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लोगों को गैस किल्लत से निजात दिलवाएगा कृषि विभाग

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अनुदान पर दी जाएंगी बायोगैस बनाने वाली रेडीमेड टैंकियां नरेंद्र कुंडू  जींद।  आम आदमी को गैस की किल्लत से छुटकारा दिलवाने के लिए कृषि विभाग ने खास योजना तैयार की है। विभाग द्वारा नैशनल बायोगैस मैकरो मैनेजमैंट प्रोग्रमा के तहत अब आम आदमी को बायोगैस के प्रति आकॢषत करने के लिए सबसिडी पर बायोगैस की रेडीमेड टैंकियां उपलब्ध करवाई जाएंगी। इस  टैंकी की खास बात यह है कि गोबर व अन्य वैस्ट से गैस बनाने के वाले सभी उपकरण इस टैंकी के अंदर ही स्थापित किए गए हैं और इसे लगाने के लिए ज्यादा जगह की जरूरत भी नहीं पड़ती है। विभाग की इस योजना के तहत 20 सुत्रीय कार्यक्रम के तहत जिले में 90 टैंकियां अनुदान पर देने का टारगेट रखा गया है।  पहले सरकार द्वारा घरेलू वैस्ट व गोबर का सही उपयोग करने के लिए किसानों को दीनबंधू बायोगैस प्लांट लगाने के लिए प्रेरित किया जाता था लेकिन इन प्लांटों के निर्माण में खुदाई, चिनाई, लेबर व निर्माण के लिए ज्यादा जगह की जरूरत होने के कारण सरकार की यह योजना लंबी रेस का घोड़ा नहीं बन पाई। इन बायोगैस प्लांटों के निर्माण में झंझटों को देखते हुए किसानों ने सरकार की इस योजना म

किसानों के लिए मददगार साबित नहीं हो रहे हैं पॉली हाऊस

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मार्कीटिंग की व्यवस्था न होने के कारण किसानों को नहीं मिल रहे हैं उत्पादों के अच्छे भाव नरेंद्र कुंडू  जींद।  सरकार द्वारा किसानों को परम्परागत खेती से हटाकर आधुनिक खेती की तरफ आकर्षित करने के लिए बागवानी विभाग के माध्यम से अनुदान पर पॉली हाऊस लगाने के लिए शुरू की गई योजना को मार्कीट के अभाव के कारण करारा झटका लग रहा है। बागवानी विभाग ने पॉली हाऊस में बेमौसमी सब्जियां उगाकर अच्छी आमदनी लेने के लिए किसानों को ऊंचे सपने तो दिखा दिए लेकिन विभाग द्वारा सब्जियों की बिक्री के लिए उचित व्यवस्था नहीं करने के कारण किसानों के इन सपनों पर कुछ ही समय में ग्रहण लग गया है। बागवानी विभाग द्वारा किसानों के लाखों रुपए खर्च करवाकर पॉली हाऊस तो खड़े करवा दिए लेकिन लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद भी यह पॉली हाऊस किसानों के लिए मददगार साबित नहीं हो पा रहे हैं। विभाग द्वारा सब्जियों की मार्कीटिंग की उचित व्यवस्था नहीं किए जाने के कारण किसानों को महंगे भाव की सब्जियां मजबूरन कौडिय़ों के भाव बेचनी पड़ रही हैं। किसानों द्वारा विभाग के अधिकारियों के पास अलग से मार्कीटिंग की व्यवस्था की बार-बार गुहार लगाने

अब सहज व सुहाना नहीं रहा रोडवेज का सफर

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सिकुड़ रहा रोडवेज का बेड़ा महज 150 बसों के सहारे साढ़ 13 लाख आबादी का सफर नरेंद्र कुंडू  जींद।  जिले में आबादी बढ़ रही है लेकिन रोडवेज के जींद डिपो का बेड़ा तेजी से सिकुड़ता जा रहा है। डिपो में नई बसों की इंट्री इतनी रफ्तार से नहीं हो रही है, जितनी रफ्तार से कंडम बसें बेड़े से बाहर हो रही हैं। इस वक्त जींद डिपो के बेड़े में 150 बसें दौड़ रही हैं। इन बसों के दम पर ही जिले की साढ़े 13 लाख की आबादी का सफर तय हो रहा है। कभी जींद डिपो के बेड़े में 275 से ज्यादा बसें होती थी, जो इतिहास बन चुकी हैं।  अब जिले के लोगों के लिए रोडवेज का सफर सहज व सुहाना नहीं रह गया है। इसका कारण है कि रोडवेज के बेड़े में इतनी बसें नहीं बची हैं, जो यात्रियों के सफर को सुहाना व आरामदायक बना दें। जिस रफ्तार से जिले में आबादी बढ़ रही है उससे तेज रफ्तार से रोडवेज बेड़े से बसें कंडम होकर बाहर हो रही हैं। रोडवेज में सफर करना यात्रियों के जी का जंजाल बन जाता है। बसों में इतनी भीड़ होती है कि महिलाओं व बच्चों की जान सांसत में आ जाती है। इतना ही नही बसें ओवरलोड होकर चलती हैं। विद्यार्थी रोजाना बसों की छतों पर

एच.आई.वी. जिन्न के जबड़ों में फंस रही जिंदगियां

पिछले 10 माह में 100 का आंकड़ा पार कर चुका है एच.आई.वी. का वायरस नरेंद्र कुंडू जींद।  एड्स जैसी लाइलाज बीमारी को कंट्रोल करने के लिए एड्स कंट्रोल सोसायटी व स्वास्थ्य विभाग की सारी मेहनत बेकार हो रही है। एड्स कंट्रोल सोसायटी व स्वास्थ्य विभाग के लाख प्रयासों के बावजूद भी एच.आई.वी. का जिन्न बोतल में बंद होने का नाम नहीं ले रहा है। विभाग द्वारा हर वर्ष जागरूकता अभियानों पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद भी जिले में एड्स का ग्राफ नीचे आने की बजाए लगातार ऊपर की ओर बढ़ रहा है। अब तो एच.आई.वी. का वायरस गर्भवती महिलाओं को भी अपनी चपेट में ले रहा है। जिले में पिछले 10 वर्षों में एच.आई.वी. के पाजीटिव केसों का आंकड़ा 100 के पार पहुंच गया है। एच.आई.वी. के केसों में हो रही बढ़ौतरी से यह अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि सरकार व स्वास्थ्य विभाग जागरूकता अभियानों पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद भी एच.आई.वी. के इस जिन्न को बोतल में बंद करने में नाकाम है। एड्स के आंकड़ों की रफ्तार को देखते जिले में स्थित काफी भयानक और चिंताजनक है।  ड्राइवरों के सबसे ज्यादा पाजीटिव केस  एच.आई.वी. पाजीट

अधिकारियों की लापरवाही के कारण जंग की भेंट चढ़ रहे हैं लाखों के कृषि यंत्र

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विभाग के पास नहीं  है कृषि यंत्रों के उचित रख-रखाव की व्यवस्था नरेंद्र कुंडू जींद।  यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के चलते कृषि कार्यों को बढ़ावा देने वाली लाखों रुपए की मशीनें जंग की भेंट चढ़ रही हैं लेकिन विभाग के अधिकारियों के पास इनकी देखरेख के लिए फुरस्त नहीं है। इस प्रकार विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण कृषि विभाग द्वारा किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू की जाने वाली योजनाएं बीच रास्ते में ही दम तोड़ रही हैं। सरकारी उपकरणों के प्रति विभागीय अधिकारियों की इस बेरूखी का खामियाजा किसानों के साथ-साथ विभाग को भी भुगतना पड़ रहा है। किसानों को जहां सही समय पर विभाग की योजनाओं का पूरा लाभ नहीं मिलता है तो मशीनें खराब होने के कारण विभाग को भी लाखों रुपए का नुक्सान उठाना पड़ता है। अधिकारियों द्वारा मशीनों के उचित रख-रखाव की व्यवस्था नहीं करने के कारण लाखों रुपए की मशीनें खुले आसमान के नीचे ही जंग की भेंट चढ़ रही हैं और अधिकारी इन मशीनों को ठीक करवाने की बजाए मुक दर्शक बने हुए हैं। अधिकारी मशीनों के रख-रखाव के लिए विभाग के पास पैसे की कमी का रोना रो रहे हैं।

फाइलों में ही दम तोड़ गई जिला प्रशासन की गौ रक्षक योजना

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डी.सी. के आदेशों के 10 माह बाद भी नप ने योजना पर नहीं किया अमल नरेंद्र कुंडू जींद।  जिले में गऊ कल्याण योजना फाइलों में ही सिमटकर रह गई। उपायुक्त के आदेशों के लगभग 10 माह बाद भी योजना पर अमल नहीं हुआ है। शहर में आवारा घूम रही पूजनीय गऊ माता की दुर्गति हो रही है। प्रशासन की तरफ से जिले में आवारा घूम रही गायों के लिए योजना बनाकर नगर परिषद को इसका जिम्मा सौंपा गया था। लेकिन नगर परिषद तक यह योजना पहुंचते ही फैल हो गई और नप की तरफ से इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाया। नगर परिषद की इस लापरवाही का फायदा गौ तस्कर उठा रहे हैं और रात्रि के समय बेजुबान इन गायों को वाहनों में भरकर गौकसी के लिए लेकर जा रहे हैं। ऐसे में प्रशासन की इस लापरवाही से गौभक्तों में लगातार विरोध हो रहा है। हालांकि शहर में आवारा गायों की तदाद बढऩे से सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि होने की आशंका भी बनी रहती है। ऐसे में सड़क दुर्घटनाएं के एक मुख्य कारण को जनाने के बावजूद भी प्रशासन केवल गऊ माता के कल्याण की योजनाएं बनाने तक ही सीमित रह गया है और योजनाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठ

..यह सफर नहीं आसान

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कंडम सामान के सहारे दौड़ रही हैं रोडवेज की बसें नरेंद्र कुंडू जींद।  आरामदेह एवं सुखद यात्रा का दम भरने वाले हरियाणा रोडवेज विभाग की बसें कंडम स्पेयर पार्ट्स के सहारे चल रही हैं। कंडम बसों के लिए नया स्पेयर पार्ट्स उपलब्ध नहीं होने के कारण वर्कशॉप में कल-पूर्जों का भारी टोटा बना हुआ है। स्पेयर पार्ट्स की कमी के चलते नई बसों में तकनीकि खराबी आने पर कंडम बसों के स्पेयर पार्ट का सहारा लिया जा रहा है। रोडवेज विभाग की इस लापरवाही का खामियाजा यात्रियों को अपनी जान देकर चुकाना पड़ सकता है। रोडवेज की कार्यशाला में समय पर स्पेयर पार्ट्स उपलब्ध न होने के कारण बसें कई-कई दिनों तक कार्यशाला में ही खड़ी रहती हैं। इससे रोडवेज को लाखों रुपए के राजस्व का चूना लग रहा है।  ज्यादातर किस सामान का होता है प्रयोग कार्यशाला में समय पर नया स्पेयर पार्ट्स उपलब्ध नहीं होने के कारण मैकेनिकों को मजबूरन कंडम स्पेयर पार्ट्स का सहारा लेना पड़ रहा है। सूत्रों के अनुसार कंडम बसों से बैरंग, गियर बक्सा, इंजन का सामान, हैड, डिफैंसर, धूर्रा, कमानी, डैनमो, एस्टीलेटर, लाइट, स्टेयरिंग, टायर, रिम, बॉडी पार्ट और जो प

दुकानदारों के सामने बौना साबित हो रहा फूड सेफ्टी एक्ट

विभाग के पास अभी तक पहुंचे महज 100 आवेदन नरेंद्र कुंडू  जींद। जिले के दुकानदारों के सामने फूड सेफ्टी एक्ट बौना साबित हो रहा है। दुकानदारों के लिए यह एक्ट बेमानी साबित हो रहा है। लोगों की सेफ्टी के लिए फूड सेफ्टी एक्ट तो बन गया और लागू भी हो गया लेकिन जनता की सेफ्टी अभी तक नहीं हो सकी है। एक्ट के प्रति न तो अधिकारी ही रुचि दिखा रहे और न ही दुकानदार परवाह कर रहे हैं। इस एक्ट को लागू हुए एक साल से ऊपर चुके हैं, लेकिन अभी तक महज 100 लाइसैंस के लिए आवेदन पहुंचा है। अधिकारियों की लापरवाही व जागरुकता के अभाव से यह एक्ट बेमौत मरने के कगार पर है। अगस्त 2011 में केन्द्र व राज्य सरकार ने खाद्य वस्तुओं में बढ़ रही मिलावट को रोकने तथा लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाले लोगों पर लगाम कसने के लिए फूड सेफ्टी कानून बनाया। इसके तहत एक दूध विक्रेता से लेकर खाद्य वस्तुओं का बड़ा कारोबार करने वाले तक लाइसैंस बनाना अनिवार्य किया गया है। जिसका मुख्य मकसद खाद्य वस्तुओं की बिक्री करने वाले दुकानों व अन्य उत्पादों का निर्माण करवाने वाले प्रतिष्ठानों की पहचान करना था, ताकि समय-समय पर उनकी जांच की जा स

जनता क्या बदना चाहती है सत्ता या व्यवस्था?

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नरेंद्र कुंडू जींद। जैसे-जैसे यूपीए सरकार के भ्रष्टाचार के मामले एक-एक करके पर्दे से बाहर आ रहै है, वैसे-वैसे ही राजनीति के गलियारों की हलचल भी बढ़ती जा रही हैं। देश में परिवर्तन के नाम की आंधी उठने लगी है। कहीं विपक्षी पाॢटयां सत्ता परिवर्तन की आवाज बुलंद कर रही हैं तो कहीं सामाजिक संगठन या अन्य दल पूरी व्यवस्था के परिवर्तन पर जोर दे रहे हैं। सत्तासीन सरकार के माथे पर भ्रष्टाचारी सरकार का लेबल चसपाकर देश में मध्यावर्ति चुनाव का माहौल तैयार किया जा रहा है। सत्ता परिवर्तन के लिए सभी राजनैतिक दल पूरे जोर-शोर से तैयारियों में जुटे हुए हैं। फिर से देश में रैलियों का दौर शुरू हो चुका है। टिकट के दावेदारों द्वारा अपनी ताकत का ऐहसास करवाने के लिए रैली में अधिक से अधिक भीड़ जुटाकर अपने आकाओं की नजरों में अपना कद बढ़ाने की पूरजोर कोशिश की जा रही है। राजनैतिक पार्टियों के बीच वाक युद्ध का दौर पूरे यौवन पर है। मंच रूपी रथ पर सवार होकर शब्द रूपी बाणों से नेता एक-दूसरे का सीना छलनी कर रहे हैं। अपने दाग को छुपाने के लिए दूसरों के दामन पर कीचड़ उछाला जा रहा है। राजनैतिक दल जनता-जर्नादन का समर

चने की खेती से मुहं मोड़ रहे जिले के किसान

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साल-दर-साल सिकुड़ता जा रहा चने की खेती का रकबा नरेंद्र कुंडू जींद।  कृषि विभाग किसानों को तिलहन व दलहन फसलों के लिए प्रेरित करने के लिए चाहे कितने भी प्रयास क्यों न कर रहा हो लेकिन विभाग के लाख प्रयास के बावजूद भी किसान तिलहन व दलहन फसलों की तरफ रूख नहीं कर रहे हैं। तिलहन व दलहन फसलों का रकबा लगातार कम हो रहा है और गेहूं व धान की फसलों के रकबे में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। अगर पिछले 4 दशकों के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो साल-दर-साल चने की खेती का रकबा सिकुड़ रहा है। दलहन फसलों का यह आंकड़ा सिर के बल गिर है। फिलहाल जिले में चने की खेती का रकबा सिर्फ 500 हैक्टेयर के लगभग ही बचा है जबकि वर्ष 1967-68 के समय में जिले में अकेले चने की खेती का रकबा 1 लाख हैक्टेयर के लगभग था।  कृषि विभाग किसानों को दलहन व तिलहन फसलों के प्रति प्रेरित करने के लिए हर वर्ष विशेष अभियान चलाकर लाखों रुपए खर्च करता है लेकिन विभाग के तमाम प्रयासों के बावजूद भी किसान तिलहन व दलहन फसलों को नहीं अपना रहे हैं। विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार जिले में दलहन फसलों में सबसे ज्यादा कमी चने की खेती के रकबे में हुई

हर रोज रोडवेज को लाखों का चूना लगा रही प्राइवेट समितियों की बसें

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निर्धारित रूटों पर नहीं चल रही हैं प्राइवेट समितियों की बसें नरेंद्र कुंडू जींद।  हरियाणा रोडवेज के अधिकारियों की अनदेखी विभाग को भारी पड़ रही है। हर रोज प्राइवेट समितियों की बसें विभाग को प्रति दिन लाखों रुपए का चूना लगा रही हैं। प्राइवेट बस चालक रोजाना नियमों को ठेंगा दिखाकर निर्धारित रूट से विपरित चल रहे हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों की यातायात व्यवस्था प्रभावित हो रही है। प्राइवेट बस चालकों द्वारा समय पर निर्धारित गांव में बस नहीं चलाने के कारण ग्रामीण क्षेत्र के यात्रियों व विद्यार्थियों को भारी परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। रोडवेज व जिला परिवहन प्राधिकरण विभाग को बार-बार निजी बस चालकों के खिलाफ शिकायत मिलने के बावजूद भी अधिकारी इनके खिलाफ कार्रवाई करने की बजाए इन्हें अपनी मौन स्वीकृति दे रहे हैं। हरियाणा रोडवेज बेड़े में बसों की कमी को देखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर परिवहन सेवाएं मुहैया करवाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए परिवहन समितियों को परमिट अलाट किए गए थे। फिलहाल जिले में 48 निजी बसें चल रही हैं। लगभग इन सभी 48 बसों के रूट ग्रामीण क्षेत्

पिछले वर्ष हुई गलती से सबक ले रहा है कृषि विभाग

गेहूं की पछेती बिजाई के बाद भी अच्छे उत्पादन के लिए विशेष किस्मों पर दिया जा रहा है जोर नरेंद्र कुंडू जींद । पिछले वर्ष कपास की फसल की चुगाई का सीजन काफी लंबा चलने के कारण लेट हुई गेहूं की बिजाई से इस बार कृषि विभाग ने सबक लिया है। इस बार कृषि विभाग गेहूं की लेट बिजाई के बाद भी किसानों को अच्छी पैदावार दिलवाने के लिए विशेष किस्मों पर जोर दे रहा है। हालांकि कृषि विभाग गेहूं की बिजाई के अपने लक्ष्य से अभी भी दूर है। इसके अलावा विभाग द्वारा गेहूं की फसल को बीमारियों से बचाने के लिए किसानों को बीजोपचार के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है।  पिछले वर्ष कपास की फसल की चुगाई का सीजन दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह तक चला था। कपास का सीजन लंबा चलने के कारण गेहूं की बिजाई का कार्य काफी लेट हो गया था। इसके चलते कृषि विभाग के अधिकारियों को गेहूं की बिजाई के अपने टारगेट तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी थी। गेहूं की बिजाई लेट होने के कारण किसानों को भी पैदावार में काफी नुक्सान उठाना पड़ा था लेकिन इस बार कृषि विभाग ने अपनी पिछले वर्ष की गलती को सुधारने के लिए गेहूं की पछेती किस्मों की बिजाई प

...ताकि रबी की फसल के सीजन के दौरान न हो नकली बीज की बिजाई

नकली बीज व दवाइयों की बिक्री को रोकने के लिए कृषि विभाग ने चलाया अभियान नरेंद्र कुंडू  जींद।  रबी की फसल की बिजाई के दौरान नकली बीज, खाद व दवाइयों की बिक्री को रोकने के लिए जिला कृषि विभाग ने कमर कस ली है। नकली बीज, खाद व दवाइयों की बिक्री को रोकने के लिए विभाग द्वारा सैंपङ्क्षलग के लिए विशेष अभियान चलाया गया है। इसके लिए विभाग द्वारा एस.डी.ओ. क्यू.सी.आई., ए.पी.पी.ओ. व प्रशासन के अधिकारियों के नेतृत्व में बीज व खाद की दुकानों पर जाकर सैंपल लिए जा रहे हैं। रबी की फसलों की बिजाई तक विभाग का यह अभियान जारी रहेगा।  प्रदेश में रबी की फसल की बिजाई का सीजन जोरों पर है। इस दौरान नकली बीज, खाद व दवाइयों का बाजारा भी गर्म हो चुका है। नकली बीज, खाद व दवाइयों के विक्रेता किसानों को नकली बीज व दवाइयों की सप्लाई कर मोटा मुनाफा कमाने की फिराक में रहते हैं। किसानों को इसकी पहचान नहीं होने के कारण भोले-भाले किसान इनके चुंगल में आसानी से फंस जाते हैं। नकली बीजों की बिजाई के कारण किसानों की हजारों रुपए की फसल खराब हो जाती है और इससे किसानों को काफी आर्थिक नुक्सान उठाना पड़ता है लेकिन अब कृषि विभ

चली आओ म्हारे देश 'लाडो'

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गर्भ में मारी गई अजन्मी कन्याओं की आत्मा की शांति के लिए हवन में आहुति डालकर दिलवाते हैं शपथ  नरेंद्र कुंडू  जींद।  कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए लोगों को जागरूक करने के अलावा जिले के युवाओं द्वारा एक अनोखी मुहिम शुरू की गई है। 'बेटी बचाओ सृष्टि बचाओ अभियान' के तहत युवाओं द्वारा लोगों को कन्या भ्रूण हत्या नहीं करवाने के लिए जागरूक करने के लिए जागरूकता रैली निकाली जाती है। रैली के समापन पर गर्भ में मारी गई अजन्मी कन्याओं की आत्मा की शांति के लिए लोगों से हवन में आहुति डलवाकर उन्हें कन्या भ्रूण हत्या नहीं करवाने की शपथ दिलवाई जाती है। इस मुहिम की खास बात यह है कि अधिक से अधिक लोगों को इस मुहिम से जोडऩे के लिए इसमें किसी व्यक्ति विशेष का प्रचार नहीं कर 'आप और हम' के स्लोगन के साथ इसे आगे बढ़ाया जा रहा है। जींद जिले में इस अभियान को सफल बनाने के बाद इनका अगला टारगेट प्रदेश स्तर पर इस अभियान को चलाकर पूरे प्रदेश में अपनी टीमें तैयार करना है।    शहर में रैली निकाल कर लोगों का जागरूक करते युवा 'लाडो' को बचाने के लिए जिले में पिछले काफी समय से मुहिम चली

प्रतिबंध दवाइयां बेचने वाले मैडीकल स्टोर संचालकों के खिलाफ विभाग ने खोला मोर्चा

एक दर्जन से ज्यादा लाइसैंस किए रद्द  नरेंद्र कुंडू  जींद।  ड्रग कंट्रोल विभाग ने जिले में नशे के खिलाफ विशेष मुहिम छेड़ी है। विभाग द्वारा इस मुहिम के तहत मैडीकल स्टोरों पर प्रतिबंधित दवाइयां बेचते हुए पकड़े जाने वाले स्टोर संचालकों के लाइसैंस रद्द किए जा रहे हैं। विभाग ने इस कड़ी के तहत अभी तक एक दर्जन से ज्यादा मैडीकल स्टोर संचालकों के लाइसैंस रद्द कर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की है। इसके अलावा विभाग द्वारा झोला छाप डाक्टरों पर भी शिकंजा कसा है। मैडीकल स्टोरों पर नशीली व प्रतिबंधित दवाइयां बेचने वाले मैडीकल स्टोर संचालकों को सबक सिखाने के लिए ड्रग कंट्रोल विभाग द्वारा सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। विभाग द्वारा शुरू की गई इस मुहिम का मुख्य उद्देश्य नशीली दवाइयों की बिक्री पर रोक लगाकर जिले को नशा मुक्त बनाना है। जिला कंट्रोल विभाग द्वारा सीनियर ड्रग कंट्रोल अधिकारी परङ्क्षजद्र ङ्क्षसह के निर्देशानुसार यह अभियान चलाया गया है। विभागीय अधिकारियों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार अभी तक विभाग ने अपने इस अभियान के तहत मैडीकल स्टोर पर नशील दवाइयां बेचते पाए जाने पर 12 से अधिक मैडीकल स्टोरों

महिला पाठशाला की मानीटरिंग के लिए ललीतखेड़ा पहुंची कृषि विभाग के अधिकारियों की टीम

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कहा: अगले वर्ष प्रदेश स्तर से शुरू होगी जहर से मुक्ति दिलवाने की मुहिम नरेंद्र कुंडू  जींद।  कृषि विभाग की आत्मा स्कीम के तहत ललीतखेड़ा गांव में चल रही प्रदेश की एकमात्र महिला पाठशाला की निगरानी व पर्यवेक्षण के लिए शनिवार को कृषि मंत्रालय से अवर सचिव आर.एस. वर्मा तथा कृषि विस्तार प्रबंधन राष्ट्रीय संस्थान हैदराबाद की उप निदेशक डा. लक्ष्मी मूर्ति ललीतखेड़ा पहुंची। पाठशाला की मानिटङ्क्षरग के लिए पहुंचे दोनों अधिकारी पाठशाला की महिलाओं व मास्टर ट्रेनरों से रू-ब-रू हुए। महिलाओं की उपलब्धियों को देखते हुए विभागीय अधिकारियों ने महिलाओं व मास्टर ट्रेनरों की पीठ थपथपाई, वहीं पाठशाला की महिलाएं भी विभागीय अधिकारियों को अपने बीच पाकर गदगद थी। इस अवसर पर उनके साथ उपमंडल अधिकारी सुरेंद्र मलिक, खंड कृषि विकास अधिकारी डा. जे.पी. शर्मा, डा. सुरेंद्र दलाल व विषय विशेषज्ञ दीपिका भनवाला भी मौजूद थी।  अधिकारियों को जानकारी देते ललीतखेड़ा की महिलाएं।  महिलाओं से बातचीत करते विभागीय अधिकारी।  महिला किसान मिनी, सविता, अंग्रेजो, यशवंती, सविता, शीला ने विभागीय अधिकारियों को पाठशाला के दौरान

सबसिडी के बाद भी बाजार से कम रेट पर नहीं मिल रहा है गेहूं का बीज

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सरकार द्वारा सबसिडी के नाम पर हरियाणा बीज विकास निगम को दिए जाते हैं करोड़ों रुपए नरेंद्र कुंडू जींद।  सरकार द्वारा गेहूं के बीज पर सबसिडी दिए जाने के बावजूद भी किसानों को गेहूं का बीज बाजार से कम रेट पर नहीं मिल पा रहा है। हरियाणा बीज विकास निगम (एच.एस.डी.सी.) किसानों को जिस रेट पर बीज उपलब्ध करवा रहा है, उसी रेट पर किसानों को बाजार में गेहूं का बीज मिल रहा है। जबकि निगम द्वारा सबसिडी देकर किसानों को यह बीज बाजार से कम भाव पर मुहैया करवाना होता है। निगम द्वारा किसानों को दिए जा रहे सबसिडी व बिना सबसिडी के बीज के भाव लगभग एक समान हैं। इस प्रकार निगम सरकार से बीज पर सबसिडी लेने के बाद भी किसानों को बाजार से कम रेट पर बीज मुहैया नहीं करवा रही है।   निगम की वेबसाइट पर दर्शाया गया सबसिडी वाले बीज का रेट चार्ट। सरकार द्वारा किसानों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने के लिए किसानों को उन्नत किस्म की फसलों के लिए प्रेरित किया जा रहा है। किसानों को अच्छी किस्म के गेहूं का बीज उपलब्ध करवाने के लिए सरकार द्वारा वर्ष 2012-13 के लिए हरियाणा बीज विकास निगम के माध्यम से किसानों को सबसिडी पर ग

.....मैडम जी म्हारा के कसूर सै ?

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पिछले 3 माह से चले आ रहे प्राचार्या व अध्यापाकों के विवाद में बाधित हो रही है बच्चों की पढ़ाई नरेंद्र कुंडू जींद।  ईंटलकलां गांव के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में पिछले 3 माह से प्राचार्या व अध्यापकों के बीच चले आ रहे विवाद से बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। इससे बच्चों का भविष्य खतरे में है। प्राचार्या व अध्यापकों के इस विवाद को देखते हुए स्कूल के बच्चों पर तो हरियाणावी कहावत झोटयां की लड़ाई में झूंडां का खो वाली कहावत सटीक बैठ रही है। पिछले 3 माह से चली आ रही इस लड़ाई में प्राचार्या या अध्यापकों को तो शायद ही कुछ नुक्सान उठाना पड़े या ना पड़े लेकिन इसमें बच्चों को तो पढ़ाई का नुक्सान उठाना ही पड़ेगा। 3 माह के लंबे अंतराल के बावजूद भी विभाग प्राचार्या व अध्यापकों के बीच चली आ रही चौधर की इस जंग को शांत नहीं करवा पाया है। दोबारा से प्राचार्या लता सैनी को इसी स्कूल का चार्ज मिलने के बाद अब अध्यापक यहां से अपना तबादला करवाने पर अड़े हुए हैं। उधर प्राचार्या भी इस स्कूल से अपने तबादले की मांग कर रही है। इसके चलते दोनों पक्षों से शुक्रवार को स्कूल में मामले की जांच के लिए पहुंची