गुरुवार, 31 जनवरी 2019

बड़ा चेहरा होने के बावजूद जींद के लोगों ने रणदीप सिंह सुरजेवाला को नकारा

कांग्रेस की एकजुटता पर सवाल खड़ा कर गया उपचुनाव

जींद, 31 जनवरी (नरेंद्र कुंडू):- उपचुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार का कारण कहीं न कहीं कांग्रेस की एकजुटता पर सवाल खड़े कर गया। उपचुनाव में जितने भी उम्मीदवार थे, रणदीप सिंह सुरजेवाला का कद उन सबसे बड़ा था। इसके बावजूद उनका तीसरे नंबर पर आना यह साबित करता है कि विधायक होने के बावजूद दोबारा चुनाव लडऩे के कारण लोगों ने रणदीप सिंह सुरजेवाला को नकार दिया। सभी कांग्रेसी नेताओं के एक मंच पर आने के कारण भी कांग्रेस कार्यकर्ता ज्यादा उत्साह में आ गए थे और अपनी जीत पक्की मानकर चल रहे थे, यह भी हार का बड़ा कारण माना जा रहा है।

जिस समय रणदीप सिंह सुरजेवाला का नाम कांग्रेस ने जींद उपचुनाव में घोषित किया तो सभी तरफ यह बात थी कि इतने बड़े चेहरे को कांग्रेस ने चुनाव मैदान में उतारकर यह उपचुनाव जीतना सुनिश्चित कर लिया है। उसके बाद उनके नामांकन के समय सभी कांग्रेसी नेताओं का एक साथ आने से भी यह तय हो गया था कि अब कांग्रेस इस रण को जीत लेगी। रणदीप सिंह सुरजेवाला का बाकी नेताओं के मुकाबले राजनीतिक प्रोफाइल बड़ा है। इस कारण भी कांगे्रस कार्यकर्ता ज्यादा उत्साहित थे। अब चुनाव में हुई करारी हार के कारण यह बात साबित हो गई है कि कांग्रेस नेता केवल चेहरा दिखाने के लिए रणदीप सिंह सुरजेवाला के साथ खड़े थे। २०१४ के चुनाव में कांग्रेस के प्रमोद सहवाग को १५२६७ वोट मिले थे। हालांकि प्रमोद सहवाग के राजनीतिक प्रोफाइल के हिसाब से रणदीप सिंह सुरजेवाला का प्रोफाइल बहुत बड़ा है। इसके बावजूद रणदीप सिंह सुरजेवाला इस चुनाव में केवल २२७४२ वोट ही हासिल कर पाए। रणदीप सिंह सुरजेवाला के चुनाव में सभी दिग्गज कांग्रेसी नेताओं के जोर लगाने के बावजूद पिछले विधानसभा चुनाव की अपेक्षा इस चुनाव में ७४७५ वोट ही ज्यादा हासिल हुए। इससे साफ है कि जींद के लोगों ने रणदीप सिंह सुरजेवाला को सिरे से नकार दिया। उपचुनाव की १३ राउंडों में गिनती हुई। एक भी राउंड में रणदीप सिंह सुरजेवाला कहीं आगे नहीं निकले। उससे कहीं आगे भाजपा रही तो कहीं जननायक जनता पार्टी रही।

धवस्त हुआ इनेलो का किला 

लगतार दो बार विजयी रहने वाली इनेलो का किला उपचुनाव में इस बार धवस्त हो गया। १३०८५९ वोटों में से इनेलो के उमेद सिंह रेढू को मात्र ३४५४ वोट ही मिले। इससे साफ है कि जींद के लोगों ने इनेलो को पूरी तरह से नकार दिया है। २००९ तथा २०१४ में हुए जींद विधानसभा चुनाव में दोनों पर इनेलो के डॉ. हरिचंद मिढ़ा चुनाव में जीते हैं। अब तीसरी बार इनेलो में टूट के कारण इनेलो का जींद से वोटबैंक लगभग समाप्त हो गया।

जींद की जनता ने बाहरी प्रत्याशी को नकारा

जींद विधानसभा उपचुनाव में जींद की जनता ने भाजपा को दिए बहुमत से यह साफ कर दिया है कि जींद की जनता अब बाहरी उम्मीदवार को स्वीकार नहीं करेगी। जींद उपचुनाव में कांग्रेस से रणदीप सिंह सुरजेवाला जो जींद जिले के ही सुरजेवाला गांव से हैं लेकिन मौजूदा कैथल से विधायक होने के कारण जींद की जनता ने उन्हें बाहरी प्रत्याशी माना वहीं दिग्विजय चौटाला सिरसा जिले से हैं इसलिए दिग्विजय को भी जींद की जनता ने बाहरी प्रत्याशी माना। इसके चलते जींद की जनता ने इस बार भाजपा प्रत्याशी डॉ. कृष्ण मिढ़ा को स्थानीय होने के कारण जीत दिलवाई है। 

जींद के विकास के लिए सरकार के खाते में डाली सीट

जींद जिला राजनीति का गढ़ है और जींद का इतिहास रहा है कि यहां से ज्यादातर सत्तासीन पार्टी के विपक्ष का विधायक रहा है। लेकिन इस बार जींद की जनता ने जींद के विकास के लिए सरकार के प्रतिनिधि को विजयी बनाने का काम किया है ताकि सरकार के साथ मिलकर जींद का विकास करवाया जा सके। इस उपचुनाव में भाजपा सरकार ने प्रचार-प्रसार के दौरान भाजपा प्रत्याशी को जीताने के लिए जींद के विकास के बड़े-बड़े वायदे किए हैं। इसको लेकर भी इस बार जींद की जनता का मन बदला है। 

जात-पात का नारा देने वालों को सिखाया सबक

जींद उपचुनाव में लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के अध्यक्ष एवं कुरुक्षेत्र से सांसद राजकुमार सैनी ने एक विशेष समुदाय के खिलाफ ब्यानबाजी कर 35 बिरादरी के नाम पर वोट मांगे थे। सांसद राजकुमार सैनी जाट आरक्षण के बाद से ही एक विशेष समुदाय के खिलाफ ब्यानबाजी कर सुर्खिया बटोर रहे हैं। इसके चलते ही सांसद राजकुमार सैनी ने भाजपा से अलग अपनी पार्टी बनाई है और जींद उपचुनाव उनकी पार्टी का पहला चुनाव था और इस उपचुनाव मे लोसुपा की तरफ से विनोद आशरी प्रत्याशी था। लेकिन इस उपचुनाव में जींद की जनता ने लोसुपा के प्रत्याशी विनोद आशरी की जमानत जब्त करवा कर यह संदेश दे दिया है कि अब जींद की जनता जात-पात का जहर फैलाने वालों के बहकावे में आने वाली नहीं है।

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