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जनता क्या बदना चाहती है सत्ता या व्यवस्था?

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नरेंद्र कुंडू जींद। जैसे-जैसे यूपीए सरकार के भ्रष्टाचार के मामले एक-एक करके पर्दे से बाहर आ रहै है, वैसे-वैसे ही राजनीति के गलियारों की हलचल भी बढ़ती जा रही हैं। देश में परिवर्तन के नाम की आंधी उठने लगी है। कहीं विपक्षी पाॢटयां सत्ता परिवर्तन की आवाज बुलंद कर रही हैं तो कहीं सामाजिक संगठन या अन्य दल पूरी व्यवस्था के परिवर्तन पर जोर दे रहे हैं। सत्तासीन सरकार के माथे पर भ्रष्टाचारी सरकार का लेबल चसपाकर देश में मध्यावर्ति चुनाव का माहौल तैयार किया जा रहा है। सत्ता परिवर्तन के लिए सभी राजनैतिक दल पूरे जोर-शोर से तैयारियों में जुटे हुए हैं। फिर से देश में रैलियों का दौर शुरू हो चुका है। टिकट के दावेदारों द्वारा अपनी ताकत का ऐहसास करवाने के लिए रैली में अधिक से अधिक भीड़ जुटाकर अपने आकाओं की नजरों में अपना कद बढ़ाने की पूरजोर कोशिश की जा रही है। राजनैतिक पार्टियों के बीच वाक युद्ध का दौर पूरे यौवन पर है। मंच रूपी रथ पर सवार होकर शब्द रूपी बाणों से नेता एक-दूसरे का सीना छलनी कर रहे हैं। अपने दाग को छुपाने के लिए दूसरों के दामन पर कीचड़ उछाला जा रहा है। राजनैतिक दल जनता-जर्नादन का समर

चने की खेती से मुहं मोड़ रहे जिले के किसान

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साल-दर-साल सिकुड़ता जा रहा चने की खेती का रकबा नरेंद्र कुंडू जींद।  कृषि विभाग किसानों को तिलहन व दलहन फसलों के लिए प्रेरित करने के लिए चाहे कितने भी प्रयास क्यों न कर रहा हो लेकिन विभाग के लाख प्रयास के बावजूद भी किसान तिलहन व दलहन फसलों की तरफ रूख नहीं कर रहे हैं। तिलहन व दलहन फसलों का रकबा लगातार कम हो रहा है और गेहूं व धान की फसलों के रकबे में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। अगर पिछले 4 दशकों के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो साल-दर-साल चने की खेती का रकबा सिकुड़ रहा है। दलहन फसलों का यह आंकड़ा सिर के बल गिर है। फिलहाल जिले में चने की खेती का रकबा सिर्फ 500 हैक्टेयर के लगभग ही बचा है जबकि वर्ष 1967-68 के समय में जिले में अकेले चने की खेती का रकबा 1 लाख हैक्टेयर के लगभग था।  कृषि विभाग किसानों को दलहन व तिलहन फसलों के प्रति प्रेरित करने के लिए हर वर्ष विशेष अभियान चलाकर लाखों रुपए खर्च करता है लेकिन विभाग के तमाम प्रयासों के बावजूद भी किसान तिलहन व दलहन फसलों को नहीं अपना रहे हैं। विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार जिले में दलहन फसलों में सबसे ज्यादा कमी चने की खेती के रकबे में हुई

हर रोज रोडवेज को लाखों का चूना लगा रही प्राइवेट समितियों की बसें

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निर्धारित रूटों पर नहीं चल रही हैं प्राइवेट समितियों की बसें नरेंद्र कुंडू जींद।  हरियाणा रोडवेज के अधिकारियों की अनदेखी विभाग को भारी पड़ रही है। हर रोज प्राइवेट समितियों की बसें विभाग को प्रति दिन लाखों रुपए का चूना लगा रही हैं। प्राइवेट बस चालक रोजाना नियमों को ठेंगा दिखाकर निर्धारित रूट से विपरित चल रहे हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों की यातायात व्यवस्था प्रभावित हो रही है। प्राइवेट बस चालकों द्वारा समय पर निर्धारित गांव में बस नहीं चलाने के कारण ग्रामीण क्षेत्र के यात्रियों व विद्यार्थियों को भारी परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। रोडवेज व जिला परिवहन प्राधिकरण विभाग को बार-बार निजी बस चालकों के खिलाफ शिकायत मिलने के बावजूद भी अधिकारी इनके खिलाफ कार्रवाई करने की बजाए इन्हें अपनी मौन स्वीकृति दे रहे हैं। हरियाणा रोडवेज बेड़े में बसों की कमी को देखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर परिवहन सेवाएं मुहैया करवाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए परिवहन समितियों को परमिट अलाट किए गए थे। फिलहाल जिले में 48 निजी बसें चल रही हैं। लगभग इन सभी 48 बसों के रूट ग्रामीण क्षेत्

पिछले वर्ष हुई गलती से सबक ले रहा है कृषि विभाग

गेहूं की पछेती बिजाई के बाद भी अच्छे उत्पादन के लिए विशेष किस्मों पर दिया जा रहा है जोर नरेंद्र कुंडू जींद । पिछले वर्ष कपास की फसल की चुगाई का सीजन काफी लंबा चलने के कारण लेट हुई गेहूं की बिजाई से इस बार कृषि विभाग ने सबक लिया है। इस बार कृषि विभाग गेहूं की लेट बिजाई के बाद भी किसानों को अच्छी पैदावार दिलवाने के लिए विशेष किस्मों पर जोर दे रहा है। हालांकि कृषि विभाग गेहूं की बिजाई के अपने लक्ष्य से अभी भी दूर है। इसके अलावा विभाग द्वारा गेहूं की फसल को बीमारियों से बचाने के लिए किसानों को बीजोपचार के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है।  पिछले वर्ष कपास की फसल की चुगाई का सीजन दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह तक चला था। कपास का सीजन लंबा चलने के कारण गेहूं की बिजाई का कार्य काफी लेट हो गया था। इसके चलते कृषि विभाग के अधिकारियों को गेहूं की बिजाई के अपने टारगेट तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी थी। गेहूं की बिजाई लेट होने के कारण किसानों को भी पैदावार में काफी नुक्सान उठाना पड़ा था लेकिन इस बार कृषि विभाग ने अपनी पिछले वर्ष की गलती को सुधारने के लिए गेहूं की पछेती किस्मों की बिजाई प

...ताकि रबी की फसल के सीजन के दौरान न हो नकली बीज की बिजाई

नकली बीज व दवाइयों की बिक्री को रोकने के लिए कृषि विभाग ने चलाया अभियान नरेंद्र कुंडू  जींद।  रबी की फसल की बिजाई के दौरान नकली बीज, खाद व दवाइयों की बिक्री को रोकने के लिए जिला कृषि विभाग ने कमर कस ली है। नकली बीज, खाद व दवाइयों की बिक्री को रोकने के लिए विभाग द्वारा सैंपङ्क्षलग के लिए विशेष अभियान चलाया गया है। इसके लिए विभाग द्वारा एस.डी.ओ. क्यू.सी.आई., ए.पी.पी.ओ. व प्रशासन के अधिकारियों के नेतृत्व में बीज व खाद की दुकानों पर जाकर सैंपल लिए जा रहे हैं। रबी की फसलों की बिजाई तक विभाग का यह अभियान जारी रहेगा।  प्रदेश में रबी की फसल की बिजाई का सीजन जोरों पर है। इस दौरान नकली बीज, खाद व दवाइयों का बाजारा भी गर्म हो चुका है। नकली बीज, खाद व दवाइयों के विक्रेता किसानों को नकली बीज व दवाइयों की सप्लाई कर मोटा मुनाफा कमाने की फिराक में रहते हैं। किसानों को इसकी पहचान नहीं होने के कारण भोले-भाले किसान इनके चुंगल में आसानी से फंस जाते हैं। नकली बीजों की बिजाई के कारण किसानों की हजारों रुपए की फसल खराब हो जाती है और इससे किसानों को काफी आर्थिक नुक्सान उठाना पड़ता है लेकिन अब कृषि विभ

चली आओ म्हारे देश 'लाडो'

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गर्भ में मारी गई अजन्मी कन्याओं की आत्मा की शांति के लिए हवन में आहुति डालकर दिलवाते हैं शपथ  नरेंद्र कुंडू  जींद।  कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए लोगों को जागरूक करने के अलावा जिले के युवाओं द्वारा एक अनोखी मुहिम शुरू की गई है। 'बेटी बचाओ सृष्टि बचाओ अभियान' के तहत युवाओं द्वारा लोगों को कन्या भ्रूण हत्या नहीं करवाने के लिए जागरूक करने के लिए जागरूकता रैली निकाली जाती है। रैली के समापन पर गर्भ में मारी गई अजन्मी कन्याओं की आत्मा की शांति के लिए लोगों से हवन में आहुति डलवाकर उन्हें कन्या भ्रूण हत्या नहीं करवाने की शपथ दिलवाई जाती है। इस मुहिम की खास बात यह है कि अधिक से अधिक लोगों को इस मुहिम से जोडऩे के लिए इसमें किसी व्यक्ति विशेष का प्रचार नहीं कर 'आप और हम' के स्लोगन के साथ इसे आगे बढ़ाया जा रहा है। जींद जिले में इस अभियान को सफल बनाने के बाद इनका अगला टारगेट प्रदेश स्तर पर इस अभियान को चलाकर पूरे प्रदेश में अपनी टीमें तैयार करना है।    शहर में रैली निकाल कर लोगों का जागरूक करते युवा 'लाडो' को बचाने के लिए जिले में पिछले काफी समय से मुहिम चली

प्रतिबंध दवाइयां बेचने वाले मैडीकल स्टोर संचालकों के खिलाफ विभाग ने खोला मोर्चा

एक दर्जन से ज्यादा लाइसैंस किए रद्द  नरेंद्र कुंडू  जींद।  ड्रग कंट्रोल विभाग ने जिले में नशे के खिलाफ विशेष मुहिम छेड़ी है। विभाग द्वारा इस मुहिम के तहत मैडीकल स्टोरों पर प्रतिबंधित दवाइयां बेचते हुए पकड़े जाने वाले स्टोर संचालकों के लाइसैंस रद्द किए जा रहे हैं। विभाग ने इस कड़ी के तहत अभी तक एक दर्जन से ज्यादा मैडीकल स्टोर संचालकों के लाइसैंस रद्द कर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की है। इसके अलावा विभाग द्वारा झोला छाप डाक्टरों पर भी शिकंजा कसा है। मैडीकल स्टोरों पर नशीली व प्रतिबंधित दवाइयां बेचने वाले मैडीकल स्टोर संचालकों को सबक सिखाने के लिए ड्रग कंट्रोल विभाग द्वारा सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। विभाग द्वारा शुरू की गई इस मुहिम का मुख्य उद्देश्य नशीली दवाइयों की बिक्री पर रोक लगाकर जिले को नशा मुक्त बनाना है। जिला कंट्रोल विभाग द्वारा सीनियर ड्रग कंट्रोल अधिकारी परङ्क्षजद्र ङ्क्षसह के निर्देशानुसार यह अभियान चलाया गया है। विभागीय अधिकारियों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार अभी तक विभाग ने अपने इस अभियान के तहत मैडीकल स्टोर पर नशील दवाइयां बेचते पाए जाने पर 12 से अधिक मैडीकल स्टोरों

महिला पाठशाला की मानीटरिंग के लिए ललीतखेड़ा पहुंची कृषि विभाग के अधिकारियों की टीम

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कहा: अगले वर्ष प्रदेश स्तर से शुरू होगी जहर से मुक्ति दिलवाने की मुहिम नरेंद्र कुंडू  जींद।  कृषि विभाग की आत्मा स्कीम के तहत ललीतखेड़ा गांव में चल रही प्रदेश की एकमात्र महिला पाठशाला की निगरानी व पर्यवेक्षण के लिए शनिवार को कृषि मंत्रालय से अवर सचिव आर.एस. वर्मा तथा कृषि विस्तार प्रबंधन राष्ट्रीय संस्थान हैदराबाद की उप निदेशक डा. लक्ष्मी मूर्ति ललीतखेड़ा पहुंची। पाठशाला की मानिटङ्क्षरग के लिए पहुंचे दोनों अधिकारी पाठशाला की महिलाओं व मास्टर ट्रेनरों से रू-ब-रू हुए। महिलाओं की उपलब्धियों को देखते हुए विभागीय अधिकारियों ने महिलाओं व मास्टर ट्रेनरों की पीठ थपथपाई, वहीं पाठशाला की महिलाएं भी विभागीय अधिकारियों को अपने बीच पाकर गदगद थी। इस अवसर पर उनके साथ उपमंडल अधिकारी सुरेंद्र मलिक, खंड कृषि विकास अधिकारी डा. जे.पी. शर्मा, डा. सुरेंद्र दलाल व विषय विशेषज्ञ दीपिका भनवाला भी मौजूद थी।  अधिकारियों को जानकारी देते ललीतखेड़ा की महिलाएं।  महिलाओं से बातचीत करते विभागीय अधिकारी।  महिला किसान मिनी, सविता, अंग्रेजो, यशवंती, सविता, शीला ने विभागीय अधिकारियों को पाठशाला के दौरान

सबसिडी के बाद भी बाजार से कम रेट पर नहीं मिल रहा है गेहूं का बीज

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सरकार द्वारा सबसिडी के नाम पर हरियाणा बीज विकास निगम को दिए जाते हैं करोड़ों रुपए नरेंद्र कुंडू जींद।  सरकार द्वारा गेहूं के बीज पर सबसिडी दिए जाने के बावजूद भी किसानों को गेहूं का बीज बाजार से कम रेट पर नहीं मिल पा रहा है। हरियाणा बीज विकास निगम (एच.एस.डी.सी.) किसानों को जिस रेट पर बीज उपलब्ध करवा रहा है, उसी रेट पर किसानों को बाजार में गेहूं का बीज मिल रहा है। जबकि निगम द्वारा सबसिडी देकर किसानों को यह बीज बाजार से कम भाव पर मुहैया करवाना होता है। निगम द्वारा किसानों को दिए जा रहे सबसिडी व बिना सबसिडी के बीज के भाव लगभग एक समान हैं। इस प्रकार निगम सरकार से बीज पर सबसिडी लेने के बाद भी किसानों को बाजार से कम रेट पर बीज मुहैया नहीं करवा रही है।   निगम की वेबसाइट पर दर्शाया गया सबसिडी वाले बीज का रेट चार्ट। सरकार द्वारा किसानों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने के लिए किसानों को उन्नत किस्म की फसलों के लिए प्रेरित किया जा रहा है। किसानों को अच्छी किस्म के गेहूं का बीज उपलब्ध करवाने के लिए सरकार द्वारा वर्ष 2012-13 के लिए हरियाणा बीज विकास निगम के माध्यम से किसानों को सबसिडी पर ग

.....मैडम जी म्हारा के कसूर सै ?

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पिछले 3 माह से चले आ रहे प्राचार्या व अध्यापाकों के विवाद में बाधित हो रही है बच्चों की पढ़ाई नरेंद्र कुंडू जींद।  ईंटलकलां गांव के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में पिछले 3 माह से प्राचार्या व अध्यापकों के बीच चले आ रहे विवाद से बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। इससे बच्चों का भविष्य खतरे में है। प्राचार्या व अध्यापकों के इस विवाद को देखते हुए स्कूल के बच्चों पर तो हरियाणावी कहावत झोटयां की लड़ाई में झूंडां का खो वाली कहावत सटीक बैठ रही है। पिछले 3 माह से चली आ रही इस लड़ाई में प्राचार्या या अध्यापकों को तो शायद ही कुछ नुक्सान उठाना पड़े या ना पड़े लेकिन इसमें बच्चों को तो पढ़ाई का नुक्सान उठाना ही पड़ेगा। 3 माह के लंबे अंतराल के बावजूद भी विभाग प्राचार्या व अध्यापकों के बीच चली आ रही चौधर की इस जंग को शांत नहीं करवा पाया है। दोबारा से प्राचार्या लता सैनी को इसी स्कूल का चार्ज मिलने के बाद अब अध्यापक यहां से अपना तबादला करवाने पर अड़े हुए हैं। उधर प्राचार्या भी इस स्कूल से अपने तबादले की मांग कर रही है। इसके चलते दोनों पक्षों से शुक्रवार को स्कूल में मामले की जांच के लिए पहुंची

सावधान ! कहीं सेहत पर भारी न पड़ जाए पनीर व मावे का शौक

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त्यौहारी सीजन पर बढ़ी दूध की मांग, सिंथेटिक दूध माफिया सक्रिय गंदगी में तैयार हो रहा है पनीर, गिरोह के गिरेबान तक नहीं पहुंच रहे अधिकारियों के हाथ नरेंद्र कुंडू जींद।  त्यौहारी सीजन शुरू होते ही दूध की मांग भी बढ़ गई है। दूध की बढ़ती मांग को देख सिंथेटिक दूध माफिया सक्रिय हो गए हैं। सिंथेटिक दूध माफिया कैमीकल की सहायता से ऐसा दूध तैयार कर रहे हैं, जिसकी पहचान आसान नहीं है। ऐसे में फूड सेफ्टी विभाग की टीम के हाथ भी इनके गिरेबान तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। इससे लोगों के स्वास्थ्य पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। त्यौहारों की वजह से अचानक बाजार में दूध, घी और मावा की डिमांड कई गुना बढ़ गई है। यही डिमांड मिलावट को जन्म देती है। लोगों की डिमांड को पूरा करने के लिए नकली दूध, घी और मावा बनाने वाले त्यौहारों के मौसम में हरकत में आ जाते हैं। नकली मिठाई और थेटिक दूध से गंभीर बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। फिलहाल दीपावली पर्व को देखते हुए कारीगर दूध से बनने वाली वस्तुओं को बनाने में लगे हुए हैं, वहीं शादी समारोह का सीजन शुरू होने के कारण भी दूध की डिमांड को ओर बढ़ा दिया है। जिसके चलते दूध

... ताकि कम हो सके थाली से जहर

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निडाना के अलावा जिले के अन्य गांवों के किसानों ने भी कीटनाशक रहित खेती की तरफ बढ़ाए कदम नरेंद्र कुंडू जींद।  जिला मुख्यालय से चंद किलोमीटर की दूरी पर स्थित निडाना गांव की धरती से 4 साल पहले उठी कीट ज्ञान की चिंगारी अब क्रांति का रूप लेने लगी है। इस क्रांति का प्रभाव जिले के अन्य गांवों में भी देखने को मिल रहा है। निडाना की किसान खेत पाठशाला से कीट ज्ञान हासिल कर जिले के कई गांवों के किसान अब निडाना गांव के किसानों की तर्ज पर कीटनाशक रहित खेती की राह पकड़ चुके हैं और इससे किसानों को सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। किसान बिना किसी पेस्टीसाइड का प्रयोग किए फसल का अच्छा उत्पादन ले रहे हैं। मुहिम को मिल रहे अच्छे रिस्पांश से एक बात साफ हो रही है कि लोगों की थाली से जहर कम करने के लिए निडाना के किसानों द्वारा शुरू की गई इस मुहिम का रंग अब जिले के अन्य किसानों पर भी चढऩे लगा है। अब यह किसान अपने-अपने क्षेत्र के किसानों के लिए रोल मॉडल बनकर उभरेंगे और दूसरे किसानों को भी कीटनाशक रहित खेती के लिए प्रेरित करेंगे।  अलेवा गांव के प्रगतिशील किसान जोगेंद्र ने बताया कि उसने एम.ए. तक पढ़ाई की ह

मिलावटखोरों के सामने बौना साबित हो रहा फूड सेफ्टी विभाग

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पिछले वर्ष लिए गए सैंपलों पर अभी तक नहीं हुई कार्रवाई नरेंद्र कुंडू जींद।   त्यौहारी सीजन के दौरान मिलावटखोरों पर नकेल कसने में फूड सेफ्टी विभाग भी बेबस नजर आ रहा है। नई मिलावटी मिठाई बाजार में आ चुकी है लेकिन विभाग अभी तक पिछले वर्ष मिलावटी मिठाई बेचकर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाया है। पिछले वर्ष दीपावली के अवसर पर विभाग द्वारा लगभग 65 सैंपल लिए गए थे। इनमें से अब तक सिर्फ 50 के लगभग सैंपलों की रिपोर्ट ही विभाग के पास पहुंची है, जिनमें से भी सिर्फ 5 ही सैंपल संदेह के घेरे में आए हैं लेकिन विभाग अभी तक इनके खिलाफ भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाया है। एक वर्ष की लंबी अवधि बीत जाने के बाद भी अभी तक इन पांचों सैंपलों का केस अतिरिक्त उपायुक्त के पास ही विचाराधीन हैं। इस प्रकार जांच प्रक्रिया लंबी व धीमी होने के कारण विभाग मिलावटखोरों के सामने बौना साबित हो रहा है।  त्यौहारी सीजन के दौरान मिलावटखोरी को रोकने के लिए फूड सेफ्टी विभाग हर वर्ष विशेष अभियान चलाता है। इस अभियान के तहत मिठाइयों की दुकानों से सैंपल भी लिए जाते हैं और इन्हे

अनाज मंडी की सड़कों पर खराब हो रहा धरती पुत्रों का पीला सोना

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धान का सीजन शुरू होते ही खुली जिला प्रशासन व खरीद एजैंसियों के दावों की पोल पिछले 10 दिनों से बंद है पी.आर. धान का खरीद कार्य नरेंद्र कुंडू जींद।  जिला प्रशासन व सरकारी खरीद एजैंसियों द्वारा अनाज मंडी में धान की सभी किस्मों की खरीद व उठान कार्य को तीव्रता से करने के सभी दावे खोखले साबित हो रहे हैं। सीजन शुरू होते ही जिला प्रशासन व खरीद एजैंसियों के दावों की पोल खुलनी शुरू हो गई है। शहर की रोहतक रोड स्थित नई अनाज मंडी में लगभग पिछले 10 दिनों से पी.आर. धान की खरीद नहीं हो रही है। खरीद एजैंसियों की लापरवाही के कारण धरतीपुत्रों का पीला सोना अनाज मंडी की सड़कों पर ही खराब हो रहा है। समय पर पी.आर. धान की खरीद नहीं होने के कारण अनाज मंडी में धान के ढेर लगे हुए हैं। फिल्हाल नई अनाज मंडी में लगभग 5 हजार क्विंटल पी.आर. धान बिक्री के लिए पड़ी हुई है लेकिन खरीद एजैंसियां धान की खरीद के लिए आगे नहीं आ रही हैं। खरीद एजैंसियां बारदाने की कमी बताकर खरीद कार्य से अपने हाथ पीछे खींच रही है।   फसल की खरीद नहीं होने पर नारेबाजी कर विरोध जताते किसान। धान की फसल का सीजन जोरों पर है और जिला प्

अब मैडीकल स्टोर के लाइसैंस के लिए नहीं काटने पड़ेंगे सरकारी कार्यालय के चक्कर

ऑन लाइन ही होगी लाइसैंस की सारी प्रक्रिया नरेंद्र कुंडू जींद। मैडीकल स्टोर के लिए लाइसैंस लेने वाले आवेदकों के लिए एक अच्छी खबर है। अब आवेदकों को मैडीकल स्टोर के लिए लाइसैंस लेने के लिए फूड एंड ड्रग सेफ्टी विभाग (एफ.डी.ए.) के कार्यलय के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। इसके लिए फूड एंड ड्रग सेफ्टी विभाग ने ऑन लाइन प्रक्रिया शुरू कर दी है। विभाग द्वारा शुरू की गई इस योजना की खास बात यह है कि विभाग आवेदक को एस.एम.एस. के जरिये उसकी फाइल की स्टेट्स रिपोर्ट देगा। पहले फूड एंड ड्रग सेफ्टी विभाग द्वारा मैडीकल स्टोर का लाइसैंस देने की काफी लंबी व जटिल प्रक्रिया थी। लाइसैंस लेने के लिए आवेदकों को कई-कई दिनों तक विभाग के कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ते थे। इस प्रक्रिया के दौरान विभाग के कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों तक की जेब भी गर्म करनी पड़ती थी तब जाकर कहीं आवेदक को लाइसैंस मिलता था लेकिन विभाग ने अब इस पुरानी प्रक्रिया को बंद कर यह सब प्रक्रिया ऑन लाइन कर दी है। अब विभाग ने मैडीकल स्टोर के लिए लाइसैंस देने की प्रक्रिया को काफी सरल कर दिया है। अब लाइसैंस लेने की सारी प्रक्रिया ऑन लाइन चलेगी।

इलैक्ट्रोनिक आइटमों की मार से फीकी पड़ी दीये की चमक

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परम्परा को कायम रखने के लिए अपने पुस्तैनी कारोबार को नहीं छोड़ पा रहे हैं कुंभकार नरेंद्र कुंडू जींद।  आधुनिकता की चकाचौंध व बाजारों में इलैक्ट्रोनिक आइटमों की भरमार के कारण मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारीगर (कुम्हार) अपने इस पुस्तैनी कारोबार से मुहं मोडऩे पर विवश हैं। पुर्वजों से विरास्त में मिले इस रोजगार से अब वह अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का भी जुगाड़ नहीं कर पा रहे हैं। केवल परम्परा को कायम रखने के लिए ही कुम्हार अपने इस पुस्तैनी कारोबार को चलाए हुए हैं। कारीगरों को बर्तन बनाने के लिए मिट्टी की व्यवस्था से लेकर बर्तनों की बिक्री तक अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कारीगरों को उनकी मेहतन के अनुसार बर्तनों के पैसे नहीं मिल पाते हैं। गर्मी के सीजन के बाद केवल दीपावली पर एक माह तक ही उनका कारोबार चलता है। इसके बाद उनका यह कारोबारा पूरे वर्ष ठप्प रहता है। शहर में लगभग 20 से 25 कारीगर इस काम से जुड़े हुए हैं। इस एक माह के इस सीजन के दौरान एक कारीगर लगभग एक लाख रुपए तक का कारोबार कर लेता है लेकिन इस एक लाख के कारोबार से एक कारीगर को केवल 10 से 15 हजार रुपए की ही बचत