रविवार, 1 जुलाई 2012

निडाना की गौरियों ने भी उठाया खेती को जहरमुक्त करने का बीड़ा

पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं निडाना की महिलाएं

नरेंद्र कुंडू
जींद।
निडाना गांव के गौरे से पेस्टीसाइड के विरोध में उठी इस आंधी को रफ्तार देने में निडाना गांव की गौरियां भी पुरुषों के बाराबर अपनी भागीदारी दर्ज करवा रही हैं। निडाना गांव की महिलाएं ओर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। कीट मित्र किसानों ने जहां इस मुहिम को सफल बनाने के लिए खाप पंचायतों का दामन थाम है, वहीं गांव की महिलाओं ने भी इस मुहिम पर रंग चढ़ाने के लिए आस-पास के गांवों की महिलाओं को जागरुक करने का बीड़ा उठाया है। अक्षर ज्ञान के अभाव का रोड़ा भी इन महिलाओं की रफ्तार को कम नहीं कर पा रहा है। पुरुषों के साथ ही इन महिलाओं ने भी इस लड़ाई में शंखनाद कर दिया है। महिलाएं घंटों कड़ी धूप के बीच खेतों में बैठकर लैंस की सहायता से कीटों की पहचान में जुटी रहती हैं। बुधवार को भी महिलाओं ने ललितखेड़ा गांव में पूनम मलिक के खेत में महिला खेत पाठशाला का आयोजन किया। इस दौरान निडाना गांव की मास्टर ट्रेनर महिलाओं ने ललितखेड़ा गांव की महिलाओं को कीटों का व्यवहारिक ज्ञान दिया।
मास्टर ट्रेनर अंग्रेजो देवी, गीता मलिक  ने महिलाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि फसल में मासाहारी व शाकाहारी दो प्रकार के कीट होते हैं। शाकाहारी कीट फसल के पत्तों से रस चूसकर या फसल के पत्तों को खाकर अपना जीवन चक्र चलाते हैं। मासाहारी कीट शाकाहारी कीटों को अपना भेजन बनाते हैं और अपना जीवन यापन करते हैं। मासाहारी व शाकाहारी कीटों की इस जीवन चक्र की प्रक्रिया में किसानों को अपने आप ही लाभ  पहुंचता है। कमलेश, मीना मलिक, सुदेश मलिक ने कहा कि अगर किसान फसल में मौजूद मासाहारी व शाकाहारी कीटों की पहचान कर उनके जीवन चक्र के बारे में ज्ञान अर्जित कर ले तो किसान को कभी भी  फसल में पेस्टीसाइड के इस्तेमाल की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। खेत पाठशाला के दौरान मास्टर ट्रेनर महिलाओं ने लैंस की सहायता से अन्य महिलाओं को भी कीटों की पहचान करवाई। इस दौरान महिलाओं ने फसल में शाकाहारी कीटों में सफेद मक्खी, हरा तेला, बुगड़ा तथा मासाहारी कीटों में क्राइसोपा के बच्चे, मकड़ी पदोकड़ी बिटल व दो किस्म के हथजोड़े देखे। महिलाओं को ट्रेंड करने के लिए महिलाओं के 5 ग्रुप तैयार किए गए। प्रत्येक ग्रुप में चार अनट्रेंड व एक मास्टर ट्रेनर महिलाओं को शामिल किया गया। इस अवसर पर महिलाओं ने मासाहारी व शाकाहारी कीटों पर तैयार किए गए गीत सुनाकर सबका मन मोह लिया। महिला खेत पाठशाला में मौजूद बराह कलां बारहा खाप के प्रधान कुलदीप ढाडा ने महिलाओं के गीतों पर खुश होकर सभी महिलाओं को 100-100 रुपए पुरस्कार राशि दी। महिलाओं ने लगातार साढ़े चार घंटे कीटों पर गहन मंथन किया।

बही-खात किया जा रहा है तैयार

 कपास के पौधों पर मौजूद कीटों की पहचान करती महिलाएं।

 महिला खेत पाठशाला में महिलाओं को कीटों की जानकारी देती मास्टर ट्रेनर।
कीट प्रबंधन की मास्टर ट्रेनर महिलाओं द्वारा कीटनाशक रहित खेती की इस मुहिम को सफल बनाने तथा कीटों का पूरा रिकार्ड तैयार करने के लिए एक बही-खाता तैयार किया जा रहा है। बही-खाते में पूरी जानकारी दर्ज करने के लिए सभी महिलाओं को अगले सप्ताह महिला खेत पाठशाला में आने से पहले अपने-अपने खेतों का पूरा निरीक्षण करने तथा  कपास की फसल में मौजूद मासाहारी व शाकाहारी कीटों का पूरा रिकार्ड तैयार करने के लिए प्रेरित किया गया, ताकि फसल में आने वाले मासाहारी व शाकाहारी कीटों का पूरा डाटा तैयार किया जा सके।



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