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जून, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

....ये कैसा बालश्रम कानून

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बालश्रम उन्मूलन दिवस पर विशेष नरेंद्र कुंडू जींद। एक तरफ 12 जून को विश्व स्तर पर बालश्रम उन्मूलन दिवस मनाया जा रहा है और सरकार द्वारा बाल श्रम के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए विज्ञापनों पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन दूसरी तरफ शहर में बालश्रम कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। शहर में चाय, नाश्ता की दुकानों, होटलों और गैराज में छोटे-छोटे बच्चे मजदूरी करते नजर आ रहे हैं। शहर में सैंकड़ों दुकानों और होटलों पर छोटे बच्चे बाल मजदूरी करते देखे जा सकते हैं, लेकिन किसी अधिकारी की नजर इन पर नहीं पड़ रही है। पढ़ाई-लिखाई की उम्र में हाथों में औजार थामे ये बच्चे प्राथमिक स्तर की शिक्षा से भी दूर हैं। शहर में लगातार बढ़ती बाल मजदूरों की संख्या को देखकर लगता ही नहीं है कि जिले में बाल श्रम कानून लागू है। सरकारी अधिकारियों की उदासीनता के चलते देश का भविष्य गर्त में है। बाल श्रम कानून के तहत कागजी तौर पर कई नियम कानून बनाए गए हैं, लेकिन हकीकत में नियमों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। शहर में कई स्थानों पर छोटे बच्चे वाहनों को सुधारने का काम कर रहे हैं। इसके अलावा होटलों और दुका

....ताकि बरकरार रहे सफेद सोने की चमक

कपास के रकबे को बढ़ाने के लिए कृषि वि•ााग अधिकारियों को दिलवाएगा ट्रेनिंग नरेंद्र कुंडू जींद। सफेद सोने की चमक को बरकरार रखने तथा कपास की खेती के प्रति किसानों का मोह बढ़ाने के लिए कृषि विभाग ने एक खास योजना तैयार की है। इस योजना को मूर्त रुप देने के लिए कृषि विभाग अपने सभी कृषि विकास अधिकारियों (एडीओ) को खास तौर से प्रशिक्षित करेगा। कृषि विकास अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए विभाग द्वारा 21-21 दिनों के तीन प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया जाएगा। प्रत्येक 21 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में 30 कृषि विकास अधिकारी भाग लेंगे। जिनमें कपास उत्पादक क्षेत्रों से दो-दो तथा बिना कपास उत्पादन वाले क्षेत्रों से एक-एक अधिकारी को शामिल किया जाएगा। यहां से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद कृषि विकास अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र के किसानों को कपास की खेती के लिए प्रेरित करेंगे तथा किसानों को कम खर्च से अधिक उत्पादन लेने के गुर सिखाएंगे। विभाग द्वारा इन प्रशिक्षण शिविरों पर दस लाख रुपए की राशि खर्च की जाएगी। किसानों को कपास की तकनीकी जानकारी उपलब्ध करवाने तथा जिले में कपास के रकबे को बढ़ाने के लिए कृषि विभाग

किसानों के लिए रोल मॉडल बना अशोक

जिद्दो को पूरा करने के लिए नौकरी को मारी ठोकर जींद। होशियारपुर जिले (पंजाब) के नंदन गांव का अशोक कुमार अन्य किसानों के लिए रोल मॉडल बनकर उभरा है। किसानों को आत्मनिर्भर करने तथा खाने को जहर मुक्त बनाने का ऐसा जनून इंजीनियर की नौकरी को ठोकर मार कर खुद आर्गेनिक खेती में जुट गया। अब अशोक अपने साथ-साथ दूसरे किसानों को भी आर्गेनिक खेती के लिए प्रेरित कर रहा है। अशोक कुमार की रफ्तार यहीं नहीं रुकी। अशोक ने किसानों के साथ-साथ महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिए गांव में गांव में महिलाओं का सेल्फ हैल्प ग्रुप बनाकर उनके लिए स्व रोजगार शुरू करवा दिया तथा सामान की बिक्री के लिए गांव में मार्केटिंग सैंटर भी  खोल दिए। ताकि महिलाओं को अपने प्रोडेक्ट को बेचने के लिए बाजार जाने की जरुरत न पड़े। सेल्फ हैल्प गु्रप द्वारा एक-दूसरे की आर्थिक मदद के लिए हर माह 100 रुपए चंदे के तौर पर एकत्रित किए जाते हैं, ताकि जरुरत पड़ने पर इन पैसों के लिए किसी के आगे हाथ फैलाने की जरुत ना पड़े। होशियारपुर निवासी अशोक कुमार शनिवार को निडाना गांव के कीट साक्षरता केंद्र पर दौरे पर आया हुआ था। अशोक कुमार ने आज समाज से अपनी

दूसरे प्रदेशों में पहुंची जहर मुक्त खेती की मुहिम

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निडाना की महिलाओं से कीट प्रबंधन के गुर सीखेंगे पंजाब के किसान  मुख्य कृषि अधिकारी सरबजीत कंधारी को स्मृति चिह्न देते किसान। कीट साक्षरता केंद्र पर मुख्य कृषि अधिकारी को कीटों की जानकारी देती महिला। नरेंद्र कुंडू जींद। कीट प्रबंधन में माहरत हासिल कर चुकी निडाना कीट साक्षरता केंद्र की महिलाओं का डंका अब दूसरे प्रदेशों में भी बजने लगा है। निडाना के किसानों द्वारा शुरू की गई जहर मुक्त खेती की मुहिम अब दूसरे प्रदेशों तक पहुंचने लगी है। फेसबुक पर इन महिलाओं के चर्चे सुनकर खुद पंजाब के होशियारपुर जिले के मुख्य कृषि अधिकारी एवं आत्मा स्कीम के प्रोजैक्ट डायरेक्टर सरबजीत सिंह कंधारी ने शनिवार को निडाना के कीट साक्षरता केंद्र का दौरा किया। साक्षरता केंद्र की अनपढ़ महिलाओं के कीट प्रबंधन के ज्ञान को देखकर उन्होंने पंजाब के किसानों को भी यहां पर ट्रेनिंग दिलवाने की इच्छा जाहिर की। इस अवसर पर इनके साथ होशियारपुर जिले के प्रगतिशील किसान अशोक कुमार भी  साथ थे। मास्टर टेÑनर महिलाओं ने मुख्य कृषि अधिकारी को बताया कि अगर किसान को फसल में मौजूद माशाहारी व शाकाहारी कीटों की पहचान हो जाए तो उस

अब शिक्षा विभाग बच्चों को देगा यात्रा शुल्क

जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों से मांगी विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की सूची जींद। विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (अपाहिज) को पढ़ाई के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए शिक्षा विभाग ने खास योजना तैयार की है। इस योजना के तहत विभाग इन बच्चों को स्कूल आने-जाने के लिए यात्रा शुल्क अदा करेगा। विभाग द्वारा इन बच्चों को यात्रा शुल्क के तौर पर हर वर्ष तीन हजार रुपए दिए जाएंगे। विभाग द्वारा तैयार की गई इस योजना का मुख्य उद्देश्य विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को शिक्षित कर समाज की मुख्य धारा से जोड़ना है। योजना को अमल में लाने के लिए विभाग के राज्य परियोजना निदेशक ने प्रदेश के सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की पहचान कर सूची तैयार करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। विभाग की इस योजना से जिले में 2015 बच्चे लाभावित होंगे। इसके अलावा विभाग द्वारा इन बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी समर कैंपों का आयोजन भी किया जाता है।  शिक्षा विभाग ने विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को पढ़ाई के प्रति प्रेरित करने के लिए कमर कस ली है। अब विभाग इन बच्चों को पैसे के अभाव के कारण पढ़ाई से मुहं न

‘आम के आम गुठलियों के दाम’

प्रशिक्षण के साथ-साथ शिविरों में छात्राओं को मिलेगा मिड-डे-मील जिले में 60 प्रशिक्षण शिविरों पर खर्च होगी 23 लाख 82 हजार रुपए की राशि नरेंद्र कुंडू   जींद। जीवन कौशल ग्रीष्मकालीन शिविर में भाग लेने वाली छात्राओं को अब भूखे पेट नहीं रहना पड़ेगा। सर्व शिक्षा अभियान द्वारा पढ़ाई के साथ छात्राओं को आत्म-निर्भर बनाने के उद्देश्य से शुरू किए गए इन प्रशिक्षण शिविरों में प्रशिक्षण के साथ-साथ छात्राओं को मिड-डे-मील भी दिया जाएगा। हरियाणा के मौलिक शिक्षा निदेशक ने एसएसए के जिला परियोजना अधिकारी व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र के माध्यम से आदेश जारी कर दिए हैं। इस योजना के तहत इस बार जिले में 60 प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया जाएगा। एसएसए द्वारा इन 60 शिविरों पर 23 लाख 82 हजार रुपए की राशि खर्च की जाएगी। पढ़ाई के साथ-साथ छात्राओं को आत्म निर्भर बनाने के उद्देश्य से सर्व शिक्षा अभियान द्वारा 15 दिवसीय जीवन कौशल ग्रीष्मकालीन शिविरों का आयोजन किया जाता है। इन प्रशिक्षण शिविरों में पहली से आठवीं तक की छात्राओं को गर्मियों की छुट्टियों के दौरान सिलाई-कढ़ाई, अचार बनाना, कढ़ाई व कटाई करना,

विभाग की लापरवाही से लुट रहे किसान

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 बाजार में बिक रहा नकली बीज का पैकेट नरेंद्र कुंडू   जींद। जिले का कृषि विभाग कुंभकर्णी नींद सोया पड़ा है और बीज विक्रेता खुलेआम धरतीपुत्रों को लूट रहे हैं। डीलर कपास के बीज के नाम पर किसानों को घटिया बीज थमा रहे हैं और भोले-भाले किसान जानकारी के अभाव में बड़ी आसानी से इनके चुंगल में फंस रहे हैं। इन बीजों के पैकेटों पर ब्रांडनेम के साथ-साथ निर्माता कंपनियों का नाम भी  नदारद होता है। बीज अनुमोदित कमेटी के निमयों को दरकिनार कर बाजार में धड़ल्ले से नकली बीज उतारा जा रहा है। डीलर किसानों को नकली बीज थमाकर जमकर चांदी कूट रहे हैं। बाजार में नकली बीज आने से किसान तो ठगी का शिकार हो ही रहे हैं साथ-साथ फसल की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। ताज्जुब की बात तो यह है कि बीज विक्रेता इस तरह के बीजों की बिक्री के बाद किसानों को बिल भी  नहीं दे रहे हैं, ताकि भविष्य में अगर किसान की फसल में कोई नुकसान होता है तो कानूनी से कार्रवाई से बचा जा सके। लूट का यह खेल कृषि विभाग की ठीक नाक के तले खेला जा रहा है और विभागीय अधिकारी कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहे हैं। गजट नोटिफिकेशन के बाद होती

कृषि विभाग स्प्रे टंकियों पर देगा सब्सिडी

8 लाख 40 हजार रुपए की राशि खर्च 570 किसानों को दिया जाएगा योजना का लाभ नरेंद्र कुंडू जींद। जिले के किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। कृषि विभाग द्वारा किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘स्टेट प्लान’ योजना के तहत अनुदान पर स्प्रे टंकियां मुहैया करवाई जाएंगी। इस बार कृषि विभाग द्वारा 8 लाख 40 हजार रुपए की राशि खर्च कर जिले में कुल 570 स्प्रे टंकियों पर सब्सिडी देने का टारगेट निर्धारित किया गया है। जिसमें ट्रेक्टर चालित, बैटरी चालित व हाथ से चलने वाले स्प्रे टंकियों पर अलग-अलग अनुदान दिया जाएगा। इसके अलावा विभाग द्वारा किसानों को कपास की खेती में पारंगत करने के लिए अलग से कैंपों का आयोजन कर ट्रेनिंग भी  दी जाएगी। विभाग द्वारा जिले में 10 ट्रेनिंग कैंपों का आयोजन किया जाएगा। जिसमें प्रत्येक कैंप पर 5 हजार रुपए खर्च किए जाएंगे। कृषि विभाग द्वारा तकनीकी खेती को बढ़ावा देकर आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए समय-समय पर नई-नई किसान हितेषी योजनाओं को धरातल पर उतारा जाता है। ताकि किसानों को समय के अनुसार खेती की तकनीकी जानकारियों से अपडेट किया सके। इसी कड़ी के तहत इस बार कृषि विभाग द्वारा किसानो

.....खत्म हुई ‘आत्मा’ की तलाश

बीटीएम व एसएमएस बनेंगे किसानों का सहारा नरेंद्र कुंडू जींद। कृषि विभाग ‘आत्मा’ को ‘देह’ तक लाने की कवायद में जुट गया है। विभाग ने सुस्त पड़ी आत्मा योजना को चुस्त करने के लिए मैनपॉवर का सहारा लेने का मन बनाया है। इससे ‘देह’ के लिए भटकती ‘आत्मा’ की तलाश पूरी हो गई है। इसके लिए विभाग द्वारा अनुबंध के आधार पर लगभग 210 नए अधिकारियों की भर्त्ती की गई है। जिनमें 91 ब्लॉक टेक्नोलाजी मैनेजर (बीटीएम) व 119 विषय विशेषज्ञों (एसएमएस) की भर्ती की है। बीटीएम व एसएमएस किसानों को समय-समय पर खेती की नई तकनीकी जानकारी देकर कम खर्च से अधिक उत्पादन लेने के गुर सिखाएंगे। विभाग बीटीएम व एसएमएस को फील्ड में उतारने से पहले किसानों के समक्ष आने वाली सभी समस्याओं व उनके समाधान के बारे में ट्रेनिंग देकर विशेष तौर पर ट्रेंड करेगा। इसकी सबसे खास बात यह है कि किसान सामुहिक रूप से अपना कोई भी प्रोजेक्ट तैयार कर बीटीएम के माध्यम से विभाग को भेज सकते हैं। अगर विभाग की तरफ से किसान के प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिल जाती है तो विभाग किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए उस प्रोजेक्ट पर स्वयं पैसे खर्च करेगा। विभाग द्वारा उठा

नशों में रम रहा नशा

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नरेंद्र कुंडू जींद। सरकार धूम्रपान पर रोक लगाने के लिए हर साल करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा रही है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी सार्वजनिक स्थल पर धूम्रपान करना निषेध माना गया है। कोर्ट के इन आदेशों के तहत सार्वजनिक स्थल पर धूम्रपान करते पकड़े जाने पर जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन लोगों को सरकार की इस मुहिम से कोई सरोकार नहीं है। क्योंकि नशा उनकी नश-नश में रम चुका है। जिस कारण लोगों में धुआं उड़ाने का क्रेज सिर चढ़कर बोल रहा है। जिले में लोगों द्वारा हर माह लाखों रुपए धूएं में उड़ा दिए जाते हैं। सार्वजनिक स्थलों के अलावा सरकारी कार्यालयों में भी सरकारी बाबुओं द्वारा खुलेआम धूम्रपान निषेध कानून की धज्जियां उड़ाई जाती हैं। लोगों में तम्बाकू की बढ़ती लत के कारण प्रति वर्ष 8.5 लाख लोग मौत का ग्रास बन रहे हैं। पुरुषों के अलावा महिलाओं व बच्चों में भी धूम्रपान का क्रेज बढ़ रहा है। तम्बाकू व्यवसायियों की मानें तो शहर में रोजाना बीड़ी व सिगरेट के एक कैंटर की लोडिंग खप जाती है। सरकार द्वारा धूम्रपान पर रोक लगाने के लिए लाखों प्रयास किए जा रहे हैं। लोगों को जागरूक करने के लिए सरकार हर वर्ष विज्ञापनों

किसानों के लिए सिर दर्द बनी ‘योजना’

टंकियों के नाम पर होता है फर्जीवाड़ा नरेंद्र कुंडू जींद। कृषि विभाग द्वारा किसानों के उत्थान के लिए हर वर्ष अनेकों योजनाएं धरातल पर उतारी जाती हैं, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही व लंबी प्रक्रिया के कारण विभाग की अधिकतर योजनाएं धरातल पर आने से पहले ही धराशाही हो जाती हैं। कृषि विभाग द्वारा अन्न के सुरक्षित भंडारण के लिए सब्सिडी पर किसानों को टंकियां मुहैया करवाने के लिए शुरू की गई यह योजना भी खामियों का शिकार हो चुकी है। किसानों को लाभावित करने के लिए शुरू की गई यह योजना किसानों के लिए सिर का दर्द बन चुकी है। यह इसी का परिणाम है कि इस वर्ष कृषि विभाग द्वारा रखे गए 1195 टंकियों के टारगेट में से सिर्फ 450 टंकियां ही किसानों तक पहुंच पाई हैं। बाकी बचे हुए किसानों को टंकियों के लिए आए दिन सरकारी बाबूओं के दरवाजे खटखटाने पड़ रहे हैं। अधिकतर किसान तो इस लंबी प्रक्रिया से परेशान होकर बीच में ही योजना से मुहं मोड़ लेते हैं। रबी के सीजन के दौरान कृषि विभाग किसानों को अन्न के सुरक्षति भंडारण के लिए मैटलिक बीन के लिए प्रेरित करता है। ताकि अन्न भंडारण के दौरान किसानों का अन्न सुरक्षित रह सक

....टूट रही सांसों की डोर

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एम्बुलेंस के साथ नहीं मिलती ईएमटी की सुविधा  सामान्य अस्पताल में खड़ी एम्बुलेंस का फोटो नरेंद्र कुंडू जींद। अस्पताल में बढ़ती मरीजों की संख्या पर सुविधाओं का टोटा हावी हो रहा है। खासकर दुरुह स्थिति में गंभीर मरीजों को तुरंत यहां से बाहर रेफर कर देना यहां की नियति बन गई है। अस्पताल प्रशासन द्वारा मरीजों को एम्बुलेंस की सुविधा तो दी जा रही है, लेकिन एम्बुलेंस के साथ मैडीकल टैक्नीशियन की ड्यूटी नहीं लगाई जाती है, जोकि नियम के अनुसार सबसे पहले जरुरी होती है। आपातकालीन परिस्थितियों में मरीज को समय पर प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध न होने के कारण अधिकतर मरीज अस्पताल तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं। इस प्रकार अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण मौत मरीज के सिर पर तांडव करती रहती है और मरीज के तामीरदारों के पास सिवाए आंसू बहाने के कोई रास्ता नहीं होता। जिले के सामान्य अस्पताल में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया न होने के कारण लोगों का विश्वास अस्पताल प्रशासन से उठ चुका है। अस्पताल में वर्तमान में एमरजेंसी एवं आईसीयू दोनों जगह गहन चिकित्सीय सुविधा का अभाव बना हुआ है। डाक्टरों की कमी एवं

बिना बस्ता, पढ़ाई हुई खस्ता

 आधा शैक्षणिक सत्र बीत जाने के बाद भी नहीं पहुंची पुस्तकें नरेंद्र कुंडू जींद। गर्मियों की छुट्टियां सिर पर हैं और अभी तक सरकारी स्कूलों में किताबें नहीं पहुंची हैं। पुस्तकों के बिना विद्यार्थी किसी तरह की पढ़ाई कर पा रहे होंगे यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। आधा शैक्षणिक सत्र बीत जाने के बाद भी विद्यार्थियों तक पुस्तकें नहीं पहुंच पाने से प्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग के शिक्षा का अधिकार कानून लागू कर राजकीय स्कूलों में मुफ्त में बेहतर शिक्षा देने के सारे दावे बेमानी साबित हो रहे हैं। इस प्रकार विद्यार्थियों को समय पर पुस्तकें उपलब्ध न करवाकर शिक्षा विभाग विद्यार्थियों के भविष्य के साथ सीधे तौर पर खिलवाड़ कर रहा है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण प्रदेशभर के 4476 सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी आज भी पुस्तकों का इंतजार कर रहे हैं। इससे अध्यापकों को भी सत्त शिक्षा मूल्यांकन की रिपोर्ट तैयार करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आखिर अध्यापक बिना पुस्तकों के किस तरह बच्चों का मूल्यांकन कर उनकी रिपोर्ट तैयार कर पाएंगे। प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा का अधिकार कानून लागू

खुलेआम बट रहा मौत का सामान

 शाम होते ही सजने लगती हैं नशे की दुकानें नरेंद्र कुंडू जींद। पिल्लूखेड़ा क्षेत्र में स्मैक का गोरखधंधा खूब फल-फूल रहा है। नशे के सौदागर कस्बे में अपनी जड़ें जमा चुके हैं। शाम होते ही सार्वजनिक स्थानों पर स्मैक की महफिलें सज जाती हैं और यहां खुलेआम मौत का सामन बटता है। मंडी में ही दर्जभर से ज्यादा प्वाइंट हैं, जहां पर स्मैक की धड़ल्ले बिक्री की जा रही है। नशे के सौदागरों का निशाना कम उम्र के युवा वर्ग पर सबसे ज्यादा है। इसकी का परिणाम है कि यहां का युवा वर्ग सबसे ज्यादा नशे की गिरफ्त में आ चुका है। पुलिस सब कुछ जानकर भी अनजान बनी बैठी है। हैरानी की बात यह है पुलिस ने नशे के सौदागरों के नेटवर्क को तोड़ने के लिए आज तक कोई कार्रवाई नहीं की है। इससे पुलिस की कार्य प्रणाली भी संदेह के घेरे में आ रही है। शहर में नशे का कारोबार दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। स्मैक के नशे ने युवाओं में अपनी पकड़ मजबूत बना ली है। इसीलिए नशे के कारोबारी भी अपने कारोबार को बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। स्मैक के अलावा कस्बे में अफीम, गांजा, चरस का कारोबार भी खुल चल रहा है। नशे के सौदागर नशे के साथ-साथ लोगों

धरती पुत्रों को हाइटैक बनाने की योजना पर ग्रहण

किसानों को अभी  तक नहीं मिली वित्तवर्ष 2011 की सब्सिडी सब्सिडी के लिए किसान काट रहे हैं कार्यालयों के चक्कर नरेंद्र कुंडू जींद। धरती पुत्र को हाइटैक बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई राष्ट्रीय  कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) पर कृषि विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का ग्रहण लग गया है। विभाग की तरफ से कृषि यंत्रों पर मुहैया करवाई जाने वाली वित्त वर्ष 2011 की सब्सिडी किसानों को अभी तक नहीं मिल पाई है। हालांकि किसानों ने अपनी जेब से पैसे खर्च कर कृषि यंत्र तो खरीद लिए हैं, लेकिन सब्सिडी के लिए किसानों को अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। अधिकारियों की लापरवाही के कारण ट्रेक्टर चालित स्प्रे पंप व कल्टीवेटर की खरीद करने वाले जिले के 170 किसान अभी तक सब्सिडी से वंचित हैं। इस प्रकार कृषि विभाग किसानों की लगभग 25 लाख रुपए की सब्सिडी राशि पर कुंडली मारे बैठा है। किसानों को हाईटैक बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा राष्टÑीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) शुरू की गई है। इस योजना के तहत केंद्र सरकार हर वर्ष किसानों को कृषि यंत्र खरीदवाने के लिए कृषि विभाग के माध्यम से

कम्प्यूटर शिक्षा के पहिये पर ब्रेक

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टेंडर अलाट न होने के कारण नहीं हो सकी कम्प्यूटर टीचरों की नियुक्ती नरेंद्र कुंडू जींद। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा आगाज से पहले ही दम तोड़ गई है। पिछले दो वर्षो से सरकारी स्कूलों में बच्चों की कम्प्यूटर शिक्षा के नाम पर खानापूर्ति ही हो रही है। यही कारण है कि सरकारी स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा के पहिये पर ब्रेक लगा हुआ है। सरकारी स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए सरकार द्वारा टेंडर अलाट कर प्राइवेट कंपनी के माध्यम से प्रदेश के हाई स्कूलों के लिए 2622 कम्प्यूटर शिक्षक नियुक्त किए जाने थे, लेकिन सरकार द्वारा अभी   तक किसी भी कंपनी को टेंडर ही अलाट नहीं किए गए हैं। टेंडर अलाट न होने के कारण कम्प्यूटर शिक्षा अधर में लटकी पड़ी है। आधा शैक्षणिक सत्र बीत जाने के बाद भी  कम्प्यूटर शिक्षकों की नियुक्ती न होने से सरकार की कार्य प्रणाली पर तो प्रश्न चिह्न लग ही रहा है, साथ में यह सवाल भी  खड़ा हो रहा है कि आखिर सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थी बिना गुरु के किस तरह कम्प्यूटर शिक्षा में दक्ष हो सकेंगे। सूचना क्रांति के साथ आई कम्प्यूटर क्रांति ग्रामीण सरकार

अब किसान घर पर ही जान सकेंगे मंडी के भाव व मौसम का हाल

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किसान क्लब ने किसानों के लिए तैयार की वेबसाइट नरेंद्र कुंडू जींद। अब किसानों को मौसम की चिंता नहीं सताएगी। किसान घर बैठे-बिठाए ही प्रदेश की सभी  मंडियों के भावों की जानकारी भी ले सकेंगे। इसके लिए चौ. छोटू राम किसान क्लब घिमाना के सदस्यों द्वारा एक वेबसाइट तैयार की गई है। वेबसाइट पर अंग्रेजी व हिंदी दोनों भाषाओं में जानकारी उपलब्ध करवाई गई है। वेबसाइट के माध्यम से किसान आगामी 5 दिनों तक मौसम में होने वाले परिर्वतन का हाल जान सकेंगे। किसान क्लब द्वारा तैयार की गई वेबसाइट पर मौसम व मंडी के भावों के अतिरिक्त किसानों को फसल की बिजाई से लेकर कटाई तक की पूरी प्रक्रिया व कम लागत से अधिक पैदावार लेने संबंधी जानकारी  उपलब्ध करवाई जाएंगी। किसानों तक जो जानकारियां कृषि विभाग नहीं पहुंचा पा रहा है वह सभी जानकारियां किसान क्लब वेबसाइट के माध्यम से पहुंचाएगा। इसके पीछे क्लब का मुख्य उद्देश्य किसानों को सशक्त बनाना है। किसान अब कम्प्यूटर के माध्यम से घर बैठे-बिठाए ही कृषि संबंधी सभी जानकारियां हासिल कर सकेंगे। मौसम से लेकर प्रदेश की सभी मंडियों के भावों तक की सारी जानकारी किसानों को एक ही व