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कम्प्यूटर शिक्षा के नाम पर मजाक!

आधा सत्र बीत जाने के बाद भी स्कूलों में नहीं पहुंची कम्प्यूटर की पुस्तकें नरेंद्र कुंडू   जींद। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के साथ कम्प्यूटर शिक्षा के नाम पर मजाक किया जा रहा है। शैक्षणिक सत्र आधा बीत चुका है, लेकिन अभी  तक सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों तक कम्प्यूटर की किताबें ही नहीं पहुंची हैं। ऐसे में बिना पुस्तकों के विद्यार्थी किस तरह पढ़ाई कर पाएंगे। समय पर पुस्तकें न मिलने के कारण विद्यार्थी सटीक नालेज की बजाय कम्प्यूटर पर गेम खेलकर अपना टाइम पास कर रहे हैं और अध्यापक मजबूर हैं, क्योंकि सरकारी तंत्र को नींद से जगाना उनके बूते की बात नहीं है। इससे यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि सरकारी स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा व पाठ्य सामग्री उपलब्ध करवाने वाली कंपनी द्वारा विद्यार्थियों के भविष्य के साथ सीधे तौर पर खिलवाड़ किया जा रहा है। कंपनी के अधिकारियों की लापरवाही के कारण प्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग द्वारा सरकारी स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा देकर विद्यार्थियों को हाईटेक बनाने के दावे बेमानी साबित हो रहे हैं। शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थ

पंचायत भवन पर विभागीय अधिकारियों ने जमाया कब्जा

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पंचायत एसोसिएशन ने मुख्य संसदीय सचिव को दी शिकायत नरेंद्र कुंडू जींद। शहर में पंचायत प्रतिनिधियों की सुविधा के लिए डीआरडीए में बनाए गए पंचायत भवन पर आबकारी विभाग, जिला आयुर्वेदिक अधिकारी व पंचायती राज के अधिकारियों ने कुंडली मारी हुई है। पंचायत भवन पर यह कुंडली दशकों से जारी है और आबकारी विभाग सहित अन्य अधिकारी पंचायत भवन को खाली करने को तैयार नहीं है। पंचायत भवन पर विभागीय अधिकारियों के कब्जे के कारण सरपंचों, पंचों व दूसरे जन प्रतिनिधियों को बिना भवन के ही काम चलना पड़ रहा है। अब पंचायत प्रतिनिधि इसको खाली करवाने की कवायद में लग गए हैं। पंचायत प्रतिनिधियों ने पंचायत भवन को खाली करवाने के लिए इसकी शिकायत मुख्य संसदीय सचिव को भी  की है। पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा पंचायत भवन को खाली करवाने की कवायद शुरू करने के बाद प्रशासनिक अधिकारियों के पसीने छूटने लगे हैं। प्रशासनिक अधिकारी पंचायत प्रतिनिधियों को अलग से भवन बनवाने का लालीपॉप देकर मामले को शांत करने में जुटे हुए हैं। डीआरडीए में पंचायत भवन का निर्माण सरपंचों, पंचों व दूसरे जनप्रतिनिधियों के ठहरने व रिफ्रेशमेंट के मकसद से किया गया था

गुजरात के किसानों को कीट प्रबंधन के गुर सिखाएंगे म्हारे किसान

नरेंद्र कुंडू जींद। जींद जिले के बाद अब जल्द ही दूसरे प्रदेशों में भी  कीटनाशक रहित खेती की गुंज सुनाई देगी। जिले के किसान अब गुजरात के किसानों को भी कीटनाशक रहित खेती के गुर सीखाएंगे। फसल में कीटनाशकों के प्रयोग को कम करने के लिए मित्र कीटों को हथियार  बनाया जाएगा। कीट प्रबंधन के मास्टर ट्रेनर किसान गुजरात के किसानों को फसल में मौजूद माशाहारी व शाकाहारी कीटों की पहचान करवाएंगे। इसके लिए गुजरात के ‘आवाद दे फाउंडेशन’ ने यहां के चौ. छोटूराम किसान क्लब घिमाना के सदस्यों को आमंत्रित किया है। फाउंडेशन के निमंत्रण पर किसानों का एक जत्था जून माह में गुजरात के लिए रवाना होगा। इस जत्थे के आने-जाने व रहने का खर्च फाउंडेशन स्वयं उठाएगी। चौ. छोटू राम किसान क्लब के पदाधिकारियों ने जत्थे की रवानगी के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस जत्थे में क्लब की ओर से 5-6 मास्टर ट्रेनर किसानों का चयन किया जाएगा। निडाना के कीट साक्षरता केंद्र की तर्ज पर घिमाना में चल रहे चौ. छोटू राम किसान क्लब के सदस्य गुजरात के किसानों को कीट प्रबंधन के गुर सिखाएंगे। इसके लिए गुजरात के बडोदरा से आए ‘आवाज दे फाउंडेशन’ के पद

नालियों को ही डकार गए अधिकारी

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गली बनाई पर नालियां नहीं, गली के साथ ही प्रस्तावित था नालियों के निर्माण का कार्य नरेंद्र कुंडू जींद। पंचायती राज विभाग पर रह-रहकर भ्रष्टाचार के छींटे पड़ रहे हैं। विभाग द्वारा करवाए गए निर्माण कार्य सवालों के घेरे में रहते हैं। पंचायती राज विभाग की देखरेख में शहर के सामान्य अस्पताल में निर्माणाधीन आयुष विभाग की बिल्डिंग के निर्माण कार्य में हो रहे फर्जीवाड़े के बाद अब पिल्लूखेड़ा खंड के गांव भूरायण में तैयार की गई गली के निर्माण पर सवालिया निशान लग गया है। यहां पर विभाग द्वारा 2008 में 10,82110 रुपए की राशि खर्च कर गली का निर्माण करवाया गया था। विभाग ने गांव में गली का निर्माण तो करवा दिया, लेकिन यहां पर गंदे पानी की निकासी के लिए नालियों का निर्माण नहीं करवाया, जबकि विभाग द्वारा कागजों में नालियां तैयार की गई हैं। नियमों के अनुसार गलियों से पहले नालियां बनाना जरूरी होता है, लेकिन विभाग ने यहां पर गली का निर्माण करवाते समय सभी नियमों का ताक पर रख दिया। पंचायती राज विभाग में भ्रष्टाचार अपनी जड़ें गहरी कर चुका है। यह इसी का परिणाम है कि विभाग द्वारा करवाए जा रहे निर्माण कार्यों से

प्रशासन के गले की फांस बने ‘फांस’

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खेतों में अवशेष जलाने के बाद सड़क किनारे जले पेड़-पौधे। खेतों में अवशेष जलाने के लिए लगाई गई आग। प्रशासन द्वारा नियमों का उल्लंघन करने वाले किसानों के खिलाफ नहीं उठाए गए ठोस कदम नरेंद्र कुंडू जींद। जिले में किसानों द्वारा खुलेआम खेतों में फसल के बचे हुए अवशेषों को आग के हवाले कर प्रशासनिक अधिकारियों के आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी नियमों को ठेंगा दिखाने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई करने से गुरेज कर रहे है। किसानों की मनमर्जी के कारण प्रशासनिक अधिकारियों के आदेश अवशेषों के साथ आग में जलकर राख हो रहे हैं। किसानों द्वारा अवशेष जलाने के लिए खेतों में लगाई गई आग से अब तक हजारों पेड़-पौधे भी  जलकर दम तोड़ चुके हैं। हालांकि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व कृषि विभाग द्वारा हर वर्ष किसानों को जागरुक करने के लिए जागरुकता अभियानों पर लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन किसानों की सेहत पर विभाग द्वारा चलाए जा रहे जागरुकता अभियानों का भी कोई असर नहीं है। राज्य प्रदूषण बोर्ड व जिला प्रशासन द्वारा खेतों में अवशेष जलाने वाले किसानों के खिलाफ जुर्माने व सजा का

हवा हो गए साहब के आदेश

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स्कूल की छुट्टी के बाद स्कूटी से घर लौटते स्कूली बच्चे यातायाता नियमों को ताक पर रखकर बाइक चलाते स्कूली बच्चे। सड़कों पर मौत लिए दौड़ रहे माइनर नरेंद्र कुंडू जींद। पुलिस की सुस्ती से साहब के आदेश हवा हो गए हैं। पुलिस अधीक्षक के आदेशों के 6 माह बाद भी पुलिस किसी नाबालिग वाहन चालक या उसके अभिभावकों के खिलाफ किसी प्रकार की कोई कार्रवाई अमल में नहीं ला सकी है। पुलिस की इस लापरवाही से उसके अपने ही नियम कायदे ताक पर रखे जा रहे हैं। सड़कों को सुरक्षित रखने के लिए पुलिस ने बाल चालकों को सड़कों से हटाने की नीति बनाई थी। इसके लिए एसपी ने वाहन चलाने वाले बाल चालकों के चालान काटने तथा अभिभावकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के आदेश जारी किए थे। लेकिन जिला पुलिस द्वारा आज तक एक भी अभिभावक पर नकेल नहीं कसी गई है। स्कूली बच्चे सभी नियमों को दरकिनार करके तेज रफ्तार से दुपहिया वाहनों को दौड़ाते हुए नजर आते हैं। बाल वाहन चालक सड़कों पर दूसरे वाहन चालकों के लिए खतरा बनकर दौड़ रहे हैं।  6 माह बाद भी फाइलों में दफन हैं एसपी के आदेश बड़ रहे सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस से खास नीति बनाई थी

अब विश्व में लहराएगा हरियाणा का परचम

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हरियाणा के गौरव पूर्ण इतिहास की विश्व में पहचान बनाने के लिए तीन भाषाओं में किया वेबसाइट का निर्माण नरेंद्र कुंडू इंटरनेट पर निडाना हाईटस के नाम से तैयार की गई वेबसाइट का फोटो। जींद। हरियाणवी संस्कृति को विश्व में पहचान दिलाने तथा इंटरनेट पर भी हरियाणवी विश्वकोष बनाने के उद्देश्य से जींद जिले के एक होनहार ने विदेश में बैठकर एक वेबसाइट तैयार की है। फ्रांस के लीली शहर में ई-विपणन और वेब प्रबंधन सलाहकार के पद पर नौकरी कर रहे फूलकुमार ने डब्ल्यूडब्ल्यूडब्लयू डॉट निडानाहाईटस डाट कॉम वेबसाइट पर निडाना के गौरवशाली इतिहास व जींद जिले की उपलब्धियों के अलावा हरियाणवी संस्कृति से जुड़ी सभी जानकारियां उपलब्ध करवाई हैं। वेबसाइट का निर्माण अंग्रेजी, हिंदी व हरियाणवी तीन भाषाओं में किया गया है। इस वेबसाइट की सबसे खास बात यह है कि इस वेबसाइट पर हरियाणवी संस्कृति के अलावा किसानों के लिए मौसम व कृषि संबंधि जानकारी, पाठकों के लिए ई-लाइब्रेरी, विद्यार्थियों के लिए नौकरियों से संबंधित जानकारी, हरियाणवी मुहावरे, हरियाणवी संस्कृति, तीज-त्योहारों से संबंधित जानकारियां, मनोरंजन के लिए हरियाणवी रागनियां

अब जिला पुस्तकालयों की कमान जनसंपर्क विभाग के हवाले

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नरेंद्र कुंडू जींद। उच्चतर शिक्षा विभाग की देखरेख में चल रहे पुस्तकालयों में पाठकों की घटती संख्या को देखते हुए सरकार ने राज्य केंद्रीय पुस्तकालय, जिला पुस्तकालय व उपमंडल स्तर पर चल रहे पुस्तकालयों की कमान लोक जनसूचना एवं सांस्कृतिक विभाग (डीपीआईआर) के हाथों में सौंपने का निर्णय लिया है। अब इन पुस्तकालयों में पाठकों का जुगाड़ करने की जिम्मेदारी लोक जनसूचना एवं सांस्कृतिक विभाग को करनी होगी। सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम के बाद अब डीपीआईआर के कर्मचारी पुस्तकालयों में पाठकों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकारी योजनाओं के प्रचार के साथ-साथ गांवों में जाकर पुस्तकालयों के महत्व के बारे में भी प्रचार करेंगे। पुस्तकालयों में व्यवस्था बनाए रखने के लिए सरकार द्वारा अलग से कर्मचारियों की नियुक्ती की जाएगी। उच्चतर शिक्षा विभाग ने फिलहाल पुस्तकालयों में काम कर रहे कर्मचारियों से पत्र लिखकर उनके स्थानांतरित के लिए आपशन मांगा है। कर्मचारियों से मांगे गए हैं आपशन सरकार के इस निर्णय के बाद महानिदेशक उच्चतर शिक्षा विभाग ने सभी पुस्तकालय के कर्मचारियों को पत्र लिखकर उनके स्थानांतरित के आपशन मांगें हैं। मह

जिले में दम तोड़ रही स्वास्थ्य सेवाएं

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बिना डाक्टरों के कैसे होगा इलाज नरेंद्र कुंडू जींद। सरकार भले ही हर गांव तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के दावे करती हो, लेकिन जिला जींद में स्वास्थ्य सेवाएं दम तोड़ रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा शहर के सामान्य अस्पताल में भी  स्वास्थ्य सेवाएं लचर प्रणाली के सहारे चल रही हैं। सामान्य अस्पताल में चिकित्सकों की कमी के चलते मरीजों को इलाज के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ता है। मुख्य विशेषज्ञों की कमी के कारण मरीजों को निजी अस्पतालों का रूख करना पड़ता है। सरकारी अस्पतालों में लचर स्वास्थ्य सेवाओं और विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण झोला छाप डाक्टरों की संख्या न केवल तेजी से बढ़ रही है, बल्कि धड़ल्ले से मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ भी किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में बनाए गए अस्पतालों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के हाथों में ही लोगों की इलाज करने की कमान थमाई गई है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के दावे किए जाते हैं, लेकिन जींद जिला स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में पूरी तरह से पिछड़ चुका है। जिले के सामान्य अस्पताल के अलावा ग्र

आईटी विलेज ने राष्टÑीय पक्षी को बचाने के लिए शुरू किया अभियान

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नरेंद्र कुंडू जींद। सूचना एवं प्रौद्यागिकी के क्षेत्र में धूम मचाने के बाद आईटी विलेज बीबीपुर की पंचायत ने राष्ट्रीय  पक्षी मोर के संरक्षण के लिए कदम बढ़ाए हैं। मोरों के अस्तित्व पर मंडराते खतरे को लेकर आईटी विलेज की पंचातय गंभीर है। विलुप्त होती मोर प्रजाति को बचाने के लिए पंचायत ने ‘मोर बचाओ अभियान’ शुरू किया है। इस मुहिम को धरातल पर लाने के लिए पंचायत ने गांव में दो टीमों का गठन कर गांव में जागरुकता अभियान चलाया है। टीम के सदस्य जागरुकता अभियान के साथ-साथ सर्वे कर मोरों की संख्या का पता भी  लगाएंगे। लोगों को जागरुक करने के लिए पंचायत ने बैनर भी तैयार करवाएं हैं। लोगों का ध्यान मोर बचाओ अभियान की ओर आकर्षित करने के लिए बैनरों पर मार्मिक स्लोगन लिखवाए गए हैं। इसके अलावा पंचायत ने मोर संरक्षण के लिए डिप्टी कमीश्नर की मार्फत वन्य जीव विभाग को भी मोर संरक्षण के लिए विशेष कदम उठाने के लिए एक प्रस्ताव भेजा है। पंचायत ने प्रस्ताव में विभाग से उत्तरांचल की तर्ज पर गांव में एक शैड का निर्माण करने की मांग की है। ताकि विलुप्त हो रही मोर की प्रजाति को बचाया जा सके। विलुप्त हो रही राष्ट्रीय पक

फाइलों से बाहर नहीं आ रही जांच

सरकार के निर्मल भारत के सपने को लगा झटका नरेंद्र कुंडू जींद। नियमों को ताक पर रखकर गंदगी से अटे पड़े गांवों को निर्मल गांव का दर्जा दिलवाने का मामला प्रशासनिक अधिकारियों के गले की फांस बन गया है। मामला उजागर होने के बाद स्वच्छता अभियान से जुड़े अधिकारियों में हड़कंप मच गया है और अधिकारी किसी न किसी तरह इस मामले पर पर्दा डालने की कोशिश में जुटे हैं। प्रशासनिक अधिकारी अब जांच का आश्वासन देकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। मामला उजागर होने के तीन दिन बाद भी  जांच एक कदम आगे भी नहीं बढ़ पाई है। जांच के नाम पर केवल कागजी कार्रवाई ही की जा रही है। प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही से केंद्र सरकार द्वारा भारत को निर्मल बनाने के सपने को तो करारा झटका लगा ही है, साथ-साथ सरकार द्वारा स्वच्छता अभियान पर खर्च किए जा रहे करोड़ों रुपए भी पानी में व्यर्थ बह गए हैं। ऐसे में स्वच्छता अभियान के नाम पर सरकारी बाबूओं का भी बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आ गया है। अधिकारियों द्वारा इस मामले पर जवाब देते नहीं बन रहा है। सरकार देश को स्वच्छ बनाने का सपना संजोए हुए है। अपने इस सपने को साकार करने के लिए सरकार हर वर्ष अरबों रुपए खर

....यहां कागजों में तैयार होते हैं निर्मल गांव

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निर्मल गाँवों में लगे हैं गंदगी के ढेर नरेंद्र कुंडू जींद। सरकार द्वारा देश को स्वच्छ बनाने के लिए हर वर्ष अरबों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन वास्तविकता इसके विपरित ही है। सरकार ने जिन ग्राम पंचायतों के बल पर भारत को निर्मल बनाने का सपना देखा है उसकी बुनियाद ही कच्ची है। जिस कारण एक झटके में ही सरकार का यह सपना चकनाचुर हो सकता है। सरकार द्वारा शुरू की गई निर्मल ग्राम योजना केवल कागजों में ही दौड़ रही है। इस योजना ने आज तक धरातल पर कोई खास प्रगति नहीं की है। प्रशासनिक अधिकारी अपनी खाल बचाने के चक्कर में कागजों में ही इस योजना को शिखर में पहुंचा देते हैं। हाल ही में सरकार ने जिले के जिन आठ गांवों को निर्मल गांवों का दर्जा दिया है, वास्तव में वे गांव निर्मल गांव कहलाने के लायक ही नहीं हैं। इन आठों गांवों में सफाई व्यवस्था का जनाजा निकला हुआ है तथा ये निर्मल ग्राम पंचायत योजना के किसी भी मानक पर खरे नहीं उतर रहे हैं। जिला प्रशासनिक अधिकारियों ने केवल अपनी इज्जत बचाने की फेर में पूरी प्लानिंग के तहत इस कार्रवाई को अंजाम दिया है। जिले से ऐसे आठ गांवों का चयन किया गया है, जिनकी आबादी

पंचायत सशक्तिकरण को बढ़ावा देते हुए आईटी विलेज ने की मिशाल कायम

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नरेंद्र कुंडू जींद। देश की पहली हाईटेक पंचायत बीबीपुर ने अन्य पंचायतों के सामने एक और मिसाल कायम कर दी है। आईटी विलेज की पंचायत ने देश की पंचायतों को सशक्तिकरण की राह दिखाई है। पंचायत ने रिकार्ड कायम करते हुए 21 माह में 88 बैठकें कर 274 प्रस्ताव पारित कर दिखाए हैं। एक तरफ जहां अन्य पंचायतें अपने पूरे कार्याकाल में विधिवत रूप से एक भी ग्राम सभा का आयोजन नहीं कर पाती वहीं आईटी विलेज की पंचायत ने इन 21 माह में 88 बैठकों के अलावा 12 ग्राम सभाएं कर अन्य पंचायतों तथा प्रशासन के सामने एक उदहारण पेश किया है। पंचायत ने एचआरडीएफ स्कीम के तहत 2, वैट स्कीम के तहत 4, मनरेगा स्कीम के तहत 11, पीआरआई स्कीम के तहत 16, सामान्य कार्यवाही के तहत 173, नई कार्यवाही के तहत 14 तथा 12 ग्राम सभाओं में 54 प्रस्ताव पास कर गांव को प्रगति की ओर अग्रसर किया है। पंचायत ने ग्राम सभा में सरपंच के अलावा 14 मैंबरों तथा गांव की कूल वोटर संख्या के 10 प्रतिशत आबादी के समक्ष गांव में होने वाले विकास कार्यों के प्रस्ताव पास कर विधिवत रूप से ग्राम सभा की वीडियो रिकार्डिंग करवा कर प्रशासनिक अधिकारियों को भी इसकी रिपोर्ट भेज

लूट खसोट पर नहीं अधिकारियों का कंट्रोल

मिली भगत से चलता है दलाली का गौरख धंधा नरेंद्र कुंडू जींद। हाईकोर्ट ने गाड़ियों की स्पीड को नियंत्रित करने के लिए गाड़ी में स्पीड गवर्नर लगाने के आदेश तो दे दिए, लेकिन सराकरी अधिकारी गाड़ी में स्पीड गवर्नर लगाने की आड़ में चलने वाली दलाली को नियंत्रित करने के लिए किसी भी प्रकार का नियम तय नहीं कर पा रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारी इस गौरख धंधे को अंजाम देने वाले दलालों पर नकेल डालने में नाकाम हैं। ताज्जूब की बात तो यह है कि इन दलालों द्वारा गाड़ी में स्पीड गर्वनर लगाने से लेकर पासिंग तक की पूरी जिम्मेदारी ले ली जाती है। पासिंग के लिए तय नियमों पर खरी न उतरने के बावजूद भी गाड़ी की पासिंग करवाना इनके बायें हाथ का खेल है। इस धंधे में जुटे डीलर गाड़ी पासिंग व स्पीड गवर्नर लगाने के नाम पर वाहान चालकों की जेब तराश कर मोटी चांदी कूट रहे हैं। डीलर वाहन चालकों से स्पीड गवर्नर के नाम पर रुपए ज्यादा ऐंठते हैं तथा बिल कम राशि का थमा देते हैं। इतना ही नहीं गाड़ी में जो स्पीड गवर्नर लगाया जाता है, वह क्षेत्रिय प्राधिकरण द्वारा मान्य ही नहीं होते हैं। गाड़ी पासिंग के दौराना ऐसा ही एक मामला गत वीरवार को भी प्रशा

खतरे में गम्बुजिया, मलेरिया के खिलाफ कैसे बनेगा हथियार

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 फिश हैचरी में भरा गंदा पानी। नरेंद्र कुंडू जींद। जिले का स्वास्थ्य विभाग मलेरिया से लड़ने के लिए गम्बूजिया को हथियार बनाने की कवायद में लगा हुआ है। अपने इस अभियान को सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग बड़े-बडे दावे कर रहा है। लेकिन वास्तविकता कुछ ओर ही बयां कर रही है। अधिकारियों की लापरवाही के कारण विभाग की यह योजना इस वर्ष आगाज से पहले ही दम तोड़ चुकी है। सामान्य अस्पताल में बनाए गए प्रजनन केंद्र में गम्बूजिया खुद ही बेमौत मर रही हैं। गम्बूजिया का आशियाना बदहाल है और उस पर निरंतर खतरा मंडरा रहा है। गम्बूजिया की रक्षा के लिए फिश हैचरी के ऊपर लगाया गया जाल पूरी तरह से तहस-नहस हो चुका है। इतना ही नहीं तालाब में स्वच्छ पानी भी नहीं है, जो गम्बूजिया के लिए काफी जरूरी होता है। जिसके दम पर सामान्य अस्पताल प्रशासन मलेरिया के खिलाफ अभियान छेड़कर लोगों का जीवन बचाने का दम भर रहा है अभी तक अस्पताल प्रशासन ने उसकी रक्षा के लिए ही कोई कदम नहीं उठाए हैं। फिश हैचरी के ऊपर से टूटा पड़ा जाल। मलेरिया के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग का हथियार बनने वाली गम्बुजिया को आज खुद ही अपनी रक्षा की आवश्यकता

यहां तो लूटवा रहे 'भगवान'

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 चिकित्सक द्वारा लिखी गई बाहर की दवाई दिखाते मरीज। सरकारी अस्पताल में चिकित्सक लिखते हैं बाहर की दवाइयां नरेंद्र कुंडू जींद। शहर का सामान्य अस्पताल पूरी तरह से कमीशनखोरी का अड्डा बन चुका है। अस्पताल में भ्रष्टाचार पूरी तरह से अपनी जड़ें जमा चुका है। सरकारी अस्पताल में लोगों को मुफ्त में बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने के सरकार के सारे दावे बेमानी साबित हो रहे हैं। शहर के सामान्य अस्पताल में चिकित्सकों द्वारा खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। यहां तो भगवान का दर्जा हासिल करने वाले चिकित्सक ही अपने कमीशन के फेर में गरीबों को दवा माफियाओं के हाथों में लूटवा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के सख्त आदेशों के बवाजूद भी चिकित्सक मरीजों को बाहर की दवा खरीदने के लिए मजबूर कर रहे हैं। चिकित्सक मरीजों को अस्पताल में उपलब्ध दवाइयां न लिखकर बाहर की महंगी दवाइयां लिख रहे हैं। जिस कारण मरीजों को मजबूरन बाहर से दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं। सामान्य अस्पताल में खुलेआम दलाली का यह खेल चल रहा हैं और अस्पताल प्रशासन चुपचाप तमाशबीन बना हुआ है। अस्पताल प्रशासन की चुपी व चिकित्सकों की कमीशनखोरी के क

रंग लाने लगी हाइटेक पंचायत की ऊर्जा संरक्षण मुहिम

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ऊर्जा संरक्षण मुहिम से पंचातय को हर वर्ष होगी तीन लाख यूनिट बिजली की बचत नरेंद्र कुंडू जींद। हाइटेक पंचायत बीबीपुर द्वारा शुरू की गई ऊर्जा संरक्षण की मुहिम रंग लाई है। पंचायत द्वारा गांव में ऊर्जा संरक्षण के लिए एक विशेष मुहिम शुरू की गई है। इस मुहिम को सफल बनाने के लिए पंचायत ने गांव में 2700 सीएफएल ट्यूब लाइट लगवाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। पंचायत ने इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए गांव में शुरू की गई ऊर्जा संरक्षण मुहिम के तहत 100 वॉट के 1713 बल्बों को हटवाकर उनके स्थान पर 20 वॉट की 1713 सीएफएल ट्यूब लगवा दी हैं। गांव में 100 वॉट के बल्बों की जगह 20 वॉट की 1713 सीएफएल लगने के बाद गांव में हर माह लगभग 25 हजार यूनिट बिजली की खपत में कमी आई है। इस प्रकार पंचायत द्वारा एक वर्ष में लगभग तीन लाख यूनिट बिजली की बचत की जाएगी। जिससे पंचायत को हर वर्ष लगभग नौ लाख रुपए की बचत होगी। जिस कारण पंचायत हाईटेक पंचायत का दर्जा हासिल करने के बाद ऊर्जा संरक्षण के मामले में भी देश में अपनी अलग पहचान बना लेगी। आईटी विलेज बीबीपुर की पंचातय द्वारा शुरू की गई ऊर्जा संरक्षण मुहिम रंग लाने लगी है। पं

आईसीपीएस से मिलेगा अनाथों को 'माँ-बाप' का प्यार

नरेंद्र कुंडू जींद। इंटीग्रेटीड चाइल्ड प्रोटैक्शन सोसायटी प्रदेश में अनाथ बच्चों का सहारा बनेगी। महिला एवं बाल विकास विभाग ने योजना को मूर्त रूप देने के लिए इंटीग्रेटीड चाइल्ड प्रोटैक्शन सोसायटी (आईसीपीएस) का गठन किया है। आईसीपीएस के सदस्य जिला स्तर पर सर्वे करेंगे तथा अनाथ व लावारिस बच्चों की पहचान कर उन्हें आश्रय देकर समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य करेगें। आईसीपीएस अनाथ बच्चों की पहचान कर उनके लिए शिक्षा व सिर पर छत की व्यवस्था भी करेगी। विभाग द्वारा इस तरह के बच्चों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए इनको हर माह मिल रहे भत्ते में भी बढ़ोत्तरी करने के लिए विचार किया जा रहा है। अगर उच्च अधिकारियों की तरफ से भत्ते में बढ़ोत्तरी की मांग को हरी झंडी मिल गई तो इनका मासिक भत्ता 500 से बढ़कर 1500 रुपए प्रति माह भत्ता हो जाएगा। इसके अलावा आईसीपीएस के सदस्य बाल श्रम करवाने वालों पर भी पैनी नजर रखेंगे। इसके लिए विभाग ने एक हैल्पलाइन भी शुरू की है। बेसहारा, अनाथ बच्चों को सहारा देने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने एक खास कवायद शुरू की है। बेसहारा बच्चों को सहारा देने के लिए महिला एवं