रविवार, 7 अक्तूबर 2012

आबकारी विभाग ने शराब ठेकेदारों को दी लूट की खुली छूट

रात्रि को समय पर नहीं बंद होते शराब के ठेके

विभाग के अधिकारियों को नहीं नियमों की जानकारी

नरेंद्र कुंडू
जींद। आबकारी विभाग ने शराब ठेकेदारों को लूट की खुली छूट दे रखी है। विभाग द्वारा आबकारी नीति के तहत शराब के न्यूनतम रेट तो तय किए जाते हैं, लेकिन अधिकतम रेट तय करने के लिए कोई प्रावधान नहीं बनाया गया है। अब शराब के न्यूनतम रेट क्या हैं? इसके बारे में भी ग्राहकों को कुछ पता नहीं है। क्योंकि शराब ठेकेदारों द्वारा ठेके के बाहर शराब की बोतल के न्यूनतम रेट की लिस्ट भी नहीं लगाई जाती है। इस प्रकार शराब ठेकेदार आबकारी विभाग की नीति की इस खामी को अपनी ढाल बनाकर खूब चांदी कूटते हैं और शराब की बोतल को कई-कई गुणा रेटों पर बेचा जाता है। इसके अलावा शराब ठेकेदारों द्वारा ठेका खोलने व बंद करने के लिए बनाए गए नियमों की भी खुलेआम धज्जियां उड़ाई जाती हैं। जबकि आबकारी विभाग ने ठेका खोलने व बंद करने के लिए समय सारिणी बनाई हुई है। 
प्रदेश सरकार के राजकोष में हर वर्ष अरबों रुपए का राजस्व जमा करवाने वाले आबकारी विभाग द्वारा शराब ठेकेदारों को शराब के ठेके अलाट कर खुलेआम ग्रहाकों की जेबें तरासने का लाइसैंस दे दिया जाता है। जिसके बाद शराब ठेकेदार अपना पैसा वसूल करने के लिए बिक्री के लिए शराब के रेट अपनी मनमर्जी के अनुसार तय करते हैं और शराब की एक-एक बोतल को न्यूनतम रेट से कई-कई गुणा रेटों पर बेचा जाता है। क्योंकि शराब ठेकेदारों को इस तरह ग्राहकों से पैसे ऐंठने की इजाजत देने के पीछे भी खुद आबकारी विभाग की कमजोर नीति है। आबकारी विभाग द्वारा ठेकेदार को ठेका अलाट करने के बाद शराब की बोतल के न्यूनतम रेट तो तय किए जाते हैं, लेकिन बोतल के अधिकतम रेट तय नहीं किए जाते हैं। शराब की बोतल के न्यूनतम रेटों के बारे में भी ग्राहक को पता नहीं होता, क्योंकि किसी भी शराब के ठेके के बाहर बोतल के न्यूनतम रेट की लिस्ट नहीं लगाई जाती है। बोतल के न्यूनतम रेट की लिस्ट ठेके के बाहर न लगी होने के कारण ठेके पर मौजूद कारिंदे अपने मनमुताबिक रेटों पर शराब बेचते हैं और ग्राहक जानकारी के अभाव में चुपचाप लुटते रहते हैं। 

क्या है ठेके खुले व बंद होने का समय

आबकारी विभाग ने शराब के ठेके खोलने व बंद करने के लिए ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों के लिए अलग-अलग समय सारिणी बनाई हुई है। लेकिन अधिकतर शराब ठेकेदार विभाग की इस समय सारिणी की पालना नहीं करते हैं। जिस कारण देर रात तक पीने-पिलाने का क्रम जारी रहता है। विभाग ने ग्रामीण क्षेत्र के लिए ठेका खुलने का समय अप्रैल से अक्तूबर माह में सुबह 9 बजे से रात 11 बजे और नवंबर से मार्च माह में सुबह 9 बजे से रात 10 बजे तक का समय तय किए गया है। शहरी क्षेत्र के लिए ठेका खुलने का समय सुबह 9 बजे से रात 12 बजे तक तय किया गया है। 

अपराध को मिलता है बढ़ावा।  

आबकारी विभाग द्वारा ठेके खुलने व बंद करने के लिए तय किए गए समय के अनुसार ठेकेदारों द्वारा ठेके बंद न करने के कारण देर रात्रि तक शराब की बिक्री का क्रम जारी रहता है। जिस कारण मयखानों व सार्वजनिक स्थानों पर भी देर रात तक जाम छलकते रहते हैं। जिसके बाद नशेड़ी प्रवृति के लोग लालपरी के नशे में चूर होकर चोरी, डैकेती, लूटपाट व अन्य आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने से भी नहीं हिचकते हैं। इस प्रकार ठेकेदारों व आबकारी विभाग की लापरवाही के कारण अपराध को भी बढ़ावा मिलता है। 
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ईयर एंड पर लगाए जाते हैं सस्ती शराब के बैनर

साल के अंत में जब आबकारी विभाग द्वारा शराब के नए ठेके अलाट करने के लिए ठेकेदारों से आवेदन मांगे जाते हैं तो पुराने ठेकेदारों द्वारा ग्राहकों को प्रलोभन में फांसने के लिए ठेकों के बाहर सस्ती शराब के बड़े-बड़े बैनर लगाए जाते हैं। लेकिन इससे पहले कभी भी ठेकों पर इस तरह के बैनर या रेट लिस्ट नहीं लगाई जाती। 
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इस बारे में जब ठेकेदार संदीप रेढ़ू से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि आबकारी विभाग द्वारा शराब के न्यूनतम रेट तय किए जाते हैं। अधिकतम रेट के लिए विभाग की पॉलिसी में कोई प्रावधान नहीं है। साल के अंत में ठेकों के बाहर सस्ती शराब के जो बैनर लगाए जाते हैं, वह नियमों के विरुद्ध है। आबकारी विभाग ऐसे ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई कर ठेके को सील कर सकते हैं। 

बाबू को ही नहीं पता विभाग के नियम

 शराब के ठेके जिनके बाहर न्यूनतम रेट लिस्ट नहीं लगाई गई। 

ठेकों के बाहर रेट लिस्ट लगाने के बारे में पूछताछ के लिए जब यहां के आबकारी विभाग के कार्यालय के अधिकारियों से संपर्क किया गया तो उन्होंने विभाग की नीति का हवाला देते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया। अधिकारियों ने बताया कि आबकारी विभाग की नीति में ठेके के बाहर बोतल के न्यूनतम रेट की लिस्ट लगाने का कोई नियम नहीं है। लेकिन खुद विभाग के आला अधिकारी शराब के ठेके के बाहर रेट लिस्ट लगाने के नियम को अनिवार्य बता रहे हैं। इस प्रकार यहां के आबकारी विभाग के अधिकारी भी ठेकेदारों की इस लूट में बराबर के जिम्मेदार हैं। 

न्यूनतम रेट लिस्ट लगाना अनिवार्य

हरियाणा के आबकारी विभाग की पॉलिसी में शराब के न्यूनतम रेट तय किए जाते हैं, लेकिन अधिकतम रेट तय करने का नियम नहीं है। ठेके के बाहर शराब की बोतल के न्यूनतम रेट की लिस्ट लगाने का नियम विभाग की पॉलिसी में है। अगर किसी ठेके के बाहर न्यूनतम रेट की लिस्ट न लगी हो तो विभाग के अधिकारी उस ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं।
अरूण रस्तोगी
आबकारी एवं कराधान आयुक्त


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