संदेश

जनवरी, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हमेटी को जल्द मिलेगी सोलर सिस्टम की सौगात

चित्र
विभाग द्वारा सोलर सिस्टम पर खर्च किए जाएंगे 15 लाख सोलर लाइटों से रात के अंधेरे में भी जगमगाएगा प्रशिक्षण केंद्र वाटर हीटिंग सिस्टम के बारे में जानकारी देते डायरेक्टर बीएस नैन। नरेंद्र कुंडू जींद। रोहतक रोड स्थित हमेटी को जल्द ही सोलर सिस्टम की सौगात मिलेगी। हमेटी में प्रशिक्षण के लिए आने वाले किसानों को खान-पान व रहन-सहन संबंधी सुविधाएं अब सोलर आधारित मिलेंगी। यह सोलर सिस्टम काफी हाईटेक होगा। सर्दी के मौसम में किसानों को गर्म पानी उपलब्ध करवाने के लिए सोलर वाटर हीटिंग सिस्टम व 65 सोलर लाइटें भी लगाई जाएंगी। सोलर लाइटें लगने से हमेटी रात के अंधेरे में भी जगमगाएगी। हमेटी में सोलर सिस्टम लगने के बाद बिजली व पानी की बचत के साथ-साथ विभाग को लाखों रुपए के राजस्व का लाभ भी  होगा। विभाग द्वारा सोलर सिस्टम पर 15 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए यहां पर प्रशिक्षण के लिए आने वाले लोगों को भी सोलर सिस्टम के बारे में विस्तार से जानकारी देकर प्रेरित किया जाएगा। हमेटी में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले किसानों को सोलर सिस्टम पर आधारित सभी सुविधाएं मिलेंगी। कड़ाके की ठंड में

अब कृषि विज्ञानिकों से सीधे रूबरू होंगे किसान

चित्र
      हमेटी में जल्द शुरू होगा वीडियो कांफ्रेसिंग सिस्टम हमेटी में लगाया गया वीडियो कांफ्रेसिंग सिस्टम। नरेंद्र कुंडू जींद। कृषि विभाग अब किसानों को हाईटेक करने की तैयारी कर रहा है। किसानों को समय-समय पर सभी आधुनिक जानकारियां उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से रोहतक रोड स्थित किसान प्रशिक्षण केंद्र (हमेटी) में विभाग द्वारा वीडियो कांफ्रेसिंग सिस्टम लगाया जाएगा। वीडियो कांफ्रेसिंग सिस्टम के माध्यम से किसान कृषि वैज्ञानिकों के साथ सीधे रूबरू होकर सवाल-जवाब कर सकेंगे। सिस्टम के शुरू होने से जहां किसानों को नवीनतम जानकारियां उपलब्ध होंगी, वहीं उनके समय व पैसे की बचत भी होगी। खेती किसानों के लिए लगातार घाटे का सौदा साबित हो रही है। जिस कारण किसान खेती से अपना मुहं मोड़ रहे हैं। किसानों को समय-समय पर खेती की आधुनिक जानकारियां उपलब्ध न होना भी इसका मुख्य कारण है। लेकिन अब किसानों की इस समस्या का समाधान करने के लिए कृषि विभाग ने एक खास योजना तैयार की है। इस योजना के तहत हमेटी में वीडियो कांफ्रेसिंग सिस्टम लगाया जाएगा। प्रशिक्षण केंद्र में वीडियो कांफ्रेसिंग सिस्टम लगाने का 90 प्रतिशत काम पूरा

अब लघु सचिवालय से छिड़ेगी सौर ऊर्जा की मुहिम

चित्र
साढ़े दस लाख की लागत से तैयार किया जाएगा साढ़े चार केजी वॉट का संयत्र  सौर ऊर्जा संयत्र का फाइल फोटो। नरेंद्र कुंडू जींद। जिले में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए जिला प्रशासन ने कमर कस ली है। लोगों को सौर ऊर्जा के लिए जागरूक करने की मुहिम अब लघु सचिवालय से छेड़ी जाएगी। इस मुहिम को सिरे चढ़ाने के लिए जिला प्रशासन ने लघु सचिवालय में प्रदर्शन के रूप में एक सौर ऊर्जा बिजली संयत्र लगाने का निर्णय लिया है। साढ़े दस लाख रुपए की लगात से तैयार होने वाले इस साढ़े चार किलो वॉट के बिजली संयत्र से हर माह एक हजार यूनिट बिजली का उत्पादन होगा। लघु सचिवालय के सभी मुख्य कार्यालयों को इस प्लांट से जोड़ा जाएगा। इस प्रोजेक्ट के परवान चढ़ने के बाद लघु सचिवालय सौर ऊर्जा से जगमगाएगा। इस संयत्र से जहां बिजली की बचत होगी, वहीं यह पर्यावरण के भी अनुकूल होगा। बिजली किल्लत के कारण सरकारी कामकाज प्रभावित होने से लघु सचिवालय में आने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई-कई दिनों तक उनके काम लटकते रहते हैं। लघु सचिवालय के बार-बार चक्कर काटने से उनका समय व पैसे दोनों बर्बाद होते हैं। लेकिन अब इन परेशान

प्रशासन सुस्त, शराब माफिया चुस्त

ग्रामीण क्षेत्रों में जमा चुके हैं जड़ें नरेंद्र कुंडू जींद। जिले में शराब माफिया पूरी तरह बेकाबू हैं। शराब माफिया एक्साइज के नियमों को धत्ता बताकर विभाग को हर माह लाखों रुपए के राजस्व का चूना लगा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध शराब की बिक्री धड़ल्ले से जारी है। बार-बार शिकायतें मिलने के बावजूद भी आबकारी विभाग व पुलिस प्रशासन शराब मफियाओं पर शिकंजा कसने में नाकामयाब हैं। विभाग अब तक 310 लोगों पर ही हाथ डाल पाया है और इनसे जुर्माने के तौर पर लगभग 12 लाख रुपए ही वसूले गए हैं। अगर विभाग सख्ती से कार्रवाई करने पर राजस्व का आंकड़ा इससे ज्यादा बढ़ सकता है। विभाग की सुस्ती से यह साफ होता है कि विभाग शराब माफियाओं के सामने पूरी तरह से नतमस्तक हो चुका है। इस प्रकार प्रशासन की सह में ही अवैध शराब का कारोबार फल-फुल रहा है।  जिले में शराब माफियाओं ने पूरी तरह से अपना जाल फैला रखा है। अवैध शराब के इस कारोबार से अच्छी कमाई होने के कारण शराब माफियाओं का मोह इस धंसे से कम नहीं हो रहा है। शराब माफियाओं के निशाने पर सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र रहते हैं। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र में शराब माफियाओं के व

रेडक्रॉस की राशि पर पंचायतों ने मारी कुंडली

नरेंद्र कुंडू जींद। सामाजिक कार्यों के लिए पंचायती फंड से रेडक्रॉस को दी जाने वाली रकम पर ग्राम पंचायतें कुंडली मारे बैठी हैं। पिछले कई वर्षों से ग्राम पंचायतों द्वारा रेडक्रॉस में यह राशि जमा नहीं करवाई जा रही है। संस्था की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण सामाजिक कार्यों पर ब्रेक लगना भी लाजमी है। रेडक्रॉस द्वारा पंचायतों के खाते से रकम जमा करवाने के लिए बीडीपीओ कार्यालय को कई बार-बार पत्र लिखे जा चुके हैं, लेकिन बीडीपीओ कार्यालय द्वारा रकम जमा करानी तो दूर की बात संस्था के इन पत्रों का जवाब भी नहीं दिया जा रहा है। वर्ष 2011 में पूरे जिले से सिर्फ एक पंचायत ने 60 हजार रुपए की राशि संस्था में जमा करवाई है। रेडक्रॉस की माली हालत को सुधारने तथा सामाजिक कार्यों में गति लाने के लिए सरकार ने 1986 में ग्राम पंचायत कंट्रीब्यूशन योजना तैयार की थी। इस योजना में प्रावधान किया गया था कि पंचायतें अपनी आय का कुछ  प्रतिशत हिस्सा रेडक्रॉस को देंगी। यह राशि पंचायतों को बीडीपीओ कार्यालय में जमा करवानी तय की गई थी। रेडक्रॉस को पंचायती खाते से मिलने वाली इस ग्रांट को सामाजिक कार्यों के लिए प्रयोग करना

हमेटी को जल्द मिलेगी सोलर सिस्टम की सौगात

चित्र
 सोलर सिस्टम पर खर्च किए जाएंगे 15 लाख नरेंद्र कुंडू जींद। रोहतक रोड स्थित हमेटी को जल्द ही सोलर सिस्टम की सौगात मिलेगी। हमेटी में प्रशिक्षण के लिए आने वाले किसानों को खान-पान व रहन-सहन संबंधी सुविधाएं अब सोलर आधारित मिलेंगी। यह सोलर सिस्टम काफी हाईटेक होगा। सर्दी के मौसम में किसानों को गर्म पानी उपलब्ध करवाने के लिए सोलर वाटर हीटिंग सिस्टम व 65 सोलर लाइटें भी लगाई जाएंगी। सोलर लाइटें लगने से हमेटी रात के अंधेरे में भी जगमगाएगी। हमेटी में सोलर सिस्टम लगने के बाद बिजली व पानी की बचत के साथ-साथ विभाग को लाखों रुपए के राजस्व का लाभ भी होगा। विभाग द्वारा सोलर सिस्टम पर 15 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए यहां पर प्रशिक्षण के लिए आने वाले लोगों को भी सोलर सिस्टम के बारे में विस्तार से जानकारी देकर प्रेरित किया जाएगा। हमेटी में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले किसानों को सोलर सिस्टम पर आधारित सभी सुविधाएं मिलेंगी। कड़ाके की ठंड में भी किसानों को 24 घंटे गर्म पानी उपलब्ध होगा। विभाग द्वारा हमेटी में 2 हजार लीटर की क्षमता वाला वाटर हीटिंग सिस्टम लगाया जाएगा। इसमें एक हजार

गुरुजियों के ये कैसे आदर्श

चित्र
नरेंद्र कुंडू जींद। उत्तर भारत ने कोहरे और बर्फ की चादर ओढ़ ली है। पहाड़ी इलाकों से आने वाली गलन भरी हवाओं ने लोगों को घरों के अंदर कैद कर दिया है। लोग पिछले कई दिनों से ठंड के तीखे तेवर झेल रहे हैं। ठंड के साथ-साथ कोहरा भी कोहराम मचा रहा है। लेकिन उधर स्कूलों में बचपन ठंड में ठिठुर रहा है और शिक्षा विभाग मौन धारण किए हुए है। स्कूलों में अध्यापक खुद पर तो जमकर रहम कर रहे हैं, जबकि विद्यार्थियों पर सितम ढाह रहे हैं। कड़ाके की ठंड में विद्यार्थियों पर शॉल, स्कार्फ व मफलर पहनने पर बैन लगाया जा रहा है, जबकि अध्यापक खुद शॉल, चदरों, मफलरों में लिपटकर स्कूल में पहुंचते हैं। स्कूलों में चदर व मफलर ओढ़कर न आने के नियम सिर्फ बच्चों के लिए बनाए गए हैं। अध्यापकों के लिए इस तरह का कोई नियम नहीं बनया गया है।  छात्राओं के पीछे शॉल ओढ़कर स्कूल आती अध्यापिका। ठंड में ठिठुरती स्कूली छात्राएं। हर रोज ठंड शबाब पर पहुंच रही है। दिनों दिन कोहरे व ठंड का कहर बढ़ रहा है। जनजीवन पूरी तरह से अस्तव्यस्त है। लोग बेहाल हैं और घर से निकलते ही लोगों की कंपकपी बंध रही है। इस सर्दी से बचने के लिए लोग गर्म कपड़ों

फाइलों में दफन 5 हजार बच्चों का भविष्य

दो वर्ष बाद भी अमल में नहीं आ सकी योजना नरेंद्र कुंडू जींद। सरकार एक तरफ तो शिक्षा का अधिकार कानून लागू कर बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने के दावे कर रही है, लेकिन दूसरी तरफ सरकार के ये आसमानी दावे हकीकत में जमीन सुंघते नजर आते हैं। सरकार द्वारा राष्टÑीय बाल विकास नीति 2010 के तहत जिला बाल कल्याण परिषद के माध्यम से अनाथ व गरीब बच्चों को शिक्षा भत्ता देने के लिए आवेदन मांगे थे। इस योजना के तहत गरीब व बेसहारा बच्चों को हर माह 500 से 1500 रुपए शिक्षा भत्ता दिया जाना था। इसमें जिलेभर से 5 हजार बच्चों ने आवेदन किये थे, लेकिन अब हरियाण राज्य बाल कल्याण निदेशालय द्वारा इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। विभाग की अनदेखी के कारण 5 हजार बच्चों का भविष्य फाइलों में दफन हो गया है। सरकार अनाथ व गरीब बच्चों के उत्थान के लिए हर रोज नई-नई योजनाएं तैयार कर रही है। सरकार द्वारा इन योजनाओं पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद भी ये योजनाएं फाइलों से बाहर नहीं निकल पाती हैं। सरकार शिक्षा का अधिकार कानून लागू कर सबको शिक्षा का हक दिलवाने के दावे कर रही है। लेकिन उधर स्वयं सरकार द्वारा तैयार की गई रास्

बजट के बिना कैसे खिलेगा बचपन

नरेंद्र कुंडू जींद। बाल भवन को सरकारी स्कूलों से मिलने वाला चाइल्ड वेलफेयर फंड बंद होने के बाद अब जिला बाल कल्याण परिषद का खजाना खाली होने लगा है। खजाने में आय का स्त्रोत कम होने से बाल भवन में चलने वाली गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। बाल कल्याण विभाग को सरकारी स्कूलों से चाइल्ड वेलफेयर फंड मिलता था। इसी फंड से बाल भवन में होने वाली गतिविधियों का खर्चा उठाया जाता था। जिले में पहले प्रतिवर्ष सरकारी स्कूलों से लगभग 9 लाख रुपए चाइल्ड वेलफेयर फंड हो जाता था, लेकिन अब सिमटकर लगभग दो से तीन लाख रुपए रह गया है। बाल कल्याण परिषद की पोटली में आय कम होने से बहुत से गतिविधियां बंद हो चुकी है और कुछ बंद होने की कगार पर हैं। बाल भवन के खजाने में पैसे की कमी के चलते कर्मचारियों को समय पर वेतन भी  नहीं मिल पा रहा है। इस फंड का कुछ हिस्सा बाल भवन तथा कुछ हिस्सा मुख्यालय भेजा जाता था। सरकारी स्कूलों से चाइल्ड वेलफेयर फंड बंद होने पर बाल भवन की गतिविधियों को सुचारू रूप से जारी रखने के लिए इन खर्चों का बोझ निजी स्कूल के विद्यार्थी पर डालने की योजना बनाई थी। इसके लिए जिला शिक्षा विभाग की तरफ से सभी खंड शि

आगाज से पहले ही दम तोड़ गई योजना

सरकारी अधिकारियों की लापरवाही के कारण फाइलों में दफन है योजना नरेंद्र कुंडू जींद। रास्ट्रीय उपभोक्ता दिवस पर उपभोक्ताओं को अधिकारों के प्रति जागरूक करने वाले सरकारी अधिकारी स्वयं ही उपभोक्ताओं के हितों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने के लिए जिला स्तर पर बनाई जाने वाली उपभोक्ताओं सरंक्षण परिषद आज भी फाइलों से बाहर नहीं आ सकी है। सरकारी अधिकारी एनजीओज न मिलने का बहाना बनाकर हाथ खड़े कर रहे हैं। सरकारी अधिकारियों की लापरवाही के कारण योजना आगाज से पहले ही दम तोड़ गई है। परिषद का गठन न होने के कारण दुकानदार उपभोक्ताओं के अधिकारों पर खुलेआम डाका डाल रहे हैं।   उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने व मिलावट खोरों पर शिकंजा कसने के लिए प्रदेश सरकार ने जिला स्तर पर उपभोक्ता संरक्षण परिषद का गठन करने की योजना तैयार की थी। उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना तथा उपभोक्ताओं को सही मात्रा व शुद्ध सामान उपलब्ध करवाना ही परिषद का मुख्य उद्देश्य था। उपभोक्ताओं के हितों के साथ-साथ गैस एजेंसियों पर सिलेंडरों व बुकिंग को लेकर होने वाले झगड़ों

अब नहीं होगा गरीबों का इलाज

चित्र
नरेंद्र कुंडू जींद। गरीबों के लिए शुरू की गई रास्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना दम तोड़ती नजर आ रही है। बीमा कंपनी व निजी अस्पतालों की खींचतान में गरीब लोग पिस रहे हैं। निजी अस्पतालों में कार्ड पर इलाज न होने के कारण सरकार द्वारा बनाए गए स्मार्ट कार्ड जरूरतमंदों के लिए बेकार साबित हो रहे हैं। निजी अस्पताल पिछले 8 माह से बीमा कंपनी द्वारा इलाज की राशि का भुगतान न करने की बात कहकर हाथ खड़े कर रहे हैं। इस प्रकार बीमा कंपनी समय पर निजी अस्पतालों को इलाज की राशि का भुगतान न करके सरकार को भी चूना लगा रही है। कार्ड धारकों के लिए निजी अस्पतालों के दरवाजे बंद होने के कारण इन्हें इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर होना पड़ रहा हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के जिला ईकाइ के सदस्य दो बार उपायुक्त से इलाज की राशि की रिकवरी की गुहार लगा चुके हैं। सरकार द्वारा बीपीएल परिवारों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के उद्देश्य से रास्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू की गई थी। सरकार द्वारा प्रदेश में सरकारी अस्पतालों के अलावा निजी अस्पतालों को भी स्मार्ट कार्ड धारकों के इलाज के लिए नेटवर्क में लिया। विभागिय सूत

अब जिला पुस्तकालयों का डाटा होगा कम्प्यूटरीकृत

चित्र
उच्चतर शिक्षा विभाग द्वारा पुस्तकालयों पर खर्च किए जाएंगे 75 लाख नरेंद्र कुंडू जींद। जिला पुस्तकालयों में कर्मचारियों पर बढ़ते काम के बोझ को कम करने तथा पाठकों को पुस्तकालयों में विशेष सुविधा मुहैया करवाने के उद्देश्य से महानिदेशक उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा द्वारा पुस्तकालयों के रिकार्ड को कम्प्यूटरीकृत करने का निर्णय लिया गया है। पुस्तकालयों को कम्प्यूटरीकृत करने के लिए कोलकाता स्थित राजा राम मोहन राय पुस्तकालय प्रतिष्ठान द्वारा प्रदेश के सभी जिला पुस्तकालयों पर 75 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। प्रतिष्ठान द्वारा महानिदेशक उच्चत शिक्षा विभाग हरियाणा को पत्र लिख कर जल्द से जल्द सभी जिला पुस्तकालयों से कम्प्यूटरों की कुटेशन मांगी गई है। इस योजना के तहत जिला पुस्तकालयों में पुस्तकों को एक साफ्टवेयर में सूचीबद्ध कर डाटा बेस तैयार किया जाएगा। पुस्तकों का सूचीबुद्ध डाटा तैयार होने के बाद किताबों के रख-रखाव व पाठकों के लिए किताबें तलाशना काफी सुविधाजनक हो जाएगा। उच्चत शिक्षा विभाग तथा प्रतिष्ठान द्वारा उठाए गए इस कदम से पुस्तकालय के कर्मचारियों को भी काफी राहत मिलेगी। प्रदेश के जिला पुस्तकालय

चिकित्सक नदारद, मरीज परेशान

चित्र
9:22 बजे अस्पताल के एमरजेंसी वार्ड में खाली पड़ी चिकित्सक की कुर्सी । 9:25 बजे नेत्र चिकित्सक कक्ष में खाली पड़ी चिकित्सक की कुर्सी । 9:33 बजे महिला वार्ड में खाली पड़ी लेडी डाक्टर की कुर्सी। 9:41 बजे टीका कक्ष में चिकित्सक की कुर्सी पर बैठा बच्चा। नरेंद्र कुंडू जींद। मरीजों के लिए चिकित्सक ही भगवान होते हैं, लेकिन अगर भगवान ही भक्त को अपने हाल पर तड़फता छोड़ दे तो भक्त का क्या हाल होगा, इसका अंदाजा आप लगा ही सकते हैं। ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है शहर के सामान्य अस्पताल में। अस्पताल में मरीजों की लंबी लाइनें लगी रहती हैं, लेकिन मरीजों के भगवान यानि चिकित्सक अस्पताल से नदारद रहते हैं। समय पर उपचार न मिलने के कारण मरीज चिकित्सा कक्ष के बाहर ही तड़फते रहते हैं। ये बात अलग है कि अस्पताल में चिकित्सकों की भारी कमी है, लेकिन मौजूदा चिकित्सक भी समय पर ड्यूटी पर नहीं पहुंच रहे हैं। जिस कारण मरीजों कोभारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। एक तरफ प्रदेश सरकार सरकारी अस्पतालों में लोगों को बेहतर चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध करवाने के दावे कर रही है। सरकार की तरफ से गरीबी रेखा से नीचे जीव

अब दूधिया रोशनी से जगमगाएगा हर्बल पार्क

चित्र
सौर ऊर्जा लाइटों पर खर्च होंगे 16 लाख हर्बल पार्क का फोटो नरेंद्र कुंडू जींद। हर्बल पार्क में सैर करने वालों के लिए एक अच्छी खबर है। अब शहर के लोग पार्क में देर रात्रि तक सैर कर सकेंगे, क्योंकि हर्बल पार्क रात्रि के समय सौर ऊर्जा की दूधिया लाइटों से जगमगाएगा। पार्क में सौर ऊर्जा की लाइटें लगाने के लिए वन विभाग ने एक खास योजना तैयार की है। जिला प्रशासन की तरफ से वन विभाग द्वारा तैयार की गई इस योजना पर मोहर लगा दी गई है। इस योजना के तहत पार्क में 200 के करीब लाइटें लगाई जाएंगी। सौर ऊर्जा विभाग द्वारा लाइटों पर आने वाले खर्च का बजट तैयार कर वन विभाग को भेज दिया गया है। अक्षय ऊर्जा विभाग द्वारा वन विभाग को भेजे गए खर्च के ब्यौरे के अनुसार इस योजना पर 16 लाख रुपए खर्च होने का अनुमान है। विभाग द्वारा अब जल्द ही योजना को अमीलजामा पहना दिया जाएगा। हर्बल पार्क के सौंदर्यकरण के लिए अब जिला प्रशासन ने कमर कस ली है। हर्बल पार्क को चकाचक बनाने के लिए उपायुक्त ने वन विभाग के उच्चाधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। वन विभाग द्वारा हर्बल पार्क में अब हर प्रकार की सुविधा मुहैया करवाई जाएगी।

वेतन न मिलने से कड़की में गुरुजी

इधर-उधर से उधार लेकर कर रहे हैं आटा-दाल का इंतजाम नरेंद्र कुंडू जींद। 6 से 8 हैड के तहत कार्यरत अध्यापकों को पिछले कई माह से वेतन नहीं मिल रहा है। कई माह से वेतन अटकने के कारण गुरुजी कड़की में हैं। अध्यापक संघ द्वारा बार-बार ज्ञापनों के बावजूद भी अध्यापकों को वेतन नहीं मिल रहा है। इस वजह से घर का गुजारा मुश्किल हो गया है। भूखे पेट भजन नहीं होत गोपाला वाली कहावत यहां साफ जाहिर हो रही है। अगर अध्यापकों के सामने ही रोटी के लाले पड़ जाएंगे तो ये बच्चों को किस तरह शिक्षा दे पाएंगे। अध्यापक इधर-उधर से उधार लेकर आटा-दाल का इंतजाम कर रहे हैं। करियाना दुकानदार से लेकर दूध वाले तक जल्द हिसाब करने के लिए आंखें दिखाने लगे हैं। हालत यह हो गई है कि अध्यापक यूनियनों को आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ रहा है। जिले में 6 से 8 हैड में कार्यरत हजारों अध्यापकों को पिछले कई माह से वेतन नहीं मिल रहा है। पिछले कई माह से वेतन न मिलने के कारण इस महंगाई के दौर में गुरु जी कड़की में हैं। समय पर वेतन न मिल पाने के कारण करियाना दुकान वाले ने राशन व दूध वाले ने दूध की सप्लाई बंद कर दी। महंगाई ने वैसे ही कमर तोड़ रख

महज 44 दिनों में टूटे 6 साल के रिकार्ड

चित्र
जरूरतमंद को रक्त देते ब्लड बैंक के कर्मचारी नरेंद्र कुंडू जींद। जिलेभर में चल रही ब्लड डोनेशन की मुहिम जबरदस्त रंग ला रही है। ब्लड डोनेशन के मामले में मात्र 44 दिनों में ही पिछले 6 सालों के रिकार्ड टूट गए हैं। जिस तरह से जिले के लोग रक्तदान के लिए सामने आ रहे हैं, उसकी उम्मीद खुद स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन को भी नहीं थी। 44 दिनों में 2050 यूनिट रक्त जमा हो चुका है। जिले का ब्लड बैंक ‘ब्लड’ से मालामाल हो गया है। अब स्थिति यह हो गई है कि जिले के ब्लड बैंक के पास ब्लड रखने के लिए जगह नहीं है। इस कारण अब शिविरों में एकत्रित किए गए रक्त को आस-पास के जिलों में भेजा जा रहा है। ब्लड बैंक अच्छी स्थिति में होने के कारण अब जरूरतमंद से ब्लड के बदले ब्लड नहीं लिया जा रहा है। रक्तदान के प्रति युवाओं में आ रही जागृति ने ब्लड बैंक को ब्लड से मालामाल कर दिया है। युवाओं में इस तरह की जागृति लाने के पीछे रेड क्रॉस, नेहरू युवा केंद्र व सामान्य अस्पताल की ब्लड बैंक की टीम अपना विशेष सहयोग दे रही है। रेड क्रॉस से ईश्वर सांगवान, ब्लड बैंक के इंचार्ज जेके मान व नेहरू युवा केंद्र के कोर्डिनेटर प्रदीप

पशु तस्करों के लिए सुरक्षित गलियारा बना जींद

चित्र
  नरेंद्र कुंडू जींद। पशु तस्करों के लिए जींद जिला सुरक्षित गलियारा साबित हो रहा है। पशु तस्कर पंजाब के क्षेत्रों से सस्ता पशुधन खरीदकर इसे यूपी में महंगे दामों पर बूचड़खानों में बेच रहे हैं। इसके लिए पशु तस्करों को केवल जींद जिले की सीमाओं को ही लांघना होता है। बस जींद क्षेत्र पार किया और पंजाब से झट यूपी में प्रवेश कर जाते हैं। इस तरह से जींद जिला पशु तस्करों के लिए आसान व सुरक्षित गलियारा बन गया है। इसका प्रमाण मिल रहा है दिन-प्रतिदिन यहां सामने आ रहे पशु तस्करी के मालमों से। पशुतस्करी का धंधा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। ठंड बढ़ने के साथ ही पशु तस्करों की गतिविधियां भी बढ़ जाती हैं। इन तस्करों के निशाने पर सबसे ज्यादा पंजाब व हरियाणा रहता है। पशु तस्कर पंजाब से सस्ता पशुधन खरीद कर उसे महंगे दामों पर बेचने के लिए हरियाणा के रास्ते यूपी के बुचड़खानों में ले जाते हैं। पशु तस्करी के लिए इन तस्करों ने हरियाणा के जींद जिले को अपना सबसे सुरक्षित गलियारा बनाया हुआ है, क्योंकि पंजाब से यूपी जाने के लिए यह सबसे छोटा रास्ता है। पशु तस्करी के दौरान इन्हें रास्तों को लेकर किसी प्रकार की परेशानिय

शिकायत देने के बाद गवाही से मुकरे तो खैर नहीं

चित्र
धारा 182 के तहत दर्ज होगा मामला नरेंद्र कुंडू  जींद। अब विजीलेंस ब्यूरो रिश्वतखोरों के साथ-साथ उन शिकायतकर्त्ताओं पर शिकंजा कसने जा रहा है, जो शिकायत देकर बाद में गवाही के दौरान मुकर जाते हैं। गवाही के दौरान मुकरने वाले शिकायतकर्त्ता के खिलाफ धारा 182 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। अधिकतर मामलों में शिकायतकर्त्ता द्वारा गवाही के दौरान मुकर जाने के कारण विजीलेंस द्वारा रंगे हाथों पकड़ा गया कर्मचारी बच निकलता था और कोर्ट में विजीलेंस की फजीहत होती थी। सरकार द्वारा जारी इन आदेशों के बाद अब शिकायतकर्त्ता मुकर नहीं सकेगा और रिश्वत के आरोप में धरे गए कर्मचारी का बचना मुश्किल हो जाएगा। सरकारी कार्यालयों से रिश्वतखोरी को मिटाने के लिए विजीलेंस का गठन किया गया था। लेकिन विजीलेंस की लाख कोशिशों के बावजूद भी आरोपी कर्मचारी बच निकलते थे। रिश्वत के आरोप में धरे गए कर्मचारी को बचाने में खुद शिकायतकर्त्ता ही उसकी ढाल बनता था। अधिकतर मामलों में पकड़े गए कर्मचारी द्वारा शिकायतकर्त्ता को पैसे देकर या सामाजिक दबाव बनाकर समझौता कर लिया जाता था। जिस के बाद शिकायतकर्त्ता कोर्ट में गवाही के दौरान मुकर जाता था

शूटिंग रेंज के अभाव में दम तोड़ रही खेल प्रतिभाएं

शूटिंग रेंज के लिए 2008 में भेजा गया था मुख्यमंत्री को ज्ञापन   नरेंद्र कुंडू जींद। जिले में पिछले चार साल से उठ रही शूटिंग रेंज की आवाज के बाद भी आज तक शूटिंग रेंज अस्तित्व में नहीं आ पाई है। जिला प्रशासन बिना शूटिंग रेंज व सुविधाओं के अभाव में ही खिलाड़ियों से मैडलों की आश लगाए बैठा है। शूटिंग रेंज के अभाव के कारणा एनसीसी कैडेट्स व होमगार्ड के जवानों को फायरिंग की ट्रायल देने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिले में फिलहाल पांडू पिंडारा गांव के पास अस्थायी शूटिंग रेंज चल रही है, जिससे जान व माल का बड़ा खतरा रहता है। खुले में चल रही शूटिंग रेंज के कारणा यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। जिले में शूटिंग रेंज न होने के कारण खेल प्रतिभाएं दम तोड़ रही हैं। खिलाड़ियों को मजबूरन जिले से बाहर प्राइवेट शूटिंग रेंज में जाकर अपने खर्च पर अभयास करना पड़ रहा है। प्राइवेट शूटिंग रेंज में प्रशिक्षण का खर्च ज्यादा होने के कारण खिलाड़ियों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जिस कारण खिलाड़ी खेल से मुहं मोड़ रहे हैं। खिलाड़ियों के अलावा एनसीसी कैडेट्स व होमगार्ड के जवानों को भी प्रशिक

प्रदेश की पंचायतों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनी बीबीपुर की पंचायत

चित्र
ई डिजीटल पंचायत का निर्माण कर अंतर्राष्ट्रीय  स्तर पर लहराया परचम बीबीपुर पंचायत का इंटरनेट पर बनाये गई वेबसाइट नरेंद्र कुंडू जींद। एक तरफ जहां ग्रामीण क्षेत्र विकास कार्यों में पिछड़ रहे हैं, वहीं जिले का एक गांव ऐसा भी है, जिसने विकास के सारे रिकार्ड तोड़ते हुए छोटे से लेकर बड़े प्रोजैक्ट में अपनी भागीदारी दर्ज करवाई है। आदर्श गांव का दर्जा प्राप्त करने के साथ-साथ डिजीटल पंचायत बनाकर देश की प्रथम हाईटेक पंचायत की सूची में अपना नाम दर्ज करवाया है। जिले के बीबीपुर गांव की पंचायत राष्टÑीय ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय  स्तर पर भी अपनी पहचान बना चुकी है। बीबीपुर गांव की पंचायत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कर प्रदेश की पंचायत के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गई है। ताज्जुब की बात तो यह है कि बीबीपुर गांव की पंचायत को आज तक प्रदेश सरकार की तरफ से एक भी ग्रांट नहीं मिली है। गांव में सारे विकास कार्य जिला प्लानिंग के तहत मिलने वाली ग्रांट व पंचायती फंड से करवाए गए हैं।  जिला जींद जहां विकास कार्यों में पिछड़ने के कारण अपनी पहचान खो रहा है, वहीं जिले का गांव बीबीपुर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी जिल

छोड़ो कल की बातें कल की बात पुरानी, नए दौर में लिखेंगें मिलकर नई कहानी

चित्र