रविवार, 18 दिसंबर 2011

इतिहास समेटे हुए है जींद का बारात घर


विरासत के तौर पर रखा गए एडीईएन का बंगल
 रेलवे जंक्शन स्थित बारात घर।
नरेन्द्र कुन्डू
जींद। रेलवे जंक्शन के पास बनाया गया बारात घर अपने अंदर इतिहास समेटे हुए है। कभी यहां पर अंग्रेजों की महफिलें सजती थी। उस समय इस स्थल को रेलवे इंस्टीट्यूट के नाम से जाना जाता था और यहां पर पार्टियों के दौर चलते थे। इंस्टीट्यूट के भवन के अंदर फ्लोर बनाया गया था, जिस पर अंग्रेज दंपत्ति डांस किया करते थे। यह इंस्टीट्यूट अंग्रेज अधिकारियों का प्रमुख मनोरंजन स्थल होता था। इसके अलावा यहां पर बैडमिंटन, चौपड़शाल, शतरंज इत्यादी खेल भी  खेले जाते थे। अंग्रेजों के जाने के बाद रेलवे विभीग द्वारा कर्मचारियों के मनोरंज के लिए यहां पर एक थियेटर का निर्माण किया गया। थियेटर में केवल रेलवे कर्मचारी व उनके परिवार के लोग ही फिल्मों देख सकते थे। बाद में रेलवे ने इसे बंद कर बारात घर में तबदील कर दिया। अब इस बारात घर पर लाखों रुपए खर्च कर शहर के उच्च श्रेणी के होटलों की तर्ज पर डेवेलोप किया जा रहा है।
अंग्रेजों द्वारा जींद में 1936 में रेलवे जंक्शन की स्थापना की गई थी। जींद में रेलवे की स्थापना करने के बाद अंग्रेजी अधिकारियों के मनोरंज के लिए यहां पर रेलवे इंस्टीट्यूट बनाया गया। इस इंस्टीट्यूट में एक लकड़ी का फ्लोर बनाया गया था। जिस पर अंग्रेज दंपत्तियां डांस किया करती थी। इस फ्लोर की विशेष खूबी यह थी कि इस फ्लोर पर डांस के दौरान अजीब सी धूनें पैदा होती थी। इसलिए उस समय इस फ्लोर का अपना अलग से महत्व होता था। यह इंस्टीट्यूट अंग्रेज अधिकारियों का एक प्रमुख मनोरंजन स्थल होता था। इस इंस्टीट्यूट के अंदर शतरंज, बैडमिंटन, चौपड़शाल व अन्य खेल  भी खेले जाते थे। यहां पर देर रात तक अंग्रेजों की महफिलें सजा करती थी। अंग्रेजों के जाने के बाद रेलवे विभग ने यहां पर कर्मचारियों व उनके परिवारों के मनोरंज के लिए यहां पर एक थियेटर का निर्माण किया। इस थियेटर में केवल रेलवे कर्मचारी व उनके परिवार के लोग ही फिल्में देख सकते थे। उस समय रेलवे कर्मचारियों ने इस थियेटर का जमकर लुत्फ उठाया। यहां पर कई वर्षों तक फिल्मों का दौर चलता रहा। उस समय इस थियेटर में केवल 50 पैसे की टिकट लगती थी। लेकिन 1985 में रेलवे विभग ने इस थियेटर को बंद कर इसे बारात घर में तबदील कर दिया। इसके बाद यहां रामलीला व अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाने लगा। इसके साथ-साथ बारात घर को शादी समारोह व अन्य आयोजनों के लिए किराये पर दिया जाने लगा। बाद में नार्दन रेलवे मैंस यूनियन की मांग पर बारात घर पर 35 लाख रुपए खर्च इसका कायाकल्प किया गया।
लाखों रुपए खर्च कर उच्च श्रेणी के होटलों की तर्ज पर किया जाएगा डेवेलोप
एनआरएमयू के सचिव रवि चौपड़ा ने बताया कि रेलवे विभग के जीएम मुदला कोटी व डीआरएम अश्वनी लौहानी के नेतृत्व में बारात घर का सुधारिकरण किया गया था। चौपड़ा ने बताया कि अब इस बारात घर पर लाखों रुपए खर्च कर इसे शहर के उच्च श्रेणी के होटलों की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि बारात घर का पूरा बैंक्वेट हाल एसी बनाया जाएगा। बारात घर को विकसित करने के पीछे उनका मकशद कम कीमत में शहर के लोगों को अच्छी सुविधाएं देना है। बारात घर को रेलवे कर्मचारियों के अलावा शहर के अन्य लोग भी शादी समारोह व अन्य सार्वजनिक कार्यों के लिए किराए पर ले सकते हैं। अन्य लोगों को इसकी सुविधा लेने के लिए रेलवे कर्मचारियों से थोड़ा ज्यादा खर्च वहन करना पड़ेगा। नामात्र खर्च पर मिलती हैं उच्च श्रेणी के होटलों जैसी सुविधाएं
शहर में लगातार बढ़ रही होटलों की कीमत के कारण आम लोग केवल नामात्र पैसे खर्च कर बारात घर की सुविधाएं ले सकते हैं। रवि चौपड़ा ने बताया कि बढ़ रही महंगाई के कारण आज शादी समारोह के लिए होटल का खर्च आम आदमी के बजट से बाहर है। इसलिए आम आदमी होटल की बजाय केवल नामात्र खर्च बारात घर की सुविधाएं ले सकता है। शादी समारोह में रेलवे कर्मचारी 2100 रुपए व आम आदमी 5100 रुपए का शुल्क दे कर बारात घर की सुविधाएं प्राप्त कर सकता है। बारात घर में एक बैंक्वेट हाल 3 कमरे, रसोई, लैटरिन, बॉथरूम, व र्पाकिंग के लिए खुला मैदान है।
एतिहासिक है रेलवे जंक्शन की बिल्डिंग
जींद में रेलवे जंक्शन की स्थापना 1936 में हुई थी। उसी समय जंक्शन की विशाल बिल्डिंग का निर्माण किया गया था। 1936 में निर्मित यह बिल्डिं आज भी ज्यों की त्यों है। 1936 के बाद इस बिलिडग का केवल कुछ मैंटिनैंश ही किया गया है। इसलिए यह की बिल्डिंग एतिहासिक है। इसके अलावा यहां बने एडीईएन के बंगले को विरासत के तौर पर रखा गया है। रेलवे विभग के इंजीनियर रवि सहगल ने बताया कि नार्दन रेलवे के पास इस तरह के सिर्फ दो ही बंगले हैं। जिनमें से एक जींद व दूसरा मेरठ (यूपी) में हैं। इन दोनों बंगलों को विरासत के तौर पर रखा गया है।

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