड तथा टीडीएस से निजात मिल जाएगी।  इस समय शहर की आधी से अधिक आबादी को पेयजल मुहैया करवाने का जिम्मा जन स्वास्थ्य विभाग के कंधो

स्टाफ ना अधिकारी कैसे बुझेगी आग

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 दमकल विभाग के पास कर्मचारियों का भारी टोटा  जींद में दमकल विभाग के पास महज एक शिफ्ट का स्टाफ  कर्मचारियों के अभाव में खड़ी हैं दमकल विभाग की गाडिय़ां नरेंद्र कुंडू जींद। गेहूं की कटाई का सीजन शुरू होने के कारण आगजनी की घटनाएं बढऩे का अंदेशा भी बना रहता है। ऐसे में आगजनी की घटनाओं से निपटने की पूरी जिम्मेदारी दमकल विभाग के कंधों पर होती है लेकिन स्टाफ की कमी के कारण जींद के दमकल विभाग का दम निकल चुका है। दमकल विभाग के पास गाडिय़ां तो हैं लेकिन स्टाफ नहीं है। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि बिना कर्मचारियों के आखिरी दमकल विभाग आगजनी की घटनाओं से कैसे निपटेगा। यही नहीं जींद में तो दमकल विभाग के पास गाडिय़ों में पानी भरने के लिए हाईडैंट या टैंक की भी कोई व्यवस्था नहीं है। यही कारण है कि आगजनी की घटना घटने के बाद घटना स्थल पर पहुंचने में दमकल विभाग की गाडिय़ों को अकसर देरी हो जाती है। क्योंकि गाडिय़ों में पानी भरने की प्रक्रिया में दमकल विभाग के कर्मचारियों का काफी समय खराब हो जाता है। इतना ही नहीं जींद जिले में पूरे दमकल विभाग के पास एक भी फायर स्टेशन अधिकारी नहीं है। सभी स्टेशनों पर फा

बाजार में गैर प्रमाणिक बीटी की किस्मों की भरमार, किसान परेशान

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कृषि विभाग नहीं कर पा रहा बीटी की किसी भी किस्म की सिफारिश कृषि विश्वविद्यालय की नहीं मंजूरी, पर्यावरण मंत्रालय का सहारा नरेंद्र कुंडू जींद। गेहूं की फसल की कटाई के बाद कपास की बिजाई का सीजन शुरू होने जा रहा है। किसान गेहूं की कटाई की तैयारियों के साथ-साथ कपास की बिजाई की तैयारियों में भी जुटे हुए हैं लेकिन बीटी कॉटन के बीज की किस्म के चयन को लेकर किसान पूरी तरह से असमंजस की स्थिति में हैं, क्योंकि बाजार में बीटी के भिन्न-भिन्न किस्मों के बीजों की भरमार है। इस समय बाजार में 600 से भी ज्यादा बीटी की किस्में बाजार में आ चुकी हैं, लेकिन हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार इनमें से किसी की सिफरिश नहीं कर रहा है। बीटी के बीज के चयन को लेकर किसान विकट परिस्थितियों में फंसा हुआ है कि आखिरकार वह अपने खेत में बीटी की किस किस्म की बिजाई करें। इसमें सबसे खास बात यह है कि आज बाजार में बीटी की जितनी भी किस्में हैं, उनमें से कोई भी किस्म कृषि विश्वविद्याल द्वारा प्रमाणित नहीं है। इस कारण कृषि विभाग के अधिकारी भी किसानों को बीटी की किसी भी किस्म की बिजाई की सिफारिश नहीं कर पा रहे हैं। कृषि विभाग द्

बेपरवाह बैंक प्रबंधन, उपभोक्ता परेशान

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शाम होते ही बंद हो जाते हैं एटीएम के दरवाजे  नरेंद्र कुंडू जींद। बैंक प्रबंधन बेपरवाह है और उपभोक्ता परेशान हैं। पुलिस के निर्देश भी बैंक प्रबंधन पर बेअसर साबित हो रहे हैं। पुलिस द्वारा एटीएम पर गार्ड तैनाती के निर्देश के बाद भी बैंक प्रबंधन द्वारा एटीएम पर गार्ड की तैनाती नहीं की जा रही है। एटीएम में हो रही लूटपाट जैसी घटनाओं से बैंक प्रबंधन कोई सबक नहीं ले रहा है। बिना गार्ड वाले एटीएम को पुलिस द्वारा बंद करवाए जाने के कारण बैंक प्रबंधन की लापरवाही का खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। शाम होते ही शहर के ज्यादातर एटीएम के शटर बंद हो जाते हैं, जिस कारण रात के समय में जरूरत पडऩे पर उपभोक्ता एटीएम का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। बैंक प्रबंधन द्वारा उपभोक्ताओं को दी जा रही एटीएम की सुविधा का उपभोक्ताओं को लाभ नहीं मिल पा रहा है।    एटीएम में बढ़ी चोरी व लूटपाट की घटनाओं को देखते हुए जिला पुलिस ने लगभग दो माह पहले जिले के उन एटीएम को बंद करवा दिया था, जिन एटीएम पर गार्ड तैनात नहीं थे। पुलिस प्रशासन ने बैंक प्रबंधन को अपने-अपने एटीएम पर गार्ड तैनात करने के निर्देश दिए थे। 1 माह

बालिकाएं आज भी बन रही हैं वधू

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बाल विवाह का चलन जारी लड़कियों के प्रति नहीं बदल रही लोगों की सोच  नरेंद्र कुंडू जींद। 21वीं सदी में भी बाल विवाह जैसी कूप्रथा रह-रहकर सिर उठा रही है। बाल विवाह को रोकने के लिए सरकार द्वारा बनाए गए बाल विवाह अधिनियम के बावजूद भी बाल विवाह का चलन रूकने का नाम नहीं ले रहे हैं। जिला महिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध कार्यालय से प्राप्त हुए एक वर्ष के आंकड़ों पर अगर नजर डाली जाए तो बाल विवाह के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। अप्रैल 2013 से फरवरी 2014 तक जिला महिला एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी के पास अब तक 9 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से ज्यादातर मामले पुलिस के माध्यम से तो एक मामला इस कूप्रथा का शिकार होने वाली नाबालिग की सूझबुझ से पहुंचा है। जिला महिला एवं बाल विवाह निषेध कार्यालय से मिले आंकड़ों से यह साफ हो रहा है कि आज भी जागरूकता के अभाव या मजबूरी में बालिकाएं वधू बन रही हैं। देश में सदियों से चली आ रही बाल विवाह जैसी परम्परा को खत्म करने के लिए सरकार द्वारा सख्त कदम उठाते हुए बाल विवाह अधिनियम बनाया गया है। इस कुरीति को जड़ से खत्म करने के लिए समय-समय पर जागरूकता अभियान भी चला

रास्ते से भटकी परिवहन समिति की बसें

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यातायात सुविधा से महरूम सैकड़ों गांव हर रोज रोडवेज को लाखों का चूना लगा रही सहकारी समितियों की बसें नरेंद्र कुंडू जींद। हरियाणा रोडवेज की अनदेखी लोगों पर भारी पड़ रही है। सहकारी परिवहन समितियों की बसें निर्धारित रूट पर नहीं चल रही और इसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। सहकारी परिवन समितियों की इस मनमानी का दंश लोगों के साथ-साथ रोडजेव को भी झेलना पड़ रहा है। ये बसें रोडवेज को प्रतिदिन लाखों रुपये का चूना लगा रही हैं। रोडवेज कर्मचारियों की मानें तो प्रशासन ने इन्हें अपनी मौन स्वीकृति दे रखी है। हरियाणा रोडवेज बेड़े में बसों की कमी को देखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर परिवहन सेवाएं मुहैया करवाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए परिवहन समितियों को परमिट जारी किए गए थे। 1999 में दिए गए परमिटों के अनुसार परिवहन विभाग ने गांवों के लोगों के लिए निजी बसें रोड पर उतारी थी। इसके अनुसार ही रोडवेज की बसों को भी ग्रामीण रूटों से हटा लिया गया। फिलहाल जिले में 48 निजी बसें चल रही हैं। इन सभी निजी बसों के रूट ग्रामीण क्षेत्रों में तय किए गए हैं लेकिन इनमें से ज्यादातर

आधुनिकता की चकाचौंध में टूट रहे परिवार

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एकल परिवार तथा पति-पत्नी के बीच अविश्वसनियता के चलते दाम्पत्य जीवन में बढ़ रही दरार नरेंद्र कुंडू जींद। आधुनिकत्ता की चकाचौंध व भाग दौड़ भरी जिंदगी के कारण विवाहिक जीवन में दरार बढ़ रही है। परिवारिक कलह के कारण महिला संरक्षण कार्यालय में मामलों की संख्या लगातार बढ़ी जा रही है। महिला संरक्षण कार्यालय के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो जिले में हर माह दो दर्जन परिवार दहेज व घरेलू कलह की आग से झुलस कर टूट रहे हैं। यह आधुनिकता के इस दौर का ही परिणाम है कि हर माह 40 से 50 मामले न्याय की तलाश में महिला संरक्षण तथा महिला सैल के दरवाजे पर पहुंच रहे हैं। पिछले लगभग एक साल में महिला संरक्षण कार्यालय में 217 मामले आ चुके हैं। महिला सैल कार्यालय में पहुंच रहे मामलों में सबसे ज्यादा मामले पत्नी-पत्नि के बीच आपसी कलह, मार पिटाई तथा मानसिक व शारीरिक हरासमैंट के होते हैं। आधुनिकता की चकाचौंध व भाग दौड़ भरी जिंदगी के कारण आज दाम्पत्य जीवन में दरार लगातार बढ़ रही है। परिवारिक कलेह, दाम्पत्य जीवन में बढ़ती अविश्वसनियता व दहेज प्रताडऩा से विवाहिक जीवन में दरार बढ़ रही है। आधुनिकता के कारण सामाजिक तानाबान

नेताओं के दल बदलने से बदली राजनीति की फिजा

प्रदेश में त्रिकोणिय नहीं बहुकोणिय हुआ लोकसभा चुनाव का मुकाबला नरेंद्र कुंडू  जींद। प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान नेताओं के दल बदलने के चलन से प्रदेश में राजनीति की फिजा पूरी तरह से बदल चुकी है। अब प्रदेश में लोकसभा चुनाव का मुकाबला त्रिकोणिय नहीं होकर बहुकोणिय हो गया है। नेताओं के इस दल बदलने के चलन से प्रदेश के राजनीतिक समीकरण भी पूरी तरह से बदल गए हैं। टिकट और अच्छे भविष्य की चाह में नेता कपड़ों की तरह पाॢटयां बदल रहे हैं। प्रदेश में गर्मा रहे चुनावी माहौल को देखते हुए कुछ पार्टियों ने दल-बदलुओं को हाथों हाथ ले लिया है। नेताओं के इस ट्रेंड से एक तरह से वोटरों में भी मायूसी का माहौल तैयार हो रहा है। वहीं चुनावी माहौल को देखते हुए हरियाणा में सभी राजनीतिक दलों द्वारा भी टिकट वितरण में जात, गौत्र तथा ऐरिया का विशेष ध्यान रखा गया है।    प्रदेश में चुनाव से कुछ माह पहले तक कांग्रेस, इनेलो तथा भाजपा-हजकां गठबंधन के बीच त्रिकोणिया मुकाबले के कयास लगाए जा रहे थे। प्रदेश में पार्टी के विपक्ष में बन रहे माहौल को देखते हुए चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस पार्टी ने जाट आरक्षण का दाव खेल

बाल स्वास्थ्य योजना पर प्रशासन की लापरवाही का दंश

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तीन माह बाद भी नहीं शुरू हो पाया डीईआईसी की भवन का निर्माण कैबिनों में होगा बच्चों का इलाज अस्पताल के निरीक्षण के लिए 27 को जींद पहुंचेगी एनआरएचएम की टीम लिपापोती में जुटा अस्पताल प्रशासन  नरेंद्र कुंडू जींद। स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य योजना के तहत आंगनवाड़ी तथा सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों के मुफ्त इलाज की योजना पर सामान्य अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का दंश लग चुका है। विभाग की योजना के तहत 0 से 18 वर्ष के बच्चों को मुफ्त उपचार देने के लिए सामान्य अस्पताल में स्थापित होने वाले डिस्ट्रिक अर्ली इंटरमेंशन सेंटर (डीईआईसी) की बिल्डिंग का निर्माण तीन माह बीत जाने के बाद भी शुरू नहीं हो पाया है। 27 मार्च को अस्पताल के निरीक्षण के लिए एनएचआरएम की टीम जींद पहुंच रही है। एनएचआरएम की टीम के जींद पहुंचने की सूचना मिलने पर अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। टीम के सामने अस्पताल प्रशासन की पोल नहीं खुले इसलिए अस्पताल प्रशासन लिपापोती पर लगा हुआ है। अपनी गलती पर पर्दा डालने के लिए अस्पताल प्रशासन द्वारा बिल्डिंग का निर्माण करने की बजाये अस्पताल

तैयारी 200 बैड की,सुविधाएं 100 बैड की भी नहीं

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मरीजों की मर्ज बढ़ा रही सामान्य अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं बिना चिकित्सकों के कैसा मुफ्त इलाज नरेंद्र कुंडू जींद। प्रदेश सरकार की सामान्य अस्पतालों में मरीजों को मुफ्त इलाज की योजना को लागू हुए तीन माह का समय बीत चुका है, लेकिन जींद शहर के सामान्य अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं मरीजों का दर्द कम करने की बजाए उनकी मर्ज बनती जा रही हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा 100  बैड के इस अस्पताल को अपग्रेड कर 200 बैड का किया जा रहा है लेकिन सामान्य अस्पताल में सुविधाएं 100 बैड की भी नहीं हैं। सामान्य अस्पताल में चिकित्सकों की कमी के चलते हुए यहां आने वाले मरीजों को सरकार की मुफ्त इलाज योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। छोटी सी बीमारी के उपचार के लिए भी मरीजों को यहां घंटों इंतजार करना पड़ता है। सामान्य अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का आलम यह है कि कई-कई घंटों तक इंतजार करने के बाद भी उन्हें कोई यह बताने वाला नहीं है कि जिस डॉक्टर से उन्हें इलाज करवाना है आज वह ड्यूटी पर है या छुट्टी पर है। सामान्य अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के चलते मरीजों को मजबूरीवश निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है। ऐसे में आखि
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छोटी सी उम्र में निकल पड़ा बेटी बचाने

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अब अंधेरी जिंदगियों को रोशन करने के लिए छेड़ दी मुहिम  नरेंद्र कुंडू जींद। जिस उम्र में बच्चों को मौज-मस्ती के सिवाये कुछ नहीं सुझता, उस उम्र में उसने सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने के सपने बुन लिए और उन सपनों को हकीकत में बदलने के लिए महज १५ साल की उम्र में ही संघर्ष शुरू कर दिया। खेल गांव निडानी निवासी अमित के सिर पर छोटी सी उम्र में ही समाज सेवा का ऐसा भूत सवार हुआ कि फिर उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अमित ने उम्र के 24वें पड़ाव तक पहुंचते-पहुंचते शराब बंदी तथा कन्या भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने के अभियानों को शिखर तक पहुंचाने के बाद अब अंधेरी जिंदगियों को रोशन करने के लिए नेत्रदान के लिए अभियान की शुरूआत की है। अमित निडानी ने वंदे मातरम प्रतिष्ठान के माध्यम से 24 फरवरी 2014  को गांव में एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन कर दो हजार से ज्यादा पुरुषों और महिलाओं को नेत्रदान के लिए प्रेरित किया।   जिला मुख्यालय से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित खेल गांव निडानी निवासी अमित ने समाज सेवा की अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए सबसे पहले अपने संघर्ष की शुरूआत अपने गांव से ही की।

अल के प्रकोप से फसल को बचाने के लिए किसान समय पर दें पर्याप्त खुराक

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अल की रोकथाम के लिए किसी भी तरह के कीटनाशकों का प्रयोग ना करें किसान फसल में मौजूद कूदरती कीटनारियों की मदद से ही होगा अल पर कंट्रोल नरेंद्र कुंडू  जींद। पिछले कई दिनों से मौसम में हो रहे परिवर्तन के कारण गेहूं तथा सरसों की फसल में अल (चेपा) का प्रकोप बढऩे लगा है। गेहूं और सरसों की फसल मेंं बढ़ते अल के प्रकोप को देखकर किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींचने लगी हैं। अल को कंट्रोल करने के लिए किसान फसल में महंगे-महंगे कीटनाशकों तथा रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग कर रहे हैं। महंगे-महंगे कीटनाशकों के प्रयोग के बाद भी सरसों व गेहूं की फसल से अल का प्रकोप कम नहीं हो रहा है। वहीं कृषि विभाग ने किसानों की परेशानी को समझते हुए अल का तोड़ फसल में ही मौजूद मांसाहारी कीटों में ढूंढ़ निकाला है। कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा किसानों को अल को कंट्रोल करने के लिए फसलों में कीटनाशकों का प्रयोग करने की बजाये फसल में मौजूद मांसाहारी कीटों की पहचान करने तथा फसल को पर्याप्त खुराक देने की गाइड लाइन जारी की गई हैं।   क्या है अल (चेपा) एडीओ डॉ. कमल सैनी के अनुसार अल कोई बीमारी नहीं है। यह एक

अब भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में सुनाई देगा बेजुबानों का दर्द

कीट साक्षरता की मुहिम को देश में फैलाने की किसानों की मांग को अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करेगी भाजपा रविवार को किसानों के साथ हुई भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में भाजपा नेताओं ने किसानों को दिया आश्वासन नरेंद्र कुंडू  जींद। अब भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में जनहित के मुद्दों के साथ-साथ बेजुबान कीटों का दर्द भी सुनाई देगा। फसलों में अंधाधुंध कीटनाशकों के प्रयोग के कारण मारे जा रहे कीटों को बचाने की किसानों की मांग को भाजपा नेताओं ने अपने घोषणा पत्र में शामिल करने का आश्वासन दिया है। रविवार को भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी के दिल्ली स्थित आवास पर भाजपा नेताओं के साथ हुई जींद के कीटाचार्य किसानों की बैठक में भाजपा नेताओं ने कीट ज्ञान की इस मुहिम को अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने पर सहमति जता दी है। इतना ही नहीं भाजपा नेताओं ने इस मुहिम को पूरे देश में फैलाने के लिए सत्ता में आने पर इस मुहिम के लिए अलग से प्रोजैक्ट तैयार करवाने का वायदा भी किसानों से किया है।  फसलों में बढ़ते कीटनाशकों के प्रयोग के कारण दूषित हो रहे खान-पान तथा वातावरण को देखते हुए भाजपा

कीटों को मारने की नहीं पहचानने की जरूरत

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एकीकृत कीट प्रबंधन विषय पर एक दिवसीय सेमिनार सेमिनार में कीट प्रबंधन पर कृषि अधिकारियों और किसानों के बीच हुई चर्चा नरेंद्र कुंडू  जींद। फसलों में अंधाधुंध प्रयोग हो रहे कीटनाशकों के कारण दूषित हो रहे खान-पान तथा वातावरण को बचाने के लिए हरियाणा किसान आयोग तथा कृषि विभाग के सौजन्य से शुक्रवार को जींद के रोहतक रोड स्थित किसान प्रशिक्षण केंद्र (हमेटी) में कपास में एकीकृत कीट प्रबंधन विषय पर बुद्धिशीलता सत्र का आयोजन किया गया। हरियाणा किसान आयोग के चेयरमैन डॉ. आरएस परोदा ने सेमिनार में बतौर मुख्यातिथि तथा सचिव डॉ. आरएस दलाल, सिरसा रीजनल सेंटर के डायरेक्टर डॉ. डी. मोंगा, एनसीआईपीएम के डायरैक्टर सी चटोपाध्या, हमेटी के डायरैक्टर डॉ. बीएस नैन, जिला उप-कृषि निदेशक डॉ. आरपी सिहाग, हिसार उद्यान विभाग के डीएचओ. डॉ. बलजीत भ्याण और बराह खाप के प्रधान कुलदीप ढांडा ने विशेष अतिथि के तौर पर मौजूद रहे। सेमिनार में किसान आयोग, कृषि विभाग के अधिकारियों तथा किसानों के बीच फसलों में मौजूद मांसाहारी तथा शाकाहारी कीटों के महत्व पर विस्तार से चर्चा की गई। कृषि विभाग के अधिकारियों तथा किसानों ने बारी-

प्रदेश के किसानों को जहरमुक्त खेती का संदेश देंगे जींद के किसान

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जहरमुक्त खेती की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए किसान आयोग ने थामा जींद के किसानों का हाथ  इनोवेशन फंड के तहत हर वर्ष हरियाणा किसान आयोग खर्च करेगा दो करोड़ नरेंद्र कुंडू जींद। जींद जिले से शुरू हुई थाली को जहरमुक्त बनाने की मुहिम से अब पूरे प्रदेश के किसान जुड़ेंगे। जिले के मास्टर ट्रेनर किसान अब प्रदेशभर के किसानों को कीट ज्ञान का पाठ पढ़ाएंगे। कीट ज्ञान की इस मुहिम को प्रदेश के सभी किसानों तक पहुंचाने के लिए हरियाणा किसान आयोग माध्यम बनेगा। किसान आयोग द्वारा इस मुहिम को शिखर तक पहुंचाने के लिए इनोवेशन फंड के तहत हर वर्ष दो करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। शुक्रवार को जींद के किसान प्रशिक्षण केंद्र (हमेटी) में कपास में एकीकृत कीट प्रबंधन विषय पर आयोजित बुद्धिशीलता सत्र के दौरान हरियाणा किसान आयोग के चेयरमैन डा. आरएस परोदा ने जींद के किसानों की इस मुहिम को प्रदेशभर में फैलाने की मांग पर अपनी सहमति की मोहर लगा दी है।  फसलों में अंधाधुंध कीटनाशकों के प्रयोग के कारण दूषित हो रहे खान-पान को देखते हुए कृषि विभाग के एडीओ डॉ. सुरेंद्र दलाल के नेतृत्व में वर्ष 2008 में जींद जिले के निडाना ग

दिल्ली तक पहुंची जींद के किसानों की कीट साक्षरता की गूंज

राहुल गांधी के बाद अब भाजपा पार्टी ने किसानों को भेजा निमंत्रण नौ मार्च को दिल्ली में भाजपा नेताओं के साथ मुलाकात करेंगे जींद के किसान नरेंद्र कुंडू जींद। जींद जिले से शुरू हुई कीट ज्ञान की मुहिम की आवाज दिल्ली तक पहुंच गई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के बाद अब भाजपा नेताओं ने कीट साक्षरता की इस मुहिम से रूबरू होने के लिए कीटाचार्य किसानों को दिल्ली बुलाया है। भाजपा नेताओं की तरफ से मिले निमंत्रण पर जिले के कीटाचार्य किसान नौ मार्च को भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी के दिल्ली स्थित आवास पर भाजपा नेताओं से मुलाकात कर कीट साक्षरता की मुहिम से अवगत करवाएं। अगर कीटाचार्य किसान कीट ज्ञान की इस मुहिम को भाजपा नेताओं के समक्ष प्रस्तुत करने में सफल रहे तो आगामी चुनाव में भाजपा पार्टी अपने चुनावी घोषणा पत्र में इस मुहिम को शामिल करेगी।  थाली को जहरमुक्त बनाने के लिए वर्ष 2008 में डा. सुरेंद्र दलाल के नेतृत्व में जींद जिले के किसानों द्वारा निडाना गांव से शुरू की गई कीट ज्ञान की मुहिम लगातार रफ्तार पकड़ रही है। कीट ज्ञान की यह मुहिम अब जिले ही नहीं बल्कि प्रद

किसान आयोग और कृषि अधिकारियों को कीट ज्ञान देंगे जींद के किसान

सात मार्च को जींद के किसान प्रशिक्षण केंद्र में होगा एक दिवसीय सैमीनार का आयोजन नरेंद्र कुंडू जींद। कीट साक्षरता की मुहिम से जुड़े जींद जिले के किसान अब कृषि विभाग तथा हरियाणा किसान आयोग के अधिकारियों को कीट ज्ञान की मुहिम से रू-ब-रू करवाएंगे। इसके लिए सात मार्च को जींद के रोहतक रोड स्थित किसान प्रशिक्षण केंद्र (हमेटी) में एक दिवसीय सैमीनार का आयोजन किया जाएगा। इस सैमीनार में हरियाणा किसान आयोग के चेयरमैन डॉ. पड़ौदा, सचिव डा.. आर.एस. दलाल, कोर्डिनेटर डॉ. श्रीवास्तवा, नई दिल्ली स्थित एनसीआईटीएम के डायरेक्टर, सिरसा तथा नागपूर स्थित काटन रीजनल सैंटर के डायरेक्टर, हिसार एग्रीकल्यर यूनिवर्सिटी के प्रचार-प्रसार एवं अनुसंधान निदेशक डॉ. एस एस सिवाच सहित कई अन्य कृषि अधिकारी भाग लेंगे। इस कार्यक्रम में मौजूद अधिकारी कीट कमांडो किसानों के साथ कीटों पर गहन मंथन करेंगे।  फसलों में कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग के कारण दूषित हो रहे खान-पान तथा वातावरण को जहरमुक्त बनाने के लिए जींद जिले के किसानों द्वारा वर्ष 2008 में कीट ज्ञान की मुहिम शुरू की गई थी। कीट ज्ञान की मुहिम से जुड़े इन किसानों द्