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.....चली आओ इस देश ‘लाडो’

कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ मैदान में आया खेल गांव निडानी का युवा मंडल नरेंद्र कुंडू जींद। बेटी पैदा होने पर भी अब घरों में थाली बजेगी। बैंड-बाजे के साथ धूमधाम से कुआं पूजन भी होगा। आईटी विलेज बीबीपुर की तर्ज पर अब खेल गांव निडानी का युवा मंडल भी 'लाडो' को बचाने के लिए मैदान में कूद पड़ा है। बेटा-बेटी के बीच के फासले को कम करने के लिए युवा मंडल के सदस्यों ने निर्णय लिया है कि जो भी परिवार गांव में लड़की के जन्म पर कुआ पूजन करेगा उसका सारा खर्च युवा संगठन उठाएगा। इसके अलावा युवा संगठन के सदस्य कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए ग्रामीणों को भी प्रेरित करेंगे। कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ जिले में लगातार सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। आईटी विलेज बीबीपुर की महिलाओं द्वारा कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ शंखनाद करने के बाद इस मुहिम में लगातार कड़ियां जुड़ने लगी हैं। बीबीपुर की महिलाओं के साथ-साथ जहां सर्व खाप पंचायतों के प्रतिनिधियों ने भी कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के फैसले पर मोहर लगा दी है, वहीं अब खेल गांव निडानी के युवा मंडल के सदस्य भी बेटी बचाने के लिए आगे आए हैं। युवा मंडल के सद

रसोई घर के निर्माण कार्य में हो रहा फर्जीवाड़ा

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नरेंद्र कुंडू जींद। सरकारी स्कूलों में सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) द्वारा मिड-डे-मील योजना के तहत बनवाए जा रहे कीचन शैड कम स्टोरों का निर्माण सवालों के घेरे में है। एसएसए द्वारा कीचन शैड कम स्टोर के निर्माण के लिए हर स्कूल को एक लाख 36 हजार रुपए की ग्रांट उपलब्ध करवाई जा रही है। लेकिन अगर इनके निर्माण में प्रयोग होने वाले मैटीरियल के बाजार के रेटों पर नजर डाली जाए तो इस ग्रांट से इनका निर्माण किसी तरह भी संभव नहीं है। मैटीरियल के बाजार भाव को देखते हुए इनका निर्माण एक लाख 85 हजार रुपए से भी  ज्यादा में पूरा होता है। इससे यह साफ है कि स्कूलों में नियमों को ताक पर रखकर घटिया निर्माण सामग्री के दम पर रसोई घर खड़े किए जा रहे हैं। लेकिन प्रशासनिक अधिकारी सबकुछ जानते हुए भी इस मामले में अनजान बने हुए हैं। प्रशासनिक अधिकारियों की यह लापरवाही कभी भी नौनिहालों पर भारी पड़ सकती है। सवालों के घेरे में अधिकारी सरकारी स्कूलों में कीचन शैड कम स्टोर के निर्माण कार्य के लिए एसएसए द्वारा जारी की जा रही ग्रांट निर्माण के लिए प्रर्याप्त न होने के बावजूद भी निर्माण में फर्जीवाड़ा कर धड़ल्ले से इन बिल्डिंगों

निडाना की गौरियों ने भी उठाया खेती को जहरमुक्त करने का बीड़ा

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पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं निडाना की महिलाएं नरेंद्र कुंडू जींद। निडाना गांव के गौरे से पेस्टीसाइड के विरोध में उठी इस आंधी को रफ्तार देने में निडाना गांव की गौरियां भी पुरुषों के बाराबर अपनी भागीदारी दर्ज करवा रही हैं। निडाना गांव की महिलाएं ओर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। कीट मित्र किसानों ने जहां इस मुहिम को सफल बनाने के लिए खाप पंचायतों का दामन थाम है, वहीं गांव की महिलाओं ने भी इस मुहिम पर रंग चढ़ाने के लिए आस-पास के गांवों की महिलाओं को जागरुक करने का बीड़ा उठाया है। अक्षर ज्ञान के अभाव का रोड़ा भी इन महिलाओं की रफ्तार को कम नहीं कर पा रहा है। पुरुषों के साथ ही इन महिलाओं ने भी इस लड़ाई में शंखनाद कर दिया है। महिलाएं घंटों कड़ी धूप के बीच खेतों में बैठकर लैंस की सहायता से कीटों की पहचान में जुटी रहती हैं। बुधवार को भी महिलाओं ने ललितखेड़ा गांव में पूनम मलिक के खेत में महिला खेत पाठशाला का आयोजन किया। इस दौरान निडाना गांव की मास्टर ट्रेनर महिलाओं ने ललितखेड़ा गांव की महिलाओं को कीटों का व्यवहारिक ज्ञान दिया। मास्टर

कीट व किसानों के झगड़े को निपटाने के लिए पंचायत के प्रतिनिधियों ने किया मंथन

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 सर्व खाप पंचायत की महिला विंग की प्रधान पंचायत में अपने विचार रखते हुए। पंचायत प्रतिनिधियों को स्मृति चिह्न •ोंट करते कीट साक्षरता केंद्र के किसान। नरेंद्र कुंडू जींद। आप ने खाप पंचायतों को सामाजिक तानेबाने को बनाए रखने तथा आपसी भाईचारे को कामय रखने के लिए लोगों के बड़े-बड़े झगड़े निपटाते देखा होगा, लेकिन अब खाप पंचायतें पिछले 40-45 वर्षों से कीटों व किसानों के बीच चले आ रहे झगड़े को निपटाने में अपना सहयोग करेंगी। निडाना गांव के स्थित कीट साक्षरता केंद्र के कीट मित्र किसानों के आह्वान पर मंगलवार को निडाना गांव के जोगेंद्र मलिक के खेत पर एक पंचायत का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता दाड़न खाप के प्रधान देवा सिंह ने की तथा पंचायत के सही संचालन की जिम्मेदारी बराह कलां बाहरा के प्रधान कुलदीप सिंह ढांडा को सौंपी गई। पंचायत में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि कीटों व किसानों के इस झगड़े को निपटाने के लिए सप्ताह के हर मंगलवार को सर्व खाप पंचायत की ओर से एक पंचायत का आयोजन किया जाएगा। 18 बैठकों के बाद 19वीं बैठक में सर्व जातीय सर्व खाप महापंचायत बुलाकर इस मुद्दे पर अपना फैसला सुनाएंगे।

कीट प्रबंधन अभियान में कूदी खाप पंचायतें

नरेंद्र कुंडू जींद। फतवे जारी करने के लिए बदनाम प्रदेश की सर्व खाप पंचायतें अब नए क्लेवर में नजर आएंगी। पिछले 40-45 वर्षों से कीटों व किसानों के बीच चल रहे इस आपसी झगड़े को निपटाने के लिए सर्व खाप पंचायत द्वारा एक अदभूत व अनोखी पहल की गई है। कीटों व किसानों की इस आपसी लड़ाई से धरती पर मौजूद अन्य जीवों को हो रहे जानी नुकसान को बचाने के लिए खाप पंचायतों ने इस लड़ाई में हस्तक्षेप किया है। खाप पंचायत का प्रतिनिधिमंडल सप्ताह के हर मंगलवार को निडाना के कीट साक्षरता केंद्र पर पहुंचकर दोनों पक्षों की बहस सुनेगा और नजदीक से इस लड़ाई का जायजा लेगा। इस बहस के जरिए खाप पंचायतों के प्रतिनिधि कीटों व किसानों के झगड़े की वास्तविकता का पता लगाएंगे। यह सिलसिला लगातार 18 सप्ताह तक चलेगा और 19वें सप्ताह में प्रदेश के सर्व खाप पंचायत के प्रतिनिधि एकत्रित होकर अपना फैसला सुनाएंगे। इतिहास गवाह रहा है कि फतवे जारी करने के लिए बदनाम प्रदेश की सर्व खाप पंचायतों ने पुरानी से पुरानी रंजीश पर समझौते की मोहर लगाकर आपसी भाईचारे को कायम रखने का काम किया है। आपसी भाईचारे को कायम रखने वाली ये खाप पंचायतें अब एक अनोखी मुह

...ये है देश की अनोखी पाठशाला

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देश की आर्थिक रीड को मजबूत करने के लिए यहां दी जाती है कीटों की तालीम नरेंद्र कुंडू किसान पाठशाला के दौरान कपास की फसल में कीटों की पहचान करते किसान। जींद। आप ने ऐसी पाठशालाएं तो बहुत देखी होंगी, जहां देश के कर्णधारों को क, ख, ग की तालीम देकर उनके भविष्य को उज्जवल बनाने के प्रयास किए जाते हैं, लेकिन क्या आपने कभी ऐसी पाठशाला देखी या सुनी है जहां कीटों की तालीम देकर देश की आर्थिक रीड (यानि किसानों) को सुदृढ़ करने के सपने बुने जा रहे हों। जी हां हम बात कर रहे हैं जींद जिले के निडाना गांव में चल रहे कीट साक्षरता केंद्र की। यहां हर मंगलवार को किसान पाठशाला का आयोजन किया जाता है और किसानों को कीट प्रबंधन के गुर सिखाए जाते हैं। यह एक अजीब तरह की पाठशाला है। इस पाठशाला में पेड पर लकड़ी का बोर्ड लगाया जाता है और खेत की मेड पर ही बैठकर किसान अपने अनुभव सांझा करते हैं। इस पाठशाला की सबसे खास बात यह है कि यहां न ही तो कोई अध्यापक है और न ही कोई स्टूडेंट है। यहां तो किसान खुद ही अध्यापक हैं और खुद ही स्टूडेंट। इस पाठशाला में किसान स्वयं मेहनत करते हैं और कागजी ज्ञान की बजाए व्यवहारिक ज्ञान

हाईटैक पंचायत ने रच दिया इतिहास

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महिला ग्रामसभा में कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए किया 14 कमेटियों का गठन नरेंद्र कुंडू जींद। देश की पहली हाईटैक पंचायत बीबीपुर ने सोमवार को एक नया इतिहास रच दिया है और इस इतिहास का गवाह बनी है गांव के तिहाड़ पाने की नीमवाली चौपाल। आईटी विलेज की पंचायत ने गांव में महिला ग्रामसभा का आयोजन करवाकर देश की पहली महिला ग्राम सभा करवाने वाली पंचायत का गौरव हासिल कर लिया है। जिस चौपाल के पास से कभी महिलाएं घुंघट तानकर निकलती थी आज उसी चौपाल में बैठकर महिलाओं ने लगभग दो घंटे तक गहन मंथन किया और कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए अहम फैसला लिया। ग्रामसभा में कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए गांव में 14 कमेटियों का गठन किया गया और सरपंच को सभी कमेटियों का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। चार मैंबर की एक कमेटी बनाई गई, जिसमें तीन महिलाओं व एक पुरुष को कमेटी के मैंबर के तौर पर चुना गया। कमेटियों का कार्य केवल कन्या भ्रूण हत्या को रोकना ही नहीं, अपितू उन महिलाओं पर भी नकेल डालने का रहेगा, जो कन्या भ्रूण हत्या जैसे जघन्य अपराध में शामिल होकर खुद अपनी ही जात की दुश्मन बनी हुई हैं। महिलाओं ने रखे सुझाव

बेटी बचाने के लिए मैदान में उतरेंगी आईटी विलेज की गौरी

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सोमवार को आईटी विलेज में किया जाएगा महिला ग्रामसभा का आयोजन  बीबीपुर ग्राम पंचायत का लोगो। नरेंद्र कुंडू जींद। आईटी विलेज बीबीपुर की गौरी अब चूल्हे-चौके के साथ-साथ बेटी बचाने के लिए मैदान तैयार करेंगी। इसी कड़ी के तहत सोमवार को गांव में महिला ग्रामसभा का आयोजन किया जाएगा। इसके बाद महिला ग्राम सभा का आयोजन करने वाली देश की यह पहली ग्राम पंचायत बन जाएगी। कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ शंखनाद करने से पहले महिलाएं ग्राम सभा में विधिवत रुप से रेजुलेशन डालकर प्रस्ताव पास करवाएंगी। ग्राम सभा में ग्रामीण महिलाओं के अलावा जिला प्रशासन की तरफ से विभिन्न विभागों से महिला अधिकारी भी भाग लेंगी। मिनिस्ट्री आफ पंचायती राज के निर्देशानुसार ही गांव में महिला ग्राम सभा का आयोजन करवाया जा रहा है। पंचायत की उपलब्धियों को देखते हुए गत 29 मई को मिनिस्ट्री आफ पंचायती राज नई दिल्ली की टीम ने गांव का दौर कर महिलाओं को भी ग्रामसभा में शामिल करने के निर्देश दिए थे। देश की पहली हाईटैक पंचायत बीबीपुर में सोमवार को पहली महिला ग्राम सभा का आयोजन किया जाएगा। महिला ग्राम सभा के आयोजन के बाद आईटी विलेज की पंचायत क

....यहां तो बाड़ ही खा रही खेत

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ट्रांसफार्मरों की खरीद-फरोख्त में निगम को लग रहा करोड़ों का चूना  बिजली निगम के स्टोर में पड़े खराब ट्रांसफार्मर नरेंद्र कुंडू जींद। घाटे की मार झेल रहे बिजली निगम को खुद उसके ही अधिकारी डुबोने पर तुले हुए हैं। निगम के अधिकारी अपनी जेबे गर्म करने के चक्कर में प्रति माह निगम को करोड़ों रुपए का चूना लगा रहे हैं। गर्मी के मौसम में आॅवर लोड़ के कारण प्रतिदिन निगम के दर्जनों ट्रांसफार्मर खराब हो रहे हैं। लेकिन ऐसे में निगम के अधिकारियों द्वारा खराब हुए ट्रांसफार्मरों को ठीक करवाने की बजाए कमिशन ऐंठने के चक्कर में नए ट्रांसफार्मर खरीदने के कार्यों को तवज्जों दी जा रही है। अधिकारियों द्वारा तय किए गए नए नियामों के कारण एक तरफ जहां करोड़ों रुपए के ट्रांसफार्मर जंग की भेंट चढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी और नए ट्रांसफार्मर की खरीद-फरोख्त की आड़ में अधिकारी निगम को मोटा चूना लगा रहे हैं। नए ट्रांसफार्मरों की खरीददारी के कारण निगम के कर्मचारियों पर काम का बोझ भी बढ़ गया है। बाड़ ही खेत को खाने वाली कहावत बिजली निगम के अधिकारियों पर स्टीक बैठ रही है। गर्मी के मौसम में आॅवर लोड होने के कारण प्रतिदिन निगम क

आवेदकों पर भारी पड़ रहे सरकारी आदेश

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रैडक्रॉस फार्म बुथ पर दो माह से नहीं पहुंची गन बुक  रैडक्रॉस का फार्म बुथ जहां पर अभी तक गन बुक नहीं पहुंची हैं। नरेंद्र कुंडू जींद। आर्म्ज लाइसेंस बनवाने के लिए सरकार द्वारा लागू किए गए नए नियम आवेदकों की राह का रोड़ा बन रहे हैं। सरकार द्वारा आर्म्ज लाइसेंस के नियमों में परिवर्तन करते हुए यह शर्त लागू कर दी गई है कि कोई भी आवेदक बाहर से गन बुक नहीं खरीद सकेगा। आवेदक को लाइसेंस बनवाने के लिए केवल रैडक्रॉस के फार्म बुथ से ही गन बुक खरीदकर जमा करवानी होगी। हालांकि पहले आवेदकों पर इस प्रकार की कोई पाबंदी नहीं होती थी। अब आलम यह है कि लाइसेंस बनवाने वाले आवेदकों ने आवेदन की सारी प्रक्रिया तो पूरी कर ली हैं, लेकिन अभी तक रैडक्रॉस फार्म बुथ से उन्हें गन बुक नहीं मिल पा रही हैं। नियमों में परिवर्तन होने के लगभग दो माह बाद भी रैडक्रॉस फार्म बुथ पर गन बुक नहीं पहुंची हैं। दो माह बाद भी गन बुक रैडक्रॉस के बुथ पर नहीं पहुंचपाने से प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं। सरकार द्वारा आर्म्ज लाइसेंस बनवाने के नियमों में परिवर्तन किया गया है। सरकार ने नियमों में प

3 माह, 96 सैंपल, 9 की रिपोर्ट

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सैंपलों की आड़ में विभाग कर रहा खानापूर्ति, किसान बेबस  उप कृषि अधिकारी कार्यालय का फोटो। नरेंद्र कुंडू जींद। जिले में नकली बीज व दवाइयों का गोरखधंधा पूरे यौवन पर है। इसके लिए पूरी तरह से कृषि विभाग की सुस्ती जिम्मेदार है। विभाग द्वारा क्वालिटी कंट्रोल अभियान चलाकर नकली बीज व दवा विक्रेताओं पर नकेल डालने की बजाए सैंपलों की आड़ में केवल खानापूर्ति की जा रहा है। आलम यह है कि अप्रैल माह से अब तक विभाग द्वारा जिलेभर की दुकानों से महज 96 सैंपल ही लिए गए हैं और इनमें से भी मात्र 9 सैंपलों की रिपोर्ट ही विभाग द्वारा मंगवाई गई है। जिसमें मात्र एक सैंपल ही फेल दिखाया गया है। इस प्रकार विभाग की कछुआ चाल के कारण बीज किसानों को मोटा चूना लग रहा है। बाकि सैंपलों की रिपोर्ट जब तक विभाग के पास पहुंचेगी तब तक सारा का सारा नकली बीज व कीटनाशक किसानों में बट चुका होगा और विभाग के पास खाली लकीर पीटने के सिवाए कुछ नहीं बचेगा। खरीफ सीजन की बिजाई के साथ ही नकली बीज व कीटनाशक तैयार करने वाला गिरोह सक्रीय हो चुका है। बेहतर फसल उत्पादन हासिल करने की तमन्ना दिल में पाले किसान जब बीज बिक्री केंद्र पर पहुंच

....ये कैसा बालश्रम कानून

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बालश्रम उन्मूलन दिवस पर विशेष नरेंद्र कुंडू जींद। एक तरफ 12 जून को विश्व स्तर पर बालश्रम उन्मूलन दिवस मनाया जा रहा है और सरकार द्वारा बाल श्रम के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए विज्ञापनों पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन दूसरी तरफ शहर में बालश्रम कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। शहर में चाय, नाश्ता की दुकानों, होटलों और गैराज में छोटे-छोटे बच्चे मजदूरी करते नजर आ रहे हैं। शहर में सैंकड़ों दुकानों और होटलों पर छोटे बच्चे बाल मजदूरी करते देखे जा सकते हैं, लेकिन किसी अधिकारी की नजर इन पर नहीं पड़ रही है। पढ़ाई-लिखाई की उम्र में हाथों में औजार थामे ये बच्चे प्राथमिक स्तर की शिक्षा से भी दूर हैं। शहर में लगातार बढ़ती बाल मजदूरों की संख्या को देखकर लगता ही नहीं है कि जिले में बाल श्रम कानून लागू है। सरकारी अधिकारियों की उदासीनता के चलते देश का भविष्य गर्त में है। बाल श्रम कानून के तहत कागजी तौर पर कई नियम कानून बनाए गए हैं, लेकिन हकीकत में नियमों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। शहर में कई स्थानों पर छोटे बच्चे वाहनों को सुधारने का काम कर रहे हैं। इसके अलावा होटलों और दुका

....ताकि बरकरार रहे सफेद सोने की चमक

कपास के रकबे को बढ़ाने के लिए कृषि वि•ााग अधिकारियों को दिलवाएगा ट्रेनिंग नरेंद्र कुंडू जींद। सफेद सोने की चमक को बरकरार रखने तथा कपास की खेती के प्रति किसानों का मोह बढ़ाने के लिए कृषि विभाग ने एक खास योजना तैयार की है। इस योजना को मूर्त रुप देने के लिए कृषि विभाग अपने सभी कृषि विकास अधिकारियों (एडीओ) को खास तौर से प्रशिक्षित करेगा। कृषि विकास अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए विभाग द्वारा 21-21 दिनों के तीन प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया जाएगा। प्रत्येक 21 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में 30 कृषि विकास अधिकारी भाग लेंगे। जिनमें कपास उत्पादक क्षेत्रों से दो-दो तथा बिना कपास उत्पादन वाले क्षेत्रों से एक-एक अधिकारी को शामिल किया जाएगा। यहां से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद कृषि विकास अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र के किसानों को कपास की खेती के लिए प्रेरित करेंगे तथा किसानों को कम खर्च से अधिक उत्पादन लेने के गुर सिखाएंगे। विभाग द्वारा इन प्रशिक्षण शिविरों पर दस लाख रुपए की राशि खर्च की जाएगी। किसानों को कपास की तकनीकी जानकारी उपलब्ध करवाने तथा जिले में कपास के रकबे को बढ़ाने के लिए कृषि विभाग

किसानों के लिए रोल मॉडल बना अशोक

जिद्दो को पूरा करने के लिए नौकरी को मारी ठोकर जींद। होशियारपुर जिले (पंजाब) के नंदन गांव का अशोक कुमार अन्य किसानों के लिए रोल मॉडल बनकर उभरा है। किसानों को आत्मनिर्भर करने तथा खाने को जहर मुक्त बनाने का ऐसा जनून इंजीनियर की नौकरी को ठोकर मार कर खुद आर्गेनिक खेती में जुट गया। अब अशोक अपने साथ-साथ दूसरे किसानों को भी आर्गेनिक खेती के लिए प्रेरित कर रहा है। अशोक कुमार की रफ्तार यहीं नहीं रुकी। अशोक ने किसानों के साथ-साथ महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिए गांव में गांव में महिलाओं का सेल्फ हैल्प ग्रुप बनाकर उनके लिए स्व रोजगार शुरू करवा दिया तथा सामान की बिक्री के लिए गांव में मार्केटिंग सैंटर भी  खोल दिए। ताकि महिलाओं को अपने प्रोडेक्ट को बेचने के लिए बाजार जाने की जरुरत न पड़े। सेल्फ हैल्प गु्रप द्वारा एक-दूसरे की आर्थिक मदद के लिए हर माह 100 रुपए चंदे के तौर पर एकत्रित किए जाते हैं, ताकि जरुरत पड़ने पर इन पैसों के लिए किसी के आगे हाथ फैलाने की जरुत ना पड़े। होशियारपुर निवासी अशोक कुमार शनिवार को निडाना गांव के कीट साक्षरता केंद्र पर दौरे पर आया हुआ था। अशोक कुमार ने आज समाज से अपनी

दूसरे प्रदेशों में पहुंची जहर मुक्त खेती की मुहिम

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निडाना की महिलाओं से कीट प्रबंधन के गुर सीखेंगे पंजाब के किसान  मुख्य कृषि अधिकारी सरबजीत कंधारी को स्मृति चिह्न देते किसान। कीट साक्षरता केंद्र पर मुख्य कृषि अधिकारी को कीटों की जानकारी देती महिला। नरेंद्र कुंडू जींद। कीट प्रबंधन में माहरत हासिल कर चुकी निडाना कीट साक्षरता केंद्र की महिलाओं का डंका अब दूसरे प्रदेशों में भी बजने लगा है। निडाना के किसानों द्वारा शुरू की गई जहर मुक्त खेती की मुहिम अब दूसरे प्रदेशों तक पहुंचने लगी है। फेसबुक पर इन महिलाओं के चर्चे सुनकर खुद पंजाब के होशियारपुर जिले के मुख्य कृषि अधिकारी एवं आत्मा स्कीम के प्रोजैक्ट डायरेक्टर सरबजीत सिंह कंधारी ने शनिवार को निडाना के कीट साक्षरता केंद्र का दौरा किया। साक्षरता केंद्र की अनपढ़ महिलाओं के कीट प्रबंधन के ज्ञान को देखकर उन्होंने पंजाब के किसानों को भी यहां पर ट्रेनिंग दिलवाने की इच्छा जाहिर की। इस अवसर पर इनके साथ होशियारपुर जिले के प्रगतिशील किसान अशोक कुमार भी  साथ थे। मास्टर टेÑनर महिलाओं ने मुख्य कृषि अधिकारी को बताया कि अगर किसान को फसल में मौजूद माशाहारी व शाकाहारी कीटों की पहचान हो जाए तो उस

अब शिक्षा विभाग बच्चों को देगा यात्रा शुल्क

जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों से मांगी विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की सूची जींद। विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (अपाहिज) को पढ़ाई के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए शिक्षा विभाग ने खास योजना तैयार की है। इस योजना के तहत विभाग इन बच्चों को स्कूल आने-जाने के लिए यात्रा शुल्क अदा करेगा। विभाग द्वारा इन बच्चों को यात्रा शुल्क के तौर पर हर वर्ष तीन हजार रुपए दिए जाएंगे। विभाग द्वारा तैयार की गई इस योजना का मुख्य उद्देश्य विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को शिक्षित कर समाज की मुख्य धारा से जोड़ना है। योजना को अमल में लाने के लिए विभाग के राज्य परियोजना निदेशक ने प्रदेश के सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की पहचान कर सूची तैयार करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। विभाग की इस योजना से जिले में 2015 बच्चे लाभावित होंगे। इसके अलावा विभाग द्वारा इन बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी समर कैंपों का आयोजन भी किया जाता है।  शिक्षा विभाग ने विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को पढ़ाई के प्रति प्रेरित करने के लिए कमर कस ली है। अब विभाग इन बच्चों को पैसे के अभाव के कारण पढ़ाई से मुहं न

‘आम के आम गुठलियों के दाम’

प्रशिक्षण के साथ-साथ शिविरों में छात्राओं को मिलेगा मिड-डे-मील जिले में 60 प्रशिक्षण शिविरों पर खर्च होगी 23 लाख 82 हजार रुपए की राशि नरेंद्र कुंडू   जींद। जीवन कौशल ग्रीष्मकालीन शिविर में भाग लेने वाली छात्राओं को अब भूखे पेट नहीं रहना पड़ेगा। सर्व शिक्षा अभियान द्वारा पढ़ाई के साथ छात्राओं को आत्म-निर्भर बनाने के उद्देश्य से शुरू किए गए इन प्रशिक्षण शिविरों में प्रशिक्षण के साथ-साथ छात्राओं को मिड-डे-मील भी दिया जाएगा। हरियाणा के मौलिक शिक्षा निदेशक ने एसएसए के जिला परियोजना अधिकारी व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र के माध्यम से आदेश जारी कर दिए हैं। इस योजना के तहत इस बार जिले में 60 प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया जाएगा। एसएसए द्वारा इन 60 शिविरों पर 23 लाख 82 हजार रुपए की राशि खर्च की जाएगी। पढ़ाई के साथ-साथ छात्राओं को आत्म निर्भर बनाने के उद्देश्य से सर्व शिक्षा अभियान द्वारा 15 दिवसीय जीवन कौशल ग्रीष्मकालीन शिविरों का आयोजन किया जाता है। इन प्रशिक्षण शिविरों में पहली से आठवीं तक की छात्राओं को गर्मियों की छुट्टियों के दौरान सिलाई-कढ़ाई, अचार बनाना, कढ़ाई व कटाई करना,

विभाग की लापरवाही से लुट रहे किसान

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 बाजार में बिक रहा नकली बीज का पैकेट नरेंद्र कुंडू   जींद। जिले का कृषि विभाग कुंभकर्णी नींद सोया पड़ा है और बीज विक्रेता खुलेआम धरतीपुत्रों को लूट रहे हैं। डीलर कपास के बीज के नाम पर किसानों को घटिया बीज थमा रहे हैं और भोले-भाले किसान जानकारी के अभाव में बड़ी आसानी से इनके चुंगल में फंस रहे हैं। इन बीजों के पैकेटों पर ब्रांडनेम के साथ-साथ निर्माता कंपनियों का नाम भी  नदारद होता है। बीज अनुमोदित कमेटी के निमयों को दरकिनार कर बाजार में धड़ल्ले से नकली बीज उतारा जा रहा है। डीलर किसानों को नकली बीज थमाकर जमकर चांदी कूट रहे हैं। बाजार में नकली बीज आने से किसान तो ठगी का शिकार हो ही रहे हैं साथ-साथ फसल की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। ताज्जुब की बात तो यह है कि बीज विक्रेता इस तरह के बीजों की बिक्री के बाद किसानों को बिल भी  नहीं दे रहे हैं, ताकि भविष्य में अगर किसान की फसल में कोई नुकसान होता है तो कानूनी से कार्रवाई से बचा जा सके। लूट का यह खेल कृषि विभाग की ठीक नाक के तले खेला जा रहा है और विभागीय अधिकारी कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहे हैं। गजट नोटिफिकेशन के बाद होती

कृषि विभाग स्प्रे टंकियों पर देगा सब्सिडी

8 लाख 40 हजार रुपए की राशि खर्च 570 किसानों को दिया जाएगा योजना का लाभ नरेंद्र कुंडू जींद। जिले के किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। कृषि विभाग द्वारा किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘स्टेट प्लान’ योजना के तहत अनुदान पर स्प्रे टंकियां मुहैया करवाई जाएंगी। इस बार कृषि विभाग द्वारा 8 लाख 40 हजार रुपए की राशि खर्च कर जिले में कुल 570 स्प्रे टंकियों पर सब्सिडी देने का टारगेट निर्धारित किया गया है। जिसमें ट्रेक्टर चालित, बैटरी चालित व हाथ से चलने वाले स्प्रे टंकियों पर अलग-अलग अनुदान दिया जाएगा। इसके अलावा विभाग द्वारा किसानों को कपास की खेती में पारंगत करने के लिए अलग से कैंपों का आयोजन कर ट्रेनिंग भी  दी जाएगी। विभाग द्वारा जिले में 10 ट्रेनिंग कैंपों का आयोजन किया जाएगा। जिसमें प्रत्येक कैंप पर 5 हजार रुपए खर्च किए जाएंगे। कृषि विभाग द्वारा तकनीकी खेती को बढ़ावा देकर आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए समय-समय पर नई-नई किसान हितेषी योजनाओं को धरातल पर उतारा जाता है। ताकि किसानों को समय के अनुसार खेती की तकनीकी जानकारियों से अपडेट किया सके। इसी कड़ी के तहत इस बार कृषि विभाग द्वारा किसानो

.....खत्म हुई ‘आत्मा’ की तलाश

बीटीएम व एसएमएस बनेंगे किसानों का सहारा नरेंद्र कुंडू जींद। कृषि विभाग ‘आत्मा’ को ‘देह’ तक लाने की कवायद में जुट गया है। विभाग ने सुस्त पड़ी आत्मा योजना को चुस्त करने के लिए मैनपॉवर का सहारा लेने का मन बनाया है। इससे ‘देह’ के लिए भटकती ‘आत्मा’ की तलाश पूरी हो गई है। इसके लिए विभाग द्वारा अनुबंध के आधार पर लगभग 210 नए अधिकारियों की भर्त्ती की गई है। जिनमें 91 ब्लॉक टेक्नोलाजी मैनेजर (बीटीएम) व 119 विषय विशेषज्ञों (एसएमएस) की भर्ती की है। बीटीएम व एसएमएस किसानों को समय-समय पर खेती की नई तकनीकी जानकारी देकर कम खर्च से अधिक उत्पादन लेने के गुर सिखाएंगे। विभाग बीटीएम व एसएमएस को फील्ड में उतारने से पहले किसानों के समक्ष आने वाली सभी समस्याओं व उनके समाधान के बारे में ट्रेनिंग देकर विशेष तौर पर ट्रेंड करेगा। इसकी सबसे खास बात यह है कि किसान सामुहिक रूप से अपना कोई भी प्रोजेक्ट तैयार कर बीटीएम के माध्यम से विभाग को भेज सकते हैं। अगर विभाग की तरफ से किसान के प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिल जाती है तो विभाग किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए उस प्रोजेक्ट पर स्वयं पैसे खर्च करेगा। विभाग द्वारा उठा

नशों में रम रहा नशा

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नरेंद्र कुंडू जींद। सरकार धूम्रपान पर रोक लगाने के लिए हर साल करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा रही है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी सार्वजनिक स्थल पर धूम्रपान करना निषेध माना गया है। कोर्ट के इन आदेशों के तहत सार्वजनिक स्थल पर धूम्रपान करते पकड़े जाने पर जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन लोगों को सरकार की इस मुहिम से कोई सरोकार नहीं है। क्योंकि नशा उनकी नश-नश में रम चुका है। जिस कारण लोगों में धुआं उड़ाने का क्रेज सिर चढ़कर बोल रहा है। जिले में लोगों द्वारा हर माह लाखों रुपए धूएं में उड़ा दिए जाते हैं। सार्वजनिक स्थलों के अलावा सरकारी कार्यालयों में भी सरकारी बाबुओं द्वारा खुलेआम धूम्रपान निषेध कानून की धज्जियां उड़ाई जाती हैं। लोगों में तम्बाकू की बढ़ती लत के कारण प्रति वर्ष 8.5 लाख लोग मौत का ग्रास बन रहे हैं। पुरुषों के अलावा महिलाओं व बच्चों में भी धूम्रपान का क्रेज बढ़ रहा है। तम्बाकू व्यवसायियों की मानें तो शहर में रोजाना बीड़ी व सिगरेट के एक कैंटर की लोडिंग खप जाती है। सरकार द्वारा धूम्रपान पर रोक लगाने के लिए लाखों प्रयास किए जा रहे हैं। लोगों को जागरूक करने के लिए सरकार हर वर्ष विज्ञापनों

किसानों के लिए सिर दर्द बनी ‘योजना’

टंकियों के नाम पर होता है फर्जीवाड़ा नरेंद्र कुंडू जींद। कृषि विभाग द्वारा किसानों के उत्थान के लिए हर वर्ष अनेकों योजनाएं धरातल पर उतारी जाती हैं, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही व लंबी प्रक्रिया के कारण विभाग की अधिकतर योजनाएं धरातल पर आने से पहले ही धराशाही हो जाती हैं। कृषि विभाग द्वारा अन्न के सुरक्षित भंडारण के लिए सब्सिडी पर किसानों को टंकियां मुहैया करवाने के लिए शुरू की गई यह योजना भी खामियों का शिकार हो चुकी है। किसानों को लाभावित करने के लिए शुरू की गई यह योजना किसानों के लिए सिर का दर्द बन चुकी है। यह इसी का परिणाम है कि इस वर्ष कृषि विभाग द्वारा रखे गए 1195 टंकियों के टारगेट में से सिर्फ 450 टंकियां ही किसानों तक पहुंच पाई हैं। बाकी बचे हुए किसानों को टंकियों के लिए आए दिन सरकारी बाबूओं के दरवाजे खटखटाने पड़ रहे हैं। अधिकतर किसान तो इस लंबी प्रक्रिया से परेशान होकर बीच में ही योजना से मुहं मोड़ लेते हैं। रबी के सीजन के दौरान कृषि विभाग किसानों को अन्न के सुरक्षति भंडारण के लिए मैटलिक बीन के लिए प्रेरित करता है। ताकि अन्न भंडारण के दौरान किसानों का अन्न सुरक्षित रह सक