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यहां तो लूटवा रहे 'भगवान'

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 चिकित्सक द्वारा लिखी गई बाहर की दवाई दिखाते मरीज। सरकारी अस्पताल में चिकित्सक लिखते हैं बाहर की दवाइयां नरेंद्र कुंडू जींद। शहर का सामान्य अस्पताल पूरी तरह से कमीशनखोरी का अड्डा बन चुका है। अस्पताल में भ्रष्टाचार पूरी तरह से अपनी जड़ें जमा चुका है। सरकारी अस्पताल में लोगों को मुफ्त में बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने के सरकार के सारे दावे बेमानी साबित हो रहे हैं। शहर के सामान्य अस्पताल में चिकित्सकों द्वारा खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। यहां तो भगवान का दर्जा हासिल करने वाले चिकित्सक ही अपने कमीशन के फेर में गरीबों को दवा माफियाओं के हाथों में लूटवा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के सख्त आदेशों के बवाजूद भी चिकित्सक मरीजों को बाहर की दवा खरीदने के लिए मजबूर कर रहे हैं। चिकित्सक मरीजों को अस्पताल में उपलब्ध दवाइयां न लिखकर बाहर की महंगी दवाइयां लिख रहे हैं। जिस कारण मरीजों को मजबूरन बाहर से दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं। सामान्य अस्पताल में खुलेआम दलाली का यह खेल चल रहा हैं और अस्पताल प्रशासन चुपचाप तमाशबीन बना हुआ है। अस्पताल प्रशासन की चुपी व चिकित्सकों की कमीशनखोरी के क

रंग लाने लगी हाइटेक पंचायत की ऊर्जा संरक्षण मुहिम

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ऊर्जा संरक्षण मुहिम से पंचातय को हर वर्ष होगी तीन लाख यूनिट बिजली की बचत नरेंद्र कुंडू जींद। हाइटेक पंचायत बीबीपुर द्वारा शुरू की गई ऊर्जा संरक्षण की मुहिम रंग लाई है। पंचायत द्वारा गांव में ऊर्जा संरक्षण के लिए एक विशेष मुहिम शुरू की गई है। इस मुहिम को सफल बनाने के लिए पंचायत ने गांव में 2700 सीएफएल ट्यूब लाइट लगवाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। पंचायत ने इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए गांव में शुरू की गई ऊर्जा संरक्षण मुहिम के तहत 100 वॉट के 1713 बल्बों को हटवाकर उनके स्थान पर 20 वॉट की 1713 सीएफएल ट्यूब लगवा दी हैं। गांव में 100 वॉट के बल्बों की जगह 20 वॉट की 1713 सीएफएल लगने के बाद गांव में हर माह लगभग 25 हजार यूनिट बिजली की खपत में कमी आई है। इस प्रकार पंचायत द्वारा एक वर्ष में लगभग तीन लाख यूनिट बिजली की बचत की जाएगी। जिससे पंचायत को हर वर्ष लगभग नौ लाख रुपए की बचत होगी। जिस कारण पंचायत हाईटेक पंचायत का दर्जा हासिल करने के बाद ऊर्जा संरक्षण के मामले में भी देश में अपनी अलग पहचान बना लेगी। आईटी विलेज बीबीपुर की पंचातय द्वारा शुरू की गई ऊर्जा संरक्षण मुहिम रंग लाने लगी है। पं

आईसीपीएस से मिलेगा अनाथों को 'माँ-बाप' का प्यार

नरेंद्र कुंडू जींद। इंटीग्रेटीड चाइल्ड प्रोटैक्शन सोसायटी प्रदेश में अनाथ बच्चों का सहारा बनेगी। महिला एवं बाल विकास विभाग ने योजना को मूर्त रूप देने के लिए इंटीग्रेटीड चाइल्ड प्रोटैक्शन सोसायटी (आईसीपीएस) का गठन किया है। आईसीपीएस के सदस्य जिला स्तर पर सर्वे करेंगे तथा अनाथ व लावारिस बच्चों की पहचान कर उन्हें आश्रय देकर समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य करेगें। आईसीपीएस अनाथ बच्चों की पहचान कर उनके लिए शिक्षा व सिर पर छत की व्यवस्था भी करेगी। विभाग द्वारा इस तरह के बच्चों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए इनको हर माह मिल रहे भत्ते में भी बढ़ोत्तरी करने के लिए विचार किया जा रहा है। अगर उच्च अधिकारियों की तरफ से भत्ते में बढ़ोत्तरी की मांग को हरी झंडी मिल गई तो इनका मासिक भत्ता 500 से बढ़कर 1500 रुपए प्रति माह भत्ता हो जाएगा। इसके अलावा आईसीपीएस के सदस्य बाल श्रम करवाने वालों पर भी पैनी नजर रखेंगे। इसके लिए विभाग ने एक हैल्पलाइन भी शुरू की है। बेसहारा, अनाथ बच्चों को सहारा देने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने एक खास कवायद शुरू की है। बेसहारा बच्चों को सहारा देने के लिए महिला एवं

एससी वर्ग की छात्राओं को मिलेगी छात्रावास की सौगात

जींद जिले में होगा 15 छात्रावास का निर्माण नरेंद्र कुंडू जींद। प्रदेश की एससी वर्ग की छात्राओं के लिए एक अच्छी खबर है। एससी वर्ग की छात्राओं को अब जल्द ही छात्रावास की सौगात मिलने जा रही है। इसके लिए प्रदेश के 19 जिलों के एससी बहुल क्षेत्र में जल्द ही महिला छात्रावास बनाए जाएंगे। छात्रावास के निर्माण से पहले हर खंड में पांच से दस ऐसे गांवों का चयन किया जाएगा, जिसमें अनुसूचित जाति की जनसंख्या कम से कम 40 प्रतिशत हो। ये सभी भवन बाबू जगजीवन राम छात्रावास योजना के तहत बनाए जाएंगे। प्रत्येक छात्रावास में माध्यमिक व उच्चतर शिक्षा प्राप्त कर रही सौ छात्राओं को दाखिला दिया जाएगा। छात्रावास के निर्माण के लिए कम से कम दो एकड़ जमीन होनी अनिवार्य है। इस योजना के तहत जींद जिले में 15 छात्रावासों का निर्माण किया जाएगा। योजना को अमल में लाने के लिए सर्व शिक्षा अभियान ने प्रारंभिक स्तर पर जमीन तलाशने का कार्य शुरू कर दिया गया है। एससी वर्ग की छात्राएं अब जल्द ही छात्रावास की सुविधा का लाभ ले सकेंगी। हरियाणा प्राथमिक शिक्षा परियोजना परिषद ने बाबू जगजीवन राम छात्रावास योजना के तहत प्रदेश के 19 जिल

‘फार्मर टू फार्मर’ योजना बनेगी किसानों का सहारा

नरेंद्र कुंडू जींद। घटती कृषि जोत व बढ़ती लागत के कारण घाटे का सौदा साबित हो रही खेती से किसानों को उबारने के लिए कृषि विभाग ने कमर कस ली है। किसानों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने के लिए कृषि विभाग ने ‘फार्मर टू फार्मर’ योजना तैयार की है। इस योजना के तहत कृषि विभाग अब किसानों को तकनीकी खेती के लिए प्रेरित करेगा। इसके लिए विभाग ने टीमों का गठन कर जिले में सर्वे करवाया है। सर्वे के अनुसार प्रगतिशील व पिछड़े किसानों के बीच के अंतर के जो आंकड़ें निकल कर सामने आएंगे विभाग उस अंतर को मिटाने के लिए पिछड़े किसानों को प्रेरित करेगा। इसके लिए विभाग ‘फार्मर टू फार्मर’ योजना पर काम करेगा। इस योजना के तहत विभाग द्वारा प्रगतिशील किसानों के खेतों पर कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यशाला में प्रगतिशील किसान पिछड़े किसानों को तकनीकी खेती के टिप्स देंगे। इस योजना के माध्यम से विभाग प्रगतिशील व पिछड़े किसानों के बीच बनी इस खाई को पाटने का काम करेगा। इसके लिए विभाग ने जिले के पिछड़े किसानों की सूची भी तैयार कर ली है।  आज कृषि जोत घटने व खेती पर लागत अधिक बढ़ने के कारण खेती किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित ह

पेयजल आपूर्ति के नाम पर अधिकारी बुझा गए ‘प्यास’

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जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी गई सूचना। नरेंद्र कुंडू जींद। जनस्वास्थ्य विभाग द्वारा पानी की सप्लाई के लिए अहिरका गांव में बिछाई गई पाइप लाइन में हुआ फर्जीवाड़ा सामने आया है। जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा अहिरका गांव में बिछाई गई पाइप लाइन पिछले दो सालों से कागजों में ही चल रही है। लेकिन इस पाइप लाइन से आज तक गांव में पानी की सप्लाई शुरू नहीं हो सकी है। विभाग ने पाइप लाइन बिछाने पर लाखों रुपए का बजट भी खर्च कर दिया है। लेकिन लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद भी ग्रामीणों को इसका लाभ नहीं मिला है। मामले का खुलासा अहिरका गांव के एक व्यक्ति द्वारा जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई सूचना में हुआ। विभाग द्वारा व्यक्ति को दी गई सूचना में स्पष्ट लिखा हुआ है कि इस पाइप लाइन के जरिए गांव में 2010 से पानी की सप्लाई चालू है। लेकिन वास्तविकता कुछ ओर ही है। ग्रामीणों की प्यास बुझाने के नाम पर मंजूर हुई ग्रांट में गड़बड़झाला कर विभाग के अधिकारियों ने अपनी प्यास बुझाई है। योजना में हुए इस भ्रष्टाचार के कारण ग्रामीणों के सामने पेयजल संकट गहरा गया है। सरकारी योजनाओं में फर्जीवाड़ा रह-रहकर सामने आ रहा

कम्प्यूटर अध्यापकों व लैब सहायकों के भविष्य पर लटकी तलवार

117 रुपए प्रतिदिन मेहनताने से कर रहे हैं गुजारा नरेंद्र कुंडू जींद। सरकार एक तरफ तो सरकारी स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा लागू कर शिक्षा स्तर को ऊंचा उठाने तथा बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाने के दावे कर रही है, लेकिन दूसरी तरफ बच्चों को कम्प्यूटर शिक्षा उपलब्ध करवाने वाले अध्यापकों तथा लैब सहायकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। सरकारी स्कूलों में आऊटर्सोसिंग कंपनी द्वारा सरेआम श्रम कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं तथा कम्प्यूटर अध्यापकों व लैब सहायकों का शोषण किया जा रहा है। कंपनी कम्प्यूटर अध्यापकों व लैब सहायकों के साथ नियुक्ती के समय किए गए 5 साल के अनुबंध को बीच में ही तोड़ कर उसमें फेर बदल कर इनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। कंपनी के तानाशाही रवैये के कारण कम्प्यूटर अध्यापक व लैब सहायक असमंजस में हैं। कंपनी द्वारा उठाए गए इस कदम से प्रदेश भर के लगभग 6 हजार कम्प्यूटर अध्यापक व लैब सहायकों के भविष्य पर तलवार लटक रही है। हरियाणा कम्प्यूटर अध्यापक संघ व लैब सहायक संघ अब अपने रोजगार को बचाने के लिए आंदोलन की रणनीति तैयार कर रहा है। प्रदेश सरकार ने सरकारी स्कूलों में

निजी स्कूल लूट रहे खून-पसीने की कमाई

नरेंद्र कुंडू जींद। शहर के निजी स्कूलों की कमीशनखोरी ने अभिभावकों की जेबें खाली कर दी हैं। नया शैक्षिक सत्र शुरू होते ही निजी स्कूल संचालकों ने अपनी जेबें भरनी शुरू कर दी हैं। जहां पहले दाखिले के नाम पर अभिभावकों से मोटी फीस वसूली जा रही है, वहीं इन निजी स्कूलों ने वर्दी से लेकर किताबों तक कमीशन निर्धारित किया हुआ है। निजी स्कूलों में किताबों की चिट बनाकर अभिभावकों के हाथों में थमा दी जाती है। निजी स्कूल संचालकों द्वारा दी गई चिट में बकायदा बुक डिपो का नाम व पूरा पता लिखा होता है। इन बुक डिपो संचालकों के साथ निजी स्कूल संचालकों का कमीशन निर्धारित होता है। किताब-कापियों के लिए फिक्स दुकानों एवं मनमानी कीमत ने मजबूर अभिभावकों की खून पसीने की कमाई लूट ली है। प्रकाशक से लेकर दुकानदार तक सब सेट हैं और असहाय अभिभावकों बच्चों के भविष्य की चिंता में खामोश हैं। शासन, प्रशासन को निजी स्कूलों के इस लूटतंत्र पर कार्रवाई करने की फुरसत नहीं है। प्रशासन की लापरवाही के चलते निजी स्कूल शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धज्जियां उड़ा रहे हैं। हर साल नए शैक्षिक सत्र के दौरान किताबों व ड्रेस के नाम पर निजी

...अब किसानों को कीट प्रबंधन के गुर सिखाएंगी गाँव की गौरी

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 कार्यशाला के दौरान महिलाओं को कीटों की पहचान करवाती मास्टर ट्रेनर महिला। नरेंद्र कुंडू जींद। अब निडाना व आस-पास के गांवों के किसान निडाना की महिलाओं से खेती व कीट प्रबंधन के गुर सीखेंगे। ये महिलाएं अब चूल्हे-चौके के साथ-साथ कीट प्रबन्धन के काम-काज को भी संभालेंगी। इस तरह पर्दे की आड़ में रहने वाले ये चेहरे अब टीचर की भूमिका में नजर आएंगे। राष्ट्रीय कृषि ओर ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड)द्वारा किसानों के उत्थान के लिए शुरू की गई किसान क्लबों के गठन की योजना के तहत जींद जिले के तीन गांवों में महिला किसान क्लबों का भी गठन किया गया है। निडाना,  भैरवखेड़ा व ललितखेड़ा में गठित किए गए ये महिला किसान क्लब प्रदेश के पहले महिला किसान क्लब हैं। इन महिला किसान क्लबों के संचालन की जिम्मेदारी कीट साक्षरता केंद्र की मास्टर ट्रेनर महिलाओं को सौंपी गई है। ये मास्टर ट्रेनर महिलाएं क्लब के माध्यम से किसानों को तकनीकी खेती के साथ-साथ कीट प्रबंधन के गुर भी सिखाएंगी। इन क्लबों के गठन से इन्हें अपने कीट साक्षरता अभियान को तो शिखर तक पहुंचाने का मौका मिलेगा ही, साथ-साथ ये महिलाएं अन्य महिलाओं के लिए

ऊर्जा संरक्षण के लिए आईएसआई मार्क के उपकरणों को बनाया हथियार

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आईटी विलेज बीबीपुर ने शुरू की एक अनुठी पहल नरेंद्र कुंडू जींद। आईटी विलेज बीबीपुर की पंचायत ने ऊर्जा संरक्षण के लिए एक अनोखा कदम उठाया है। सीएफएल ट्यूब युक्त गांव का दर्जा हासिल करने के लिए छेड़ी गई मुहिम के साथ-साथ अब सिर्फ गांव में आईएसआई या आईएसओ 9001 अनुपात 2000 के  मार्क वाले बिजली उपकरणों का प्रयोग करने का निर्णय लिया है। क्योंकि यह उपकरण अंतर्राष्ट्रीय मानक के अनुसार होते हैं। जिस कारण इन उपकरणों की क्वालिटी बहुत अच्छी होती है और इनमें जल्द खराबी आने की संभावनाएं भी कम ही होती हैं। इसके अलावा आईएसआई मार्क वाले उपकरणों में बिजली की खपत भी साधारण उपकरणों की बजाए काफी कम होती है। ग्रामीणों को इस क्षेत्र में जागरुक करने के लिए पंचायत ने एक सर्वे टीम का गठन किया है। इस टीम के सदस्य सुबह-सांय घर-घर जाकर घर में प्रयोग होने वाले साधारण बिजली उपकरणों तथा आईएसआई मार्क वाले उपकरणों की रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। रिपोर्ट तैयार करने के बाद सर्वे टीम घर के सभी सदस्यों को आईएसआई मार्क वाले उपकरणों के लाभ के बारे में भी विस्तार से जानकारी देती है। गांव के अलावा टीम खेतों में जाकर ट्यूबवैल पर

केजीबीवी स्कूलों में जल्द शुरू होंगी स्मार्ट क्लास

प्रदेश में सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लास शुरू करने वाला पहला जिला होगा जींद नरेंद्र कुंडू जींद। ‘ज्ञानेन शोभतेश्ण’ के नारे को साकार करने के लिए अब कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों को हाईटेक बनाने की योजना तैयार की गई है। योजना के तहत उचाना के खेड़ी सफा व नरवाना के फुलिया खुर्द दोनों कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) जल्द ही स्मार्ट क्लास रूम से सुसज्जित होंगे। सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए सर्व शिक्षा अभियान ने यह कदम उठाया है। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लास शुरू करने वाला प्रदेश का यह पहला जिला है। इन स्कूलों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अंबाला मुख्यालय से जोड़ा जाएगा। एनिमेशन के जरिए कठिन चैप्टर भी बच्चों को समझने में आसानी होगी। इससे इन स्कूलों में शिक्षा में काफी सुधार होगा। एसएसए ने इन स्कूलों में स्मार्ट क्लास शुरू करने के इसके लिए हरी झंडी दे दी है। प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर अब कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय भी स्मार्ट क्लास रूम से सुसज्जित होंगे। इस योजना की शुरूआत प्रदेश में सबसे पहले जींद जिले के उचाना के खेड़ी सफा व नरवाना

‘नौकरी’ मिली, लेकिन नहीं मिला रोजगार

1716 परिचालकों को अभी ओर करना पड़ेगा इंतजार, बिना वेतन के ही करना पड़ेगा गुजारा नरेंद्र कुंडू जींद। हरियाणा रोडवेज में परिचालक पद के लिए चयनित हुए 3504 में से 1716 उम्मीदवारों को अभी 6 माह तक ओर सीटी व थैले का इंतजार करना पड़ेगा। नौकरी मिलने के बाद भी परिचालकों के हाथ ज्वाईनिंग लेटर के लिए तरस रहे हैं। हरियाणा ट्रांस्पोर्ट डिपार्टमेंट द्वारा फिलहाल 3504 चयनित परिचालकों में से सिर्फ 1788 परिचालकों को ही डिपो अलाट करवाए गए हैं। इससे काऊंसलिंग के माध्यम से शुरू की गई अलाटमेंट प्रक्रिया पर भी सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। बाकी बचे हुए परिचालक काऊंसलिंग कमेटी पर अपने चहेतों को ही डिपो अलाट करवाने के आरोप लगा रहे हैं। अपने उज्जवल भविष्य के सपने बुनने वाले इन परिचालकों के सपनों पर काऊंसलिंग कमेटी की काली छाया का ग्रहण लगा गया है। जिस कारण इन्हें अब चयन होने के बावजूद भी कई माह बिना वेतन के ही अपना गुजारा करना पड़ेगा। आयोग द्वारा शुरू की गई इस नई प्रक्रिया से इनकी सांसें अटकी हुई हैं। चयन प्रक्रिया से निराश हो चुके ये परिचालक अब अदालत का दरवाजा खटखटाने के का मन बना रहे हैं। इन्हे ‘नौकरी’ तो मि

....ताकि खिलता रहे बचपन

नरेंद्र कुंडू जींद। महिला एवं बाल विकास विभाग ने बचपन को संरक्षण देने की कवायद शुरू की है। योजना को सफल बनाने के लिए विभाग द्वारा एक टीम का गठन किया जाएगा। टीम के सदस्य गांव-गांव जाकर बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करेंगे। टीम के सदस्यों द्वारा ब्लॉक अनुसार गांवों का दौरा किया जाएगा तथा गांवों की चौपालों में सेमिनारों का आयोजन कर बच्चों को उनके अधिकार व संरक्षण के बारे में जानकारी दी जाएगी। विभाग द्वारा तैयार की गई इस योजना का मुख्य उद्देश्य बच्चों पर हो रहे अत्याचारों को रोकना तथा अनाथ व बेसहारा बच्चों को सहारा देकर समाज की मुख्य धारा से जोड़ना है।         बच्चे ही देश के  भविष्य हैं, बच्चों की अच्छी देखरेख एवं उचित वातावरण ही उन्हें अच्छा और जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए प्रेरित कर सकता है। अगर बच्चों को समय पर सही मार्गदर्शन मिल जाए तो देश का भविष्य उज्जवल हो जाएगा। लेकिन दिन-प्रतिदिन बच्चों पर बढ़ते अत्याचारों व अधिकारों की जानकारी के अभाव के कारण देश के भविष्य पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। बढ़ते अत्याचारों व मार्गदर्शन के अभाव में देश के ये कर्णधार समाज से की धारा से कट रह

....ताकि थाली से कम हो सके जहर

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कृषि पंचायत के बाद खेतों में कीटों की पहचान करते किसान।    हर माह के अखिरी शनिवार को गांवों में किया जाएगा कृषि पंचायतों का आयोजन नरेंद्र कुंडू जींद। कीट साक्षरता केंद्र निडाना के किसान अब गांव-गांव जाकर कीट प्रबंधन की अलख जगाएंगे।  अपने इस मिशन को सफल बनाने के लिए कीट साक्षरता केंद्र के किसानों ने एक कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी में कीट प्रबंधन में पूर्ण रूप से दक्षता हासिल कर चुके किसानों को शामिल किया गया है। कीट साक्षरता केंद्र के ये मास्टर ट्रेनर किसान हर माह के आखिरी शनिवार को गांवों में जाकर कृषि पंचायत का आयोजन करेंगे। ये मास्टर ट्रेनर कृषि पंचायत में किसानों के साथ कीट प्रबंधन पर विचार-विमर्श करने के बाद किसानों को खेतों में ले जाकर व्यवहारिक ज्ञान भी देंगे, ताकि अधिक से अधिक किसानों को फसल में मौजूद मासाहारी व शाकाहारी कीटों की पहचान करवाई जा सके। किसानों को कीटों की पहचान होने से किसान कीटनाशक रहित खेती को अपना कर दूसरे किसानों के सामने उदहारण प्रस्तुत कर सकेंगे। कीट साक्षरता केंद्र के किसानों द्वारा छेड़ी गई इस मुहिम का मुख्य उद्देश्य फसलों में बढ़ते कीटनाशकों के

गैस एजेंसियां खुलेआम बांट रही हैं मौत का सामान

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स्कीम नंबर 5 में ट्रॉली में ऊपर से सिलेंडर गिराता कंपनी का कर्मचारी। स्कीम नंबर 5 में ट्रॉली से सिलेंडर लेकर जाते उपभोक्ता।   आवासीय कॉलोनी में सिलेंडर वितरित करते गैस एजेंसी के कर्मचारी। नरेंद्र कुंडू जींद। जिले में गैस एजेंसियां सरेआम मौत का सामान बांट रही हैं। नियमों को ताक पर रखकर एजेंसियों द्वारा घनी आबादी वाले क्षेत्रों में सप्लाई वितरित की जा रही है। भरे हुए सिलेंडरों को बेतरतीब रखा जाता है और ट्राली से सिलेंडर उतारते समय सिलेंडर को काफी ऊंचाई से पटक दिया जाता है। इस तरह सिलेंडर पटकने से कभी  भी कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है। जिससे जान व माल की बड़ी हानि हो सकती है। लेकिन यहां इन्हें ऐसा करने से रोकने वाला कोई नहीं है। जिला प्रशासन आंखें बंद किए किसी बड़े हादसे के इंतजार में बैठा है।    शहर की घरेलू गैस एजेंसियों को न तो किसी की जान की परवाह है और न ही नियम-कायदों की। रसूखदार एजेंसी संचालकों ने सारे नियम-कायदे ताक पर रख कर शहर की सड़कों को गोदाम बना लिया है। यह सब स्थानीय प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों को सड़कों पर चलित गोदाम दिखाई ही नही

खामियों के कारण पटरी पर नहीं आ रही ‘मनरेगा’

बेरोजगारी मिटाने में अचूक अस्त्र बन सकती है ‘मनरेगा’ नरेंद्र कुंडू जींद। सरकार गरीबों के उत्थान के लिए तमाम योजनाएं बनाती है, जो अगर ठीक ढंग से लागू की जाएं तो उनके जीवन में वाकई चमत्कारी बदलाव लाए जा सकते हैं। लेकिन अफसोस ये कि ये योजनाएं जरुरतमंदों तक पहुंचती ही नहीं हैं। योजना में खामियों के कारण योजनाएं रास्ते में ही दम तोड़ देती हैं। बेरोजगारी के समय में कर्मशील मजदूरों की ‘मां’ माने जानी वाली महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) भी खामियों के कारण पटरी पर नहीं चढ़ पा रही है। मनरेगा की सफलता में सबसे बड़ा रोड़ा बना हुआ है मॉडल एस्टीमेट व लंबी प्रक्रिया। सही ढंग से मॉडल एस्टीमेट तैयार न होने के कारण मजदूरों को समय पर मजदूरी के पैसे नहीं मिल पाते हैं। बीडीपीओ कार्यालय में अधिकारियों की कमी के कारण समय पर कागजी कार्रवाई पूरी नहीं हो पाती। जिस कारण मनरेगा का कार्य सही ढंग समय पर शुरू नहीं हो पाता है। मनरेगा की कार्यप्रणाली में अगर थोड़ा सा सुधार कर दिया जाए तो, वाकई में यह योजना कर्मशील मजदूरों को कभी भी बेरोजगार नहीं होने देगी।  क्या है मनरेगा से कार्य शुरू करवाने की मौजूदा प्रक्र

‘अतिथि’ तुम कब जाओगे

नरेंद्र कुंडू जींद। सुप्रीम कोर्ट के शिक्षा विभाग में नियमित नियुक्तियां न होने तक अतिथि अध्यापकों से शिक्षण कार्य जारी रखने के फैसले के बाद प्रदेश में आंदोलनरत 15 हजार अतिथि अध्यापकों ने राहत की सांस ली है। लेकिन उधर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद पात्र अध्यापकों में मायूसी छा गई है। अतिथि अध्यापकों पर हुई सरकार व अदालत की मेहरबानी से पात्र अध्यापकों के साथ-साथ वर्ष 2000 में भर्ती हुए 3206 जेबीटी अध्यापकों ने भी सरकार पर उनके साथ भेदभाव के आरोप लगाए हैं। क्योंकि एक तरफ तो सरकार कोर्ट में केश चलने के बावजूद भी अतिथि अध्यापकों को सर्विस बुक लागू कर उनके वेतन में बढ़ोतरी कर रही है, लेकिन दूसरी तरफ सरकार जांच की आड़ में जेबीटी अध्यापकों की प्रमोशन व अन्य सुविधाएं रोक कर उनके साथ शौतेला व्यवहार कर रही है। देश के भविष्य को ज्ञान की रोशनी से उज्जवल करने वाले अध्यापकों का भविष्य आज स्वयं ही अंधकार में है। दूसरों को राह दिखाने वाले गुरुजी आज सरकार की राजनीति का शिकार होकर खुद ही राह भटक चुके हैं। एक तरफ तो सरकार अतिथि अध्यापकों के पक्ष में कोर्ट में केश लड़ रही है और दूसरी तरफ नियमित भर्ती कर

....ताकि तैयार हो सकें वैज्ञानिक

जिले से 700 बच्चों को मिलेगा टूर का लाभ नरेंद्र कुंडू जींद। सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों में विज्ञान के प्रति रुचि पैदा करने के उद्देश्य से सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) द्वारा जिले के प्रत्येक ब्लॉक से दो-दो टूर भेजे जाएंगे। टूर के लिए सभी स्कूलों से बच्चों के चयन की जिम्मेदारी बीईओ को सौंपी गई है। सभी बीईओ अपने-अपने ब्लॉक के सरकारी स्कूलों से दोनों टूरों के लिए 50-50 बच्चों का चयन करेंगे। बच्चों का चयन करने के बाद टूर पर भेजने की सारी व्यवस्था बीईओ द्वारा स्वयं की जाएगी, लेकिन टूर पर खर्च होने वाली राशि का भुगतान एसएस द्वारा किया जाएगा। एसएसए द्वारा प्रत्येक टूर के लिए बीईओ को 25 हजार रुपए की राशि दी जाएगी। एसएसए द्वारा तैयार की गई इस योजना से जिले से 700 बच्चों को टूर का लाभ मिलेगा। टूर के दौरान विद्यार्थियों के साथ 5 अध्यापक को भी मौजूद रहेंगे, जिनमें एक साईंस अध्यापक होना अनिवार्य है, ताकि टूर के दौरान विद्यार्थियों के मन में विज्ञान से संबंधि पैदा होने वाली शंका का समाधान साथ की साथ किया जा सके। एसएसए ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों में सार्इंस के प्रति रुचि

सरकारी कार्यालयों में उड़ रही नियमों की धज्जियां

सरकार के आदेशों के वाजूद भी आवेदकों से लिए जा रहे हैं शपथ पत्र नरेंद्र कुंडू जींद। जिले के लगभग तमाम सरकारी कार्यालयों में कायदे-कानूनों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। सरकार द्वारा सरकारी विभागों में आम आदमी से शपथ पत्र न लेने के आदेशों के बावजूद भी सभी सरकारी कार्यालयों में शपथ पत्र लेने का सिलसिला बदस्तुर जारी है। सरकारी अधिकारियों पर सरकार के आदेशों का कोई असर नहीं है। इससे आम जनता को आर्थिक व मानसिक परेशानी उठानी पड़ रही है। ताज्जुब की बात तो यह है कि आम आदमी द्वारा साधारण कागज पर जो शपथ पत्र दिए जा रहे हैं कार्यालय में बैठके कर्मचारी उन्हें भी नोटरी से सत्यापित करवा कर लाने के फरमान जारी करते हैं, जो सरासर नियमों के विरुद्ध है। इस प्रकार सरकारी अधिकारियों की लापरवाही के कारण शपथ पत्र विक्रेता जमकर चांदी कूट रहे हैं।  हरियाणा सरकार ने 28 अप्रैल 2010 को पत्र क्रमांक-62/09/2010-6जीएसआई में सभी सरकारी विभागों व संस्थाओं के मुखियाओं को आदेश जारी किए थे कि किसी भी सरकारी कार्यालय में सरकारी कार्य के लिए आम आदमी से शपथ पत्र नहीं लिए जाएंगे। आदेशों में यह स्पष्ट किया गया था कि सरका

आईटी विलेज बीबीपुर ने ऊर्जा संरक्षण की तरफ बढ़ाए कदम

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संगोष्ठी में विजेता छात्रा को सौलर लालटेन0 वितरित करते सरपंच व मुख्यातिथि। नरेंद्र कुंडू जींद। आईटी विलेज बीबीपुर ने सूचना एवं प्रौद्योगिक (इंटरनेट) पर धूम मचाने के बाद अब ऊर्जा संरक्षण की तरफ अपने कदम बढ़ाए हैं। इसके लिए पंचायत ने गांव को पूर्ण रूप से सीएफएल ट्यूब युक्त बनाने की मुहिम शुरू कर दी है। 6 हजार की आबादी वाले इस गांव में 2700 सीएफएल ट्यूब लाइट लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। फिलहाल इस मुहिम के तहत 1700 बिजली के बल्बों को हटाकर सीएफएल ट्यूब लाइट लगाने का कार्य पूरा कर लिया गया है। जिस पर पंचायत द्वारा साढ़े तीन लाख रुपए खर्च किए गए हैं। अगर फिडर के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो गांव में ऊर्जा संरक्षण की मुहिम शुरू करने से पहले एक माह में बिजली की खपत 2 लाख 5 हजार यूनिट थी, लेकिन 1700 सीएफएल लगने के बाद बिजली की खपत में 5 से 6 हजार यूनिट की कमी हुई है। जबकि पूरा गांव सीएफएल ट्यूब युक्त होने के बाद यह खपत घटकर डेढ़ लाख तक सीमित हो जाएगी। पंचायत ने इस मुहिम को सफल बनाने के लिए गांव का सर्वे शुरू करवा दिया है। 70 विद्यार्थियों की चार सर्वे टीमों को यह कार्यभार सौंपा गया

ऊर्जा संरक्षण में प्रदेश का नंबर वन जिला बना जींद

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नरेंद्र कुंडू जींद। प्रदेश में जींद जिले को बेशक पिछड़े जिलों में शुमार किया जाता हो, लेकिन ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में जिले ने दबंगई दिखाई है। ब्लड डोनेशन के बाद अब जींद जिले ने ऊर्जा संरक्षण में भी प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त कर लिया है। ऊर्जा संरक्षण में जींद जिला प्रदेश के अन्य जिलों के लिए रोल मॉडल के रूप में उभरा है। भारत सरकार के नवीनीकरण उर्जा स्त्रोत मंत्रालय द्वारा जवाहर लाल नेहरू नेशनल सोलर मिशन के तहत जींद जिले के सातों खंड विकास अधिकारी के कार्यालयों में सौलर प्लांट लगाए गए हैं। इन प्लांटों पर मंत्रालय द्वारा 6 लाख 30 हजार रुपए से भी अधिक की राशि खर्च की गई है। जिले के सभी खंडों में सौलर प्लांट लगाने वाला जींद जिला प्रदेश में पहला जिला बन गया है। अब जिले में बिजली कटों की वजह से सरकारी कार्यालयों में कामकाज प्रभावित नहीं होगा, क्योंकि भारत सरकार के नवीनीकरण उर्जा स्त्रोत मंत्रालय द्वारा जवाहर लाल नेहरू नेशनल सौलर मिशन के तहत जिले के सभी सातों खंड विकास अधिकारी कार्यालयों में सौलर प्लांट लगा दिए गए हैं। ये प्लांट लगाने के मामले में जींद जिला प्रदेश में पहला जिला बन गया

यहां सरकारी बाबू ही तय करते हैं नियम.....

परिचालक लाइसेंस के लिए आवेदन करने वालों से जमा करवाए जाते हैं मूल प्रमाण पत्र नरेंद्र कुंडू जींद। सरकारी कार्यालयों में कायदे-कानून तोड़ना तो अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए स्टेट्स सिम्बल हो गया है। आम आदमी भले ही कायदे-कानूनों को तोड़ने से हिचकिचा जाए, लेकिन सरकारी बाबू इसकी कतई परवाह नहीं करते हैं। फिलहाल इसकी बानगी एसडीएम कार्यालय में देखने को मिल रही है। यहां कर्मचारियों द्वारा परिचालक लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाले आवेदकों से फर्स्ट एड के मूल प्रमाण पत्र जमा करवाए जा रहे हैं, जबकि नियम के अनुसार इसके लिए फोटो कॉपी ही तय की गई है। एसडीएम कार्यालय में फर्स्ट एड के मूल प्रमाण पत्र जमा होने के कारण युवा सही रूप में इसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं, जिससे उनका फर्स्ट एड के लेक्चरार बनने के सपने पर भी ग्रहण लग गया है।    एक तरफ तो सरकारी बाबुओं का रौब, दूसरी तरफ कामकाज की लंबी प्रक्रिया खुद-बे-खुद ही कामकाज के लिए सरकारी कार्यालय में आने वाले लोगों को तोड़ देती है। यहां के सरकारी कार्यालयों में तो कर्मचारियों पर •ोड चाल की नीति लागू होती है। एक बार जो प्रक्रिया शुरू कर दी जाए बस फिर