बुधवार, 26 नवंबर 2014

अनाज मंडियों में नहीं हो रही कृषि मंत्री के आदेशों की पालना

निर्धारित शैड्यूल के अनुसार नहीं होती धान की बोली
कृषि मंत्री के आदेश के बाद भी महज तीन घंटे ही हो पाई बोली
कृषि मंत्री ने हाल ही में मंडी प्रशासन को दिए थे शैड्यूल के अनुसार बोली करवाने के निर्देश

नरेंद्र कुंडू 
जींद। जिले की अनाज मंडियों में धान की फसल की बिक्री के लिए आने वाले किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मार्केट कमेटी प्रशासन पर कृषि मंत्री के आदेशों का भी कोई प्रभाव नहीं है। मार्केट कमेटी प्रशासन के लिए कृषि मंत्री के आदेश बेमानी साबित हो रहे हैं। कृषि मंत्री द्वारा गत 20 नवंबर को मार्केट कमेटी के अधिकारियों को आदेश दिए जाने के बाद भी आदेशों पर अमल नहीं हो रहा है। जिले की अनाज मंडियों में धान की फसल की बोली के लिए कोई शैड्यूल तैयार नहीं किया गया है। अनाज मंडियों में महज दो-तीन घंटे ही मुश्किल से बोली हो पाती है। जबकि कृषि मंत्री द्वारा सुबह 9 से पांच बजे तक शैड्यूल के अनुसार बोली करवाने के आदेश दिए गए हैं। कृषि मंत्री के आदेश जारी करने के दूसरे दिन ही मंत्री के यह आदेश जींद की अनाज मंडी में हवा होते दिखाई दिए। शनिवार को जींद की अनाज मंडी में महज तीन घंटे ही धान की फसल की बोली हो पाई। इस तीन घंटे में महज चार दुकानों तक ही यह बोली पहुंच पाई। इसके अलावा ज्यादातर दुकानों पर खरीदारों द्वारा बिना बोली के ही धान की फसल की खरीद की गई। इससे जहां सरकार व मार्केट कमेटी को फीस का चूना लग रहा है, वहीं किसानों को भी उनकी फसल के उचित भाव नहीं मिल पा रहे हैं।

10 दिन बाद हुई फसल की बोली

किसान सूरजमल  

अनाज मंडी में 11 नवंबर को बासमती धान लेकर आया था। खरीदारों द्वारा बिना बोली किए ही 2300 रुपये का रेट लगाया गया था लेकिन मैने मना कर दिया। इसके बाद खरीदार 2700 रुपये के रेट दे रहा था लेकिन मैं बोली की जिद्द पर अड़ा रहा। 11 नवंबर के बाद आज मेरी फसल की बोली हो पाई है। बोली पर मेरी फसल 2899 के भाव बिकी है। 10 दिन बाद जा कर फसल बिक पाई है। खरीदार बोली करने की बजाए उचंती पर खरीद को ज्यादा महत्व दे रहे हैं।
किसान सूरजमल, गांव शाहपुर निवासी

थोड़ी देर ही चल पाई बोली

किसान ओमप्रकाश  

अनाज मंडी में महज दो या तीन घंटे ही बोली चलती है। इस दौरान सिर्फ तीन-चार ही दुकानों पर ही बोली पहुंचती है। इसके बाद बोली बंद कर दी जाती है। पूरा दिन बोली नहीं हो पाने के कारण सभी दुकानों पर बोली नहीं पहुंच पाती है। इस कारण किसान को मजबूरी वस उचंती पर ही अपनी फसल बेचनी पड़ती है।
किसान ओमप्रकाश, गांव मिर्जपूर निवासी

फसल का नहीं मिल पाया उचित रेट

किसान धूप सिंह   

धान की 1121 किस्म की फसल को बेचने के लिए मंडी में लेकर आया था लेकिन काफी देर इंतजार करने के बाद भी बोली नहीं हो पाई। बाद में बिना बोली के ही 2980 रुपये के रेट में अपनी फसल बेचनी पड़ी। बोली नहीं होने के कारण फसल का उचित भाव नहीं मिल पाया।
किसान धूप सिंह, गांव खांडा निवासी

उचंती पर बेचनी पड़ी फसल

अनाज मंडी में सही तरह से धान की फसल की बोली नहीं हो पाती है।
किसान चुडिय़ा राम  
इसके चलते ज्यादातर किसान उचंती पर ही अपनी फसल बेचने को मजबूर हैं। मैं भी सुबह से अपनी फसल लेकर मंडी में बैठा हुआ हूं लेकिन दोपहर बाद भी बोली शुरू नहीं हो पाई है। सुबह महज दो-तीन घंटे ही धान की बोली हुई थी। इसके बाद दोबारा बोली शुरू नहीं हो पाई है। इसके चलते बिना बोली के उचंती पर ही अपनी फसल बेचनी पड़ी।
किसान चुडिय़ा राम, गांव कंडेला निवासी

महज तीन घंटे ही चल पाई बोली

मंडी में सुबह 11 बजे के लगभग बोली शुरू हुई थी। एक बजे लंच का बहाना बनाकर बोली बंद कर दी। इस
 किसान बलराज  
 दौरान महज तीन-चार दुकानों पर ही बोली हो पाई। अब तीन बज चुके हैं लेकिन बोली दोबारा शुरू नहीं हो पाई है। इसके चलते उचंती पर ही अपनी फसल बेचनी पड़ेगी। इससे पहले भी मैने बिना बोली के ही अपनी फसल बेचनी पड़ी थी।
किसान बलराज, गांव शाहपुर निवासी

सुबह से बोली के इंतजार में बैठा हुआ हूं

किसान सुरेश का फोटो। 

नियमों के अनुसार बोली नहीं होने के कारण सभी दुकानों पर बोली नहीं पहुंच पाती है। इसके चलते ज्यादातर किसानों को उचंती पर ही अपनी फसल बेचनी पड़ती है। सुबह से मैं भी बोली के इंतजार में बैठा हुआ हूं लेकिन बोली नहीं आई है। उचंती पर फसल को खरीदने के लिए खरीदार चक्कर काट रहे हैं। बोली नहीं आने के कारण उचंती पर ही फसल बेचनी पड़ेगी।
किसान सुरेश, गांव श्रीरागखेड़ा निवासी

तीन घंटे में चार दुकानों पर ही पहुंच पाई बोली

शनिवार को जींद की नई अनाज मंडी में 105 नंबर दुकान से सुबह 11 बजे बोली शुरू हुई। इस दौरान बोली 104, 102 व 98 नंबर तक ही हो पाई। इन तीन घंटों में अनाज मंडी की 250 दुकानों में से महज चार दुकानों तक ही बोली पहुंच पाई।

अनाज मंडी में रेस्ट हाउस की तरफ भी नहीं किसानों का रूझान

शहर की अनाज मंडी में किसानों के ठहरने के लिए बनाए गए रेस्ट हाउस की तरफ भी किसानों का रूझान नहीं हो रहा है। इसका कारण यह है कि ज्यादातर किसानों को तो मंडी में बने इस रेस्ट हाउस के बारे में जानकारी ही नहीं। अकसर इस रेस्ट हाउस पर ताला ही लटका रहता है। वहीं मंडियों में साफ-साफाई रखने के लिए भी कृषि मंत्री द्वारा विशेष निर्देश जारी किए गए हैं लेकिन इसके बावजूद भी अनाज मंडी में साफ-सफाई की कोई खास व्यवस्था नहीं है। सड़कों पर जगह-जगह गंदगी पड़ी रहती है।

कृषि मंत्री ने यह दिए हैं आदेश

कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने गत 19 नवंबर को मार्केट कमेटी के उच्च अधिकारियों के साथ हुई मीटिंग के बाद 20 नवंबर को जारी लेटर नंबर 568-573 में आदेश दिए हैं कि प्रदेश की सभी अनाज मंडियों के बाथरूम व टायलेटों की साफ-सफाई की तरफ विशेष ध्यान दिया जाए। अनाज मंडियों में किसानों के रूकने के लिए बनाए गए रेस्ट हाउस का अच्छी तरह से रख-रखाव किया जाए। फसल लेकर मंडी में आने वाले किसानों को मंडी में किसी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए। अनाज मंडियों के गेट पर ही मंडी में आने वाली फसल की रिकोर्डिंग की जाए ताकि मार्केट फीस में किसी प्रकार की गड़बड़ नहीं हो पाए। फसल की बोली को लेकर किसानों को कोई परेशानी नहीं हो, इसके लिए शैड्यूटल के अनुसार सुबह नौ से शाम पांच बजे तक बोली करवाई जाए।

शैड्यूल में नहीं 9 से पांच का टाइम

मार्केट कमेटी के शैड्यूल में नौ से पांच बजे का कोई टाइम टेबल नहीं है। शैड्यूल के अनुसार का मतलब दिन में दो बार बोली से है और हम दिन में दो बार बोली करवाते हैं। सुबह 11 से एक बजे तक तथा एक घंटे के लंच के बाद दोपहर दो से सायं पांच बजे तक बोली करवाई जाती है।
मनोज दहिया, सचिव
मार्केट कमेटी, जींद
कृषि मंत्री द्वारा मार्केट कमेटी सचिवों को भेजा गया आदेश पत्र। 


अनाज मंडी में धान की फसल की सफाई करते मजूदर। 










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