रविवार, 13 मई 2012

जिले में दम तोड़ रही स्वास्थ्य सेवाएं

बिना डाक्टरों के कैसे होगा इलाज

नरेंद्र कुंडू
जींद।
सरकार भले ही हर गांव तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के दावे करती हो, लेकिन जिला जींद में स्वास्थ्य सेवाएं दम तोड़ रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा शहर के सामान्य अस्पताल में भी  स्वास्थ्य सेवाएं लचर प्रणाली के सहारे चल रही हैं। सामान्य अस्पताल में चिकित्सकों की कमी के चलते मरीजों को इलाज के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ता है। मुख्य विशेषज्ञों की कमी के कारण मरीजों को निजी अस्पतालों का रूख करना पड़ता है। सरकारी अस्पतालों में लचर स्वास्थ्य सेवाओं और विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण झोला छाप डाक्टरों की संख्या न केवल तेजी से बढ़ रही है, बल्कि धड़ल्ले से मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ भी किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में बनाए गए अस्पतालों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के हाथों में ही लोगों की इलाज करने की कमान थमाई गई है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के दावे किए जाते हैं, लेकिन जींद जिला स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में पूरी तरह से पिछड़ चुका है। जिले के सामान्य अस्पताल के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी मुख्य विशेषज्ञों की कमी बनी हुई है। सिविल अस्पताल में फिजिशियन भी  नहीं है, जिससे मरीजों को रोहतक रेफर करना पड़ता है। जिले में शहरों और कस्बों के अलावा 307 गांव हैं। सरकार जिले के 158 गांवों में सब सेंटर, पांच में सीएचसी व 28 में पीएचसी की सुविधा उपलब्ध करवा पाई है। जिले के करीब सवा सौ गांव आजादी मिलने के कई दशक से अधिक समय बीतने पर भी स्वास्थ्य सेवाओं से महरूम हैं। इस प्रकार की अव्यवस्थाओं के चलते स्वस्थ समाज की कल्पना करना एक सपने के समान है। स्वास्थ्य विभाग जिले में प्रेक्टिस कर रहे मुन्नाभाई एमबीबीएस पर कार्रवाई करने के नाम से भी गुरेज करता है। जिस कारण जिले में धड़ल्ले के साथ में झोला छाप डाक्टरों की फौज खड़ी हो रही है। जिला सामान्य अस्पताल में डिप्टी सिवल सर्जन के कुल 7 पद सृजित हैं, जिसमें से 4 पद खाली हैं। एसएमओ के कुल 12 पद सृजित हैं, जिनमें से 2 पद खाली हैं। इसके अलावा एमओ के कुल 114 पद सृजित हैं, जिसमें से 53 पद खाली हैं। सफीदों में 9 में से 1 और नरवाना में 11 में से 8 की नियुक्ति है। इसी प्रकार से सीएचसी कालवा में 6 में से 1, जुलाना में 5 में से 1, पद खाली है। यदि बात नरवाना सिविल अस्पताल की जाए तो यहां पर जरनल सर्जन, फिजिशियन, ईएनटी, बाल रोग विशेषज्ञ और अल्ट्रासोनोलिस्ट की कमी है। वहीं बच्चों के लिए शुरू की जाने वाली नर्सरी भी पूरी तरह से तैयार नहीं हो सकी है। उधर कालवा सामुदायिक केंद्र में महिलाए बाल रोग विशेषज्ञ के अलावा सर्जन की कमी खलती रहती है। उपकरण भी आधुनिक नहीं है। सफीदों सिविल अस्पताल में तो व्यवस्था बिल्कुल खराब हो चुकी है। यहां 9 में से मात्र एक ही मेडिकल आफिसर है।

घंटों इंतजार करते रहते हैं मरीज

उपचार के लिए सिविल अस्पताल में आने वाले मरीजों को घंटों लाइन में खडे होकर इंतजार करना पड़ता है। अस्पताल में सुबह डाक्टर तो बैठे मिल जाते हैं, लेकिन जैसे-जैसे दिन आगे बढ़ता जाता है तो सीट पर डाक्टर नदारद होते चले जाते हैं। अधिकतर डाक्टर तो ड्यूटी के दौरान सिफारशियों को प्राथमिकता देते हैं। जिस मरीज की सिफारिश अच्छी है उसका नंबर जल्दी आ जाता है, लेकिन बिना सिफारिश वाले मरीजों को तो कमरों के बाहर बैठकर घंटों नंबर का इंतजार करना पड़ता है।
धूल फांक रही मशीनें
जिले के किसी भी सरकारी अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं हैं। यहां मशीनें तो हैं, लेकिन डाक्टर नहीं। जींद के सामान्य अस्पताल में लगभग 12 लाख रुपए की लागत तथा सामान्य अस्पताल नरवाना में लगभग 6 लाख रुपए की अल्ट्रासाउंड मशीन होने के बावजूद भी यहां के मरीजों को इधर-उधर धक्के खाने पड़ रहे हैं। इसके अलावा सफीदों में भी अल्ट्रासाउंड की कोई सुविधा नहीं है। अल्ट्रासाउंड डाक्टर नहीं होने के कारण मशीन से किसी भी मरीज का अल्ट्रासाउंड नही किया जा रहा है। अल्ट्रासाउंड करवाने वाले मरीजों को अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए प्राइवेट अस्पतालों में जाना पड़ रहा है। लोगों को अल्ट्रासाउंड के लिए निजी अस्पतालों में 500 से 600 रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। सामान्य अस्पताल में अल्ट्रासाउंड नही होने से मरीजों में काफी रोष है।

उच्चाधिकारियों को किया जा चुका है सूचित

सामान्य अस्पताल में डाक्टरों की कमी है। डाक्टरों की कमी के चलते स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। इसके लिए विभाग के उच्चाधिकारियों को सूचित किया जा चुका है। अस्पताल प्रशासन द्वारा सभी डाक्टरों व अन्य कर्मचारियों से अस्पताल में अनुशान बनाए रखने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। उनकी तरफ से अस्पताल में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
डा. धनकुमार, सिविल सर्जन
सामान्य अस्पताल, जींद

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