सोमवार, 7 दिसंबर 2015

विश्व मृदा दिवस के लिए विशेष

न मशीन, न स्टाफ कैसे होगी सैंपलों की जांच
कृषि विभाग की मिट्टी-पानी की जांच के जागरूकता अभियान को झटका
16 हजार में से महज 400  सैंपलों की ही हो पाएगी जांच 

नरेंद्र कुंडू 
जींद। कृषि विभाग आज विश्व मृदा दिवस मना रहा है और किसानों को मिट्टी-पानी की जांच करवाने के लिए जागरूक करने का काम कर रहा है लेकिन हकीकत यह है कि कृषि विभाग की प्रयोगशाला में मिट्टी-पानी की जांच के लिए न तो पर्याप्त संसाधन हैं और न ही पूरा स्टाफ है। ऐसे में विभाग के इस जागरूकता अभियान को करारा झटका लग रहा है। क्योंकि विभाग की लैब में किसान जांच के लिए अपने खेत से मिट्टी-पानी तो लेकर आ रहे हैं लेकिन यहां पर किसानों के सैंपलों की जांच नहीं हो पा रही है। क्योंकि जिला कृषि विभाग की
कृषि विभाग की प्रयोगशाला में जांच के लिए आए मिट्टी के सैंपल।   
प्रयोगशाला में मिट्टी-पानी के सूक्ष्म तत्व की जांच के लिए रखी गई मशीन पिछले काफी लंबे अर्से से खराब पड़ी है। ऐसे में यहां जांच के लिए आने वाले सैंपलों की सूक्ष्म तत्वों की जांच नहीं हो पा रही है। वहीं प्रयोगशाला को संभालने के लिए विभाग के पास पर्याप्त स्टाफ भी नहीं है। लैब में न तो अधिकार है और न ही सैंपलों की जांच करने वाले एक्सपर्ट। महज एक कर्मचारी के सहारे विभाग की लैब चल रही है।

16 हजार सैंपल में से जांच के लिए भेजे गए सिर्फ 400

कृषि विभाग की प्रयोगशाला में जिले के विभिन्न गांवों से किसानों द्वारा लगभग १६ हजार सैंपल मिट्टी-पानी की जांच के लिए भेजे गए हैं लेकिन प्रयोगशाला में सैंपलों की जांच के लिए कोई सुविधा नहीं है। यहां पर सिर्फ न तो सैंपलों की जांच के लिए मशीन की सुविधा है और न ही सैंपलों की जांच करने वाले अधिकारी। विभाग की प्रयोगशाला में आए १६ हजार सैंपलों में से महज 400 सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं। यहां पर जांच के लिए सुविधा नहीं होने के कारण इन 400 सैंपलों को भी दूसरे जिलों की प्रयोगशाला में भेजा गया है।

फसल की अच्छी पैदावार के लिए 16 पोषक तत्व की होती है जरूरत 

फसलों की उचित पैदावार के लिए जमीन में 16 पोषक तत्व की आवश्यकता होती है। इनमें जिंक, आयरन, मैगनीज व तांबा जो सूक्ष्म पोषक तत्व हैं। इसके अलावा दूसरे पोषक तत्व नाइट्रोजन, पोटास, फासफोर्स, पोटाश, कैलशियम, मैगनिशियम, सल्फर, बोरोन, मोलीबिडनम व क्लोरीन शामिल हैं। इनमें से कार्बन, हाईट्रोजन, ऑक्सीजन को पौधा हवा व पानी से प्राप्त कर लेता है तथा अन्य पोषक तत्वों को जमीन से ग्रहण करता है। किस पोषक तत्व की जमीन में कमी यह जानने के लिए मिट्टी की जांच करवाई जाती है।

खेत में जिंक की कमी के लक्षण 

खेत में पोषक तत्व की कमी के कारण फसल पर अलग-अलग लक्षण नजर आते हैं। ऐसे में यदि खेत में जिंक की कमी है तो फसल के पत्तों के नीचे लाल चितके जंग के रूप के निशान हो जाते हैं।

खेत में बढ़ रही ऑर्गेनिक कार्बन की कमी 

किसानों द्वारा खेतों में फसलों के बचे हुए अवशेषों को जला दिया जाता है। फसल के बचे हुए अवशेष ऑर्गेनिक कार्बन का सबसे बड़ा स्त्रोत हैं लेकिन किसानों द्वारा यह अवशेष जला देने के कारण ऑर्गेनिक कार्बन भी नष्ट हो जाती है। इससे जमीन की पानी रोकने की क्षमता कम हो जाती है और जमीन के अंदर के सूक्ष्म पोषक तत्व भी नष्ट हो जाते हैं। जमीन की विद्युत चालकता भी कम होती है। इससे जमीन में नमक की मात्रा भी बढ़ जाती है।

खेत में ऑर्गेनिक कार्बन बढ़ाने की विधि 

जमीन में ऑर्गेनिक कार्बन बढ़ाने के लिए किसान गोबर की खाद, बॉयोगैस की खाद, हरी खाद का अधिक से अधिक प्रयोग करें। इन खादों के प्रयोग से जमीन में ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा बढ़ाई जा सकती है।

नमूना लेने की विधि 

भूमि परीक्षण के लिए सबसे महत्वपूर्ण मिट्टी का सही प्रकार से नमूना लेना होता है। नमूना लेने की सही विधि निम्न प्रकार है।
1. जिस खेत का नमूना लेना हो उसमें 5-6 अलग-अलग स्थानों से 15 सैंटीमीटर  का गड्ढ़ा खोदकर खुरपे या कस्सी से नीचे तक की मिट्टी लें।
2. इस मिट्टी को कागज या ट्रे में अच्छी तरह से मिला कर इकठा कर लें। अब मिट्टी को चार भागों में बांटकर आमने-सामने के दो भाग की मिट्टी रख कर बाकी मिट्टी फैंक दें।
3 . आमने-सामने की मिट्टी के दो भागों की मिट्टी को अच्छी तरह मिला कर उसमें से लगभग 250  ग्राम मिट्टी का नमूना थैली में भरकर उस पर अपना नाम, पूरा पता खेत का नंबर व मोबाइल नंबर लिखकर प्रयोगशाला में भेजें।

नमूना लेने में यह रखें सावधानी 

1. नमूना रूढ़ी या कंपोस्ट खाद व खेत की मेढ़ के पास से बिल्कुल न लें।
2. नमूना खेत में उगे किसी पेड़ की जड़ के पास व खड़ी फसलों वाले खेत से नहीं लें।
3. नमूना ऊंची-नीची जगह से न लेकर समतल स्थान से लें।
4. यदि खेत कल्लर से प्रभावित हो तो नमूना तीन फुट गहराई तक, पहले दो नमूनें छह-छह इंच की गहराई से व अगले दो नमूने एक-एक फुट की गहराई से लें
5. बागवानी के लिएखेत से नमूने छह फुट की गहराई तक के गड्ढ़े से सात नमूने इकठा करें।
6. मिट्टी के साथ अपने खेत के पानी के नमूने की जांच भी करवाएं। ट्यूबवैल को आधा घंटा चलाकर प्लास्टिक या कांच की साफ बोतल में नमूना भरें।
बॉक्स
किसान एक-दूसरे की देखादेखी फसल में जरूरत से ज्यादा रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करते हैं। जबकि किसान को जमीन की जरूरत के अनुसार ही रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। विश्व मृदा दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में किसानों को इस बारे में ही जागरूक किया जाएगा और किसानों को मिट्टी हैल्थ कार्ड भी दिए जाएंगे। ताकि किसान अपनी जमीन की आवश्यकता अनुसार ही उसमें रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग कर सकें। जींद की लैब में सूक्ष्म पोषक तत्व की जांच की मशीन खराब है। इसके लिए विभाग के उच्च अधिकारियों को लिखित में शिकायत दी गई है। सरकार द्वारा मिट्टी-पानी की जांच के लिए चलाए गए अभियान को देखते हुए यहां तैनात स्टाफ को उन लैबों में भेज दिया गया जहां पर सूक्ष्म पोषक तत्व की जांच की सुविधा है। ताकि उन लैबों में आ रहे सैंपलों की समय पर जांच की जा सके।
डॉ. धर्मपाल बजाज, सहायक मृदा परीक्षण अधिकारी
मिट्टी-पानी जांच प्रयोगशाला, जींद 



कृषि विभाग की प्रयोगशाला में जांच के लिए आए मिट्टी के सैंपल।   


जींद-पानीपत रेलवे लाइन पर अंडर पास बनने का रास्ता साफ

12 करोड़ ३९ लाख से बनेगा अंडर पास
अंडर पास बनाने के लिए रेलवे ने जिला प्रशासन को भेजा एस्टीमेट
अंडर पास की प्रथम प्रक्रिया के लिए जिला प्रशासन को जमा करवाने होंगे 19 लाख
अंडर पास बनने से शहरवासियों को जाम से मिलेगी निजात

नरेंद्र कुंडू 
जींद। शहर के मिनी बाईपास पर जींद-पानीपत रेलवे लाइन पर अंडर पास बनने का रास्ता साफ हो गया है। रेलवे ने अंडर पास बनाने का एस्टीमेट तैयार कर जिला प्रशासन को सौंप दिया है। अंडर पास के निर्माण पर लगभग 12 करोड़ 39 लाख रुपये का खर्च आएगा। अंडर पास के निर्माण की प्रक्रिया शुरू करवाने के लिए जिला प्रशासन को रेलवे को 19 लाख रुपये जमा करवाने होंगे। इसके बाद रेलवे द्वारा अंडर पास के निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। अंडर पास का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद शहर के लोगों को जाम से निजात मिलेगी और पिछले दो वर्षों से अंडर पास का निर्माण नहीं होने के कारण रद्द पड़े मिनी बाईपास पर वाहनों का आवागमन शुरू हो पाएगा।

यह है पूरा मामला 

जींद शहर के लोगों को जाम से निजात दिलवाने के लिए तीन जून 2012 को जींद की नई अनाज मंडी में हुई कांग्रेस की विकास रैली में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र ङ्क्षसह हुड्डा ने मिनी बाईपास के निर्माण की घोषणा की थी। शहर के सफीदों रोड से बस स्टैंड के पास से रजवाहे के ऊपर से होते हुए यह मिनी बाईपास भिवानी रोड पर निकाला गया है। मार्च २०१३ में इस मिनी बाईपास का निर्माण कार्य पूरा हो गया था लेकिन मिनी बाईपास के बीच में पडऩे वाली जींद-पानीपत तथा दिल्ली-जींद रेलवे लाइन पर अंडर पास या ओवर ब्रिज नहीं बनाए जाने के कारण यह आज तक शुरू नहीं हो पाया है। मिनी बाईपास पर अंडर पास बनवाकर इसे शुरू करवाना शहर के लोगों की मुख्य मांग थी।

अब ऐसे चलेगी आगामी कार्रवाई  

रेलवे द्वारा जींद-पानीपत रेलवे लाइन पर अंडर पास बनाने के लिए प्रोजैक्ट तैयार कर जिला प्रशासन को भेज दिया गया है। रेलवे द्वारा अंडर पास बनाने के लिए 12 करोड़ 39 लाख रुपये का एस्टीमेट तैयार किया गया है। जिला प्रशासन को रेलवे के पास अभी 19 लाख रुपये जमा करवाने है। अब जिला प्रशासन द्वारा सरकार से 19 लाख रुपये की ग्रांट लेने के लिए प्रोजैक्ट को बीएंडआर के एसई को भेजा जाएगा। यहां से इस प्रोजैक्ट को चंडीगढ़ भेजा जाएगा। इसके बाद सरकार द्वारा इस प्रोजैक्ट को मंजूर कर रेलवे को ग्रांट भेजी जाएगी।

प्रदेश सरकार को ही उठाना होगा अंडर पास का पूरा खर्च

रेलवे के नियमों के अनुसार यदि रेलवे ट्रैक पर कोई फाटक हो तो वहां पर अंडर पास या ओवर ब्रिज बनाने का आधा खर्च सरकार को देना पड़ता है और आधा खर्च रेलवे उठाता है लेकिन मिनी बाईपास पर कोई फाटक नहीं लगती और यहां पर अंडर पास बनाने का प्रोजैक्ट प्रदेश सरकार का है। इसलिए इस अंडर पास के निर्माण पर आने वाला पूरा खर्च प्रदेश सरकार को ही उठाना पड़ेगा।

जल्द से जल्द अंडर पास का निर्माण करवाना हमारी प्राथमिकता 

जींद-पानीपत रेलवे लाइन पर अंडर पास बनाने के लिए रेलवे द्वारा प्रोजैक्ट तैयार कर भेजा गया है। अंडर पास के निर्माण पर 12 करोड़ 39 लाख रुपये का खर्च आएगा। इसके निर्माण की प्रथम चरण की प्रक्रिया शुरू करवाने के लिए जिला प्रशासन की तरफ से रेलवे को 19 लाख रुपये जमा करवाए जाने हैं। इसके लिए प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। जल्द ही सरकार से यह ग्रांट मंजूर करवाकर रेलवे को भेज दी जाएगी और अंडर पास का निर्माण कार्य शुरू करवा दिया जाएगा। अंडर पास पर जल्द से जल्द निर्माण कार्य शुरू करवाना हमारी प्राथमिकता है।
विनय कुमार, डीसी
जींद

अन्ना टीम के प्रयास लाए रंग 

मिनी बाईपास पर अंडर पास बनवाने के मामले को अन्ना टीम काफी प्रमुखता से उठा रही थी। अन्ना टीम द्वारा इस मांग को लेकर जिला प्रशासन के आला अधिकारियों से लेकर प्रदेश के मंत्रियों से लेकर रेलवे मंत्री तथा रेलवे विभाग के आला अधिकारियों तक को कई बार ज्ञापन दिए गए थे। वहीं अन्ना टीम द्वारा अंडर पास के निर्माण के लिए मिनी बाईपास पर धरना भी दिया गया था। अन्ना टीम व शहर के लोगों के कड़े प्रयासों के बावजूद अंडर पास का प्रोजैक्ट तैयार हो पाया है।
हितेश, हिंदुस्तानी, कार्यकत्र्ता
अन्ना टीम

 जींद-पानीपत रेलवे लाइन से होकर गुजरते वाहन चालक।
 डीसी विनय ङ्क्षसह का फोटो।
 अन्ना टीम के कार्यकत्र्ता हितेश हिंदुस्तानी का फोटो।
स्थानीय निवासी अमित का फोटो।

रविवार, 25 अक्तूबर 2015

उम्र 19 और 50 से ज्यादा प्रतियोगिताओं में मनवा चुकी है लोहा

हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी की कनिष्का ने पेंटिंग में हासिल किया गवर्नर अवार्ड
कन्या भ्रूण हत्या व नशाखोरी है मुख्य विषय 
माता-पिता को भी है अपनी बेटियों पर नाज

नरेंद्र कुंडू
जींद। कहते हैं कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। इस कहावत को सिद्ध कर रही है शहर की हाऊङ्क्षसग बोर्ड कॉलोनी निवासी कनिष्का। कनिष्का बहुमुखी प्रतिभा की धनी है और पेटिंग के क्षेत्र में काफी महारत हासिल कर चुकी है। राजकीय प्रियदर्शनी इंदिरा गांधी महिला महाविद्यालय की बीएससी अंतिम वर्ष की छात्रा कनिष्का महज 19 वर्ष की उम्र में 50 के करीब प्रतियोगिताओं में प्रतिभागिता कर चुकी है। तीसरी कक्षा से ही कनिष्का ने प्रतियोगिताओं में प्रतिभागिता शुरू कर दी थी। अपनी प्रतिभा के दम पर कनिष्का ने वर्ष 2014 में राज्य स्तर पर आयोजित हुई पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर गवर्नर अवार्ड भी हासिल किया था। पेंटिंग के साथ-साथ पढ़ाई के क्षेत्र में भी कनिष्का काफी रुचि है। कनिष्का की एक खास बात यह भी है कि पेंटिंग प्रतियोगिताओं में उसका सबसे खास विषय कन्या भ्रूण हत्या तथा नशाखोरी रही है। कनिष्का अपनी पेंटिंग के माध्यम से  कन्या भ्रूण हत्या तथा नशाखोरी पर कटाक्ष करती रहती है। कनिष्का के परिवार में माता-पिता के साथ-साथ उसकी एक छोटी बहन राधिका भी है। कनिष्का के पिता नरेश तायल शहर में एक कॉरियर कंपनी चलाते हैं, वहीं इसकी मम्मी मीनू तायल शहर के ही गोपाल स्कूल में साइंर्स टीचर है। 

तीसरी कक्षा से ही शुरू हो गया था प्रतियोगिताओं में शामिल होने का सफर

कनिष्का का कहना है कि बचपन से ही उसकी पेंटिंग के प्रति काफी रुचि रही है। जब वह गोपाल स्कूल में तीसरी कक्षा की छात्रा थी तो उस समय जिला स्तर पर आयोजित हुई पेंटिंग प्रतियोगिता में उसने पहली बार भाग लिया था। इस प्रतियोगिता में उसने जिलेभर में प्रथम स्थान हासिल किया था। इसके बाद पांचवीं कक्षा में उसने क्वीज प्रतियोगिता में राज्य स्तर पर प्रथम, सातवीं कक्षा में साईंस प्रतियोगिता में जोन स्तर पर तीसरा, योग प्रतियोगिता में प्रदेश में प्रथम स्थान हासिल किया था। इसके बाद तो कनिष्का की सफलता का सफर शुरू हो गया। कनिष्का ने बताया कि प्रतियोगिताओं में भाग लेना उसे काफी पसंद है और वह अभी तक पेंटिंग, डिबेट, पोस्टर मेकिंग, स्लोगन, साइंर्स, क्वीज, योग जैसे इवेंट में 50 के करीब प्रतियोगिताओं में शामिल हो चुकी है। प्रत्येक प्रतियोगिता में उसे कोई ने कोई स्थान जरुर मिला है। कॉलेज में भी वह समय-समय पर आयोजित होने वाली प्रतियोगिताओं में भाग लेती रहती है। 
  कन्या भ्रूण हत्या पर पेंटिंग तैयार करती छात्रा कनिष्का।

पेंटिंग के बल पर हासिल किया गवर्नर अवार्ड 

इलेक्शन कमीशन द्वारा वर्ष 2014 में राज्य स्तर पर पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। कनिष्का ने भी इस प्रतियोगिता में भाग लिया था। इस प्रतियोगिता में कनिष्का ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और इलेक्शन कमीशन द्वारा कनिष्का की पेंटिंग को गवर्नर अवार्ड के लिए चुना गया। तत्कालीन राज्यपाल महामहिम जगननाथ पहाडिया द्वारा कनिष्का को गवर्नर अवार्ड से सम्मानित किया गया था। कनिष्का ने बताया कि उसकी सफलता का श्रेय उसके माता-पिता तथा उसके ड्राइंर्ग अध्यापक दीपक कौशिक को जाता है। दीपक कौशिक ने उसकी प्रतिभा को पहचान कर निखारने का काम किया है। 

माता-पिता को है बेटियों पर है नाज 

कनिष्का की मां मीनू तायल व पिता नरेश तायल का कहना है कि उन्हें दो बेटियां हैं। उन्हें इस बात का भी कतई मलाल नहीं है कि उनके पास बेटा नहीं है। क्योंकि उन्हें अपनी बेटियों पर गर्व है। उनकी बेटियों ने कभी उन्हेें बेटे की कमी महशूस नहीं होने दी। वे अपनी दोनों बेटियों को बेटों से भी बढ़कर प्यार करते हैं तथा दोनों बेटियों का पालन-पोषण बिल्कुल बेटों की तरह कर रहे हैं। नरेश तायल व मीनू तायल ने बताया कि आज उनकी दोनों ही बेटियां उनका नाम रोशन कर रही है। बड़ी बेटी कनिष्का जहां गवर्नर अवार्ड हासिल कर चुकी है, वहीं उनकी छोटी बेटी राधिका भी बड़ी बहन के पदचिह्नों पर चलते हुए राष्ट्रपति को पेंटिंग भेंट कर चुकी है।