शुक्रवार, 23 मार्च 2012

सावधान! कहीं आस्था पर भारी ना पड़ जाए लालच की मार

पिछले वर्ष कुट्टू के आटे से हुई घटनाओं के बाद भी नींद से नहीं जागा प्रशासन

दुकान में स्टोक में रखा कुट्टू का आटा।
नरेंद्र कुंडू
जींद।
पिछले वर्ष नवरात्रों में कुट्टू के आटे ने जमकर तांडव मचाया था। स्वास्थ्य विभाग तथा खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की सुस्ती का खामियाजा हजारों श्रद्धालुओं को भुगतना पड़ा था। पिछले वर्ष कुट्टू का आटा खाने से हुई घटनाओं से इस बार भी जिला प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया है। माता के नवरात्रे शुरू हो चुके हैं, लेकिन जिला प्रशासन गहरी नींद में है। गत वर्ष हजारों को दर्द देने वाला यह आटा इस वर्ष भी बाजार में बिकने के लिए बेताब है, लेकिन जिला प्रशासन लकीर का फकीर बना हुआ है। अभी तक प्रशासन ने आटे के सैंपल लेने तक की जहमत नहीं उठाई है। जिला प्रशासन की इस लापरवाही के कारण इस वर्ष भी व्यापारी करोड़ों की चांदी कूटकर हजारों को जख्म देकर साफ निकल जाएंगे और बाद में जिला प्रशासन के पास सिर्फ लकीर पिटने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा।
माता के नवरात्रे 23 मार्च से शुरू हो चुके हैं और जिले में नवरात्रों की तैयारियां जोरों पर हैं। कट्टू के आटे का बाजार सज चुका है और श्रद्धालुओं ने नवरात्रों के लिए कुट्टू के आटे की खरीदारी भी शुरू कर दी है। प्रदेश में पिछले वर्ष कुट्टू के आटे ने जमकर अपना असर दिखया था। पिछले वर्ष प्रदेश में कुट्टू का आटा खाने से तीन हजार से भी ज्यादा लोग बीमार हुए थे। बाद में स्वास्थ्य विभाग तथा खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की लापरवाही जनता के सामने उजागर होने के बाद विभाग ने आनन-फानन में कई जगह छापेमारी भी की थी, लेकिन तब तक जहर रुपी आटा अपना असर दिखा चुका था। व्यापारियों ने अपने मुनाफे के लालच में पुराना आटा बेचा था। पिछले वर्ष हुए घटनाक्रम के बाद भी अभी तक स्वास्थ्य विभाग की नींद नहीं टूटी है। नवरात्रे शुरू हो चुके हैं और स्वास्थ्य विभाग तथा खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने आटे की जांच के लिए सैंपल लेने तक का कष्ट नहीं उठाया है। शायद इस बार भी प्रशासन को माता के भक्तों का अस्पताल पहुंचने का इंतजार है।
क्यों बदनाम है कुट्टू
दवाओं में इस्तेमाल होने वाला कुट्टू अपने रासायनिक व्यवहार के कारण बदनाम है। चिकित्सकों के अनुसार कुट्टू का आटा गरम होता है। इससे शरीर में कार्बोहाइड्रेट और ग्लूकोज का स्तर बढ़ता है। कुट्टू में वसा अधिक होती है। इस आटे का प्रयोग अधिकतम एक माह तक उपयोग में लाया जा सकता है। ज्यादा दिन रखने से आटे में बैक्टीरिया और फंगस लग जाते हैं। कुट्टू का आटा ज्यादा दिनों तक रखे होने की स्थिति में माइक्रोटाक्सिन का निर्माण हो जाता है, जोकि शरीर के लिए हानिकारक है। खराब कुट्टू के आटे को खाने से उल्टी के साथ चक्कर आने लगते हैं। बेहोशी भी आ सकती है। शरीर ढीला पड़ने लगता है। ज्यादा दिनों तक रखे कुट्टू के आटे से बने पकवान खाने से लोग फूड प्वाइजनिंग के शिकार होते हैं। सही मायने में कुट्टू का आटा खाने से लोगों के अस्पताल तक पहुंचने के जिम्मेदार वो फैक्ट्री वाले हैं, जो खराब कुट्टू को पीसकर आटा बाजार में बेचते हैं। वे लोग जिम्मेदार हैं, जो ठीक से इस आटे की पैकेजिंग नहीं करते और नमीं के संपर्क में आने पर इस आटा में रासायनिक क्रियाएं होती हैं और यह जहर बन जाता है। पिछले वर्ष जहरीला कुट्टू का आटा खाने से लोगों के बीमार होने के काफी मामले सामने आए थे, जिस कारण लोगों को कुट्टू के आटे से विश्वास उठ गया।
आस्था से खिलवाड़
व्यापारी पैसे के लालच में कुट्टू के आटे में व्रत के वर्जित आटा मिलाते हैं। कुट्टू का ब्रांडेड आटा बाजार में 70 से 80 रुपए किलो तक आता है। आम आटा 20 से 30 रुपए किलो में उपलब्ध है। ऐसे में व्यापारी चांदी कुटने के चक्कर में महंगे आटे में सस्ता आटा मिलाकर कमाई करते हैं। इस प्रकार व्यापारी अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए श्रद्धालुओं की आस्था से खिलवाड़ करते हैं।
सैंपल लेने के लिए टीम गठित की गई हैं
मिलावटखोरों के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग ने कमर कस ली है। कुट्टू के आटे के सैंपल लेने के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया गया है। टीम बाजार में छापेमारी करेगी। सभी दुकानों पर जाकर आटे के सैंपल लिए जाएंगे। मिलावट खोरों को किसी भी कीमत पर बख्श नहीं जाएगा।
डा. धनकुमार
सिविल सर्जन, जींद


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