संदेश

शिकायत देने के बाद गवाही से मुकरे तो खैर नहीं

चित्र
धारा 182 के तहत दर्ज होगा मामला नरेंद्र कुंडू  जींद। अब विजीलेंस ब्यूरो रिश्वतखोरों के साथ-साथ उन शिकायतकर्त्ताओं पर शिकंजा कसने जा रहा है, जो शिकायत देकर बाद में गवाही के दौरान मुकर जाते हैं। गवाही के दौरान मुकरने वाले शिकायतकर्त्ता के खिलाफ धारा 182 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। अधिकतर मामलों में शिकायतकर्त्ता द्वारा गवाही के दौरान मुकर जाने के कारण विजीलेंस द्वारा रंगे हाथों पकड़ा गया कर्मचारी बच निकलता था और कोर्ट में विजीलेंस की फजीहत होती थी। सरकार द्वारा जारी इन आदेशों के बाद अब शिकायतकर्त्ता मुकर नहीं सकेगा और रिश्वत के आरोप में धरे गए कर्मचारी का बचना मुश्किल हो जाएगा। सरकारी कार्यालयों से रिश्वतखोरी को मिटाने के लिए विजीलेंस का गठन किया गया था। लेकिन विजीलेंस की लाख कोशिशों के बावजूद भी आरोपी कर्मचारी बच निकलते थे। रिश्वत के आरोप में धरे गए कर्मचारी को बचाने में खुद शिकायतकर्त्ता ही उसकी ढाल बनता था। अधिकतर मामलों में पकड़े गए कर्मचारी द्वारा शिकायतकर्त्ता को पैसे देकर या सामाजिक दबाव बनाकर समझौता कर लिया जाता था। जिस के बाद शिकायतकर्त्ता कोर्ट में गवाही के दौरान मुकर जाता था

शूटिंग रेंज के अभाव में दम तोड़ रही खेल प्रतिभाएं

शूटिंग रेंज के लिए 2008 में भेजा गया था मुख्यमंत्री को ज्ञापन   नरेंद्र कुंडू जींद। जिले में पिछले चार साल से उठ रही शूटिंग रेंज की आवाज के बाद भी आज तक शूटिंग रेंज अस्तित्व में नहीं आ पाई है। जिला प्रशासन बिना शूटिंग रेंज व सुविधाओं के अभाव में ही खिलाड़ियों से मैडलों की आश लगाए बैठा है। शूटिंग रेंज के अभाव के कारणा एनसीसी कैडेट्स व होमगार्ड के जवानों को फायरिंग की ट्रायल देने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिले में फिलहाल पांडू पिंडारा गांव के पास अस्थायी शूटिंग रेंज चल रही है, जिससे जान व माल का बड़ा खतरा रहता है। खुले में चल रही शूटिंग रेंज के कारणा यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। जिले में शूटिंग रेंज न होने के कारण खेल प्रतिभाएं दम तोड़ रही हैं। खिलाड़ियों को मजबूरन जिले से बाहर प्राइवेट शूटिंग रेंज में जाकर अपने खर्च पर अभयास करना पड़ रहा है। प्राइवेट शूटिंग रेंज में प्रशिक्षण का खर्च ज्यादा होने के कारण खिलाड़ियों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जिस कारण खिलाड़ी खेल से मुहं मोड़ रहे हैं। खिलाड़ियों के अलावा एनसीसी कैडेट्स व होमगार्ड के जवानों को भी प्रशिक

प्रदेश की पंचायतों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनी बीबीपुर की पंचायत

चित्र
ई डिजीटल पंचायत का निर्माण कर अंतर्राष्ट्रीय  स्तर पर लहराया परचम बीबीपुर पंचायत का इंटरनेट पर बनाये गई वेबसाइट नरेंद्र कुंडू जींद। एक तरफ जहां ग्रामीण क्षेत्र विकास कार्यों में पिछड़ रहे हैं, वहीं जिले का एक गांव ऐसा भी है, जिसने विकास के सारे रिकार्ड तोड़ते हुए छोटे से लेकर बड़े प्रोजैक्ट में अपनी भागीदारी दर्ज करवाई है। आदर्श गांव का दर्जा प्राप्त करने के साथ-साथ डिजीटल पंचायत बनाकर देश की प्रथम हाईटेक पंचायत की सूची में अपना नाम दर्ज करवाया है। जिले के बीबीपुर गांव की पंचायत राष्टÑीय ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय  स्तर पर भी अपनी पहचान बना चुकी है। बीबीपुर गांव की पंचायत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कर प्रदेश की पंचायत के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गई है। ताज्जुब की बात तो यह है कि बीबीपुर गांव की पंचायत को आज तक प्रदेश सरकार की तरफ से एक भी ग्रांट नहीं मिली है। गांव में सारे विकास कार्य जिला प्लानिंग के तहत मिलने वाली ग्रांट व पंचायती फंड से करवाए गए हैं।  जिला जींद जहां विकास कार्यों में पिछड़ने के कारण अपनी पहचान खो रहा है, वहीं जिले का गांव बीबीपुर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी जिल

छोड़ो कल की बातें कल की बात पुरानी, नए दौर में लिखेंगें मिलकर नई कहानी

चित्र

सुलगने लगी आंदोलन की चिंगारी

नए साल से करेंगे आंदोलन की शुरूआत नरेंद्र कुंडू जींद। अपने साथ हो रहे सौतेले व्यवहार व अपने हक के लिए डीसी रेट पर कार्यरत कर्मचारियों में आंदोलन की चिंगारी सुलगने लगी है। मुख्यमंत्री द्वारा अनुबंधित अध्यापकों को वेतनवृद्धि का तोहफा दिए जाने के बाद डीसी रेट पर कार्यरत कर्मचारियों के अंदर छिपी ये चिंगारी अब उग्र रूप धारण कर रही है, जो जल्द ही आंदोलन का रूप धारण कर सकती है। समान काम व समान वेतन की मांग को लेकर लड़ाई लड़ने के लिए ये कर्मचारी आंदोलन की रणनीति तैयार कर रहे हैं। अपने इस आंदोलन में अपनी मांगों के साथ-साथ काल का ग्रास बन चुके डीसी रेट के 93 कर्मचारियों के हक के लिए भी आवाज उठाई जाएगी। डीसी रेट के कर्मचारियों द्वारा किए जाने वाले आंदोलन के संकेत अभी गत दिवस 28 दिसंबर को नेहरू पार्क में हुई बैठक के माध्यम मिल चुके हैं। आंदोलन को सफल बनाने के लिए डीसी रेट के कर्मचारी सूचना एवं प्रौद्योगिकी का भी सहारा ले रहे हैं। एसएमएस के माध्यम से सभी कर्मचारियों को आंदोलन के लिए निमंत्रण दिया जा रहा है। हरियाणा बिजली वितरण निगम ने कर्मचारियों की तंगी से राहत पाने के लिए 2008 में 6 हजार असिस्टे

टूटे दिलों को जोड़ने की कवायद

परिवार परामर्श केंद्र ने निपटाए 867 मामले  नरेंद्र कुंडू जींद। जिला बाल कल्याण परिषद द्वारा चलाया जा रहा परिवार परामर्श केन्द्र रिश्तों में आई दरार को जोड़ने में वरदान साबित हो रहा है। परिवार परामर्श केन्द्र में अब तक 876 मामले सामने आए। जिसमें से परामर्शदाताओं ने 867 परिवारों को जोड़ने का काम किया। अगर आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष ज्यादा मामले निपटारे के लिए परिवार परामर्श केंद्र में आए हैं। हर वर्ष औसतन 50 से 60 मामले रजिस्ट्र हो रहे हैं। जागरूकता के अभाव के कारण दाम्पत्य जीवन में आई कड़वाहट को दूर करने व लोगों को जागरूक करने के लिए जिला बाल कल्याण परिषद ने गांव व कस्बों में जाकर जागरूकता शिविर लगाने का निर्णय लिया है। आधुनिकता की चकाचौंध व भागदोड़ भरी जिंदगी के कारण आज इंसान अपने वास्तविक रिश्तों की पहचान खो रहा है। आपसी तालमेल के अभाव व जागरूकता की कमी के कारण दाम्पत्य जीवन में कड़वाहट बढ़ रही है। जिस कारण कई बार तो दोनों में तलाक तक की नौबत आ जाती है और लोग जागरूकता के अभाव के कारण कोर्ट-कचहरी के चक्कर में पड़ जाते हैं। कोर्ट-कचहरी की लंबी प्रक्रिया से हार-थक ज

अब तहसील स्तर पर खुलेंगे कृषि विज्ञान केंद्र

हिसार कृषि विवि से शुरू होगी पहल कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए वरदान साबित होगी योजना नरेंद्र कुंडू जींद। प्रदेश में शहरीकरण और औद्योगिकरण से कम हो रही कृषि जोत तथा कृषि क्षेत्र में लागत बढ़ने के बावजूद कृषि उत्पादन व मुनाफे में आ रही कमी के कारण असमंजसता के दौर से गुजर रहे किसानों के लिए अच्छी खबर है। कृषि क्रियाओं में उनकी तकनीक को बढ़ाने तथा मुनाफे के तरीके शेयर करने के लिए तहसील स्तर पर कृषि विज्ञान केंद्र खोले जाएंगे। आमतौर पर हर जिले में एक ही कृषि विज्ञान केंद्र काम कर रहा है। नए केंद्रों के लिए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने रणनीति बनाकर उसे मूर्त रूप देने की तैयारी शुरू कर दी है। प्रदेश के अधिकांश जिलों में कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से किसानों को कृषि तथा अन्य सहायक गतिविधियों से रूबरू कराने वाले हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा कराए गए एक सर्वे में यह साफ हो गया था कि किसानों को खेती प्रबंधन से लेकर अपनी लागत निकालने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। इसके कारण किसानों का कृषि क्षेत्र से मोह भंग हो रहा है। उनके खेती से विमुख होने के संभावित खतरे को टालने के लिए विश्वविद्

नए साल पर कर्मचारियों की रहेगी मौज

हर माह कर्मचारियों को एक साथ मिलेंगी तीन-तीन छुट्टियां नरेंद्र कुंडू जींद। वर्ष 2012 कर्मचारियों के लिए खासी सौगात लेकर आएगा। नए साल की शुरूआत छुट्टी से होगी और समाप्त वर्किंग डे पर होगा। सालभर में छुट्टियों की रेल चलती रहेगी। नए वर्ष में कर्मचारियों के लिए तीन का आंकड़ा काफी मजेदार रहेगा। कर्मचारियों को हर माह 3-3 छुट्टियों की सौगात एक साथ मिलती रहेगी। जिसके चलते कर्मचारी अपने परिवार को टाइम दे पाएंगे। एक जनवरी को रविवार पड़ने से सरकारी कर्मचारियों के लिए नए साल का जश्न दो गुणा हो जाएगा। दूर-दराज नौकरी करने वाले कर्मचारी इस बार अपने परिवार के साथ नया साल मना पाएंगे। हर माह एक साथ तीन-तीन छुट्टियों पड़ने के कारण सरकारी कार्यालयों में कामकाज भी काफी धीमी गति से चलेगा, जिस कारण आम जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। लोग शायद सच ही कहते हैं कि साल की शुरूआत जैसा होगी, पूरा साल उसी तहर चलेगा। इस बार नया साल सरकारी कर्मचारियों के लिए अच्छा बितेगा। क्योंकि नए साल की शुरूआत ही छुट्टी से हो रही है। इस बार सरकारी कर्मचारियों को हर माह एक साथ तीन-तीन छुट्टियों की सौगात मिलेगी। यही कारण है कि

मौत के साये में पढ़ाई

चित्र
जर्जर हो चुका है स्कूल का भवन नरेंद्र कुंडू जींद। सरकार द्वारा शिक्षा के प्रचार-प्रसार पर करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाया जा रहा है, वहीं क्षेत्र के कई स्कूलों के पास या तो भवन की कमी है या भवन जर्जर हो चुके है। ऐसे में गांव भूरायण के राजकीय प्राथमिक पाठशाला का भवन की छत्त टूटने के कगार पर है। जिसके कारण स्कूली छात्र मौत के साये में पढ़ाई करने पर मजबूर हैं। स्कूल स्टाफ द्वारा शिक्षा विभाग को भवन के निर्माण के लिए मौखिक व लिखित शिकायत दी जा चुकी है। लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी शिकायत मिलने के बाद भी लंबी तानकार सोये हुए हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण लगभग 500 विद्यार्थियों के सिर पर मौत का साया मंडरा रहा है। अधिकारियों की लापरवाही के कारण यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है, जो स्कूल में पढ़ रहे इन नौनिहालों को मौत के मुहं में धकेल सकता है। प्रदेश सरकार शिक्षा स्तर को सुधारने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ-साथ अनेकों सुविधाएं देने के दावे कर रही है। लेकिन प्रदेश सरकार के यह दावे सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह जाते हैं। सरकार के इन दावों

चिठ्ठी ना कोई संदेश....

चित्र
मोबाइल संचार क्रांति के बाद घटा ग्रीटिंग का क्रेज इस बार मार्केट में आए नए ग्रीटिंग कार्ड को दिखाता दुकानदार। नरेंद्र कुंडू जींद। चिठ्ठी  ना कोई संदेश.... जी हां हम बात कर रहे हैं उस जमाने की जब लोग चिठ्ठी  या पत्र के माध्यम से दूर बैठे अपने प्रियजनों का हालचाल मालूम करते थे। काफी दिनों तक उनका कोई संदेश या चिठ्ठी  न मिलने पर इस गजल को गुणगुणा कर उन्हें याद भी करते थे। होली, दीपावली व नव वर्ष पर ग्रीटिंग के माध्यम से लोग अपने शुभचिंतकों को शुभकामनाएं देते थे। जिसके चलते त्योहारी सीजन पर कई-कई दिनों तक ग्रीटिंग कार्डों का आदान-प्रदान चलता था। करीबन एक डेढ़ दशक तक सूचना एवं संदेश भजने के कारोबार में ग्रीटिंग का साम्राज्य कायम रहा है, लेकिन इस साम्राज्य को अब मोबाइल टेक्नोलाजी ने हिलाकर रख दिया है। अब महंगे ग्रीटिंग कार्ड खरीदना और दो दिन बाद मिलने का जमाना लदने लगा है। अब यह काम एक पैसे व एक सैकेंड में हो जाता है। अब मार्केट में अच्छे से अच्छे ग्रीटिंग आए हुए हैं, लेकिन अब इनके खरीदार बहुत कम रह गए हैं। पहले त्योहारी सीजन पर ग्रीटिंग का करोड़ों रुपए का कारोबार होता था, लेकिन अब यह कार

सरवाइकल बन रहा युवाओं का दुश्मन

नरेंद्र कुंडू                                                                    जींद। सावधान! अगर आप कम्प्यूटर पर ज्यादा समय बिताते हैं, आपका सोने का तरीका व बिस्तर सही नहीं है या आप एक ही अवस्था में ज्यादा देर तक टीवी देखते हो तो आप सरवाइकल का शिकार हो सकते हैं। आज सरवाइकल की बीमारी युवाओं की दुश्मन बनी हुई है। सरवाइकल की चपेट में सबसे ज्यादा युवा पीढ़ी आ रही है। शहर के सामान्य अस्पताल के आयुर्वैदिक पंचकर्म केंद्र पर रोजाना औसतन 15 केस सरवाइकल के पहुंच रहे हैं। पंचकर्म केंद्र पर आने वाले सरवाइकल के मरीजों में ज्यादातर युवा शामिल हैं। चिकित्सक इसके लिए ज्यादा देर तक कम्प्यूटर पर कार्य करना, टीवी देखना, सोने का तरीका व बिस्तर सही नहीं होना व डिप्रेशन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। युवाओं में इंटरनेट के बढ़ते क्रेज के कारण ज्यादा समय कम्प्यूटर पर बिताने, दिनचर्या सही न होने के कारण सरवाइकल की बीमारी दस्तक दे रही है। युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा इस बीमारी का शिकार हो रही है। सरवाइकल युवा पीढ़ी की दुश्मन बनी हुई है। कम्प्यूटर पर काम करते समय बैठने व काम करने का तरीका सही नहीं होने, एक ही अवस्था में

थाली से जहर कम करने का महिलाओं ने उठाया बीड़ा

चित्र
पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को सीखा रही हैं कीट प्रबंधन के गुर नरेंद्र कुंडू जींद। फसलों में बढ़ते कीटनाशकों के इस्तेमाल को विद्यार्थियों को कीटों की जानकारी देती महिलाएं। रोकने तथा मित्र कीटों को बचाने के लिए कीट प्रबंधन का बीड़ा निडाना की महिलाओं ने उठाया है। महिलाओं ने स्वयं इस कार्य में दक्षता हासिल करने के बाद विद्यार्थियों को मित्र कीटों के बारे में जागरूक करने की ठानी है। निडाना गांव के डैफोडिल पब्लिक स्कूल में ये महिलाएं हर शनिवार को विद्यार्थियों की क्लास लेती हैं। विद्यार्थियों को व्यवहारिक ज्ञान देने के लिए खेतों में ले जाकर इन्हें मित्र कीटों की पहचान करवाती हैं।  पूरे भारत में यह बच्चों की अकेली मित्र कीट पाठशाला है। फसलों की अधिक से अधिक पैदावार लेने के लिए किसान आज फसलों पर जमकर कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे हैं। फसलों पर अत्याधिक कीटनाशकों के प्रयोग के कारण भूमि की उर्वरा शक्ति तो कम ही रही है साथ-साथ हमारे खाद्य पदार्थ भी  विषैले हो रहे हैं। जिस कारण हमारी सेहत पर भी इनका विपरित प्रभाव पड़ रहा है। इसलिए भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने तथा मनुष्य की थाली से इस जहर कम करने क

विदेशों में छाए म्हारे किसान

चित्र
कीटनाशक रहित खेती को बढ़ावा देने के लिए छेड़ी मुहिम इंटरनेट पर महिला खेत पाठशाला नामक ब्लॉग पर लिखी गई जानकारी। नरेंद्र कुंडू जींद।   निडाना गांव की किसान खेत पाठशाला में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे किसानों ने देश ही नहीं विदेशों में भी धूम मचा दी। किसानों द्वारा मित्र कीटों की पहचान कर कीटनाशक रहित खेती को बढ़ावा देने के बारे में ब्लॉग पर लिखी गई जानकारियों में विदेशी लोग भी रूचि ले रहे हैं। ठेठ हरियाणवी भाषा में ब्लॉग लिखे जाने के बावजूद भी भारत सहित अन्य देशों से 10589 लोग इन ब्लॉगों को पढ़ चुके हैं। इसके अलावा किसानों द्वारा यू-ट्यूब पर डाली गई कीटों के क्रिया क्लापों की लाइव वीडियों को भारत सहित अन्य देशों के 51845 लोग देख चुके हैं। यू-ट्यूब पर डाली गई वीडियो को सबसे ज्यादा अमेरीका के लोगों द्वारा देखा जा रहा है। 45 से 54 आयु वर्ग के लोग इनमें सबसे ज्यादा रूचि ले रहे हैं। इन किसानों द्वारा अब तक 77 प्रकार के कीटों की पहचान की जा चुकी है। ताज्जूब की बात तो यह है कि ब्लॉग पर किसानों द्वारा लिखे गए सवालों का जवाब देने में वैज्ञानिक भी असमर्थ हैं। किसानों के इस कारनामे से निडाना गांव की

किसानों का सहारा बनेंगे पॉली हाऊस

चित्र
किसानों का आधुनिक खेती के प्रति रूझान बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा दी जा रही 65 प्रतिशत की सब्सिडी नरेंद्र कुन्डू जींद। जिले में बागवानी विभाग ने किसानों को आधुनिक खेती के प्रति रुझान बढ़ाने के लिए पॉली हाऊस स्थापित करने का निर्णय लिया है। जिसमें विभाग की तरफ से किसानों को पॉली हाऊस स्थापित करने पर 65 प्रतिशत सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। पॉली हाऊस के माध्यम से किसान स्वास्थ्य व बेमौसमी सब्जियों की पैदावार ले सकेंगे। प्रदेश सरकार की इस योजना से अब किसान सब्जी उत्पादन में इजाफा कर पाएंगे। सरकार की इस योजना का लाभ लेने के लिए जिले के दर्जनों किसान पॉली हाऊस के लिए आवेदन का चुके हैं। बागवानी विभागकरने का निर्णय लिया है। इस कड़ी के तहत किसानों को पॉली हाऊस लगाने पर 65 प्रतिशत सब्सिडी देने का प्रावधान है। इस तकीनीक से सीमित स्थान में कम से कम खर्च पर अधिक से अधिक गुणवत्ता वाली पौध तैयार की जा सकती है। प्रदेश सरकार के इस निर्णय से किसानों का आधुनिक खेती के प्रति रूझान बढ़ेगा और किसान आर्थिक तौर पर मजबूत हो सकेंगे। पॉली हाऊस के माध्यम से किसान बेमौसमी सब्जियों की अधिक से अधिक पैदावार कर सकें

उपेक्षा का दंश झेल रहा रानी का ऐतिहासिक कुआं

चित्र
सोम तीर्थ पर स्थित रानी का कुआं।  जींद। पिंडारा गांव स्थित सोमतीर्थ पर प्रशासन भले ही करोड़ों रुपए खर्च करने के दावे कर रहा हो, लेकिन तीर्थ पर ही मौजूद रानी के ऐतिहासिक कुएं  के जीर्णोदार के लिए एक फुटी कौड़ी भी  खर्च नहीं हुई है। प्रशासन की उपेक्षा का दंश झेल रहा रानी का ऐतिहासिक कुआं अपना अस्तित्व खो चुका है। रानी के कुए व रानी घाट का निमार्ण जींद के राजा गणपत सिंह ने 1785 ई. में वास्तु शास्त्र के अनुसार करवाया था। इस तीर्थ पर यह एकमात्र सबसे प्राचीन कुआं है। जिला प्रशासन, पुरातात्विक विभाग, सामाजिक व धार्मिक संगठनों को इस प्राचीन धरोहर की सुध लेने तक की फुर्सत नहीं है। पिंडारा गांव में मौजूद सोम तीर्थ की प्रदेश में एक अलग ही पहचान है। इस तीर्थ का इतिहास महाभारत काल से भी जुड़ा हुआ है। इस ऐतिहासिक तीर्थ पर जींद के राजा गणपत सिंह द्वारा 1785 ई. में रानी के लिए कुएं व एक घाट का निर्माण करवाया गया था। कुएं व घाट का निर्माण वास्तु शास्त्र के अनुसार करवाया गया था। कुएं की गहराई 50 मीटर से •भी ज्यादा थी। जिस कारण इसका पानी बहुत मीठा होता था। इस तीर्थ पर रानी घाट व रानी कुआं सबसे प्राचीन

मत्स पालन विभाग को अब मिश्रित मछली पालन योजना का सहारा

नरेंद्र कुंडू जींद। कृषि व्यवसाय किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा था, जिससे प्रदेश के किसान बेहाल हो गए थे। प्रदेश के किसानों को आर्थिक तौर पर मजबूत करने और किसानों को नई दिशा देने के उद्देश्य से सरकार ने श्वेत क्रांति व हरित क्रांति के बाद प्रदेश में नीली क्रांति लाने की योजना बनाई थी।लेकिन सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी जिले में मछली पालन व्यवसाय खड़ा नहीं हो पा रहा था। इसलिए अब जिले में नीली क्रांति को परवान चढ़ाने के लिए विभाग द्वारा मिश्रित मछली पालन को अपनाया जा रहा है। इस बार जिले में 645 हैक्टेयर में मछली पालन का कार्य किया जा रहा है। जिले में 409 तालाबों में 220 लाख मछली का बीज डाला गया है। इस वर्ष जनवरी से अगस्त माह तक यानि 8 माह में जिले में 1758 टन मछली का उत्पादन हुआ है। जिले में एक हजार से ज्यादा लोग इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं तथा हजारों नौजवानों को भी इसमें रोजगार मिल रहा है। सरकार द्वारा एक दशक पहले शुरू की गई मछली पालन व्यवसाय की योजना से किसानों को ज्यादा फायदा नहीं मिल रहा है। क्योंकि इस योजना के तहत तालाब में सिर्फ एक ही किस्म की मछली पाली जाती थी। तालाब म

महिला सैल बनी मायका

आधुनिकत्ता की चकाचौंध व आपसी कलह से टूट रहे हैं परिवार नरेंद्र कुन्डू जींद। आधुनिकत्ता की चकाचौंध व भाग दौड़ भरी जिंदगी के कारण विवाहिक जीवन में दरार बढ़ रही है। परिवारिक कलह के कारण पुलिस महिला सैल पीड़ित महिलाओं के लिए मायका बन गई है। जिले में हर रोज दो परिवार दहेज व घरेलू कलह की आग से झुलस कर टूट रहे हैं। इसी का परिणाम है कि हर माह 40 से 50 मामले न्याय की तलाश में महिला सैल के दरवाजे पर पहुंच रहे हैं। पिछले 9 माह में महिला सैल के पास 360 मामले आ चुके हैं। इन मामलों में सबसे ज्यादा दहेज, मार पिटाई व हरासमैंट के होते हैं। आधुनिकता की चकाचौंध व भाग दौड़ भरी जिंदगी के कारण आज दाम्पत्य जीवन में दरार लगातार बढ़ रही है। परिवारिक कलेह व दहेज प्रताड़ना से विवाहिक जीवन में दरार बढ़ रही है। महिलाओं व उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए बनाए गए दहेज विरोधी कानून में लचिलेपन के कारण सामाजिक ताना-बाना टूटने के कारण परिवार लगातार टूट कर बिखर रहे हैं। अगर आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो हर माह दहेज व घरेलू कलेह की आग में झुलस कर 40 से 50 मामले महिला सैल के पास आ रहे हैं। दाम्पत्य जीवन में बढ़ रही कड़वाहट के कारण

लाखों रुपए फूंकने के बावजूद भी बेरोजारी की मार झेल रहे हैं लाइसेंसधारक

नरेंद्र कुंडू जींद।   पीएसओ व सिक्योरिटी गार्ड की एक अदद नौकरी के लिए प्रदेश से हजारों युवा हथियारों पर लाखों रुपए फूंक रहे हैं, लेकिन गृह मंत्रालय द्वारा आर्म्ज लाइसेंस के नियमों में किए गए परिवर्तनों के बाद लाखों रुपए के हथियार खरीदने के बावजूद भी हजारों युवा बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। सरकारी क्षेत्र में कम हो रहे रोजगार के अवसरों के बाद युवा पर्सनल सिक्योरिटी आॅफिसर (पीएसओ)व सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी की ओर रूख कर रहे थे। इस क्षेत्र में युवाओं को अच्छी सफलता प्राप्त हो रही थी, लेकिन गृह मंत्रालय द्वारा आर्म्ज लाइसेंस के नियमों में परिवर्तन कर आल इंडिया के लाइसेंस बंद कर दिए गए। जिस कारण युवाओं के लिए इस क्षेत्र में  भी रोजगार के अवसर बंद हो गए।  सरकार भले ही बेरोजगारी को कम करने के लिए लंबे-चौड़े दावे कर रही हो, लेकिन सरकार खुद ही नए-नए नियम बनाकर युवाओं के रास्ते में अड़ंगा डाल रही है। सरकारी क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं कम होने तथा प्राइवेट सैक्टर में ज्यादा कम्पीटीशन होने के कारण युवाओं ने पीएसओ व सिक्योरिटी गार्ड के क्षेत्र में अपनी किस्मत आजमानी शुरू की थी। इस क्षेत्र में

किराए के लाइसैंस पर चल रहे हैं मैडीकल स्टोर

 नरेंद्र कुंडू जींद। जिले में अधिकत्तर मैडीकल स्टोर किराए के लाइसैंस पर चलाए जा रहे हैं। दवा विक्रेताओं द्वारा खुलेआम नियमों को ताक पर रख कर कानून की धज्जियां उडाई जा रही हैं। मैडीकल स्टोर पर फार्मासिस्ट न होने के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। लेकिन जिनके कंधों पर लोगों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी है, उन्हें इस बात से कोई सरोकार नहीं है। जिला प्रशासन व ड्रग्स विभाग लंबी तानकर सोया हुआ है। ड्रग्स विभाग के अधिकारी सबकुछ जानकार भी अनजान बने बैठे हैं। फार्मासिस्ट का लाइसैंस किराए पर लेकर अनट्रेंड लोगों द्वारा दवाइयां बेचकर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। जिले में अंग्रेजी दवाइयों के 240 मैडीकल स्टोर हैं। इनमें से अधिकत्तर ऐसे दवा विक्रेता हैं, जिनके पास लाइसैंस तो है, लेकिन वो इनका खुद का नहीं है बल्कि किसी फार्मासिस्ट से किराए पर लिया गया है। इस प्रकार दवा विक्रेताओं द्वारा खुलेआम नियमों को ताक पर रख कर कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। लेकिन ड्रग्स विभाग व जिला प्रशासन द्वारा आज तक इस तरह के मामले पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जाहिर सी बात है

कागजी खिलाड़ियों के दम पर मैडल की आश

चित्र
जिला खेल कार्यालय के बाहर खिलाड़ियों की लिस्ट तैयार करते स्कूली विद्यार्थी। डीपीई व पीटीआईओं के भेदभाव पूर्ण रवैये के कारण स्कूली चारदीवारी में ही कैद हो गए योग्य खिलाड़ी नरेंद्र कुंडू जींद। खेल विभाग भले ही खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रहा हो, लेकिन स्कूली स्तर पर डीपीई व पीटीआई विभाग की इन योजनाओं पर पलिता लगा रहे हैं। स्कूलों में खिलाड़ियों की ट्रायल न लेकर केवल कागजों में ही खिलाड़ी तैयार किए जा रहे हैं। डीपीई व डीपीआई स्कूल से अपने चहेतों के नाम खेल की लिस्ट में डाल कर आगे भेज देते हैं। डीपीई व पीटीआईओं की इस लापरवाही के कारण अच्छे खिलाड़ी खेलों में भाग नहीं ले पाते, जिस कारण खेल प्रतिभाएं स्कूलों की चारदीवारी में ही दम तोड़ रही हैं। खेलविभाग द्वारा खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए शुरू की गई स्पोर्ट्स एंड फिजिकल एप्टीट्यूड टेस्ट (स्पैट) योजना के तहत 18 अक्टूबर तक स्कूल स्तर पर सभी खिलाड़ियों की ट्रॉयल लेकर आगामी ट्रॉयल के लिए जिला खेल विभाग को चयनित खिलाड़ियों की लिस्ट सौंपनी थी। खेल विभाग के आदेशानुसार डीपीई व पीटीआईओं ने जिला स्तर पर ट्रॉयल के लिए खिलाड़ियो

बंक मारने वाले अध्यापकों पर नकेल डालने में नाकामयाब शिक्षा विभाग

चित्र
 स्कूल में बायो मैट्रिक मशीन के बारे में जानकारी देते प्राचार्य नरेंद्र कुंडू जींद। शिक्षा विभाग द्वारा स्कूल से बंक मारने वाले अध्यापकों पर नकेल डालने के लिए शुरू की गई बायोमैट्रिक योजना अधिकारियों की लापरवाही के कारण सफल नहीं हो पा रही है। विभाग के आदेशानुसार स्कूलों में बायोमैट्रिक सिस्टम तो पहुंच गए हैं, लेकिन अभी  तक यह सिस्टम शुरू नहीं हो पाए हैं। अधिकारियों की लापरवाही के कारण विभाग के करोड़ों रुपए के सिस्टम स्कूल में धूल फांक रहे हैं। विभाग करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी स्कूल से नदारद रहने वाले अध्यापकों पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हो रहा है। शिक्षा विभाग ने स्कूलों से नदारद रहने तथा स्कूल में लेट आने वाले अध्यापकों को सबक सिखाने के लिए सभी स्कूलों में बायोमैट्रिक सिस्टम लगाने के आदेश दिए थे। विभाग के आदेशानुसार स्कूलो में बायोमैट्रिक सिस्टम तो पहुंच गए, लेकिन अधिकतर स्कूलों में यह प्रणाली अभी तक शुरू नहीं हो पाई है। कई स्कूलों में ये सिस्टम लाए जा चुके हैं, लेकिन कई स्कूलों में अभी  तक ये सिस्टम डिब्बों में बंद रखे हैं। शिक्षा विभाग के लाखों प्रयासों के बाद भी स्कूलों

इतिहास समेटे हुए है जींद का बारात घर

चित्र
विरासत के तौर पर रखा गए एडीईएन का बंगल  रेलवे जंक्शन स्थित बारात घर। नरेन्द्र कुन्डू जींद। रेलवे जंक्शन के पास बनाया गया बारात घर अपने अंदर इतिहास समेटे हुए है। कभी यहां पर अंग्रेजों की महफिलें सजती थी। उस समय इस स्थल को रेलवे इंस्टीट्यूट के नाम से जाना जाता था और यहां पर पार्टियों के दौर चलते थे। इंस्टीट्यूट के भवन के अंदर फ्लोर बनाया गया था, जिस पर अंग्रेज दंपत्ति डांस किया करते थे। यह इंस्टीट्यूट अंग्रेज अधिकारियों का प्रमुख मनोरंजन स्थल होता था। इसके अलावा यहां पर बैडमिंटन, चौपड़शाल, शतरंज इत्यादी खेल भी  खेले जाते थे। अंग्रेजों के जाने के बाद रेलवे विभीग द्वारा कर्मचारियों के मनोरंज के लिए यहां पर एक थियेटर का निर्माण किया गया। थियेटर में केवल रेलवे कर्मचारी व उनके परिवार के लोग ही फिल्मों देख सकते थे। बाद में रेलवे ने इसे बंद कर बारात घर में तबदील कर दिया। अब इस बारात घर पर लाखों रुपए खर्च कर शहर के उच्च श्रेणी के होटलों की तर्ज पर डेवेलोप किया जा रहा है। अंग्रेजों द्वारा जींद में 1936 में रेलवे जंक्शन की स्थापना की गई थी। जींद में रेलवे की स्थापना करने के बाद अंग्रेजी अ

विज्ञानिकों को हजम नहीं हो रही कीटनाशक रहित खेती

चित्र
गेहूँ की फसल में चेपे को नस्ट करती सिर्फड मक्खी का बच्चा खेतों में सरसों व गेहूं की फसल तैयार हो रही है, लेकिन फसल में आने वाली बीमारियों को लेकर कृषि वैज्ञानिकों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ रही हैंं। गेहूं की फसल में होने वाली पेंटिडबग व सरसों की फसल में होने वाली एफिड (अल या चेपे) की बीमारी का उपचार कृषि वैज्ञानिक स्प्रे के रूप में ढुंढ़ रहे हैं। लेकिन इसके विपरित कीट प्रबंधन के प्रति जागरूक किसान पिछले 6-7 सालों से इस बीमारी का उपचार कीट प्रबंधन से ही कर रहे हैं। ताकि प्राकृतिक रूप से इस बीमारी पर कंट्रोल किया जा सके और हमारे खान-पान को जहरीला होने से बचाया जा सके। किसान फसल में पाई जाने वाली सिरपट मक्खी व लेडी बिटल को इन बीमारियों का वैद्य मानकर स्प्रे से परहेज कर रहे हैं। लेकिन कृषि वैज्ञानिक किसानों द्वारा इसके नए-नए प्रमाण प्रस्तुत किए जाने के बाद भी उनकी इस उपलब्धि को अस्वीकार कर रहे हैं। एक समय था जब किसानों को फसल में होने वाली बीमारियों व उनके  उपचार की जानकारी नहीं होती थी। जिस कारण किसान इन बीमारियों के उपचार के लिए कृषि वैज्ञान