....ये कैसा बालश्रम कानून
बालश्रम उन्मूलन दिवस पर विशेष नरेंद्र कुंडू जींद। एक तरफ 12 जून को विश्व स्तर पर बालश्रम उन्मूलन दिवस मनाया जा रहा है और सरकार द्वारा बाल श्रम के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए विज्ञापनों पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन दूसरी तरफ शहर में बालश्रम कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। शहर में चाय, नाश्ता की दुकानों, होटलों और गैराज में छोटे-छोटे बच्चे मजदूरी करते नजर आ रहे हैं। शहर में सैंकड़ों दुकानों और होटलों पर छोटे बच्चे बाल मजदूरी करते देखे जा सकते हैं, लेकिन किसी अधिकारी की नजर इन पर नहीं पड़ रही है। पढ़ाई-लिखाई की उम्र में हाथों में औजार थामे ये बच्चे प्राथमिक स्तर की शिक्षा से भी दूर हैं। शहर में लगातार बढ़ती बाल मजदूरों की संख्या को देखकर लगता ही नहीं है कि जिले में बाल श्रम कानून लागू है। सरकारी अधिकारियों की उदासीनता के चलते देश का भविष्य गर्त में है। बाल श्रम कानून के तहत कागजी तौर पर कई नियम कानून बनाए गए हैं, लेकिन हकीकत में नियमों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। शहर में कई स्थानों पर छोटे बच्चे वाहनों को सुधारने का काम कर रहे हैं। इसके अलावा होटलों और दुका...