शनिवार, 30 जून 2012

किसानों के लिए रोल मॉडल बना अशोक

जिद्दो को पूरा करने के लिए नौकरी को मारी ठोकर

जींद। होशियारपुर जिले (पंजाब) के नंदन गांव का अशोक कुमार अन्य किसानों के लिए रोल मॉडल बनकर उभरा है। किसानों को आत्मनिर्भर करने तथा खाने को जहर मुक्त बनाने का ऐसा जनून इंजीनियर की नौकरी को ठोकर मार कर खुद आर्गेनिक खेती में जुट गया। अब अशोक अपने साथ-साथ दूसरे किसानों को भी आर्गेनिक खेती के लिए प्रेरित कर रहा है। अशोक कुमार की रफ्तार यहीं नहीं रुकी। अशोक ने किसानों के साथ-साथ महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिए गांव में गांव में महिलाओं का सेल्फ हैल्प ग्रुप बनाकर उनके लिए स्व रोजगार शुरू करवा दिया तथा सामान की बिक्री के लिए गांव में मार्केटिंग सैंटर भी  खोल दिए। ताकि महिलाओं को अपने प्रोडेक्ट को बेचने के लिए बाजार जाने की जरुरत न पड़े। सेल्फ हैल्प गु्रप द्वारा एक-दूसरे की आर्थिक मदद के लिए हर माह 100 रुपए चंदे के तौर पर एकत्रित किए जाते हैं, ताकि जरुरत पड़ने पर इन पैसों के लिए किसी के आगे हाथ फैलाने की जरुत ना पड़े। होशियारपुर निवासी अशोक कुमार शनिवार को निडाना गांव के कीट साक्षरता केंद्र पर दौरे पर आया हुआ था। अशोक कुमार ने आज समाज से अपनी खास बातचीत में बताया कि वह बीटेक की पढ़ाई के बाद दिल्ली में इंजीनियर की नौकरी करता था। जहां उसे अच्छी-खासी तनख्वाह भी मिलती थी, लेकिन परिवार से दूरी उसे रास नहीं आई और उसने अपने पैतृक कार्य खेती करने का मन बनाया। जिसके बाद वह अपनी नौकरी छोड़ गांव में वापस आ गया। लेकिन खेती में कीटनाशकों पर ज्यादा पैसा खर्च होने के कारण खेती उसके लिए घाटे का सौदा साबित होने लगी।  जिसके बाद उसने कीटनाशक रहित खेती की ओर कदम बढ़ाते हुए खेती से ही अपनी सभी आवश्यकताएं पूरी करने का संकल्प लिया। जहां पर उसने आर्गेनिक खेती की शुरूआत की। आर्गेनिक खेती से उसे जहां बढ़िया फसल मिली, वहीं बिना जहर युक्त फसल की अच्छी पैदावार भी मिली, जिसका आसपास के लोगों को फायदा मिल रहा है। अब अशोक कुमार स्वयं आर्गेनिक खेती करने के साथ-साथ अपने आसपास के किसानों को •ाी आर्गेनिक खेती के लिए प्रेरित कर रहा है और इसमें कुछ हद तक उसे सफलता •ाी मिली है। उसका मानना है कि कीटनाशकों का प्रयोग करने से फसलें जहरीली होती जा रही है। वह नहीं चाहता कि वह अपने परिवार व आसपास के लोगों को कीटनाशक युक्त फसलों से बीमार करें ताकि वह बीमार होने के बाद पैसा डॉक्टरों के पास खर्च करे बल्कि इस पैसे को अपने परिवार की समृद्धि तथा आर्गेनिक खेती की तरफ लगाए। अशोक कुमार ने गांव में महिलाओं के सेल्फ हैल्प ग्रुप भी बनाए हैं, जहां पर महिलाओं को देसी खानों जैसे शहद, हल्दी, दाल, गुड़, शक्कर, नमकीन, बेसन की पकोड़ियां बनाने का काम दिया जाता है। यहीं नहीं फंड भी  एकत्रित करके जरूरत पड़ने पर संबंधित महिलाओं को लोन भी दिया जाता है, ताकि उसकी जरूरत पूरी हो सके। मार्केटिंग की समस्या से निजात पाने के लिए तथा अपने सामान को बेचने के लिए गांव में आउट लेट खोले गए हैं। ताकि किसानों को अपने सामान को बेचने के लिए बाजार नहीं जाना पड़े। अपनी इस मुहिम को सफल बनाने में निडाना गांव की महिलाएं उनके लिए अच्छा माध्यम बनेंगी। डा. सुरेंद्र दलाल के नेतृत्व में चल रही कीट पाठशाला में ये महिलाएं अच्छा काम कर रही हैं। इन महिलाओं से उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला है।

बिचोलियों को खत्म करना है मकसद

अशोक कुमार ने बताया कि खाने में दो तरह से मिलावट होती हैं, एक तो फसल की पैदावार के दौरान किसान स्प्रे के माध्यम से करता है और दूसरा बाजार में मिडल मैन यानि बिचोलिए करते हैं। इसलिए बिचोलियों की इन खुरापातों को खत्म करने के लिए उसने गांव में ही आउट लेट खोले हैं, ताकि किसानों को अपना सामान बेचने के लिए बाहर नहीं जाना पड़े और लोगों तक बिना मिलावट के खाद पदार्थ पहुंच सकें। आउट लेट खुलने से किसानों को अपने प्रोडेक्ट की मार्केटिंग की चिंता भी नहीं सताएगी। 

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