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पिता के ‘बलिदान’ से बेटे के राजनीतिक सफर की शुरूआत

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दीनबंधु छोटू राम व बीरेंद्र सिंह की राजनीतिक विरासत संभालेंगे बृजेंद्र सिंह 21 साल की सेवाओं के बाद 13 साल पहले ही सरकारी सेवाओं को कहा अलविदा जींद, 14 अप्रैल (नरेंद्र कुंडू):- हरियाणा के वरिष्ठ नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह की अगली पीढ़ी ने परिवार की राजनीतिक विरासत संभाली है। बीरेंद्र सिंह के आईएएस बेेटे बृजेंद्र सिंह हिसार सीट से लोकसभा चुनाव में उतर कर अपना राजनीतिक सफर शुरू करेंगे। उनका यह सफर पिता चौधरी बीरेंद्र सिंह के केंद्रीय मंत्री पद और राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफे के ‘बलिदान’ से शुरू हुआ है। अब हिसार की जनता बृजेंद्र के राजनीतिक तकदीर का फैसला करेगी, लेकिन वह दीनबंधु सर छोटूराम की राजनीति विरासत की अगली कड़ी बन गए हैं। आईएएस अधिकारी बृजेंद्र सिंह रिटायरमेंट से करीब 13 साल पहले ही नौकरी छोडक़र सक्रिय राजनीति में आए हैं। वह चंडीगढ़, फरीदाबाद और पंचकूला में जिला उपायुक्त (डीसी) रह चुके बृजेंद्र सिंह ने 21 साल की सेवाओं के बाद वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) के लिए आवेदन कर दिया है। 73 साल के हो चुके चौधरी बीरेंद्र सिंह भाजपा में किसी पद पर नहीं रहेंगे, लेकिन सक्रिय राजनीत

पिता के बाद अब बेटे पर हिसार जीतने की जिम्मेदारी

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भाजपा ने हिसार में पहली बार कमल खिलाने के लिए बृजेंद्र सिंह को उतारा मैदान में  केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के आइएएस बेटे बृजेंद्र सिंह हिसार से की राजनीति पारी की शुरूआत जींद, 14 अप्रैल (नरेंद्र कुंडू):- हिसार में पहली बार कमल खिलाने के लिए भाजपा ने केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के आईएएस बेटे बृजेंद्र सिंह को हिसार लोकसभा से अपना उम्मीदवार घोषित किया है। उचाना हलका हिसार लोकसभा में आता है। केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह भी हिसार से सांसद रह चुके हैं। 1984 में ओमप्रकाश चौटाला को हरा कर वो कांग्रेस की टिकट पर सांसद बने थे। बृजेंद्र सिंह के राजनीति में आने के कई महीनों से कयास लगाए जा रहे थे। अब भाजपा द्वारा हिसार से उम्मीदवार बनाए जाने पर भाजपा में केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पकड़ को भी साबित करना का काम किया है।   परीक्षा में ऑल इंडिया में पाया था 9वां स्थान बृजेंद्र सिंह ने ऑल इंडिया में आईएएस परीक्षा में 9वां स्थान प्राप्त किया था। 26 साल की उम्र में आईएएस बनने के बाद पहली ज्वाइनिंग नारनौल एसडीएम के तौर पर हुई थी। सिरसा एडीसी पद पर रहे। पंचकूला, फरीदाबाद, चंडीगढ़ म

देश की सबसे बड़ी पंचायत में महिलाओं की नहीं हो पा रही भागीदारी

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50 साल में लोकसभा तक पहुंच पाई केवल पांच महिलाएं   जींद, 18 मार्च (नरेंद्र कुंडू):- हरियाणा में नारी सशक्तीकरण के दावों के बीच लोकसभा चुनावों का इतिहास करारा झटका देने वाला है। देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद में महिलाओं को भेजने के लिए न तो सियासी दलों ने कोई खास तवज्जो दी और न ही मतदाताओं ने दरियादिली दिखाई। यहां पिछले 50 वर्षों में केवल पांच महिलाएं ही लोकसभा तक पहुंच पाई हैं। वह भी पारिवारिक सियासी रसूख और राष्ट्रीय दलों के टिकट के बल पर। निर्दलीय कोई महिला आज तक हरियाणा से संसद नहीं पहुंची है। कांग्रेस की चंद्रावती, कुमारी सैलजा और श्रुति चौधरी, भाजपा की सुधा यादव और इनेलो की कैलाशो सैनी ही हरियाणा गठन (एक नवंबर 1966) के बाद इस दौरान लोकसभा में पहुंच पाईं। प्रदेश से पहली महिला सांसद बनने का गौरव जनता पार्टी की चंद्रावती के नाम है। उन्होंने 1977 में चौधरी बंसीलाल को हराया था। इस दौरान प्रदेश से चुने गए 151 सांसदों में (जब यह पंजाब का हिस्सा था, तब से) महिलाओं को केवल आठ बार ही चुना गया। करनाल, रोहतक, हिसार, फरीदाबाद, गुरुग्राम और सोनीपत ने आज तक एक बार भी किसी महिला को संसद में

देश में सत्ता परिवर्तन की धुरी बना था हरियाणा

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1989 में कांग्रेस के किले को तोड़ तत्कालीन सीएम चौ. देवीलाल ने देश में किया था सत्ता परिवर्तन  चौधरी देवीलाल ने विपक्षी दलों को एकजुट कर कांग्रेस को किया था सत्ता से बाहर जींद, 18 मार्च (नरेंद्र कुंडू):- 10 लोकसभा सीटों वाला छोटा सा प्रदेश हरियाणा राजनीति में अपना एक विशेष स्थान रखता है। जब भी देश में सत्ता परिवर्तन हुआ है उसमें हरियाणा का विशेष योगदान रहा है। राजनीति के इतिहास में 1989 में देश में हुए सत्ता परिवर्तन की धुरी महज 10 लोकसभा सीटों वाला हरियाणा प्रदेश बना था। प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल ने देश में पूरे विपक्ष को एकजुट कर केंद्र से राजीव गांधी और कांग्रेस पार्टी को सत्ता से बाहर करने में अहम भूमिका निभाई थी।  यहां बताते चलें कि 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने पूरे देश में क्लीन स्वीप करते हुए भारत के संसदीय चुनावों की सबसे बड़ी जीत हासिल की थी। राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने थे और 5 साल बाद 1989 में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी और राजीव गांधी को संयुक्त विपक्ष के

आसान नहीं है हिसार संसदीय क्षेत्र की जनता की तासीर को समझना

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--कभी लाखों में तो कभी कड़े मुकाबले में हुआ है जीत का फैसला --सन् 1967 से 2014 तक 4 बार जीत का फासला रहा लाख से ज्यादा जींद, 16 मार्च (नरेंद्र कुंडू):- हिसार संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं ने कभी एक तरफा चुनावी जीत की ईबारत लिखी तो कभी इतने कड़े मुकाबले बना दिए कि मतगणना के अंतिम दौर में जाकर जीत तय हो पाई। इस संसदीय क्षेत्र में 1967 से 2014 तक हुए चुनावों में 4 बार जीत का फासला एक लाख मतों से ज्यादा रहा तो कई बार जीत का फासला 10 हजार से भी कम मतों का रहा। इस संसदीय क्षेत्र के मतदाता कभी राजनीतिक आंधी के साथ चलते नजर आए तो कभी उन्होंने मुकाबले को इतना फंसा दिया कि सब चुनावी नतीजे देखकर हैरान रह गए। जब हिसार के मतदाता राजनीतिक आंधी के साथ चले तो यहां जीत का फासला लाखों मतों तक पहुंच गया और जब उन्होंने चुनाव को फंसाया तो ऐसा फंसाया कि जीत का फासला विधानसभा चुनावों की तरह महज कुछ हजार मतों पर आकर सिमट गया। हिसार संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं की यही तासीर अब 12 मई को होने वाले लोकसभा चुनावों में यहां के चुनावी दंगल में उतरने वाले प्रत्याशियों और उनके दलों की धड़कनें बढ़ाने का काम अभी से कर रह

लोकसभा चुनाव का बिगुल बजते ही अपने-पराये के उठने लगे स्वर

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सोनीपत संसदीय क्षेत्र की जनता ने 9 बार जाट तो 2 बार गैर जाट नेताओं को दिया मौका सोनीपत लोकसभा सीट पर निर्दलिय उम्मीदवार के तौर पर अरविंद्र शर्मा के नाम है जीत का रिकार्ड जींद, 16 मार्च (नरेंद्र कुंडू):-   लोकसभा चुनाव का बिगुल बजते ही एक बार फिर 'अपने' और 'पराये' की चर्चा तेज हो चली है। जाट बहुल सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में अब तक ज्यादातर जाट उम्मीदवार ही सांसद बने हैं लेकिन निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज करने वाले अरविंद शर्मा और निवर्तमान सांसद रमेश कौशिक के रूप में दो सांसद ऐसे भी हैं जो गैर-जाट होते हुए भी जीत दर्ज कर पाए। ऐसी बात भी नहीं है कि केवल जातिवाद के दम पर ही यहां पर कोई उम्मीदवार सांसद बन गया, लेकिन काफी हद तक यह फैक्टर अपना असर जरूर दिखाता है। सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में अब तक 11 बार चुनाव हुए हैं जिसमें से 9 बार जाट उम्मीदवार को ही जीत मिली है। 1996 में यहां से निर्दलीय उम्मीदवार अरविंद शर्मा को जीत मिली थी। इस चुनाव में अरविंद शर्मा को 2 लाख 31 हजार 552 और रिजक राम को 1 लाख 82 हजार 201 वोट मिले थे। 1998 में यहां से हरियाणा लोकदल के किशन सिंह सां

जातिवादी कार्ड खेलना पड़ेगा भारी, होगा बड़ा एक्शन

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दोष साबित होने पर छह महीने से दो साल के लिए जेल की हवा जींद, 16 मार्च (नरेंद्र कुंडू):- हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हिंसा और डेरा सच्चा सौदा प्रकरण को लोकसभा चुनाव में भुनाने की रणनीति पर चल रहे सियासी दलों पर चुनाव आयोग की नजर टेढ़ी हो गई है। आम चुनाव में अगर किसी भी प्रत्याशी ने जाट बनाम गैर जाट या फिर जातिवाद और धर्म का कार्ड खेला तो उसकी उम्मीदवारी खत्म हो सकती है। दोष साबित होने पर छह महीने से दो साल तक के लिए जेल की हवा भी खानी पड़ेगी। प्रदेश की सियासत में जब-तब जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हिंसा का मामला तूल पकड़ता रहा है। लोकसभा चुनाव का शेड्यूल जारी होते ही एक बार फिर से विभिन्न सियासी दलों से जुड़े दिग्गज एक-दूसरे पर हिंसा का ठीकरा फोड़ते हुए अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश में जुट गए हैं। इस पर संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने ऐसे नेताओं पर निगरानी बढ़ा दी है। कहीं भी जाति, धर्म, नस्ल, समुदाय या भाषा के आधार पर कोई प्रत्याशी या राजनेता मतदाताओं को प्रभावित करता दिखा तो इसे आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा। जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123 (3) के तहत किसी उम्मी

इस बार हरियाणा में रोचक होंगे चुनावी मुकाबले

खेल जगत, फिल्मी सितारे व केंद्रीयी मंत्री चुनावी रण के लिए तैयार  जींद, 15 मार्च (नरेंद्र कुंडू): - राष्ट्रीय राजनीति में अपना पूरा दखल रखने वाले हरियाणा में इस बार रोचक चुनावी मुकाबले होने के आसार हैैं। छठे चरण में चुनाव की वजह से हालांकि राजनीतिक दल अपनी-अपनी पार्टियों के उम्मीदवारों का ऐलान देर से कर सकते हैैं, लेकिन टिकट के तलबगारों ने अपने प्रयासों में कोई कमी नहीं छोड़ रखी है। इस बार के चुनाव में कई बड़े चेहरे हरियाणा में वोट मांगते दिखाई दे सकते हैैं। इनमें खेल जगत और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी हस्तियां भी शामिल हैैं। राज्य की 10 लोकसभा सीटों पर 12 मई को वोट पड़ेंगे। नामांकन भरने की आखिरी तारीख 23 अप्रैल है। फिलहाल सात लोकसभा सीटों पर भाजपा, एक पर कांग्रेस, एक इनेलो और एक सीट पर जननायक जनता पार्टी (पूर्व में इनेलो) का कब्जा है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा और हजकां के बीच राजनीतिक गठजोड़ था, जो विधानसभा चुनाव में टूट गया था। भाजपा के हिस्से में तब आठ लोकसभा सीटें आई थी, जिनमें से वह रोहतक छोड़कर बाकी सात सीटें जीत गई थी और हजकां अपने हिस्से की हिसार व सिरसा लोकसभा सीटें हार गई

हिसार संसदीय क्षेत्र में आज तक नहीं खिला 'कमल'

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भाजपा के लिए बंजर जमीन रहा है हिसार संसदीय क्षेत्र  7-7 बार कांग्रेस और देवीलाल के परिवार वाली पार्टी को जीत हुई हासिल  जींद, 15 मार्च (नरेंद्र कुंडू):- प्रदेश में सिरसा के बाद हिसार ऐसा संसदीय क्षेत्र है जिसमें आज तक कमल का फूल कभी नहीं खिला है। इस संसदीय क्षेत्र में अब तक हुए चुनावों में 7 बार कांग्रेस और 7 बार चौधरी देवीलाल के परिवार वाली पार्टी को जीत हासिल हुई है। बीच में हरियाणा विकास पार्टी और जनहित कांग्रेस को भी हिसार के मतदाताओं ने मौका देने का काम किया लेकिन इस सीट पर भाजपा एक बार भी जीत हासिल नहीं कर पाई है। हिसार, भिवानी और जींद जिले में फैला हिसार संसदीय क्षेत्र कांग्रेस तथा चौधरी देवीलाल के परिवार वाली पाॢटयों का ही मजबूत राजनीतिक गढ़ रहा है। इस संसदीय क्षेत्र में 1952 से 2014 तक हुए 16 लोकसभा चुनावों में ज्यादातर में मुकाबले कांग्रेस पार्टी तथा चौधरी देवीलाल के परिवार वाली पाॢटयों के बीच ही हुए हैं। पहले जनसंघ और उसके बाद बनी भारतीय जनता पार्टी इस संसदीय क्षेत्र में कभी भी खुद को साबित नहीं कर पाई और इस संसदीय क्षेत्र में कभी जनसंघ का दीपक नहीं जल पाया और बाद मे

हिसार लोकसभा सीट पर इस बार राजनेताओं की होगी अग्निपरीक्षा

इस बार हिसार लोकसभा में बदले राजनीतिक समीकरण   हजकां-कांग्रेस एक साथ तो इनेलो दो टुकड़ों में बंटी, भाजपा भी कमल खिलाने के लिए लगाएगी एडी-चोटी का जोर 2014 में भजन लाल व देवीलाल परिवारों की प्रतिष्ठा थी दाव पर, भजन लाल परिवार को हार का करना पड़ा था सामना जींद, 14 मार्च (नरेंद्र कुंडू):- हरियाणा में लोकसभा चुनाव में रोहतक के बाद सबसे ज्यादा हॉट सीट हिसार की है। हालांकि पिछले लोकसभा चुुनाव में हिसार संसदीय सीट सबसे ज्यादा हॉट सीट थी और यहां पर कई राजनीतिक परिवारों की प्रतिष्ठा दांंव पर लग गई थी। यहां पर इनेलो के दुष्यंत चौटाला ने जीत दर्ज की थी, दुष्यंत चौटाला ने हाल ही में अपनी नई पार्टी जेजेपी बनाई है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो हिसार में चौटाला परिवार और भजनलाल परिवार के बीच सीधी टक्कर थी। इस बार फिर से यहां पर टक्कर कांटे की होने की संभावना है। पिछले चुनाव में हिसार में चुनावी दंगल में कांग्रेस सांसद की दौड़ से बाहर हो गई थी और जमानत भी नहीं बचा पाई थी। दरअसल 2004 के परिसीमन के बाद हिसार लोकसभा का स्वरुप बहुत बदल गया था। पहले पूरा जींद जिला इस लोकसभा में था जिसम

लोकसभा में जींद के नेताओं के लिए "लक्ष्मण रेखा" बनी परिसीमन

तीन लोकसभा क्षेत्रों में बंटे होने के कारण लोकसभा में कम हुआ जींद जिले का महत्व जींद, 13 मार्च (नरेंद्र कुंडू):- लोकसभा में जींद के नेताओं के लिए परिसीमन एक तरह से 'लक्ष्मण रेखा' बनी हुई है। जींद जिले के तीन लोकसभा क्षेत्रों में बंटा होने के कारण जींद जिले के नेता इस परिसीमन की इस लक्ष्मण रेखा को नहीं लांघ पा रहे हैं। 2004 के लोकसभा चुनावों के बाद लागू हुए परिसीमन ने जींद जिले के नेताओं की लोकसभा में एंट्री पूरी तरह से रोक दी है। नए परिसीमन में जिले को तीन संसदीय क्षेत्रों में बांट दिए जाने से लोकसभा चुनावों में जींद जिले का राजनीतिक महत्व कम हो गया है। जिले के 5 विधानसभा क्षेत्रों को नए परिसीमन में सिरसा, हिसार और सोनीपत संसदीय क्षेत्रों में बांट हुआ है। नए परिसीमन के बाद हुए लोकसभा चुनावों में जींद जिले के नेताओं को प्रमुख दलों ने अपनी टिकट देने से लगभग परहेज ही किया और किसी दल ने टिकट दे भी दी तो उस दल की बात लोकसभा चुनाव में नहीं बन पाई। साल 2004 में नए परिसीमन से पहले हुए लोकसभा चुनावों तक जींद जिले के नेता लोकसभा में निश्चित रूप से दस्तक देते थे। हिसार संसदीय क्षेत्र

बड़ा चेहरा होने के बावजूद जींद के लोगों ने रणदीप सिंह सुरजेवाला को नकारा

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कांग्रेस की एकजुटता पर सवाल खड़ा कर गया उपचुनाव जींद, 31 जनवरी (नरेंद्र कुंडू):- उपचुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार का कारण कहीं न कहीं कांग्रेस की एकजुटता पर सवाल खड़े कर गया। उपचुनाव में जितने भी उम्मीदवार थे, रणदीप सिंह सुरजेवाला का कद उन सबसे बड़ा था। इसके बावजूद उनका तीसरे नंबर पर आना यह साबित करता है कि विधायक होने के बावजूद दोबारा चुनाव लडऩे के कारण लोगों ने रणदीप सिंह सुरजेवाला को नकार दिया। सभी कांग्रेसी नेताओं के एक मंच पर आने के कारण भी कांग्रेस कार्यकर्ता ज्यादा उत्साह में आ गए थे और अपनी जीत पक्की मानकर चल रहे थे, यह भी हार का बड़ा कारण माना जा रहा है। जिस समय रणदीप सिंह सुरजेवाला का नाम कांग्रेस ने जींद उपचुनाव में घोषित किया तो सभी तरफ यह बात थी कि इतने बड़े चेहरे को कांग्रेस ने चुनाव मैदान में उतारकर यह उपचुनाव जीतना सुनिश्चित कर लिया है। उसके बाद उनके नामांकन के समय सभी कांग्रेसी नेताओं का एक साथ आने से भी यह तय हो गया था कि अब कांग्रेस इस रण को जीत लेगी। रणदीप सिंह सुरजेवाला का बाकी नेताओं के मुकाबले राजनीतिक प्रोफाइल बड़ा है। इस कारण भी कांगे्रस कार्यकर्ता

सत्ता के सेमीफाइनल में भाजपा की पीच पर डॉ. कृष्ण मिढ़ा ने मारा अर्द्धसतक

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भाजपा के कृष्ण मिढ़ा ने जजपा के दिग्विजय चौटाला को हराया जमानत भी नहीं बचा पाए लोसुपा के प्रत्याशी विनोद आशरी व इनेलो के प्रत्याशी उमेद सिंह रेढू भाजपा को शहरों के अलावा गांवों से भी मिले वोट, जींद की जनता नेे बाहरी प्रत्याशियों को नकारा सांसद राजकुमार सैनी नहीं बन सके पिछड़ों का चेहरा  जींद, 31 जनवरी (नरेंद्र कुंडू):- जींद में पहली बार कमल खिला। भाजपा प्रत्याशी डॉ. कृष्ण लाल मिड्ढा ने 50 हजार 566 वोट लेकर निकटतम प्रतिद्वंद्वी जनननायक जनता पार्टी के दिग्विजय सिंह चौटाला को 12 हजार 935 वोटों से हराया। जेजेपी उम्मीदवार को 37 हजार 631 वोटों के साथ दूसरे और कांग्रेस के हैवीवेट उम्मीदवार रणदीप सिंह सुरजेवाला को 22 हजार 740 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा। भाजपा के बागी सांसद राजकुमार सैनी की पार्टी लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के उम्मीदवार विनोद आशरी ने 13 हजार 582 वोट लेकर इनेलो के उमेद सिंह रेढ़ू को पांचवें स्थान पर धकेल दिया। उपचुनाव में कुल 21 उम्मीदवार थे जिनमें से पांच प्रत्याशी मतों का सैंकड़ा भी पार नहीं कर सके। 345 वोट लेकर नोटा (पसंद नहीं) 15 उम्मीदवारों से आगे रहा। पांच

बांगर की धरती पर 52 सालों में पहली बार खिला कमल

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--भाजपा प्रत्याशी डॉ. कृष्ण मिढ़ा 12935 वोटों से विजयी, लोसुपा प्रत्याशी की जमानत जब्त --विरोधी दलों ने लगाए ईवीएम में गड़बड़ी के आरोप  जीत हासिल करने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते भाजपा प्रत्याशी डॉ. कृष्ण मिढ़ा। जींद, 31 जनवरी (नरेंद्र कुंडू):- हरियाणा की सत्ता का सेमीफाइनल माने जा रहे जींद विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा ने भारी मतों से जीत हासिल की है। हरियाणा के इतिहास में 52 सालों में जींद की धरती पर पहली बार कमल खिला है। भाजपा प्रत्याशी डॉ. कृष्ण मिढ़ा ने 12935 वोटों से जीत हासिल कर दिग्गज नेताओं को पटखनी देकर राजनीति के अध्याय में नया इतिहास रचने का काम किया है। इससे पूर्व जींद विधानसभा की सीट पर कांग्रेस व इनैलो का कब्जा रहा है। स्वयं डॉ. कृष्ण मिढ़ा के पिता स्वर्गीय डॉ. हरिचंद मिढ़ा इनैलो की टिकट पर दो बार जींद विधानसभा से विधायक रहे हैं। सत्ता के इस सेमीफाइनल को जीत कर भाजपा ने विरोधी दलों को एक बड़ा संदेश देने का काम किया है। वहीं विरोधियों ने ईवीएम में गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं। जींद उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रणदीप सिंह सुरजेवाला जमानत जब्त होने से बाल-बाल

हरियाणा की सियायत में हर बार कांग्रेस के लिए तारणहार बने रणदीप सुरजेवाला

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पांचवीं बार आमने-सामने होगा चौटाला व रणदीप परिवार एक मंच पर दिखे कांग्रेस दिग्गिज, पर साथ निभाने पर दारमदार  जींद, 10 जनवरी (नरेंद्र कुंडू):-   जब-जब भी कांग्रेस मुश्किल दौर से गुजरी है तब-तब रणदीप सिंह सुरेजवाला कांग्रेस के लिए तारणहार बनकर आए हैं। रणदीप सिंह सुरजेवाला ने हर बार मुश्किल की घड़ी में कांग्रेस की नैया को मझधार से निकाल कर पार लगाने का काम किया है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के शासन काल में गुरुग्राम में हुए मारुती कांड के दौरान उठे बवाल के दौरान रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस विवाद को निपटा कर कांग्रेस की शाख को बचाने का काम किया था। मारुती कांड के दौरान काफी बड़ा बवाल गुरुग्राम में हुआ था और उद्योगिक क्षेत्रों ने यहां से पलायन का निर्णय ले लिया था। इसके बाद जाट आरक्षण के दौरान भी हरियाणा में कांग्रेस को काफी विदोह का सामना करना पड़ा था। जगह-जगह जाटों ने आंदोलन शुरू करते हुए धरने-प्रदर्शन किए थे। इसके चलते रेलवे टै्रक तक जाम हो गए थे। जाट आंदोलन के दौरान बसें ही नहीं ट्रेनों के पहिए तक थम गए थे। जाट आंदोलन के दौरान भी रणदीप सिंह सुरजेवाला कांग्रेस के लिए संकट मोचन के रूप में सा

नामांकन भरने के दौरान खूब चले सियासी तीर

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कांग्रेस और जजपा ने बढ़ाई भाजपा की मुश्किलें शहरी व गांव की पृष्टभूमि में उलझी सियासत जींद, 10 जनवरी (नरेंद्र कुंडू):- आगामी 28 जनवरी को जींद में होने वाले विधानसभा के उपचुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है। वीरवार को नामांकन दाखिल करवाने का अंतिम दिन होने के कारण इनैलो, कांग्रेस और जजपा ने भी अपने चुनावी घोड़े मैदान में उतार दिए। जींद उपचुनाव को आगामी विधानसभा का सैमीफाइनल माना जा रहा है। इसी के चलते सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत इस उपचुनाव में झौंक दी है। कांग्रेस व जजपा ने अपनी प्रतिष्ठा को बचाने के लिए बड़े चेहरों को आगे कर दिया है। कांग्रेस ने राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला को अपना उम्मीदवार बनाया है तो जजपा ने भी अपनी लहर को बरकरार रखने के लिए इनसो के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिग्विजय चौटाला को युवा चेहरे के तौर पर मैदान में उतारा है। कांग्रेस व जजपा ने जींद उपचुनाव में बड़े चेहरों को मैदान में उतार कर भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। वहीं इनैलो ने जिला परिषद के उपप्रधान उम्मेद सिंह रेढ़ू को अपने प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतारा है। कांग्रे